कंधों से मिलते हैं कंधे कदमों से कदम मिलते हैं'लक्ष्य' का ये गाना जवानों के मोशन को बहुत सही डिस्क्राइब करता है. अचानक सेजवानों का ज़िक्र क्यों? दो मौके हैं. 15 जनवरी को पड़ने वाला आर्मी डे. और 26जनवरी के दिन होने वाली रिपब्लिक डे परेड.परेड में जवान मार्च करते हैं. इस मार्च की सबसे फीचरिस्टिक बात होती है उनके बीचका सामंजस्य. उनका सिंक. रिसर्चर्स का मानना है कि सिंक में चलने से दो चीज़ें होतीहैं - 1. दुश्मन को डर लगता है 2. अपना कॉन्फिडेंस बढ़ता है हमेशा सिंक में चलनेवाले जवान कभी भी पुल पर ऐसे नहीं चलते. उन्हें पुल पर अपना सिंक तोड़ने के ऑर्डर्सहोते हैं. इस ऑर्डर के पीछे है एक किस्सा. और किस्से के नीचे दबी है साइंस.ब्रॉटन का पुलसाल 1826. इंग्लैंड के दो इलाके - ब्रॉटन और पेंडलटन.इन दोनों जगहों के बीच इरवेल नाम की नदी बहती है. नदी के कारण दोनों जगहों के बीचकोई ढंग का रास्ता नहीं था. इरवेल के ऊपर एक पुल बनाना ज़रूरी था. लेकिन पैसे कौनदेता? यहां सामने आए उस इलाके के रईस जॉन फिट्ज़गेराल्ड. और बोले बताओ भाई कैसा पुलबनाना है?लगभग इसी टाइम सस्पेंशन ब्रिज बनने शुरू हुए थे. सस्पेंशन ब्रिज मतलब झूलने वालापुल. वो पुल जो केबल्स के दम पर लटका होता है. 1826 में जॉन फिट्ज़गेराल्ड के पैसेसे इरवेल नदी के ऊपर सस्पेंशन ब्रिज बना. नाम पड़ा ब्रॉटन सस्पेंशन ब्रिज.ब्रॉटन का सस्पेंशन ब्रिज. (सोर्स - विकिमीडिया)कट टू 12 अप्रैल, 1831. ब्रिज बने पांच ही साल हुए थे. ब्रिटिश आर्मी का एक दस्ताइस पुल के ऊपर से गुज़रा और पुल ढह गया. इस हादसे में किसी की जान तो नहीं गई लेकिन20 जवान ज़ख्मी हो गए. जांच हुई और जांच के बाद ब्रिटिश आर्मी ने फरमान जारी किया.फरमान ये कि पुल पार करते समय जवान मार्च नहीं करेंगे. ब्रिटिश आर्मी का फरमानसिर्फ ब्रिटेन के जवान मानते थे. फ्रांस के नहीं.फ्रांस का एंगर्स सस्पेंशन ब्रिज. 16 अप्रैल, 1850 को फ्रांस के सैनिक इस ब्रिज सेगुज़रे. और ये ब्रिज भी कोलैप्स हो गया. इस हादसे में 200 से ज़्यादा जवानों की मौतहो गई.फ्रांस का एंगर्स सस्पेंशन ब्रिज. (सोर्स - विकिमीडिया)इन हादसों के बाद ये आम समझ है कि किसी भी ब्रिज पर कदम मिलाकर मार्च नहीं करनाचाहिए. लेकिन जवानों की कदमताल से ये ब्रिज कोलैप्स क्यों हो गए? सवाल का जवाबफिज़िक्स की किताब में छिपा है.पुल क्यों गिरा?ग्यारहवीं क्लास की फिज़िक्स में एक चैप्टर होता है - ऑसीलेशन (Oscillation). हिंदीमें कहते हैं दोलन. ऑसीलेशन मतलब बराबर टाइम में रिपीट होने वाली हरकत. जैसे -घड़ी के पेंडुलम का मोशनस्प्रिंग वाले गुड्डे का मोशनऑसीलेशन की एक पहचान होती है उसकी फ्रीक्वेंसी. हिंदी में कहते हैं - आवृत्ति.फ्रीक्वेंसी से ये पता चलता है कि फिक्स टाइम में वो हरकत कितनी बार हो रही है. अगरहमें किसी से पूछना होता है कि दिन में कितनी बार डांट खाते हो? तो हम उससे पूछतेहै कि दिन में कितने फ्रीक्वेंटली डांट खाते हो? जैसे लंबाई मीटर में होती है, वज़नकिलोग्राम में होता है. वैसे ही फ्रीक्वेंसी हर्ट्ज़ में होती है. हर्ट्ज़ मतलबप्रति सेकेंड. बोले तो एक सेकेंड में कोई हरकत कितनी बार रिपीट हुई.