आज हम राणा सांगा और बाबर के बीच खानवा की लड़ाई की बात करेंगे. फ़िरदौस मकानी कादिल हिंदुस्तान में नहीं लगता था. यहां न अंगूर मिलते थे, ना ही अच्छी शराब. जिनघोड़ों को वो समरकंद में दौड़ाया करता था, उनकी भी यहां आमद नहीं थी. तैमूर और चंगेज़खान दोनों का खून उसकी रगों में दौड़ता था. और उन्हीं की खातिर वो हिंदुस्तान मेंरुका हुआ था. पानीपत में लोधियों को हराकर उसे खूब धन दौलत हासिल हुई थी. इसका एकहिस्सा काबुल भेजा गया. साथ ही बतौर शुक्रिया, ग्वालियर घराने को 40 ग्राम का एकहीरा गिफ्ट किया गया. इस इनायत के चलते बादशाह को कलंदर कहा जाने लगा था. जिसेसुनकर वो फूल कर कुप्पा हुआ जाता था. देखें वीडियो.