9 सितंबर, 2019. अक्षय कुमार ने अपने 52वें जन्मदिन पर ऑफिशियली अनाउंस किया कि वो‘पृथ्वीराज’ नाम की फिल्म में काम करने जा रहे हैं. 14 मार्च 2020. जयपुर के पासजमवा रामगढ़ नाम के गांव में ‘पृथ्वीराज’ की शूटिंग चल रही थी. करणी सेना केकार्यकर्ता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकवाना के नेतृत्व में वहां पहुंचगए. हो-हल्ला हुआ. प्रोटेस्ट किया. और डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी से शूटिंगरोकने को कहा. डायरेक्टर साहब इन लोगों को समझा रहे थे. लेकिन करणी सेना का कहना थाकि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. फिल्म का नाम सिर्फ'पृथ्वीराज' रखने पर भी नाराजगी दिखी. कहा गया पूरा नाम लिखें. इसका वादा वोफिल्ममेकर्स से लिखित में मांगते रहे. हालांकि चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने उन्हेंआश्वासन दिया कि तथ्यों से छेड़छाड़ नहीं होगी.ये बस एक बानगी है इतिहास की शख्सियतों पर हुए विवाद की. अब तक हम सब स्कूल कीपुस्तकों से लेकर इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी के किस्सेदेखते-पढ़ते आए हैं. बरसों तक निर्विवाद रहे इतिहास के इस किरदार को लेकर एक विवादचल रहा है. यह विवाद हर बार पृथ्वीराज चौहान की जयंती पर दस्तक देता है. इस बार भी7 मई 2021 के दिन सुबह से ही ट्विटर पर #पृथ्वीराजचौहान ट्रेंड हुआ. महाराजापृथ्वीराज चौहान के प्रताप को लेकर नहीं, बल्कि उनकी जाति को लेकर. एक हैशटैग#गुर्जर_सम्राट_पृथ्वीराजचौहान भी चला. इसे लेकर लोगों में बहस छिड़ी रही.पृथ्वीराज चौहान की जयंती के मौके पर दो समाज के लोग आमने-सामने आ जाते हैं.क्षत्रिय उन्हें अपना वंशज बताते हैं, तो गुर्जर उन्हें अपना प्रतीक मानते हैं. आइएजानते हैं इस पूरे विवाद को, और उलटते हैं इतिहास के कुछ पन्ने इस विवाद की धुंध कोसाफ करने के लिए.पृथ्वीराज चौहान के रोचक किस्सों से बेसिक इतिहास जान लीजिएइतिहास की अलग-अलग किताबों में पृथ्वीराज चौहान को लेकर अलग-अलग जानकारियां मिलतीहैं. हालांकि एक जानकारी पुख्ता है कि पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 में अजमेर केराजा सोमेश्वर चौहान के यहां, वर्तमान के गुजरात में हुआ था. उनकी मां कर्पूरी देवीदिल्ली के राजा अनंगपाल द्वितीय की इकलौती बेटी थीं. इतिहास में उनके दो किस्सेबहुत प्रसिद्ध हैं. एक राजकुमारी संयोगिता से विवाह का और दूसरा मोहम्मद गोरी कोमारने का.पहला किस्साराजकुमारी संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद राठौड़ की बेटी थीं. उन्होंने पृथ्वीराजका चित्र देखा था, और पृथ्वीराज ने उनका. और दोनों ने मन ही मन एक दूसरे कोजीवनसाथी मान लिया. लेकिन जयचंद की पृथ्वीराज से कोई नाराजगी थी. उन्होंने बेटी कास्वयंवर आयोजित किया. दूर-दूर से राजकुमारों को बुलाया, लेकिन पृथ्वीराज को नहींबुलाया. यही नहीं, उनकी मूर्ति बनवाकर द्वारपाल के स्थान पर लगवा दी. संयोगिता नेभी स्वयंवर में आए किसी राजकुमार को नहीं चुना, और मूर्ति को ही माला पहनाने लगीं.