वो ज़माना चला गया जब आपको सारा पैसा बटुए में लेकर घूमना पड़ता था. एटीएम और डेबिटकार्ड से होते हुए हम अब फोन से QR कोड स्कैन करके परचून का सामान खरीद रहे हैं.इसी कड़ी में भारत ने अब एक और कदम बढ़ा दिया है. भारत सरकार ने आज e-RUPIप्लेटफॉर्म लॉन्च कर दिया. एक तरह का गिफ्ट वाउचर, लेकिन सरकार के भरोसे के साथ, किभुनाने पर काम हो ही जाएगा. इसी के साथ भारत ने अब डिजिटल करेंसी की तरफ कदम बढ़ादिया है. इससे आपके जीवन पर क्या असर पड़ेगा? और क्या भारत वाकई बिटकाइन जैसा कोईकरिश्मा करने वाला है, या बात कुछ और है? इतिहास को हम हिस्सों में बांटकर देखतेहैं. शासकों के आधार पर हमने मुगलों का दौर, अंग्रेजों का दौर या आज़ाद भारत, इसतरह से खांचे बना रखे हैं. इनमें से आज़ाद भारत के इतिहास को बांटने का एक आधारबैंकिंग भी हो सकता है. एक वो दौर था, जब कुछ ही बैंक थे, कुछ ही शाखाएं होती थीं.बैंकों में लंबी लाइनें लगती थी. बैंक जाना सिरदर्दी का काम होता था. बैंक में खाताखुलवाना या पैसे निकलवाना अपने आप में पूरी महाभारत थी. फिर एटीएम शुरू हुए. कार्डदिखाने से मशीनें पैसे देने लगी. इसके बाद मोबाइल बैंकिंग का दौर आया. और आगे वोदौर आने वाला है जब एटीएम, क्रेडिट कार्ड की या नकदी पैसे की ज़रूरत ही खत्म होजाएगी. सब-कुछ ऑनलाइन होगा. और जब हम इस तरह की करेंसी की बात करते हैं तोक्रिप्टोकरेंसी याद आती है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का पिछले कुछ सालों मेंखूब हल्ला रहा है. आपको भी किसी यार दोस्त ने बताया होगा कि यार क्रिप्टोकरेंसी मेंपैसे लगाओ, अच्छा रिटर्न आएगा. तो देश का एक बड़ा हिस्सा अभी समझ ही रहा था कि येक्रिप्टोकरेंसी का झमेला क्या है, इसी बीच हमारी सरकार, हमारा RBI क्रिप्टो करेंसीलाने की लाने की तैयारी में है. थोड़ी छूट लेकर कह सकते हैं कि RBI अपना बिटकॉइनलाएगा. आरबीआई देश का सेंट्रल बैंक है. और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी शुरू करता हैतो वो कहलाती है CBDC.यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी. आपने सुना होगा कि RBI नेमार्च 2018 में बैंकों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजेक्शन पर रोक लगाई थी. बादमें सुप्रीम कोर्ट ने ये बैन हटा भी दिया था. तो जब आईबीआई क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफथा, तो अपनी क्रिप्टोकरेंसी लेकर क्यों आ रहा है. या डिजिटल करेंसी क्यों शुरू होरही है. और डिजिटल करेंसी शुरू होगी तो फिर उनका क्या होगा जो क्रिप्टोकरेंसी मेंपहले से खरीद बेच रहे हैं? डिजिटल करेंसी की बात आज हमने इसलिए छेड़ी क्योंकिप्रधानमंत्री ने आज e-Rupi को लॉन्च किया है. जो डिजिटल करेंसी जैसा ही माना जा रहाहै.E-RUPI आखिर है क्या?