हर्ट्ज़ को सब्जी काटने वाली एक्सरसाइज़ से समझते हैं. चाकू से सब्ज़ी काटना भी एकतरीके का ऑसीलेशन ही है. अगर कोई एक सेकेंड में 2 बार चाकू चला देता है. तो उसकीफ्रीक्वेंसी 2 हर्ट्ज़ होगी.अगर कोई एक सेकेंड में 4 बार चाकू चला देता है. तो उसकी फ्रीक्वेंसी 4 हर्ट्ज़होगी.अब मामला ऐसा है कि हर मटेरियल को ऑसीलेट कराया जा सकता है. और हर मटेरियल की अपनीएक नैचुरल फ्रीक्वेंसी होती है. उस मटेरियल को झटका देने पर वो अपनी नैचुरलफ्रीक्वेंसी से ऑसीलेट करता है. ये अलग बात है कि किसी का ऑसीलेशन नज़र आता है.किसी का नहीं. कांच के गिलास की अपनी नैचुरल फ्रीक्वेंसी होती है.स्टील के गिलास की अपनी अलग नैचुरल फ्रीक्वेंसी होती है. इसी तरह ईंट, सीमेंट औरलोहे से बने सस्पेंशन ब्रिज की अपनी नैचुरल फ्रीक्वेंसी होती है. जैसे ऋषिकेश मेंराम झूला और लक्ष्मण झूला नाम के सस्पेंशन ब्रिज हैं. तो अगर आप उनपर चले हैं तोआपको वो फ्रीक्वेंसी फील हो जाएगी.ऋषिकेश का राम झूला. (सोर्स - विकिमीडिया)पुल से लोग आते-जाते हैं. पुल ऑसीलेट करता है. कुछ नहीं होता. क्योंकि सब अलग-अलगटाइम पर कदम रखते हैं. और उनके फोर्स कैंसिल हो जाते हैं. लेकिन जवानों के केस मेंऐसा नहीं होता.जवान एक साथ पैर रखते हैं. उनके पैरों की भी एक फ्रीक्वेंसी होती है. सारे जवान एकही फ्रीक्वेंसी पर कदम रखते हैं. उनके एकसाथ पैर रखने में दिक्कत नहीं है.दिक्कत पुल से फ्रीक्वेंसी मैच होने में है .जब पुल पर लग रहे फोर्स की फ्रीक्वेंसी पुल की नैचुरल फ्रीक्वेंसी के बराबर होती हैतब रेज़ोनेंस होता है. रेज़ोनेंस में पुल सबसे ज़्यादा दूर तक खिंचता है. और पुलजितना ज़्यादा खिंचेगा उसमें उतना ही तनाव होगा. एक प्वाइंट पर तनाव इतना ज़्यादाहोता है कि पुल ढह जाता है. तो अपने सवाल का जवाब ये है - ब्रिज में रेज़ोनेंस न आजाए, इसलिए जवान ब्रिज पर अपनी स्ट्राइड तोड़ देते हैं. खासकर सस्पेंशन ब्रिज पर.सिर्फ जवानों के पैरों से पुल नहीं ढहता. पुल हवा से भी ढह सकता है. हमरी बात परभरोसा नहीं तो अमेरिका का टैकोमा सस्पेंशन ब्रिज कोलैप्स देखिए.1940 में बना टैकोमा ब्रिज उस समय का तीसरा सबसे बड़ा सस्पेंशन ब्रिज था. और येब्रिज खुलने के चार महीनों बाद सांप की तरह लहराया और ढह गया. इसकी जांच में भी यहीसामने आया कि हवा और पुल के बीच रेज़ोनेंस होने से पुल ढह गया था.आपने फिल्मों में देखा होगा कि ओपरा सिंगर अपनी आवाज़ से ग्लास तोड़ देती है. उसकेपीछे भी रेज़ोनेंस ही है. अगर आवाज़ की फ्रीक्वेंसी ग्लास की नैचुरल फ्रीक्वेंसी सेमैच हो जाए, तो ग्लास टूट जाएगा.आवाज़ का खेल अच्छे से समझने के लिए साइंसकारी का पुराना एपिसोड देखिए. वीडियो येरही. नीचे देखो. अरे नीचे तो देखो.--------------------------------------------------------------------------------साइंसकारी: जानिए स्पीकर में लगे चुंबक से साउंड बनाने की कहानी