Woodland से पहले बनी, अंबानी का भी साथ मिला, फिर इस कंपनी ने क्यों छोड़ दिया इंडिया
आज बात एक ऐसे इंटरनेशनल शू ब्रांड की, जो भारत में बड़ी उम्मीद से आया मगर सिर्फ 6 साल में उसे अपना बोरिया बिस्तर या कहें जूते फेककर रुखसत होना पड़ा. रिलायंस जैसा बड़ा नाम भी इनके पैरों को भारत में नहीं टिका सका.
अनुराग कश्यप ने अपनी कल्ट क्लासिक ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ सिर्फ तीन साल पहले बना दी होती, तो शायद एक जूता कंपनी का भला हो जाता. काश इस फिलम के किरदार सरदार खान और उनके उससे जुड़ा ‘Hum First-Hum First’ मीम साल 2012 की जगह तीन साल पहले यानी 2009 में आ गया होता. अगर ऐसा होता तो शायद ये अमेरिकन कंपनी इसका इस्तेमाल करके भारतीय यूजर्स को अपने जूते पहना पाती. काश और शायद से स्टोरी का मीटर बिठा दिया. अब कहानी बांचते हैं.
एक ऐसा इंटरनेशनल शू ब्रांड, जो भारत में बड़ी उम्मीद से आया मगर सिर्फ 6 साल में उसे अपना बोरिया बिस्तर या कहें जूते फेककर रुखसत होना पड़ा. रिलायंस जैसा बड़ा नाम भी इनके पैरों को भारत में नहीं टिका सका. डुप्लिकेट होने जैसा ठप्पा भी लगा. कंपनी का नाम Timberland और इसको भारत से बाहर करने वाली कंपनी का नाम Woodland.
हम फर्स्ट और तू सेकंडआगे बढ़ें उसके पहले जरा Timberland को जान लेते हैं क्योंकि पूरे चांस हैं कि नाम आपने इसका नाम सुना भी नहीं हो. और जो सुना भी हो तो फिर पूरे चांस हैं कि आपने इसे कोई चलताऊ कंपनी समझ लिया हो. लेकिन ऐसा है नहीं क्योंकि Timberland एक अमेरिकन शू कंपनी है. हाईकिंग बूट से लेकर कई तरह के आउटडोर प्रोडक्टस बनाने वाली कंपनी. आज भी दुनिया के कई देशों में कारोबार करती है. साल 2023 में कंपनी का कारोबार 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का था. रही बात Woodland की, तो इसके बारे में क्या बताना. कंपनी क्या करती है और कितनी बड़ी है. तकरीबन इसका पता सभी को है. लेकिन एक लाइन ध्यान से पढ़ लीजिए.
Woodland शू कंपनी, Timberland के जैसे शू और दूसरे प्रोडक्ट बनाती है.
कहने का मतलब Timberland एक पुरानी कंपनी और Woodland उस जैसा लगने वाला ब्रांड. Timberland साल 1970 से मार्केट में है जब इसको बनाने वाली Swartz फैमिली ने इसका नया नाम रखा. वैसे ये परिवार साल 1918 से ही इस बिजनेस में था.
वहीं Woodland साल 1990 में अस्तित्व में आया जब अवतार सिंह ने कनाडा में इसे Aero Group के तहत रजिस्टर किया. आज ये एक इंडियन कंपनी है क्योंकि उन्होंने सिर्फ 2 साल के अंदर यानी 1992 में अपने प्रॉडक्टस के साथ इंडिया का रुख कर लिया था.
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वहीं Timberland साल 2009 में इंडिया में आया. कंपनी को भारत में ‘Reliance Industries Ltd’ ने लाइसेंस प्रोसेस के तहत गाजे-बाजे के साथ लॉन्च किया. कुछ ही सालों में कंपनी ने 14 स्टोर ओपन किए. कंपनी अपने नाम को लेकर इतनी आश्वत थी कि इसमें से आधे स्टोर तो एक्सक्लूसिव थे.
मगर ये हो ना सका क्योंकि भारतीय लोगों के पैरों में तो Woodland कसा हुआ था. लोगों को तो भ्रम भी हुआ कि Timberland एक डुप्लिकेट प्रोडक्ट है. इसके साथ कंपनी को Woodland से कानूनी लड़ाई भी लड़ना पड़ी.
Timberland और Woodland का ब्रांड लोगो तकरीबन एक जैसा. मतलब-पेड़-फूल-पत्तियां सेम-सेम. भले टिंबरलैंड पुरानी कंपनी लेकिन वुडलैंड इंडिया पहले आई तो लोगो पर उसका अधिकार था. कानून की भाषा में कहें तो intellectual property.
लोग बताते हैं कि रिलायंस को इस लीगल पचड़े के बारे में पहले से पता था मगर उनको उम्मीद थी कि मामला सुलटा लेंगे. लेकिन ब्रांड को इंडिया में एकदम ही कोई भाव नहीं मिला. ऊपर से कानूनी दिक्कतें. आजिज़ आकर साल 2015 में कंपनी ने भारत से अपने पांव (जूते समेत) वापिस खींच लिए.
जाते-जाते इतना और जान लीजिए कि वुडलैंड का साल 2021-22 का टर्नओवर 900 करोड़ रुपये था. कंपनी ने कोविड से पहले 1200 करोड़ रुपये तक का कारोबार किया था और अब कंपनी फिर से इस लेवल पर आने की कोशिश कर रही है. टिंबरलैंड का टर्नओवर हमने पहले ही बता दिया.
कुल मिलाकर टिंबरलैंड के साथ जो हुआ, उसके लिए एक मुहावरा बिगाड़ना होगा - ‘देर आयद, दुरुस्त नहीं आयद.’
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