जब बॉलीवुड हीरो लोगों की बॉडी के बारे में लिखा जाता है, अंग्रेजी मैगजीन और अखबारउन्हें अक्सर 'ग्रीक गॉड' पुकारते हैं. अगर आपने ध्यान दिया हो तो ऋतिक रोशन सेलेकर जॉन अब्राहम तक, सबकी टॉपलेस तस्वीरों के लिए 'ग्रीक गॉड' का इस्तेमाल हुआ है.पॉपुलर कल्चर में ग्रीक गॉड जैसी बॉडी होने का मतलब होता है लंबी, चौड़ी बॉडी, जिसकीएक-एक मसल बनी हुई हो. मतलब जैसे किसी ने पेंसिल लेकर कट बना दिए हों.ग्रीस की माइथोलॉजी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी-पढाई गई है. कविताओं, फिल्मों,टीवी-- हर जगह इनका जिक्र आया है. जैसे आपने ब्रैड पिट वाली 'ट्रॉय' देखी होगीहिंदी में डब. वो भी ग्रीक मिथक से ली गई थी.अब थोड़ी बात करते हैं ग्रीक गॉड के बारे में. ग्रीक गॉड उस तरह के भगवान नहीं थेजिनके सामने हाथ जोड़कर पूजा की जाती हो या जिनके नाम पर धर्म बने हों. गॉड ज्यादाताकत वाले इंसान होते थे. कुछ अमर होते थे. कुछ मर सकते थे. वो चोटिल भी होते थे.उनकी शक्तियां भी जाती थीं. उनमें कलह भी होती थी. गॉड अगर इंसान के साथ बच्चा करले तो डेमी-गॉड यानी आधे भगवान पैदा होते थे.यूरोप की शिल्प और चित्र कला में उनके सभी गॉड दिखाई देते हैं. और सभी एक जैसेदिखते हैं. वही बॉडी. मगर बॉडी के अलावा एक और चीज है जो सबकी एक जैसी है. उनकेजेनिटल. यानी उनके प्राइवेट पार्ट.कला के कद्रदान इस बात को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहे हैं. बड़े-बड़े भगवान, राजा और बड़ेलोगों की मूर्तियों में शरीर तो खूब भारी भरकम होते हैं. मगर लिंग छोटा सा होता है.उसके शरीर के अनुपात में ही अजीब सा दिखता है.लकून एंड हिस सन्स (मार्बल) हमारे देश में लिंग बड़ा करने के नाम पर हजारों फ्रॉडचलते हैं. क्योंकि हम ऐसा मानते हैं कि बड़ा लिंग पौरुष का प्रतीक होते हैं. हमेंलगता है कि छोटे लिंग हास्यास्पद होते हैं. हजारों चुटकुले बनाते हैं. मगर प्राचीनग्रीस में ठीक इसका उल्टा माना जाता था. आज से करीब 3 हजार साल पहले परुषों कीसुंदरता के मानक वो नहीं थे जो आज हैं. ना ही बड़े लिंग को कामुक माना जाता था, न हीपौरुष का प्रतीक. प्राचीन ग्रीस के एक मशहूर नाटककार हुए हैं ऐरिस्तोफेनीज. वो लिखगए थे कि आदर्श पुरुष वो होता है जिसके पास हों 'चौड़ी छाती, सफ़ेद चमड़ी, चौड़े कंधे,छोटी जीभ और छोटा लिंग.' साहित्यकार पॉल क्रिस्टल भी कहते हैं, 'छोटे लिंग वालेपरुष सबसे सभ्य और आदर्श माने जाते थे.'जीयस/पोसाइडन (ब्रोंज)बड़े लिंग असभ्य और जानवरों से माने जाते थे. जिन्हें बुद्धि और समझदारी के उलट देखाजाता था. जिसका लिंग बड़ा हो वो आम भाषा में 'जेंटलमैन' नहीं कहलाता था. वेबसाइटआर्ट्सी की राइटर अलेक्सा गोतार्द लिखती हैं कि ज्यादातर नाटकों में कॉमेडियन आदिको बड़े लिंग वाला दिखाया जाता था. जिसके माने होते थे कि वो बेवकूफ हैं. सोच-समझनहीं सकते. माना जाता था कि बड़ा लिंग उन बर्बरों का फीचर होता है जो खुदपर कंट्रोलनहीं रख पाते. वो खब्बू होते हैं. बल्कि छोटे लिंग वाले सेल्फ-कंट्रोल का प्रतीकहोते थे.सूरज का देवता अपोलो (मार्बल)हालांकि आज पौरुष का प्रतीक बड़ा लिंग है. पॉर्न फिल्मों का इनमें ख़ास योगदान है.माना जाता है कि बड़े लिंग वाला पुरुष ही औरत को कामुक रूप से संतुष्ट कर सकता है.जबकि सेक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक औरतों के लिए 4-इंच से अधिक सेंसेशन की आवश्यकतानहीं होती. मगर पॉपुलर पॉर्न हमें दिखाता है कि बड़ा लिंग ही पुरुष की पहचान है.ये बात और है कि समय के साथ पौरुष के मानक बदल गए. लेकिन पौरुष आज जभी पौरुष है. तबभी औरतों को डॉमिनेट करता था, आज भी करता है.