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धरना-आंदोलन वाला यूट्यूबर जिसके भड़काऊ ट्वीट्स ने बिहार और तमिलनाडु को लड़वा दिया

आक्रामक वीडियो बनाने वाले मनीष कश्यप चुनाव भी लड़ चुके हैं. क्या है उनकी कहानी?

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Manish Kashyap bihar labors tamil nadu
मनीष कश्यप. (फोटो सोर्स- ट्विटर)
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शिवेंद्र गौरव
10 मार्च 2023 (Updated: 10 मार्च 2023, 18:41 IST)
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तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट हुई या नहीं, बीते कुछ दिनों से बिहार में इस पर बवाल मचा हुआ है. अख़बारों और टीवी चैनलों पर बिहारी मजदूरों की पिटाई की खबरें चलीं तो नीतीश सरकार हरकत में आई. अधिकारियों की टीमें जांच में लग गईं. उधर तमिलनाडु के CM स्टालिन ने मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार की ख़बरों को फर्जी बताया. इस सबके बीच एक शख्स काफी चर्चा में रहा है. मनीष कश्यप. बीती 6 मार्च को बिहार के इस यूट्यूबर सहित 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हो गई.

मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के साथ कथित दुर्व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था जो वायरल हो गया. लेकिन बाद में बताया गया कि वीडियो फर्जी है. इसके बाद मनीष के खिलाफ FIR हुई. तब से वो बिहार सरकार, सीएम नीतीश कुमार और डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव पर भड़के हुए हैं, मीडिया का गला घोंटने का आरोप लगा रहे हैं. यही नहीं, तेजस्वी यादव को 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए चैलेंज भी कर रहे हैं.

मनीष कश्यप का असली नाम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनीष कश्यप की पैदाइश 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के डुमरी महनवा गांव की है. हमने खोजबीन की तो पता चला कि खुद को ‘सन ऑफ़ बिहार’ (Manish Kasyap, Son of Bihar) लिखने वाले मनीष का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. इस नाम के पीछे वो 'मनिष कश्यप' लगाते हैं. हालांकि ज्यादातर जगहों पर 'मनीष' लिखा जाता है. 

मनीष की शुरुआती शिक्षा गांव से ही हुई. साल 2009 में उन्होंने 12वीं पास की. बाद में महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय से उच्च शिक्षा पूरी हुई. मनीष ने साल 2016 में पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में B.E. की डिग्री ली है. लेकिन इस सेक्टर की नौकरी नहीं की. डिग्री लेने के दो साल बाद यूट्यूब चैनल बनाकर पत्रकारिता में कूद पड़े.

रिपोर्टिंग के साथ-साथ मनीष को राजनीति का शौक भी जल्दी चढ़ा. साल 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से त्रिपुरारी उर्फ मनीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने बतौर प्रत्याशी अपना नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी बताया है. उनकी मां मधु गृहिणी हैं. पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में रहे हैं जिन पर मनीष को बहुत ज्यादा गर्व है.

धरना, आंदोलन वाले यूट्यूबर

मनीष काफी अग्रेसिव रिपोर्टिंग करते हैं. वो आज बिहार के फेमस यूट्यूबर माने जाते हैं. 13 जुलाई 2018 को उन्होंने ‘सच तक न्यूज़’ (Sach Tak News) के नाम से अपना यूट्यूब चैनल बनाया. इस पर न्यूज़ कॉन्टेंट के अलावा स्क्रिप्टेड वीडियोज़ और मनीष के व्लॉग्स मिल जाएंगे. चैनल के 63 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. इंस्टाग्राम पर 1.16 लाख से ज्यादा लोग मनीष के फॉलोअर्स हैं. वो ट्विटर पर भी काफ़ी सक्रिय रहते हैं. यहां उनके 65 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

पत्रकार होने का दावा करने वाले मनीष कश्यप का आपराधिक रिकॉर्ड भी है. उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक उन पर कुल 6 मामले दर्ज हैं. इनमें समूह में इकठ्ठा होकर मारपीट, रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और धोखाधड़ी जैसे गंभीर मामले भी हैं. मनीष को कई बार गिरफ्तार भी किया गया है. लेकिन किसी मामले में सजा नहीं हुई है.

मनीष के ऐसे सैकड़ों वीडियो उपलब्ध हैं जिनमें वो बिहार के लोगों और वहां की व्यवस्था के खिलाफ बोलते दिख रहे हैं. मिसाल के लिए, इसी साल फरवरी में बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की पुलिस ने सेना के एक जवान राधामोहन गिरी को मारपीट के बाद गिरफ्तार कर लिया था. मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग हुई. इसे मनीष ने अपना समर्थन दिया और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गए. उनकी मांग ने तूल पकड़ा तो राधामोहन गिरी को रिहा किया गया और मामले से जुड़े पुलिसवालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई. 

साल 2019 में पश्चिमी चंपारण जिले में बने महारानी जानकी कुंवर अस्पताल के परिसर में किंग एडवर्ड-Vll की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया था. तब मनीष ने इसके वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर किए थे और ‘राष्ट्रवाद’ के नाम पर मूर्ति तोड़े जाने का समर्थन किया था. इस मामले में भी पुलिस ने उन पर केस दर्ज किया था.

तेजस्वी यादव को चैलेंज?

अब मनीष कश्यप बिहारी मजदूरों पर हमले के फर्जी वीडियो वायरल करने के आरोप के चलते विवादों में हैं. उन पर आईपीसी की कई सारी धाराएं लगाई गई हैं. धारा 67, 153, 153 (ए), 153 (बी), 505 (1)(बी), 505(1)(सी), 468, 471 और धारा 120(बी). हालांकि मनीष कश्यप का कहना है कि उनसे पहले कई प्रमुख मीडिया हाउस बिहारी मजदूरों की ‘पिटाई’ की खबर चला चुके थे. लेकिन पुलिस केवल उन्हें निशाना बना रही है. इसके लिए मनीष बिहार के उपमुख्यमंत्री और RJD नेता तेजस्वी यादव को कोस रहे हैं.

8 मार्च को मनीष के ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट किया गया. इसमें लिखा था,

“तेजस्वी यादव जी चश्मा हटाकर इस फोटो को देखिए, मजदूरों के चेहरे पर घाव हैं. जिस मीडिया ने रिकॉर्डिंग की है उसका मोबाइल नंबर भी है. एक बार बात करके तो देखिए क्या पता आप झूठ बोल रहे हैं और मजदूर सच में तमिलनाडु में परेशान हों.”

8 मार्च को ही मनीष का एक और वीडियो आया. इसमें वो तेजस्वी यादव को 2025 के चुनाव को लेकर चैलेंज कर रहे हैं और अपने पिता के सेना में होने की दुहाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “रेप वाला विधायक तो बिहार में घूमता है, आपकी पार्टी में है. न मैंने रेप किया है. न मेरे ऊपर CBI की रेड हुई है, न ED, इनकम टैक्स को मुझे जवाब देना है. न ही मेरे बाबूजी जेल गए हैं. मेरे बाबूजी तो बॉर्डर पर हैं.”

वीडियो: मनीष कश्यप ने 'बिहारियों पर हमले' साबित करने के लिए जो वीडियो डाले, उन पर अब क्या हुआ?

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