इजरायल के कब्जे में था गाजा, फिर 2005 में छोड़ क्यों दिया?
Disengagement Plan का सपोर्ट करने वालों को मानना था कि इज़रायल का गाजा से जाना इज़रायल और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष को कम करेगा.
इज़रायल. गाजा पट्टी. हमास. फिलिस्तीन. पिछले चार दिनों से ये चार शब्द दुनियाभर में सुने जा रहे हैं. ये भी सुना होगा कि इज़रायल और हमास के बीच जंग जारी है (Israel-Hamas conflict). जंग के बीच गाजा पट्टी की खूब बात की जा रही है. इतनी कि बात अब संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच गई है. 10 अक्टूबर को फिलिस्तीन के राजदूत ने बताया कि गाजा पट्टी और उसके आसपास के इलाकों में इज़रायल जो कर रहा है वो किसी नरसंहार से कम नहीं है. लोग मारे जा रहे हैं. बम गिराए जा रहे हैं. ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस बार इज़रायल गाजा पट्टी पर कब्जा कर लेगा.
अगर ऐसा होता है तो ये पहली बार नहीं होगा. गाजा पर इज़रायल पहले भी मौजूद रह चुका है. वहां उसने कई बस्तियां भी बसाई थीं. लेकिन 2005 में इज़रायल सरकार के इरादे बदल गए. इज़रायल ने गाजा छोड़ने का फैसला किया. लेकिन ऐसा क्यों हुआ? इज़रायल ने गाजा पट्टी पर कब्जा कैसे किया, और बाद में उसे छोड़ने का फैसला क्यों लिया?
1967 युद्ध में गाजा पट्टी पर कब्जा1960 का दशक. इज़रायल की सीमा पर झड़प की घटनाएं बढ़ने लगी थी. मिस्र, सीरिया और जॉर्डन के साथ गोलीबारी की घटनाएं आम थीं. फ़िलिस्तीनी चरमपंथियों के हमले भी बढ़ गए थे. इन सभी को अरब देशों की तरफ से सपोर्ट मिल रहा था. इज़रायल ने अरब देशों को चेताया भी. कड़ा कदम लेने की बात कही.
मगर अरब देशों ने इज़रायल की नहीं सुनी. तो इज़रायल ने बॉर्डर के अंदर घुसकर हमले शुरू कर दिए. मिस्र में अब्देल नासेर उस वक्त सरकार चला रहे थे. नासेर खुद को अरब देशों का सबसे बड़ा नेता मानते थे. इज़रायल ने हमला किया तो उनकी छवि खतरे में पड़ी. उन्होंने एक्शन लेने का फैसला किया. सिनाई पेनिनसुला में सेना तैनात कर दी गई. ये इलाका इज़रायल की दक्षिणी सीमा से सटा है. उसी समय सीरिया ने भी मोर्चा खोल दिया. इज़रायल के उत्तरी बॉर्डर पर सीरिया ने सेना बुला ली.
मई 1967 में नासेर ने इराक़ और जॉर्डन के साथ डिफेंस डील की. तय था कि अरब देश किसी भी समय हमला कर सकते हैं. मगर वो हमला करते, उससे पहले ही इज़रायल ने अपनी एयरफोर्स मिस्र भेज दी. कुछ घंटों के अंदर मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया गया. हवाई अड्डों पर भारी बमबारी की गई. तीन दिनों के अंदर सिनाई पेनिनसुला पर इज़रायल का कब्जा हो चुका था. इसके बाद इज़रायल ने जॉर्डन और सीरिया को भी हराया.
10 जून 1967 को युद्ध विराम समझौता हुआ. मिस्र के सिनाई पेनिनसुला, सीरिया के गोलन हाइट्स और जॉर्डन के नियंत्रण में रहे वेस्ट बैंक और ईस्ट जेरूसलम पर इज़रायल का कब्जा हो चुका था. सिनाई पेनिनसुला कब्जाने के साथ ही इज़रायल के नियंत्रण में गाजा पट्टी भी आ गई. गाजा, सिनाई पेनिनसुला की सबसे घनी आबादी वाला इलाका था. गाजा का घनत्व इज़रायल के लिए गाजा पट्टी छोड़ने के कुछ कारणों में से एक था.
कैंप डेविड वार्ता1967 में इज़रायल ने गाजा पट्टी पर कब्जा किया. गाजा के प्रशासन पर पकड़ बनाई. साल 1978 में कैंप डेविड वार्ता हुई. मिस्र और इज़रायल के बीच. वार्ता में गाजा पट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनियों की जरूरतों और उनके स्वशासन पर चर्चा हुई. लेकिन कैंप डेविड के इन फैसलों को कभी लागू नहीं किया गया. इसके बाद बारी आई ओस्लो समझौते की.
ओस्लो समझौता, फिलिस्तीन अथॉरिटी30 साल पहले. साल 1993. तारीख 13 सितंबर. यासिर अराफात ने इज़रायल से बातचीत की कोशिश की. उन्होंने फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच सुलह का रास्ता अपनाने पर जोर दिया. PLO और इज़रायल के बीच कई दौर की मुलाकात हुई. इसमें इज़रायल-फिलिस्तीन के बीच के रिश्ते को सुधारने पर सहमति बनी.
