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अमोघ लीला: लखनऊ का आशीष, इंजीनियरिंग छोड़ कृष्ण को चुना, विवेकानंद पर बोल बवाल कर दिया

स्वामी विवेकानंद पर विवादित टिप्पणी करने से पहले भी अमोघ लीला का नाम विवादों से जुड़ा रहा है. जानें उनकी कहानी.

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iskcon ban amogh leela prabhu
अमोघ लीला प्रभु (दाएं), बाएं उनके उस प्रवचन का स्क्रीनग्रैब है जिसमें वो जतो मत, ततो पथ की सूक्ति को व्यंग्यात्मक ढंग से दोहरा रहे हैं. (फोटो सोर्स- आजतक और ट्विटर)
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शिवेंद्र गौरव
12 जुलाई 2023 (Updated: 12 जुलाई 2023, 17:32 IST)
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इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शियसनेस (ISKCON) से जुड़े ‘ब्रह्मचारी भिक्षु’ अमोघ लीला दास. सोशल मीडिया पर अपने आध्यात्मिक प्रवचनों के लिए मशहूर हैं. लेकिन ISKCON ने अमोघ लीला दास पर एक महीने का बैन लगा दिया है (ISKCON ban Amogh Leela Prabhu). वजह है उनका एक हालिया प्रवचन. इसमें अमोघ लीला दास ने स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के बारे में कुछ टिप्पणियां कीं, जिन पर सोशल मीडिया पर लोग भड़क गए.

अमोघ लीला क्या बोले?

अमोघ लीला का प्रवचन देते हुए जो वीडियो वायरल है, उसमें उन्होंने विवेकानंद का नाम लेते हुए ये कहा,

"मछली को दर्द होता है. और अगर विवेकानंद अगर मछली खाएं, तो क्या एक सिद्ध पुरुष मछली खा सकता है? सिद्ध पुरुष के ह्रदय में करुणा होती है. क्या सिद्ध पुरुष फा-फा-फा-फा (सिगरेट पीने का इशारा करते हुए) कर सकता है? एक व्यक्ति के तौर पर मैं आपको नमन करूंगा. आप शिकागो गए, आपने हिंदुत्व को लेकर अच्छा स्पीच दिया- My dear brother and sisters! थैंक्यू. नाइस. जो प्रशंसा करने वाली चीज है उसकी प्रशंसा भी करेंगे और करते भी हैं हम. लेकिन जो चीज स्वीकार्य नहीं है वो स्वीकार्य नहीं है."

अमोघ लीला आगे कहते हैं,

"जतो-मत, तथो-पथ. कोई पूछे अगर मुझे ऑस्ट्रेलिया जाना है तो कैसे पहुंचेगे? यतो मत, तथो पथ. जिस रास्ते से निकलना है निकल जाओ. सब रास्ते ऑस्ट्रेलिया जाते हैं. वो अंटार्कटिका निकल गया. वो अलास्का पहुंच गया. वो पहुंचेगा ऑस्ट्रेलिया? नहीं, सारे रास्ते ऑस्ट्रेलिया नहीं जाते. मेरे को यहां से मायापुरी जाना है. कहता है, सब रास्ते, गंगा नदी के इस तरफ निकल जाओ, उस तरफ निकल जाओ. सब रास्ते मायापुर. इधर निकल जाओ, उधर निकल जाओ, मायापुर. ऊपर निकल जाओ मायापुर. नीचे निकल जाओ मायापुर. सब रास्ते मायापुर जाते हैं. जतो मत, ततो पथ. ये तो लॉजिकली भी सेन्स नहीं बनाता न? आप GPS पर डालो तो क्या सारे रास्ते वहीं जाते हैं? किसको मानेंगे, जतो मत-ततो पथ को मानेंगे या भगवद्गीता को मानेंगे? विवेकानंद को मानेंगे या भगवद्गीता को मानेंगे?"