तभी पृथ्वीराज वहां आ गए और माला उन्हें पहना दी. इससे पहले कि जयचंद कुछ करतेपृथ्वीराज संयोगिता को लेकर चले गए.दूसरा किस्साजयचंद की अपनी बेटी को लेकर पृथ्वीराज चौहान से नाराजगी थी. इसके चलते उन्होंनेबाहरी आक्रांता मोहम्मद गोरी का साथ दिया. जब गोरी ने पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमणकिया, तो वो उसके साथ जा मिले. दिल्ली से कुछ दूर तराइन (अब के हरियाणा में) मेंगोरी और पृथ्वीराज के बीच युद्ध हुआ. यहां दो युद्ध हुए. पहले (1191 ई.) मेंपृथ्वीराज ने गोरी को हरा दिया, और रहम दिखाते हुए गोरी को जिंदा छोड़ दिया. लेकिनदूसरे युद्ध (1192 ई.) में गोरी जीत गया. उसने पृथ्वीराज को बंदी बना लिया. उन्हेंअपने साथ अफगानिस्तान ले गया. वहां लोहे के गर्म सरियों से उनकी आंखें फोड़ दीं औरकैद में डाल दिया. कहानी में एक और महत्वपूर्ण किरदार है उनका दोस्त चंदबरदाई. वहीचंदबरदाई, जिसने पृथ्वीराज चौहान पर अमर ग्रंथ 'पृथ्वीराज रासो' लिखा. बताते हैं किजब मोहम्मद गोरी के दरबार में चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोनों मौजूद थे, तबचंदरबरदाई ने एक दोहे से उन्हें इस बात का आभास दे दिया कि गोरी कहां बैठा है. वहमशहूर दोहा है. “चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता उपर सुलतान है मत चूकेचौहान” इससे अंधे हो चुके पृथ्वीराज चौहान को पता चल गया कि गोरी कहां बैठा है.उन्होंने वहां पर तीर चलाकर उसे मार दिया. पृथ्वीराज चौहान का निधन 1192 मेंअफगानिस्तान में हो गया. खैर ये तो किस्से कहानी की बातें हैं, अब असल मुद्दे परआते हैं. पृथ्वीराज चौहान की जाति क्या थी?पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की कहानी का वर्णन कई इतिहासकारों ने किया है.सोशल मीडिया पर तलवारें क्यों खिंची हैं?पृथ्वीराज चौहान को इतिहास की ज्यादातर किताबों में वैसे तो क्षत्रिय राजा के तौरमान्यता मिली हुई है, लेकिन गुर्जर समाज के लोगों ने उन्हें गुर्जर राजा करार देदिया है. सोशल मीडिया पर पृथ्वीराज के गुर्जर होने के कई तरह के तर्क मिल जाएंगे.पृथ्वीराज चौहान को गुर्जर सम्राट बताने के लिए सोशल मीडिया पर#गुर्जर_सम्राट_पृथ्वीराजचौहान हैशटैग ट्रेंड भी चला. ट्रेंड कराने वालों के तर्कभी जान लीजिए. गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय को राय पिथौरा के नाम से जानाजाता है. वह आखिरी हिंदू शासक थे, जो दिल्ली की गद्दी पर बैठे. वह चहमान वंश के एकमहान गुर्जर राजा और योद्धा थे.