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पीएम मोदी, बाइडन के जहाज बनाने वाली कंपनी कौनसी है?

अमेरिका के राष्ट्रपति का एक आधिकारिक जहाज है. नाम है एयरफोर्स वन. इस जहाज के बारे में कहा जाता है कि ये उड़ता हुआ व्हाइट हाउस है. कई जगह इसे Flying Fort यानी उड़ता हुआ किला भी कहा जाता है.

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boeing planes and aircrafts
आसान भाषा में - बोइंग विमान कंपनी
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मानस राज
19 जनवरी 2024 (Updated: 30 जनवरी 2024, 10:46 IST)
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अमेरिका के राष्ट्रपति का एक आधिकारिक जहाज है. नाम है एयरफोर्स वन. इस जहाज के बारे में कहा जाता है कि ये उड़ता हुआ व्हाइट हाउस है. कई जगह इसे Flying Fort यानी उड़ता हुआ किला भी कहा जाता है. इसी तर्ज़ पर भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का भी आधिकारिक जहाज है, नाम  है AIR INDIA ONE. पर इन सभी जहाजों में एक चीज़ कॉमन है. इन्हें एक ही कंपनी ने बनाया है, नाम है बोइंग.  

अमेरिकी राष्ट्रपति का  आधिकारिक जहाज  एयरफोर्स वन


 

तो आसान भाषा में आज हम समझेंगे
-बोइंग की कहानी क्या है?
-भारत में ये कंपनी क्या बनाने वाली है?
और भारत आने के पीछे बोइंग की क्या मंशा है?

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 जनवरी को दिग्गज एयरलाइन कंपनी बोइंग के ग्लोबल टेक्नोलॉजी सेंटर कैंपस का उद्घाटन करेंगे. अमरीकन कंपनी के इस नए अत्याधुनिक कैंपस का नाम बोइंग इंडिया इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (BIETC) रखा गया है. कैम्पस अन्दर से कैसा बना है? आगे क्या होगा? सब आपको बताएंगे पर उससे पहले थोड़ा बोइंग से रूबरू हो लीजिए. जैसा कि हमने आपको बताया बोइंग एक अमेरिकन कंपनी है. साल 1916 में लकड़ी का कारोबार करने वाले एक अमरीकन, विलियम एडवर्ड बोइंग ने 1916 में Pacific Aero Products नाम से Seattle, Washington में कंपनी की स्थापना की. इसमें उनका साथ दिया जॉर्ज कॉनराड वेस्टरवेल्ट ने जो कि एक नेवल इंजीनियर थे. फिर अगले बरस इसका नाम बदलकर Boeing Airplane Company कर दिया गया.  
कंपनी बड़ी होती गई और 1929 में बोइंग ने एयरक्राफ्ट बनाने वाली कई कम्पनियों का अधिग्रहण कर इन्हें अपने साथ मिला लिया. बोइंग का आकार बढ़ता जा रहा था. और 1960 आते-आते इसने तब के इकलौते निजी हेलिकॉप्टर निर्माता Vertol Aircraft Corporation को खरीद लिया. 2001 में बोइंग ने अपना कॉर्पोरेट हेडक्वार्टर Seattle से शिकागो ले जाने का फैसला किया. अब तक ये कंपनी स्पेस के क्षेत्र में भी कदम रख चुकी थी. इक्कीसवीं सदी जैसे-जैसे बढ़ रही थी. बोइंग पर देशों का भरोसा भी बढ़ता जा रहा था. दावा किया गया कि दुनिया भर के 50 प्रतिशत से अधिक जहाज बोइंग के बनाए हुए हैं. लेकिन, 2020 में जब कोविड का दौर आया तब बोइंग को तगड़ा झटका लगा. लॉकडाउन की वजह से अधिकतर जहाज जमीन पर ही खड़े रहे. फिर कोविड का दौर खत्म हुआ और मई 2022 में बोइंग ने अपने ग्लोबल हेडक्वार्टर को  Virginia शिफ्ट कर लिया. क्योंकि अबतक बोइंग रक्षा क्षेत्र में भी उतर चुकी थी और इसके ज्यादातर स्टेकहोल्डर्स वाशिंगटन डीसी में थे इसलिए इसने यहाँ से कारोबार करना सही समझा.

विलियम एडवर्ड बोइंग और जॉर्ज कॉनराड वेस्टरवेल्ट
अब समझते हैं कि बोइंग क्या-क्या बनाती है ?