अमोघ लीला के इस प्रवचन वाले वीडियो से सोशल मीडिया पर हंगामा कट गया. इसके बाद ही ISKCON कोलकाता के वाइस प्रेसिडेंट राधारमण दास की तरफ से मंगलवार 11 जुलाई को एक प्रेस रिलीज जारी कर अमोघ लीला पर लगाए गए बैन की जानकारी दी गई. बताया गया कि अपनी टिप्पणी के लिए प्रायश्चित के तौर पर अमोघ लीला प्रभु एक महीने तक सार्वजनिक जीवन से दूर जंगल में रहेंगे.

पहाड़ों पर प्रायश्चित?

प्रेस रिलीज में कहा गया,

"हमारी जानकारी में आया है कि ISKCON, द्वारका से हमारे एक ब्रह्मचारी भिक्षु अमोघ लीला दास ने भारतीय इतिहास और आध्यात्मिकता में बहुत सम्मानित माने जाने वाले दो संतों स्वामी विवेकानंद और श्रीरामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं के बारे में बहुत अनुचित टिप्पणियां की हैं. ISKCON, उनके इन अनुचित और अस्वीकार्य बयानों और दोनों संतों की शिक्षाओं के बारे में उनकी जानकारी की कमी पर बहुत दुखी है. इस गंभीर गलती को देखते हुए ISKCON ने तय किया है कि उन्हें एक महीने के लिए बैन किया जाएगा. हमने अपना निर्णय उन्हें बता दिया है. अमोघ लीला दास ने अपने बयानों के लिए माफ़ी मांगी है. और उन्होंने शपथ ली है कि वो एक महीने के प्रायश्चित के लिए गोवर्धन की पहाड़ियों पर जाएंगे और तत्काल प्रभाव से खुद को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह दूर करेंगे."

प्रेस रिलीज में ये भी कहा गया कि सम्मानित संतों के लिए, ख़ास तौर से खान-पान की चॉइस के बारे में अमोघ लीला की अपमानजनक टिप्पणियां न सिर्फ अपमानित करने वाली हैं बल्कि आध्यात्मिक मार्गों और व्यक्तिगत पसंद (पर्सनल चॉइसेज) के बारे में जानकारी की कमी भी दिखाती हैं. इस तरह के काम एक शांतिपूर्ण समाज बनाने के लिए जरूरी आपसी सम्मान, धार्मिक सहिष्णुता और शांति जैसे सिद्धांतों को कमजोर करते हैं.

हम अमोघ लीला प्रभु के दिए बयानों पर चल रही बहस में नहीं पड़ेंगे. लेकिन जिस 'जतो मत, ततो पथ' के कथन को व्यंग्यात्मक लहजे में नकारने के चलते अमोघ लीला प्रभु बवाल में फंसे हैं वो विवेकानंद की नहीं बल्कि रामकृष्ण परमहंस की दी हुई सीख मानी जाती है. स्वामी रामकृष्ण के बारे में कहा जाता है कि वे अद्वैतवाद (एक ही ईश्वर की अवधारणा) को मानने वाले थे.

रामकृष्ण मिशन रायपुर की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक,

“रामकृष्ण परमहंस 19 साल की उम्र में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर में काली मन्दिर में पुजारी बने थे. और अगले 11 सालों तक वे हिंदू धर्म के कई आध्यात्मिक संप्रदायों की साधनाओं में लगे रहे. इन सम्प्रदायों के उच्चतम लक्ष्य 'अद्वैत-अनुभूति' को पाने के बाद उनकी साधना की धारा इस्लाम और ईसाई धर्म की ओर मुड़ी. ये रास्ते भी आखिर में उन्हें उसी अंतिम सत्य की ओर ले गए. इन अनुभवों के आधार पर रामकृष्ण इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि- संसार के धर्मों में बताए गए अलग-अलग रास्तों से ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है. और सभी धर्म सत्य हैं, क्योंकि वे सभी अंतिम सत्य की अनुभूति की तरफ़ ले जाते हैं.”

