तारीख: कुंभ मेले में 1954 में हुई भगदड़ में क्या हुआ था?
3 फरवरी, मौनी अमावस्या का दिन था. सुबह के 9 बज रहे होंगे जब नागा साधुओं का जुलूस निकला. बैकीकेड्स के पीछे से श्रद्धालु आगे बढ़कर साधुओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहते थे. धक्का मुक्की हुई बैरियर टूटा और लोग आगे बढ़ गए.