आपने प्लेन में सफर किया होगा. मुमकिन है कि जिस प्लेन में आप सफर कर रहे हों वो भी बोइंग ने बनाया हो. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया में ऑपरेशनल जहाजों में से अधिकतर बोइंग के ही हैं.वैसे बोइंग हर तरह के जहाज बनाती है. इसमें कई तरह के कमर्शियल या जिसे हम पैसेंजर एयरक्राफ्ट जैसे कि बोइंग  737, 747, 767, 777 और 787 आते हैं . इस फ्लीट में माध्यम आकार से लेकर बड़े जहाज तक शामिल हैं.इसके अलावा बोइंग के टैंकर जहाज जो कि आग बुझाने के काम आते हैं. सामान पहुंचाने वाले कार्गो जहाज, पानी वाले नहीं, उड़ने वाले. मिलिट्री के बॉम्बर जेट्स, फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर्स आदि.इन जहाजों को बनाने से लेकर इनके रखरखाव तक का काम बोइंग ही करती है.

बोइंग के पैसेंजर जहाज़

 

पर आप कहेंगे कि बोइंग को भारत के ऐवीऐशन सेक्टर में इतनी दिलचस्पी क्यों है ? ऐवीएशन सेक्टर का हिन्दी हुआ, उड्डयन क्षेत्र. माने, वो व्यवसाय का वो क्षेत्र जो विमानों और हवाई अड्डों का निर्माण, रखरखाव और उनका संचालन करता है. इसमें गैर-सैन्य और सैन्य सेवाओं सहित विमान उड़ाने से जुड़ी सभी सेवाएं शामिल होती हैं.

इसका जवाब है भारत की तेजी से बढ़ती जरूरतें और एक विशाल ऐवीऐशन सेक्टर. भारत का ऐवीऐशन सेक्टर 13 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है और हर साल ये बढ़ता ही जा रहा है. इस वजह से विदेशी कंपनियां भारत में मौका देख रही हैं.
सिर्फ बोइंग ही नहीं बल्कि फ्रेंच कंपनी Safran जो कि सिविल और मिलिट्री, दोनों तरह के जहाजों के लिए इंजन बनाने का काम करती है उसने पिछले साल हैदराबाद में अपना प्लांट लगाने की घोषणा की थी. बोइंग ने 2023 में पेरिस एयर शो के दौरान एयर इंडिया ने बोइंग के साथ 70 बिलियन डॉलर की डील साइन की थी. इस डील के तहत एयर इंडिया 470 जहाज खरीदेगा. जानकार इस डील को ऐवीऐशन सेक्टर के इतिहास की सबसे बड़ी डील मान रहे हैं.

हैदराबाद स्थित Safran फैसिलिटी

 

इस डील के बाद आते हैं बोइंग के भारत में हालिया निवेश पर. 

बोइंग भारत के बेंगलुरु में एक कैम्पस बनाने जा रहा है. ये कैंपस केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास बेंगलुरु के बाहरी इलाके देवनहल्ली में बनाया गया है. 1,600 करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट से बना 43 एकड़ का यह कैंपस अमेरिका के बाहर बोइंग का सबसे बड़ा निवेश है. खबर ये भी है कि पीएम मोदी एविएशन सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए एक प्रोग्राम 'बोइंग सुकन्या योजना का भी उद्घाटन करेंगे. इस प्रोग्राम का टार्गेट देश भर में अधिक से अधिक युवा लड़कियों और महिलाओं को देश में उभरते हुए एविएशन सेक्टर में प्रवेश दिलाने में मदद करना है.

बोइंग द्वारा बनाया जा रहा कैम्पस

बोइंग द्वारा बनाए जा रहे इस कैम्पस में लड़कियों को STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स में करियर बनाने में मदद के लिए STEM लैब बनाए जाएंगे. ऐसी लैब्स डेढ़ सौ जगहों पर बनाई जाएंगी. जो लड़कियां पायलट की ट्रेनिंग लेना चाहती हैं उन्हें स्कॉलरशिप देने की भी योजना इस STEM में शामिल है . साल 2022 में  बोइंग ने भारत में पायलटों को ट्रेन करने के लिए बुनियादी ढांचे और कार्यक्रमों में 10 करोड़ डॉलर के निवेश का ऐलान किया था.
इस प्रोग्राम के तहत 3000 से ज्यादा लोग ग्लोबल ऐरोस्पेस ग्रोथ के लिए काम करेंगे. खबर ये भी है कि बोइंग इंडियन आर्म्ड फोर्सेस के साथ मिलकर डिफेंस सेक्टर में भी निवेश करेगा. इस कैम्पस के बनने के साथ ही बोइंग ने 107 जॉब ओपनिंग्स की भी घोषणा की है. इसमें बोइंग  सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बिलिंग एनालिस्ट, Structural Analysis Engineers, Product Peview Engineers, Associate Systems Engineers, Programme Analysts, and Digital Electronics Architects जैसे पदों के लिए भर्तियाँ करेगा.

