बिप्लब देब. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं. वैसे तो ऊटपटांग बयानों से चर्चा मेंरहते हैं पर इस बार उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया है कि उनकी एक तारीफ़ तो बनती है.पिछले दिनों पीले रंग का एक गमछा गले में लटकाकर बिप्लब देब ने फोटो ट्वीट की. लिखाकि त्रिपुरा के पारंपरिक रिसा को देशभर में पहचान दिलाने में अपना योगदान दें.ट्वीट आप यहां देख लीजिए.আজ গর্বের ককবরক দিবস। আসুন সকলে মিলে রাজ্যের ঐতিহ্য রিসাকে দেশের সর্বত্র পৌঁছেদিতে নিজেদের সদর্থক ভূমিকা পালন করি।#KokborokDay pic.twitter.com/Ou6CXmnQbV— Biplab Kumar Deb (@BjpBiplab) January 19, 2021 अब जो लोग नॉर्थ ईस्ट खासकरत्रिपुरा की संस्कृति, वहां के पहनावों के जानकार हैं वो कहेंगे कि ये क्या बातहुई. रिसा को पहचान दिलाने का क्रेडिट सीएम साहब को क्यों. तो इसका जवाब ये है किकई लोग ऐसे हैं जो बिप्लब देब के ट्वीट से पहले इस बारे में नहीं जानते थे. हुआ यूंकि उन्होंने ट्वीट किया, फिर कई और लोगों ने रिसा की फोटो और उसके बारे में जानकारीट्वीट की. इस तरह एक बड़े ग्रुप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) को रिसा के बारे मेंजानकारी मिली. और रिसा के बारे में इंटरनेट पर जो भी जानकारी मिली, उससे तो समझ मेंआया कि ये बड़े काम की चीज़ है. दूसरे, यूट्यूब पर इसके जितने भी वीडियो मिले उनमेंइतने रंग और डिज़ाइंस दिखे मज़ा आ गया. मतलब वाह. अब आप ये फोटो ही देख लीजिएः~Traditional Tripuri red Risa~ #Risa is essentially a customary handwoven cloth,used as a head gear, stole, female upper cloth or presented to honor adistinguished recipient. In the ancient days, a woman’s intelligence was judgedby her woven Rignai and Risa designs. pic.twitter.com/5pXkhG0bz1— North-East India (@NEIndia_ANI) January 22, 2021क्या होता है रिसा?त्रिपुरा डॉट ओआरजी के मुताबिक, त्रिपुरा की महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा के तीनहिस्से होते हैं. रिसा, रिग्नई और रिकुतु. रिग्नई स्कर्ट जैसा कपड़ा होता है जिससेशरीर के निचल हिस्से को ढका जाता है. वहीं, रिकुतु से शरीर के ऊपरी हिस्से को रैपकरके ढकते हैं. रिकुतु का इस्तेमाल दुल्हन की चुनरी के तौर पर भी किया जाता है. अबआते हैं रिसा पर. तो रिसा हथकरघे से बनाया जाता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ महिलाएंनहीं करतीं, पुरुष भी करते हैं. और इसे कई-कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.इस वेबसाइट के मुताबिक, - रिसा का मुख्य इस्तेमाल महिलाओं के स्तन को ढकने के लिएहोता. लड़कियां इसे बचपन से नहीं पहनतीं. जब वो 12-13 साल की होती हैं यानी जब वोप्यूबर्टी की उम्र में पहुंचती हैं, तब रिसा सोरमानी नाम का एक फंक्शन रखा जाता है.इसमें बड़ी औरतें उस लड़की को रिसा देती हैं. अपने स्थानीय देव की पूजा करके उसलड़की के लिए प्रार्थना करती हैं. - त्योहारों और शादियों में पुरुष रिसा की पगड़ीबनाकर पहनते हैं. वो धोती के ऊपर कमर पर इसे बांधते भी हैं. - सर्दियों में रिसा काइस्तेमाल मफलर की तरह किया जाता है. वहीं सर्दियों में सिर पर बांधने के लिए भीइसका इस्तेमाल होता है. - लोग पीठ या छाती पर बच्चे को बांधने के लिए भी रिसा काइस्तेमाल करते हैं. बच्चे को इससे बांधने पर काम करना या चलना थोड़ा आसान हो जाताहै.Get these beautiful, vibrant, hand woven risa-pasra for this Diwali. Traditionalwear with contemporary style, comes with the cool factor. By the SHG women ofSepahijala district. #Local4Diwali @cstripura @PIBAgartala @tripura_cmo@mygovtripura @TripuraTourism @TripuraSRLM pic.twitter.com/FhyKypEI9o— DM Sepahijala (@dm_sepahijala) November 11, 2020 - अभी के वक्त में महिलाएंरिसा का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके के दुपट्टे की तरह भी करती हैं. - रिसा का इस्तेमालविशेष अतिथियों के सम्मान के लिए भी किया जाता है. शॉल की तरह. तो देखा आपने इतनेतरीकों से रिसा का इस्तेमाल होता है. मतलब एक रिसा को सर्दी में सिर पर भी बांध लो,मफलर की तरह भी पहन लो, दुपट्टे की तरह अलग-अलग स्टाइल में ओढ़ भी लो, पगड़ी भी बनालो. अब इत्ते सारे फीचर्स वाला एक रिसा तो खरीदना बनता ही है. है कि नई?