घाटों पर ठुमरी, चैती, और दादरा की लय गंगा की लहरों से टकरा रहीं हैं. महफिलों मेंसुरों की जुगलबंदी में दूर दराज से बड़े बड़े उस्ताद शिरकत करने पहुंचे हैं. gangariver तब बनारस United Provinces of Agra and Oudh यानी आगरा और अवध के संयुक्तप्रांत का हिस्सा था. ये वो दौर था जब बनारस में ठुमरी अपने सुनहरे युग में थी. औरबनारस घराना इस कला का ताज. साल था 1902. इसी साल तवायफ और फनकार अदालत बाई को एकबेटी हुई. नाम रखा रसूलन जो आगे चलकर रसूलन बाई के नाम से मशहूर हुईं. आगे चलकरमुजरे और महफिल की पहचान उसकी कला पर भारी पड़ गई. तब रसूलन ने किसे चुना? उसकीठुमरी में एक शब्द 'जोबनवा' ने समाज को बेचैन क्यों कर दिया था? क्या हुआ फिर इसविवादित गीत का? अपनी कला को बचाने के लिए उसे शादी का सबूत तक क्यों देना पड़ा?जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.