फेयर को लवली मानने वाले इस देश में डार्क स्किन वाले लोगों के साथ भेदभाव सिर्फ़हमारे घर-परिवार और मोहल्लों तक सीमित नहीं है. बल्कि लगातार बढ़ती बॉलीवुडइंडस्ट्री में भी देखा जाता है.स्मिता को बचपन से उसकी मां काली या कालूराम पुकारा करती थीं. स्मिता की मां औरबहनों का रंग गोरा था. पर स्मिता ने पापा का कॉम्प्लेक्शन पाया था. स्मिता की बड़ीबहन अनीता कहती हैं कि मां पिताजी को भी 'कृष्ण' पुकारा करतीं. अपने पति या बेटी कोकाला कहने में मात्र प्रेम था, और किसी तरह का भेद भाव नहीं था. पर प्रोफेशनल फ़ील्डमें यही 'कालापन' स्मिता के लिए मानो एक शाप भी था, और वरदान भी.1980 में एक बार दिल्ली फिल्म फेस्टिवल के दौरान स्मिता की फिल्म 'चक्र' भीस्क्रीनिंग की जानी थी. वो अपनी बहन अनीता और दोस्त पूनम ढिल्लों के साथ फेस्टिवलके लिए गयीं, पर तीनों ही अपने डेलिगेट बैज लाना भूल गयीं. जब स्मिता और पूनम नेसिक्योरिटी को बताया कि वो अभिनेत्रियां हैं, तो पूनम को अन्दर जाने दिया गया, परस्मिता को रोक लिया गया. सिक्योरिटी वालों का कहना था कि स्मिता फिल्म स्टार जैसीनहीं दिखती थीं. कमाल की बात तो ये की तब तक स्मिता एक नेशनल अवार्ड जीत कर अपनेअभिनय के लिए खूब तारीफें बटोर चुकी थीं.'अर्थ' फिल्म में स्मितास्मिता की प्रिय दोस्त अरुणा मानती हैं कि शायद स्मिता के कॉम्प्लेक्शन से जुड़ी इसतरह की घटनाएं उन्हें अभिनय पक्ष पर ज्यादा से ज्यादा मेहनत करने के लिए इंस्पायरकरती रहीं. और फिर एक समय ऐसा आया कि उनका डस्की लुक ही उनकी सेक्स अपील बन गया.स्मिता के साथ 'अर्थ' बनाने वाले महेश भट्ट कहते हैं: "अपने लुक्स को लेकर स्मिताने कभी ख़राब नहीं फील किया. फिल्म इंडस्ट्री के बनाए हुए दायरों पर वो विश्वास नहींरखती थीं."(स्मिता पाटिल की बायोग्राफी A Brief Incandescence से)--------------------------------------------------------------------------------वीडियो देखें:ये भी पढ़ें:यूं पैदा हुई मुस्कुराती हुई स्मितादुनियाभर की नई और अच्छी फिल्में देखनी है, तो अड्डा हम बता रहे हैंअमिताभ ने फिर याद दिलाया 'कुली' वाला हादसा, पर जानिए पुनीत इस्सर क्या कहते हैंयश चोपड़ा ने जब रेखा और जया से कहा, 'यार मेरे सेट पर गड़बड़ी ना करना यार!'