IAS रैली कर रहा, मंत्री-विधायक-सांसद तैयारी में जुटे, CM चुप हैं, ओडिशा में हो क्या रहा है?
2000 बैच का ये IAS अधिकारी क्या सच में पूरा प्रदेश चला रहा?
ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद बालासोर में सूबे के एक शक्तिशाली व्यक्ति का दौरा होना था. अलग-अलग जगहों पर कई कार्यक्रम थे. दो दिन रहना था. विधायक, सांसद, मंत्री, DM और बाकी अधिकारी कार्यक्रम की तैयारी में कई दिन से जुटे थे. हर कार्यक्रम पर नज़र सूक्ष्मता से रखी जा रही थी, ताकि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए. हेलिकॉप्टर से आगमन से लेकर सर्किट हाउस में डिनर और विश्राम तक. सब कुछ सफलता पूर्वक संपन्न होता है. अगले दिन तस्वीरें छपती हैं. लेकिन इन तस्वीरों में न कोई मंत्री होता है, न सांसद, न विधायक ना कोई अधिकारी. तस्वीरों के केंद्र में एक ही शख्स होता है.
आप सोच रहे होंगे कि बालासोर जरूर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का कार्यक्रम रहा होगा. लेकिन आप गलत हैं. कार्यक्रम थे नवीन पटनायक के प्राइवेट सेक्रेटरी वीके पांड्यन के. जिनकी तैयारी में मंत्री से लेकर संत्री तक सब जुटे थे. लेकिन तस्वीरों में सिर्फ वीके पांड्यन थे.
ये आवभगत, ये प्रोटोकॉल और पूरे तंत्र का इस कदर जुटना इस वक्त ओडिशा में मुद्दा बना हुआ है. नवीन पटनायक और उनके निजी सचिव वीके पांड्यन बीजेपी और कांग्रेस दोनों के निशाने पर हैं. दोनों ही पार्टियों ने केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग से पांड्यन की शिकायत की है. उन पर आरोप हैं कि वो सर्विस कंडक्ट रूल का उल्लंघन कर रहे हैं. वो पद पर रहते हुए राजनीतिक कार्यक्रम कर रहे हैं.
कौन है वीके पांड्यन और क्या है पूरा विवाद?पांड्यन, साल 2000 बैच के ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी हैं. मूलरूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं, लेकिन इन दिनों ओडिशा के सबसे ताकतवर व्यक्तियों में शुमार हैं. 2011 में पांड्यन नवीन पटनायक के निजी सचिव बने. तब से ही वो मुख्यमंत्री की आंख, नाक और कान माने जाते हैं. मुख्यमंत्री के सचिव पद के अलावा उनके पास एक और जिम्मेदारी है. ओडिशा में एक 5T डिपार्टमेंट है, जिसके सचिव 49 साल के वीके पांड्यन हैं. 5T माने- ‘टीम वर्क’, ‘टेक्नोलॉजी’, ‘ट्रांस्पेरेंसी’, ‘टाइम’ फॉर ‘ट्रांस्फॉर्मेशन’. ये विभाग मुख्यमंत्री के अधीन आता है.
वैसे तो अनुभव के मुताबिक पांड्यन कमिश्नर रैंक के अधिकारी हैं. लेकिन 5T में सचिव बनने से उनका कद आधिकारिक तौर पर बढ़ जाता है. क्योंकि इस विभाग की सबसे खास बात है कि यह एक अम्ब्रेला डिपार्टमेंट है और राज्य के सारे डिपार्टमेंट इसी के अंतर्गत आते हैं. बताया जाता है कि इस वजह से राज्य के बड़े अधिकारी नाराज रहते हैं, लेकिन कर कोई कुछ नहीं सकता. क्योंकि पांड्यन पर मुख्यमंत्री का हाथ है.
22-23 जून को बालासोर में पांड्यन के कार्यक्रम थे. इसी दिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कालाहांडी में रैली करते हैं. नड्डा कहते हैं
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि ओडिशा को कौन चला रहा है! अधिकारी या नेता? मैं यह जानना चाहता हूं. किसी ने मुझसे कहा कि वास्तव में अधिकारी ही राज्य चला रहे हैं.
नड्डा का इशारा पांड्यन की तरफ था.
