दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में क्या 'झोल' था? जो बात मंत्री के अरेस्ट तक पहुंच गई
केजरीवाल सरकार की शराब नीति के बारे में सबकुछ जानिए!
शराब. अगर लत लग जाए तो पीने वाले की जिंदगी तबाह और घरवालों का चैन. चैन जो आम आदमी पार्टी (AAP) वालों का भी तबाह हो रखा है, पीने की वजह से नहीं, शराब पिलाने को लेकर एक नीति बनाने की वजह से. नीति के दस्तावेज पर सबसे बड़े साइन जिनके थे, सीबीआई ने उन्हें अरेस्ट कर लिया है. मनीष सिसोदिया, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री. आबकारी विभाग की जिम्मेदारी भी इन्हीं के पास है. अब एक बड़ा सवाल ये है कि दिल्ली की शराब नीति में ऐसा क्या था जो बात मंत्री की गिरफ्तारी तक पहुंच गई?
जब एलजी ने मांगी रिपोर्टशुरू से शुरू करते हैं. नवंबर 2021 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार नई आबकारी नीति लागू की. आबकारी नीति 2021-2022 आने के कुछ महीने बाद ही दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने AAP सरकार की नई आबकारी नीति पर रिपोर्ट तलब की. 8 जुलाई, 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी. रिपोर्ट में नई आबकारी नीति बनाने में नियमों के उल्लंघन तथा टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया था.
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नई शराब नीति में जीएनसीटीडी एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीओबीआर) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन बताया गया.
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नई पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई. टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक नई नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफ की गई. रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है. ऐसे में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे.
इस रिपोर्ट के आधार पर जुलाई 2022 में वीके सक्सेना ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच के निर्देश दे दिए. सीबीआई जांच के आदेश के कुछ दिन बाद ही केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति पर रोक लगा दी. 1 सितंबर 2022 से नई को हटाकर फिर पुरानी नीति लागू कर दी गई.
New Excise Policy की खास बातें क्या थीं?अब दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के बारे में अब तफसील से समझते हैं. नई आबकारी नीति की सबसे खास बात ये थी कि 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू करने के बाद दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के कारोबार से खुद को अलग कर लिया. नई पॉलिसी लागू होने के बाद सरकार की तरफ से चलाई जा रहीं लगभग 600 शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया. इसके पीछे सोच थी कि शराब की खरीदारी को और ज्यादा आकर्षक बनाकर ज्यादा से ज्यादा राजस्व आएगा. नई नीति में, केजरीवाल सरकार ने 850 शराब की दुकानों को रिटेल लाइसेंस दिए. इसमें 266 शराब के ठेके प्राइवेट कर दिए गए. इन शराब की दुकानों को 32 जोन में बांटा गया. दुकानों में पांच सुपर-प्रीमियम शॉप्स भी शामिल थीं. इन्हें एक तरह से मॉडल शॉप्स भी कह सकते हैं.
शराब कहां और कैसे परोसी जाएगी, इसे लेकर भी नियम बने. होटल, क्लब, रेस्तरां और बार को रात 3 बजे तक खोलने की इजाजत मिली. शराब का लाइसेंस पाने वाले कुछ लोगों को 24 घंटे खोलने की भी अनुमति दी गई. होटल, क्लब और रेस्तरां को कुछ शर्तों के साथ भारतीय और विदेशी दोनों तरह की शराब बेचने का अधिकार दिया गया, ये भी कहा गया कि अगर चाहें तो बार अपने टेरेस या बालकनी में भी शराब सर्व कर सकते हैं. बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउस, मोटेल, वेडिंग/पार्टी/इवेंट वेन्यू के लिए एक नया लाइसेंस- एल-38 पेश किया गया, जिसमें सालाना फीस पर परिसर में आयोजित सभी पार्टियों में भारतीय और विदेशी शराब सर्व करने की अनुमति दी गई.
नई आबकारी नीति ने बढ़ाई परेशानी?केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति में दिल्ली को 32 जोन में बांटकर केवल 16 कंपनियों को ही डिस्ट्रीब्यूशन दिया गया था. आरोप लगा कि इससे प्रतिस्पर्धा खत्म होनी की संभावना बढ़ गई थी. इतना ही नहीं, नई शराब नीति में बड़ी कंपनियों की दुकानों पर तगड़ा डिस्काउंट मिलने की वजह से कई छोटे वेंडर्स को अपना लाइसेंस सरेंडर करना पड़ा. एक वार्ड में तीन ठेके खोलने के नियम की वजह से कई जगहों पर लोगों ने भी इसका विरोध किया था. जिसकी वजह से महंगी बोली लगाकर लाइसेंस लेने वालों को तगड़ा नुकसान हुआ.
सरकार ने खुद माना नई नीति से नुकसान हुआ!दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था. ये भी दावा किया गया था कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा. दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू हुई तो नतीजे सरकार के दावों के ठीक उलट आए. सरकार को नुकसान उठाना पड़ गया. 31 जुलाई 2022 को कैबिनेट नोट में सरकार ने माना की भारी बिक्री के बावजूद रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ.
कैबिनेट नोट में इसकी वजह बताते हुए कहा गया कि थोक और खुदरा कारोबारियों ने लाइसेंस लौटा दिए थे, जिसकी वजह से राजस्व का नुकसान हुआ. दिल्ली सरकार को वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 1485 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जो बजट अनुमान से 37.51 फीसदी कम था. अप्रैल 2022 के बाद हर महीने राजस्व में लगभग 194 करोड़ रुपये की कमी आई. इसके बाद सरकार ने नई शराब नीति वापस लेने का फैसला लिया.
वीडियो: मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले CBI ने 8 घंटे पूछताछ की, दिल्ली शराब घोटाला का मामला.