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कौन हैं विजय कुमार सिन्हा, जो जाते-जाते बिहार असेंबली में नीतीश-तेजस्वी के सामने अड़ गए?

विजय कुमार सिन्हा बिहार विधानसभा में बीजेपी के पहले स्पीकर थे.

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Vijay Kumar Sinha Bihar
बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (फाइल फोटो- आज तक)
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साकेत आनंद
24 अगस्त 2022 (Updated: 25 अगस्त 2022, 11:31 IST)
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बिहार में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की नई सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है. लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले खूब ड्रामा हुआ. वजह बने विजय कुमार सिन्हा, जिन्होंने विधानसभा के स्पीकर पद से हटने से इनकार कर दिया था. सिन्हा ने कहा था कि उनके खिलाफ महागठबंधन के विधायकों ने जो अविश्वास प्रस्ताव लाया, उसमें नियमों की अनदेखी की गई. हालांकि, 24 अगस्त को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

नियम के मुताबिक, विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद सदन की कार्यवाही की  जिम्मेदारी डिप्टी स्पीकर की हो जाती है. विजय सिन्हा के इस्तीफे के बाद विधानसभा के डिप्टी स्पीकर महेश्वरी हजारी ने सदन की कार्यवाही को संभाला. और फिर सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया. BJP विधायक विजय कुमार सिन्हा को पहले की JDU-BJP गठबंधन वाली सरकार बनने के बाद विधानसभा स्पीकर बनाया गया था.

नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच तकरार

ये पहली बार नहीं हुआ है, जब विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच तकरार देखने को मिली हो. इसी साल मार्च में विधानसभा सत्र के दौरान दोनों के बीच तीखी बहस हुई थी. दरअसल, लखीसराय के एक मामले को लेकर विपक्ष सदन में बार-बार हंगामा कर रहा था. ये मामला शराबबंदी कानून के उल्लंघन को लेकर गिरफ्तारी का था. लखीसराय विजय सिन्हा का विधानसभा क्षेत्र भी है. उन्होंने दावा किया था कि इस मामले में जेडीयू से जुड़े लोगों को पुलिस ने छोड़ दिया.

विधानसभा में इसी मुद्दे पर नीतीश कुमार भड़क गए और स्पीकर से कहा कि आप संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं, इस तरीके से विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलती. उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आएगी, तो उस पर विचार किया जाएगा. एक ही मुद्दे को हर दिन उठाया जा रहा है. इस पर विजय सिन्हा ने भी जवाब दे दिया कि घटना में उचित कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा था कि जब वो अपने क्षेत्र में जाते हैं, तो लोगों को जवाब देना मुश्किल हो जाता है. विवाद काफी बढ़ गया, तो दोनों एक-दूसरे से सदन के बाहर मिले. अगले ही दिन विजय सिन्हा ने सदन में कहा कि कदम मिलाकर चलना होगा.

कौन हैं विजय कुमार सिन्हा?

जेडीयू और बीजेपी की गठबंधन सरकार बिहार में लंबे समय तक रही. लेकिन मुख्यमंत्री के साथ-साथ स्पीकर पद की जिम्मेदारी जेडीयू ने हमेशा अपने पास रखी. 2020 चुनाव के बाद पहली बार बीजेपी का कोई नेता बिहार विधानसभा का स्पीकर बना. वो थे विजय कुमार सिन्हा. इसे बीजेपी की तरफ से सरप्राइज चॉइस कहा गया था क्योंकि उस वक्त नंद किशोर यादव और कई सीनियर नेता स्पीकर पद की रेस में थे. कहा जाता है कि नीतीश कुमार भी बीजेपी की इस पसंद से कभी खुश नहीं रहे, इसलिए दोनों के बीच मनमुटाव जारी रहा.

RSS के बैकग्राउंड से आने वाले विजय सिन्हा का जन्म लखीसराय के तिलकपुर (मां के घर) में हुआ था. हालांकि उनके पिता का घर मोकामा जिले में पड़ता है. पिता शारदा रमण सिंह बाढ़ के एक हाई स्कूल में प्रभारी प्रिंसिपल थे. 5 जून 1967 को जन्मे सिन्हा बहुत जल्दी RSS के स्वयंसेवक बन गए थे. 1982 में बाढ़ में एक दुर्गा पूजा समित के सचिव बन गए. शुरुआत इसी स्तर से हुई.

बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (फोटो- ANI)

फिर एएन कॉलेज, बाढ़ में पढ़ाई के दौरान ABVP के सक्रिय सदस्य बने. बेगूसराय के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग (डिप्लोमा) की पढ़ाई की. 1985 में बिहार पॉलिटेक्निक छात्र संघ के सचिव भी बने. बेरोजगार बिहार जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के महासचिव जैसे पद पर भी रहे. भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय सिन्हा बीजेपी में धीरे-धीरे आगे बढ़े. कभी पटना के एक खास इलाके में पार्टी की जिम्मेदारियों को संभाला. धीरे-धीरे बढ़ते हुए 2013 में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता बने.

2005 में पहली बार विधायक बने

इससे पहले संगठन के अलग-अलग कामों में लगे रहे. साल 2000 में सिन्हा को भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के प्रदेश संगठन के प्रभारी की जिम्मेदारी भी दी गई. 2004 में बीजपी के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बनाए गए. बाद में बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री भी बने. फिर बीजेपी ने उन्हें बेगूसराय और खगड़िया जिले का क्षेत्रीय प्रभारी बना दिया.

मार्च 2005 में विजय सिन्हा पहली बार लखीसराय से विधायक चुने गए. लेकिन ज्यादा दिन तक नहीं रहे. इस चुनाव में बिहार में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा. उसी साल नवंबर में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए. उस वक्त उन्हें हार मिली. दोबारा विधानसभा में पहुंचने के लिए उन्हें पांच साल का इंतजार करना पड़ा. साल 2010 के चुनाव में फिर से जीत मिली. तब से लगातार तीन बार इसी सीट से विधायक बन चुके हैं.

नीतीश सरकार में बने मंत्री

साल 2017 में जब RJD को छोड़कर JDU ने बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाई थी, उस दौरान विजय सिन्हा को श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया था. 2017 में उन्हें बेगूसराय का प्रभारी मंत्री भी चुना गया. विजय सिन्हा की छवि हमेशा पार्टी के लिए एक समर्पित नेता के तौर पर रही है. इसलिए पिछले चुनाव के बाद बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया था. हालांकि, उनकी ‘लोकप्रिय छवि' वाले नेता के तौर पर पहचान अब भी नहीं हो पाई है.

विपक्ष के साथ तो सदन में उनकी तकरार हमेशा रही. लेकिन जेडीयू के नेताओं के साथ भी उनकी नहीं बनी. इसी साल मार्च में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी (बीजेपी) के साथ उनकी तीखी बहस हो गई थी. सिन्हा ने शिकायत की थी कि उनके ऑफिस में ऑनलाइन जवाब नहीं पहुंच रहे हैं. इस पर चौधरी ने उन्हें जवाब दिया था कि "व्याकुल होने से काम नहीं चलेगा." इस पर सिन्हा नाराज हो गए और तब तक सदन से बाहर रहे जब तक चौधरी ने माफी नहीं मांगी. और अब इस्तीफा देते हुए भी उनकी जेडीयू के साथ छिपी तल्खी बाहर आ ही गई है.

वीडियो: बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले CBI रेड पर क्या बोले मनोज झा?

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