26 जून को पांड्यन बरगढ़ जिले में एक बार फिर कार्यक्रम करते हैं. इसमें वो सीएम नवीन पटनायक का एक ऑडियो चलाते हैं. कहा गया कि मुख्यमंत्री ने अपना संदेश भिजवाया है और अपने प्राइवेट सेक्रेटरी को जनता की समस्याएं सुनने के लिए भेजा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 26 को ही, मुख्यमंत्री कार्यालय पांड्यन के कार्यक्रमों की जानकारी शेयर करता है. इसमें एक स्कूल का दौरा भी शामिल था जहां उन्होंने 5टी की पहल के बारे में बात की थी और बारगढ़ में कैंसर अस्पताल और मंदिरों के निर्माण जैसी परियोजनाओं के संबंध में उन्होंने घोषणाएं की.
इसके बाद बरगढ़ के बीजेपी सांसद सुरेश पुजारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और आरोप लगाते हैं कि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियों को किसी और को नहीं सौंपा जा सकता. बीजेपी इसके बाद पांड्यन की शिकायत DoPT में करती है. और एक शिकायत कांग्रेस की तरफ से भी जाती है कि पांड्यन अपनी ड्यूटी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने इन आरोपों पर ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी से रिपोर्ट सौंपने को कहा है. लेकिन विपक्ष कह रहा है कि क्या वाकई चीफ सेक्रेटरी जांच कर पाएंगे, क्योंकि पांड्यन का रसूख इतना है कि चीफ सेक्रेटरी की भी उनके आगे नहीं चलती.
लेकिन बालासोर के कार्यक्रमों को लेकर जो आरोप बीजेडी और ओडिशा सरकार पर लग रहे हैं वो कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं. इस बार नाराज़गी पार्टी के अंदर से भी है. नाम न छापने की शर्त पर बीजेडी के एक बड़े नेता बताते हैं कि
बालासोर में तैयारियों के लिए 2 मंत्री, 3 सांसद, चार विधायक और जिले के कलेक्टर जुटे थे. इन लोगों ने डेढ़-दो हफ्ते पहले से डेरा जमाया हुआ था. ताकि पांड्यन के कार्यक्रम में किसी तरह की कोई गड़बड़ी ना हो. लेकिन किसी भी कार्यक्रम में किसी भी मंत्री, विधायक या सांसद को बुलाया नहीं गया. क्योंकि वरिष्ठता के क्रम में पांड्यन काफी जूनियर थे और उन्हें मुख्य अतिथि नहीं बनाया जा सकता था.
कहा जा रहा है कि पांड्यन की इन रैलियों को नवीन पटनायक का समर्थन मिला है. उनकी रज़ामंदी से ही पांड्यन फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं. ओडिशा की राजनीति को तह तक जानने वाले बताते हैं कि नवीन पटनायक लंबे समय से अस्वस्थ हैं. यहां तक वो लंबे समय तक खड़े नहीं रह सकते, बैठ भी नहीं सकते. ऐसे में उनका सारा कामकाज उनके विश्वस्त वीके पांड्यन देखते हैं. पांड्यन लंबे समय से पटनायक के साथ काम कर रहे हैं. वो न सिर्फ सरकारी कामकाज बल्कि पटनायक की राजनीति में भी दखल रखते हैं.
इस बारे में लंबे समय से ओडिशा की राजनीति को कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद सूफियान कहते हैं-
2012 से पांड्यन ने अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया था. 2014 के चुनाव में पांड्यन की बड़ी भूमिका रही. पर्दे के पीछे रणनीति बनाने में पांड्यन का बड़ा रोल रहा है. पटनायक चुनाव जीते भी और पांड्यन की ताकत में इजाफा भी हुआ. कुछ ऐसा ही 2019 में भी हुआ. और 2019 के चुनाव के बाद पांड्यन का एकछत्र जैसा राज हो गया.
और यही वजह है कि विपक्ष के साथ कुछ और लोग भी दबी जबान में ये कहते हैं कि ओडिशा को वीके पांड्यन चलाते हैं.
इस बारे में ओडिशा की राजनीति को तीन दशक से नजदीक से देख रहे केदार मिश्रा कहते हैं-
पांड्यन मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं हैं कि बीजू जनता दल के वास्तविक बॉस पांड्यन ही हैं. और मैं नहीं मानता कि पांड्यन खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर रहे हैं क्योंकि जिसके पास पहले से ही मुख्यमंत्री की सारी शक्तियां हैं उसे मुख्यमंत्री बनने की जरूरत ही क्या है.