#गुर्जर_सम्राट_पृथ्वीराजचौहानGurjar Samrat Prithviraj Chauhan III famous as "Rai Pithora" was the last Hinduemperor of Throne of Delhi. He was a generous Gurjar king from Chāhamanā Dynastyand a indomitable warrior as well. 855वी जयंती पर उन्हें कोटि - कोटि वंदनpic.twitter.com/AuEykGYQGR— Neha Yadav (@Neha80879314) June 7, 2021हम गुर्जर समाज के पास सारे सबूत हैं कि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर राजा थे. #गुर्जर_सम्राट_पृथ्वीराजचौहान#गुर्जर_सम्राट_पृथ्वीराजचौहानWe gurjar community have first sources proofs. Gurjar samrat Prithviraj Chauhan#Gurjarpic.twitter.com/pXv7usvsZN— Rajveer Singh (@RajveerKasanaa) June 7, 2021ये चला तो उधर से पृथ्वीराज चौहान को राजपूत बताने वालों ने#राजपूत_सम्राट_पृथ्वीराज_चौहान ट्रेंड करा दिया-पृथ्वीराज चौहान एक महान राजपूत राजा थे. वो चहमान कुल के महान योद्धा थे. उन्हेंश्रद्धांजलि. #RajputSamratPrithvirajChauhanThe Prithviraj Chauhan was a generous Rajput king from Chauhan Dynasty and aindomitable warrior as well. Tribute to him #RajputSamratPrithvirajChauhan#पृथ्वीराज_चौहान#राजपूत_सम्राट_पृथ्वीराज_चौहानPride of Rajputana pic.twitter.com/nHTSFJzG4l— Indasahab (@Indasahab1) June 7, 2021My Tribute to #RajputSamratPrithvirajChauhanon his 855th birth anniversary... #RajputSamratPrithvirajChauhan#राजपूतसम्राटपृथ्वीराजचौहान#राजपूत_सम्राट_पृथ्वीराज_चौहानpic.twitter.com/X6uJFnMYML— Jogendra singh Shaktawat (@JogendraShakta1) June 7, 2021गुर्जर कौन सा लॉजिक देते हैं?पृथ्वीराज चौहान की जाति को लेकर विवाद में उनके गुर्जर होने को लेकर दो बातेंलगातार कही जाती हैं. पहली तो यह कि उनके पिता गुर्जर थे तो वह राजपूत कैसे हुए? औरदूसरी बात यह कि उनके दरबारी कवि जयानक ने अपनी किताब 'पृथ्वीराज विजय' में उन्हेंगुर्जर ही लिखा है तो उन्हें गुर्जर क्यों न माना जाए? द लल्लनटॉप को अखिल भारतीयवीर गुर्जर समाज के नेता आचार्य वीरेंद्र विक्रम ने बताया, पूरा राजस्थान 16वींशताब्दी तक गुर्जरात्रा कहलाता था. गुर्जरात्रा का मतलब होता है गुर्जरों द्वारारक्षित क्षेत्र. 11वीं शताब्दी में अल बरनी ने भी अपनी किताब में इसका वर्णन किया.इस वक्त के राजाओं के दुर्गों को भी गुर्जर दुर्ग कहा गया. पृथ्वीराज चौहान के पितासोमेश्वर चौहान का पालनपोषण चालुक्यों की राजधानी में हुआ. वह भी गुर्जर थे. इसकावर्णन भी पृथ्वीराज विजय में जयानक ने साफ-साफ किया है.पृथ्वीराज चौहान के किले को गुर्जरों का किला कहा गया है. उसे चौहान किला क्योंनहीं कहा गया? अल बरनी ने अपनी किताब अह हिंद में लिखा कि गुर्जरों का राज्यगुर्जरात्र कहलाता है. यही गुर्जरात्रा बाद में गुजरात कहलाया. पृथ्वीराज रासो मेंभी पृथ्वीराज चौहान के पिता को सोमेशसूर गुर्जर नरेश कहा गया है. इस तरह साफ है किवह गुर्जर थे. जब पिता गुर्जर हैं तो बेटा भी गुर्जर ही होगा. पृथ्वीराज चौहान केभाई को भी गुर्जर नरेश लिखा गया है.इतिहासकार इस पर क्या कहते हैं?द लल्लनटॉप ने इस विवाद पर राजस्थान के इतिहास की खास जानकारी रखने वाले प्रोफेसरआर.