इससे पहले बोइंग की भारतीय इकाई, बोइंग इंडिया ने यूनिवर्सिटी और नए स्टार्ट-अप्स को आगे बढ़ाने के लिए Boeing University Innovation Leadership Development (BUILD) नाम से एक प्रोग्राम शुरू किया था. इसके तहत युवाओं को नए और इनोवेटिव आइडियाज़ के लिए प्रेरित किया जाएगा जिससे मार्केट में और भी अवसर बढ़ेंगे.  

अब आखिर में समझते हैं कि इन प्रोग्राम्स के पीछे बोइंग की क्या सोच है?

कंपनी के अनुसार वो उन्नत तकनीक के साथ भारतीय कस्टमर्स को क्वालिटी प्रोडक्टस  प्रदान करने पर focused है. साथ ही बोइंग इंडियन एयरोस्पेस सेक्टर में भी अपनी एक स्थायी जगह बनाना चाहती है. भारत  में ऐवीऐशन सेक्टर 13 बिलियन डॉलर से अधिक का है ऐसे में बोइंग इस बड़े मार्केट में अपनी जगह पक्की  करना चाहती है. कमर्शियल एयरक्राफ्ट के अलावा भारत का डिफेंस सेक्टर भी तेजी से ऊपर जा रहा है. इसमें भी निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है. ऐसे में बोइंग ये मौका नहीं गंवाना चाहती.    

बोइंग पहले से भी भारत में अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने पर काम कर रही है. इसके लिए उसने 300 भारतीय कंपनियों से जॉइन्ट वेंचर भी किया है जो Apache Military Helicopters के FUSELAGES बनाती है.FUSELAGES हर तरह के एयरक्राफ्ट का एक जरूरी हिस्सा है. इसके अलावा बोइंग ने अपने 737 एयरक्राफ्ट के ऊपरी फिन या पंखे बनाने के लिए भी भारत में निवेश किया है. फिलहाल भारत से बोइंग को हर साल करीब 1 बिलियन डॉलर की कमाई होती है. बोइंग के लिए भारत में अभी 6 हजार लोग सीधे तौर पर वहीं 13000 लोग इसके सप्लाइ चेन पार्टनर्स के साथ काम कर हे हैं.

ये तो थीं बोइंग की खूबियां, जाते जाते आपको बोइंग जहाज से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं. ये तो थीं बोइंग की खूबियां, जाते जाते आपको बोइंग जहाज से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं.  6 जनवरी 2024 का दिन था. अमरीका में अलास्का एयरलाइन्स के एक बोइंग 737 मैक्स 9 एयरलाइनर जहाज ने Oregon के Portland से उड़ान भरी. जहाज को कैलिफोर्निया पहुंचना था. जैसे ही जहाज सोलह हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचा, वैसे ही उसकी एक खिड़की टूट गई. यात्रियों में डर के मारे भगदड़ सी मच गई. कई यात्रियों के फोन खिड़की से बाहर उड़ गए. हालांकि जब ये हादसा हुआ तो उस खिड़की वाली सीट पर कोई नहीं बैठा था.पायलट ने तुरंत एटीसी को इसकी सूचना दी और प्लेन को वापस Oregon के Portland एयरपोर्ट की तरफ मोड दिया. करीब 10 मिनट हवा में रहने के बाद विमान की एमरजेंसी लैंडिंग हुई.

अलास्का एयरलाइन्स के जहाज़ की टूटी हुई खिड़की

घटना की गंभीरता को देखते हुए Federal Aviation Administration ने तुरंत सभी बोइंग 737 मैक्स 9 एयरक्राफ्ट्स के लिए Immediate Grounding Order जारी कर दिया. भारत में भी इस हादसे को देखते हुए DGCA यानी Directorate General of Civil Aviaton ने भारतीय एयरलाइन्स जिनके पास बोइंग 737 मैक्स सीरीज के विमान हैं, उन्हें बिना पूरी जांच के उड़ने से मना कर दिया था.

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