तमिलनाडु के रहने वाले वीके पांड्यन के नवीन पटनायक से संबंध तब ज्यादा घनिष्ठ हुए जब वो गंजम में जिलाधिकारी थे. गंजम नवीन पटनायक का गृह जिला है. इसके बाद 2011 में वो नवीन पटनायक के निजी सचिव बन गए. इस बारे में सुजीत बिसोई इंडियन एक्सप्रेस में एक किस्सा लिखते हैं. सुजीत लिखते हैं-
पांड्यन से पहले प्यारीमोहन मोहापात्रा पटनायक के खासमखास हुआ करते थे. वो मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकारों में से भी थे और राज्यसभा सांसद भी थे. मोहापात्रा नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक के साथ भी काम कर चुके थे. लेकिन 29 मई, 2012 को नवीन पटनयाक जब लंदन के दौरे पर थे, मोहापात्रा ने पार्टी में कथित बगावत कर मुख्यमंत्री के तख्तापलट की कोशिश की. नतीजतन, पटनायक ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. संयोग की बात ये कि जिस दिन मोहापात्रा ने कथित तख्तापलट की कोशिश की उस दिन वीके पांड्यन का जन्मदिन था.
पांड्यन पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि जो भी नवीन पटनायक के करीब जाने की कोशिश करता है पांड्यन किसी ना किसी तरह से उसके पर करतवा देते हैं. चाहे वो संजय दास बर्मा रहे हों, अरुण साहू रहे हों या बैजयंत पांडा. बीजेडी के अंदरखाने से भी लोग कहते हैं कि इनको दूर करने में पांड्यन का अहम रोल रहा है.
संजय को 2009 के चुनाव में जीत के बाद पार्टी ने डिप्टी चीफ व्हीप बनाया, इसके बाद 2014 में नवीन पटनायक ने उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल किया. 2019 में संजय चुनाव हारे लेकिन पटनायक ने उन्हें प्लानिंग बोर्ड का डिप्टी चेयरमैन बनाया. लेकिन समय के साथ संजय पावर कॉरिडोर से दूर होते गए. अरुण साहू के पास भी पटनायक के भारी भरकम मंत्रालय थे. लेकिन 2022 के कैबिनेट रीशफल में अचानक उनका पत्ता कट गया. बैजयंत पांडा भी एक समय पर बीजेडी के चेहरे के तौर पर जाने जाते थे. लेकिन आज वो बीजेपी में हैं.
हालांकि, इस बारे में केदार मिश्रा अलग राय रखते हैं. वो कहते हैं कि अगर किसी के पर कतरने होते हैं तो पटनायक को किसी तीसरे शख्स की सलाह की जरूरत नहीं होती. वो पहले से ही मन बना लेते हैं और सही समय पर वार कर दिया जाता है.
ओडिशा की इस पूरी पावर पॉलिटिक्स में एक किरदार और भी है. वीके पांड्यन की पत्नी सुजाता आर. कार्तिकेयन. सुजाता ओडिशा के डिपार्टमेंट मिशन शक्ति में कमिश्नर-कम-सचिव के पद पर तैनात हैं. मिशन शक्ति का काम है कि ओडिशा की महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्तिकरण करना. विभाग की सरकारी वेबसाइट ये दावा करती है कि 70 लाख महिलाओं को अबतक संगठित किया जा चुका है.
वरिष्ठ पत्रकार केदार मिश्रा कहते हैं कि
अगर मुख्यमंत्री बनने की बात आती है तो पांड्यन अपनी पत्नी को आगे कर सकते हैं. उनकी पत्नी सुजाता ओडिशा से ही हैं. महिलाओं के बीच काम करती हैं जिन्हें लोग ओडिशा में पहचानते भी हैं.
इन कयासों और थ्योरियों में कितना सच है ये तो आने वाले समय में साफ होगा. लेकिन साफ छवि और विवादों से दूर रहने के लिए जाने जाने वाले नवीन पटनायक पर चुनाव से साल भर पहले गंभीर आरोप लग रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस खुलकर उनको घेर रहे हैं. ऐसे में पटनायक इन विवादों से कैसे पार पाएंगे ये देखना होगा. वीके पांड्यन पर लग रहे आरोपों पर हमने बीजेडी के आधिकारिक प्रवक्ताओं से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है.
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