एस. खंगारोत से बात की. प्रो. खंगारोत उन इतिहासकारों में से एक हैं, जिन्हें'पद्मावत' फिल्म की रिलीज़ को लेकर हुए विवाद के वक्त सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखनेके लिए आमंत्रित किया था. आमंत्रण इसलिए कि फैसला किया जा सके कि फिल्म में इतिहासको तोड़ा-मरोड़ा तो नहीं गया. प्रो. खंगारोत ने द लल्लनटॉप को तफ्सील से इसके बारेमें बताया.गुर्जर कौन थे? जिस गुर्जर शब्द की बात आप कर रहे हैं, वह गुर्जर-प्रतिहार के लिएइस्तेमाल होता है. चौहान और चहमान से इसे कंफ्यूज नहीं करना चाहिए. गुर्जर-प्रतिहारकी उत्पत्ति 8वीं शताब्दी में मानी जाती है. ये खुद को भगवान राम के भाई लक्ष्मण कावंशज कहते हैं. ये खुद को सूर्यवंशी कहते हैं. कुछ इतिहासकार इन्हें विदेशी मानतेहैं, और कहते हैं कि ये हूणों के साथ भारत आए और गुर्जर थे. लेकिन भारतीय इतिहासकारऔर खासतौर पर राजस्थान के इतिहासकार ऐसा नहीं मानते हैं.इतिहासकार दशरथ प्रसाद और डॉक्टर गोपीनाथ शर्मा के अनुसार, गुर्जर-प्रतिहार राजपूतहैं. प्राचीन आर्यों के वंशज हैं. इन्हें क्षत्रिय ही माना जाता है. ग्वालियर केअभिलेख से यह बात सिद्ध भी होती है. छठी शताब्दी के उत्तरार्ध में राजस्थान कापश्चिमी भाग गुर्जरात्रा कहा जाता था. इसलिए प्रतिहारों को गुर्जरेश्वर भी कहा गया.शिलालेखों में भी हर जगह गुर्जर-प्रतिहारों के नाम का प्रयोग ही मिलता है. इसकानिष्कर्ष नामी इतिहासकारों ने दिया है. उन्होंने बताया है कि गुर्जर-प्रतिहार कामतलब है गुर्जर देश का प्रतिहार. प्रतिहार का मतलब शासक. गुर्जर शब्द स्थान वाचकहै, जाति वाचक शब्द नहीं है. मतलब साफ है, गुर्जर क्षेत्र के प्रतिहार शासकगुर्जर-प्रतिहार कहलाए. पृथ्वीराज चौहान का गुर्जरों से क्या संबंध है? पृथ्वीराजचौहान का गुर्जरों से कोई लेना-देना नहीं है. इनके बारे में पृथ्वीराज रासो मेंजरूर अपने हिसाब से कहा गया है लेकिन वह काल्पनिक है. चौहानों या चहमानों का संबंधसांभर या जयपुर के पास स्थित शाकंभरी से माना जाता है. पृथ्वीराज चौहान कागुर्जर-प्रतिहार से कोई संबंध नहीं है. दोनों ही अलग-अलग क्षत्रिय जातियां हैं.पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर एक चहमान राजा थे. इसे लेकर कोई कंफ्यूजन नहींहोना चाहिए. चहमान वंश ही अलग है. उनका गुर्जरों से कोई रिश्ता नहीं है. पृथ्वीराजविजय किताब में गुर्जर लिखने की क्या वजह है? जिस पृथ्वीराज विजय किताब की बात कीजा रही है, उसमें गुर्जर सम्राट शब्द जरूर है लेकिन वह जाति को लेकर नहीं है. उसकामतलब प्रांत से है. गुर्जर शब्द का अर्थ वहां पर जातिवाचक न हो कर स्थानवाचक है.जयानक जगह के हिसाब से उन्हें गुर्जराधिराज बता रहे हैं. इसे अक्षरशः नहीं समझनाचाहिए. उम्मीद है कि इतिहास के पन्ने पलटकर पृथ्वीराज चौहान को लेकर स्थिति कुछ साफहुई होगी. बाकी 'पृथ्वीराज' फिल्म की रिलीज़ का इंतजार सबको है. इतिहास का एक बड़ाकिरदार सिनेमा के परदे पर नजर आएगा. तब तक ट्विटर पर ट्रेंड चलाने वाले मनमाफिकट्रेंड तो चला ही सकते हैं.