तो पहले e-Rupi को ही समझ लेते हैं. हमारे यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी केएक बयान का खूब ज़िक्र होता है. जो उन्होंने 1985 के साल में ओडिशा के कालाहांडीमें दिया था. कि अगर दिल्ली में बैठी केंद्र की सरकार एक रुपया खर्च करती है तोलोगों के पास सिर्फ 15 पैसे ही पहुंचते हैं. बाकी के 85 पैसे भ्रष्टाचार की भेंटचढ़ जाते हैं. तो सरकारी सिस्टम में ये चैलेंज हमेशा रहा है कि जिस आदमी पर पैसाखर्च किया जा रहा है, पूरा लाभ उसी को मिले. ये बीच की छीजत कम करने के लिए सरकारडीबीटी स्कीम लेकर आती है. डीबीटी आप जानते ही हैं, सीधे लाभार्थियों के अकांउट मेंपैसा भेजने की योजना. अब सरकार अकाउंट में पैसा तो सरकार ने भेज दिया, लेकिन क्याउस पैसे का इस्तेमाल उस काम के लिए हुआ, जिसके लिए पैसा भेजा गया था? ये कैसे तयहोगा? इसके लिए सरकार डीबीटी वाली योजनाओं में पहले से कई नियम-शर्तें चला रही है.जैसे अगर गैस सिलेंडर की सब्सिडी तभी मिलती है जब सिलेंडर खरीदा जाए. लेकिन सरकारअब डीबीटी से भी एक कदम आगे जा रही है. ऐसा तरीका ला रही है कि जिसमें ना बैंकअकाउंट की ज़रूरत पड़े और ना कोई पैसे की लेनदेन हो. और लाभार्थी तक जो फायदापहुंचाना हो, वो भी पहुंच जाए. सरकार को जिसे भी किसी योजना का लाभ देना हो, उसकेमोबाइल पर एक कोड या कूपन भेज दे. वो कूपन वही आदमी इस्तेमाल कर सके, जिसे भेजा गयाहो. और उसी काम के लिए इस्तेमाल कर सके जिसके लिए कूपन दिया गया है. यही काम होगाe-Rupi के तहत. बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं. मान लीजिए सरकारवैक्सीन लगवाने के लिए गरीबों को पैसा देना चाहती है. उसका एक तरीका तो ये हो सकताहै कि डीबीटी से अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया जाए. अब इसमें दिक्कत ये हो सकती हैकि कई लोगों के बैंक अकाउंट ही ना हो. अब मान लीजिए यहां सरकार e-Rupi का इस्तेमालकरती है. जिसे वैक्सीन लगवाने का लाभ देना है, उसके मोबाइल पर एक क्यूआर कोड भेजतीहै. क्यू आर कोड आप जानते ही होंगे, चौकार बॉक्स में भूलभुलैया जैसी उल्टी-सीधीलाइनें बनी आती हैं, जो डिजिटल पेमेंट के टाइम स्कैन की जाती हैं. तो अब ये इस तरहसे कोडेड होगा कि सिर्फ वैक्सीन के लिए ही इस्तेमाल हो. और उसी आदमी के लिएइस्तेमाल होगा, जिसके फोन पर ये आया है. वैक्सीन के लिए लाभार्थी के मोबाइल परक्यूआर कोड भेजा जाएगा. फिर लाभार्थी टीकाकरण केंद्र जाकर क्यूआर कोड दिखाएगा.वैक्सीन लगाने वाले क्यू आर कोड को स्कैन करेंगे. जिसके बाद लाभार्थी के मोबाइलनंबर पर एक ओटीपी आएगा. ये ओटीपी बताने पर वैक्सीन का पेमेंट सीधा टीका लगाने वालेअस्पताल के पास चला जाएगा. और जिसने ये क्यूआर कोड जारी किया गया था, उसके पास भीसंदेश चला जाएगा कि इसका इस्तेमाल हो चुका है. हमने वैक्सीन का केवल उदाहरण मात्रदिया है. इसकी जगह कोई और योजना भी हो सकती है. और ऐसा भी नहीं है कि इसे सिर्फसरकारी योजनाओं के लिहाज से तैयार किया गया है. सरकारी, प्राइवेट कोई भी संस्था इसयोजना से लेन-देन कर सकती है.नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बनाया है इसेअब इसके कुछ तकनीकी पहलुओं की बात करते हैं. इसे तैयार किया है नेशनल पेमेंटकॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने. NPCI को आरबीआई ने बैंकों के साथ मिलकर शुरू2008 में शुरू किया था, जो बैंकों के बीच इंस्टेंट पेमेंट को मैनेज करती है. इसी नेभारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस, माने UPI को तैयार किया है. और e-Rupi को भीNPCI ने ही बनाया है. अब बात आती है कि e-Rupi जारी कैसे होगा? e-Rupi का कुछबैंकों के साथ टाईअप है. अगर सरकारी विभाग या प्राइवेट कंपनी को e-RUPI वाउचर जारीकरने हैं तो उसे उन बैंकों से संपर्क करना पड़ेगा. इसमें प्राइवेट और सरकारी दोनोंतरह के बैंक शामिल हैं. कुछ बैंक e-Rupi वाउचर जारी करेंगे, तो कुछ वाउचर के बदलेकैश भी देंगे. इस तरह से e-Rupi एक प्रीपेड वाउचर की तरह है. e-Rupi को इस्तेमालअभी सरकार, स्वाथ्य को लेकर चल रही योजनाओं में करेगी. जैसे टीबी इलाज केकार्यक्रम, आयुष्मान भारत योजना जैसी स्कीम.डिजिटल करेंसी शुरू होने वाली है?क्या e-Rupi को शुरू करना सरकार का डिजिटल करेंसी शुरू करने की तरफ एक कदम है.e-Rupi पूरी तरह से तो डिजिटल करेंसी नहीं है, लेकिन लगभग वैसा ही तरीका है. e-Rupiमें वाउचर के बदले से सर्विस प्रोवाइडर को डीबीटी करना पड़ेगा, यानी अभी वालीकरेंसी ही भेजी जाएगी. लेकिन डिजिटल करेंसी में पूरा मामला डिजिटल ही होगा. जानकारये मान रहे हैं कि e-Rupi से सरकार ये देखना चाहती है कि डिजिटल पेमेंट के लिए अभीजो इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसमें कहां गैप हैं. कितनी और तैयारी की ज़रूरत है. चीनअपनी डिजिटल करेंसी शुरू कर चुका है. दुनिया के और भी देशों में इस पर काम चल रहाहै. और भारत भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता. क्रिप्टोकरेंसी जब शुरू हुई तब इसेलेकर कई तरह के शक-शुबहा थे. आईबीआई ने इसे लेकर कई चेतावनियां दी थीं. डिजिटलकरेंसी को लेकर अभी ये भी शंकाएं हैं कि ये कितनी सेफ होगी. क्योंकि हम ऑनलाइनफ्रॉड के भी बहुत मामले देखते हैं. हालांकि इसकी हिमायत करने वाले खूब तारीफ करतेहैं. क्रिप्टो करेंसी पर यूनाइटेड नेशंस के एक्सपर्ट रहे मासिमो ब्यूनोमो काइकनॉमिक टाइम्स अखबार में बयान मिलता है. वो कहते हैं कि अगर सभी देश डिजिटल करेंसीअपना लेते हैं तो लोगों को बहुत फायदा हो सकता है. बैंक के लिए, क्रेडिट कार्ड केलिए या डेबिट कार्ड के लिए जो उन्हें चार्ज देने पड़ते हैं, वो भी नहीं देनेपड़ेंगे और ये सामान्य बैंकिंग से ज़्यादा सुरक्षित होगा. कुल जमा बात ये कि डिजिटलकरेंसी ही भविष्य की राह है. लेकिन पैसे को लेकर जिस तरह के नियमन की ज़रूरत है,जैसे भरोसे की ज़रूरत है, वो तभी आ पाता है जब RBI जैसी कोई संस्था के देखरेख मेंलेनदेन हो. भारत सरकार जो पहल कर रही है, उससे डिजिटल करेंसी की सहूलियत के साथ-साथसरकारी नियमन का भरोसा भी होगा. लेकिन ये प्रयोग कितना सफल रहेगा, समय ही बता सकताहै.