10 सितंबर, 1993 को PLO ने इज़रायल को मान्यता दे दी. बदले में इज़रायल ने भी बड़ा फैसला लिया. उसने PLO को फिलिस्तीन का आधिकारिक प्रतिनिधि माना. समझौते पर आधिकारिक तौर पर दस्तखत 13 सितंबर, 1993 को व्हाइट हाउस के लॉन में हुए. उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन भी वहीं पर मौजूद थे.
सितंबर 1995 में एक और समझौता हुआ. नाम ओस्लो 2. इस समझौते में और विस्तार से शांति प्रक्रिया के तहत बनाई जाने वाली बॉडीज़ पर चर्चा हुई. ओस्लो समझौते का परिणाम ये हुआ कि एक अस्थाई अथॉरिटी बनी. नाम दिया गया Palestine Authority (PA). साथ ही समझौते के तहत वेस्ट बैंक के इलाके को तीन कैटेगरी में बांटा गया. एरिया A, B और C. इस समझौते के पांच साल बाद एक फाइनल समझौता भी होना था, लेकिन वो न हो सका. कैंप डेविड और ओस्लो समझौते की विफलता ने भी गाजा पट्टी से इज़रायल की वापसी में बड़ी भूमिका निभाई.
गाजा पट्टी से इज़रायल की वापसीगाजा पट्टी से इज़रायल की विदाई ओस्लो समझौते के कुछ साल बाद शुरू हुई. इससे पहले 1999 में प्रधानमंत्री एहुद बराक ने एक साल के अंदर लेबनान से हटने का वादा कर दिया. बराक ने इस पॉलिसी को ‘लैंड फॉर पीस’ पॉलिसी नाम दिया. लेकिन बराक को अपनी पॉलिसी लागू करने के लिए कोई साथी देश नहीं मिला. उन्होंने खुद ही लेबनान से हटने का फैसला कर लिया. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने इस फैसले में मध्यस्थता नहीं की थी. पर संयुक्त राष्ट्र ने माना कि लेबनान से हटकर इज़रायल ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को पूरा किया है.
इधर गाजा पट्टी में जनसंख्या लगातार बढ़ रही थी. जनसांख्यिकी रूप से गाजा पर प्रशासन करना किसी भी प्रशासक के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम था. 2004 में इज़रायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने गाजा छोड़ने का ऐलान कर दिया. एक भाषण में उन्होंने अपने इस फैसले को इज़रायल के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा,
“ये एक ऐसा फैसला है जो इज़रायल की सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय स्थिति, अर्थव्यवस्था और इज़रायल में रहने वाले यहूदी लोगों के लिए अच्छा है. ये प्रस्ताव इज़रायल के नागरिकों को आशा देता है. पिछले साढ़े तीन सालों में आतंकवादी संगठनों ने इज़रायल के नागरिकों के जज्बे को तोड़ने की कोशिश की है. वो इसमें विफल हुए हैं. यहूदी लोगों को तोड़ा नहीं जा सकता. हम कभी नहीं टूटेंगे. मैं फिर से कहता हूं. हम कभी नहीं टूटेंगे.”
एरियल शेरोन के इस फैसला के बाद इज़रायल ने गाजा पट्टी को अपने हाल पर छोड़ दिया. जिस वक्त इज़रायल गाजा से बाहर गया, तब वहां रहने वालों की संख्या 13 लाख से भी ज्यादा थी. 13 लाख 24 हजार 991. इसमें से 99.4 फीसदी लोग फिलिस्तीनी थे. केवल 0.06 फीसदी जनसंख्या यहूदी थी. जनसंख्या में 49 फीसदी आबादी 14 साल से कम उम्र के बच्चों की थी. इसी जनसांख्यिकी दबाव के कारण इज़रायल गाजा से बाहर जा रहा था.
38 साल बीते. 15 सितंबर 2005 की तारीख. इज़रायल ने अपना ‘Disengagement Plan’ पूरा किया. माने इज़रायल ने गाजा खाली कर दिया था. IDF यानी इज़रायली सेना ने गाजा का तटीय इलाका छोड़ दिया. 25 बस्तियों में रहने वाले 9 हजार से ज्यादा इज़रायली नागरिकों को गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक से बाहर निकाल लिया गया. एक अनुमान के मुताबिक इज़रायल के इस Disengagement का खर्च 16 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आया.
Disengagement Plan का सपोर्ट करने वालों को मानना था कि इज़रायल का गाजा से जाना इज़रायल और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष को कम करेगा. इतना ही नहीं, उनका ये भी कहना था इससे इज़रायल को वित्तीय लाभ भी होगा. गाजा पर खर्च होने वाली बड़ी रकम इज़रायल की सुरक्षा में काम आएगी. उनका ये भी मत था कि गाजा से इज़रायल को कोई खतरा नहीं है.
इज़रायल आउट, हमास इनइज़रायल के गाजा से निकले दो साल भी नहीं बीते थे कि वहां फतह और हमास के बीच संघर्ष छिड़ गया. 2007 में हमास ने गाजा पर अपना नियंत्रण कर लिया. तब से लेकर अब तक गाजा से हमास ने इज़रायल में कई बार रॉकेट और मोर्टार बरसाए हैं. इज़रायल और हमास के बीच जंग अब भी जारी है. इस जंग की नींव 2005 में ही पड़ चुकी थी.
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