ये तो एक मामला है, अमोघ लीला दास अपने कई और बयानों के लिए भी घेरे जाते रहे हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरुष के संवादों की भाषा पर सवाल उठे थे. कई सीन दूसरी फिल्मों से कॉपी बताए गए, डायलॉग्स को अमर्यादित बताया गया. फिल्म का काफी विरोध हुआ. इसके एक डायलॉग ('जलेगी तेरे बाप की') को अमोघ लीला प्रभु के एक वक्तव्य से प्रेरित बताया गया. इसमें अमोघ लीला रामयाण में वर्णित लंका दहन के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहते हैं,

"घी किसका, रावण का. कपड़ा किसका, रावण का. आग किसकी, रावण की. जली किसकी, रावण की."

जीजस, कृष्ण के पुत्र हैं: अमोघ

एक अन्य वीडियो में अमोघ लीला कह रहे हैं,

"पुत्र के नाम के आगे उसके पिता का नाम लिखा होता है. जीजस तो वास्तव में भगवान के बेटे हैं. बा-बार बाइबिल में जीजस बताते हैं कि मैं गॉड का बेटा हूं. जीजस के आगे क्राइस्ट वर्ड आता है. जो ग्रीक शब्द Christos से बना है. और Christos, संस्कृत शब्द कृष्ण से बना है. तो एक तरीके से अगर कहा जाए तो जीजस कृष्णा भी पूरी तरह सही होगा. जीजस पुत्र का नाम है और कृष्ण पिता का नाम है. जिस तरह भगवान हमारे लिए पूजनीय हैं, उसी तरह हमारे लिए गुरु भी पूजनीय हैं. जो गुरु हैं वही रास्ता दिखाते हैं. जीजस की शिक्षाएं और उनके रास्ते, उनका हम सम्मान करते हैं वो हमारे गुरु तुल्य हैं. लेकिन ऐसा नहीं हैं कि उन शिक्षाओं और रास्ताओं पर हम चलकर जाएंगे."

यहां बता दें कि ग्रीक शब्द Christos का अंग्रेजी अर्थ Anointed One है. हिंदी में इसके मायने हैं- वो व्यक्ति, जिसे किसी द्रव से अभिषेक करके पवित्र बनाया गया है.

कौन हैं अमोघ लीला दास?

धार्मिक मान्यताओं पर रोचक अंदाज में कई बार विवादित टिप्पणी कर देने वाले अमोघ लीला प्रभु का असली नाम आशीष अरोड़ा है. उन्होंने इंजीनियरिंग से शिफ्ट कर अध्यात्म और प्रवचन का रास्ता लिया है. उनके परिचय में यूथ काउंसलर और मोटिवेशनल स्पीकर जैसे शब्द जुड़ते हैं. लिखित में अमोघ के बारे में कम जानकारी उपलब्ध है. हालांकि कई वीडियो इंटरव्यूज में अमोघ अपने बारे में कई चीजें बताते हैं. मसलन, उनकी पैदाइश लखनऊ की है. परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था. और अमोघ का शुरुआती नाम आशीष अरोड़ा हुआ करता था.

अमोघ के मुताबिक, बहुत कम उम्र में ही उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया था. और साल 2000 में जब वो 12 वीं की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्होंने ईश्वर की तलाश में घर छोड़ दिया. हालांकि फिर उन्होंने वापस आकर अपनी पढ़ाई पूरी करने का सोचा. वापस घर आए और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने लगे. साल 2004 में इंजीनियरींग में बैचलर डिग्री लेने के बाद अमोघ ने अमेरिका की एक कंपनी में काम करना शुरू कर दिया. अमोघ लीला के खुद के बताए मुताबिक साल 2010 में उन्होंने कॉर्पोरेट लाइफ छोड़ने का निर्णय लिया. उस वक़्त वो कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर थे. नौकरी छोड़ने के कुछ ही वक़्त बाद अमोघ ISKCON से जुड़ गए. और कृष्ण की भक्ति करने वाले ब्रह्मचारी बन गए. इस वक़्त उनकी उम्र 29 साल की थी. हाल-फिलहाल अमोघ दिल्ली के द्वारका में ISKCON मंदिर के उपाध्यक्ष के पद पर थे. अब उन पर महीने भर के लिए बैन लगा दिया गया है.

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