# लिटरेचरवो कहानियां जो बचपन से सुनते आए हैंकहानी # 1 -सायनाइड इतना खतरनाक ज़हर है कि इसका टेस्ट किसी को पता नहीं चलता. क्यूंकि टेस्ट कोबताने से पहले से ही बताने वाले की मृत्यु हो जाती है.कहानी # 2 -एक बंदे ने सायनाइड का टेस्ट पूरी दुनिया को बताने के लिए अपनी जान की कुर्बानीदेने की सोची. पेन कॉपी लेकर बैठ गया. एक हाथ में पेन दूसरे में सायनाइड. एक हाथ सेसायनाइड मुंह में डाला दूसरे से लिखना शुरू किया - S...बस अंग्रेजीं का अक्षर एस(s) ही लिख पाया और मर गया. अब अंग्रेजी के एस अक्षर सेकितने ही टेस्ट आते हैं -Sweet - मीठा Sour - खट्टा Salt - नमकीनतो आज तक पता नहीं चल पाया कि सायनाइड का टेस्ट कैसा है. बस यही पता चल पाया किसायनाइड का टेस्ट अंग्रेजी के एस(s) अक्षर से शुरू होता है.--------------------------------------------------------------------------------# जर्नलिज्मकहानियों का सचआपने भी कभी न कभी बचपन में या बड़े होकर ये दो कहानियां सुनी ही होंगी. लेकिन क्याये सच हैं?देखिए यदि मुझसे निजी तौर पर कहा जाए तो मुझे लगता है कि ये कहानियां अक्षरशः झूठहैं. जो भी हो, लेकिन ये शायद हमारे बचपन का सबसे उलझा और रहस्यमयी सवाल था. हमनेइस सवाल का उत्तर ढूंढने की कोशिश की है जो आपके साथ शेयर करते हैं.--------------------------------------------------------------------------------# केमिस्ट्रीसाइनाइड क्या है‘साइनाइड’ को एक अम्ब्रेला टर्म कहा जा सकता है. अंब्रेला टर्म मतलब ‘साइनाइड’ उनपदार्थों का ग्रुप है जिनमें कार्बन-नाइट्रोजन (सीएन) बॉन्ड होता है.जिस तरह सभी सांप लीथल या घातक नहीं होते, वैसे ही सभी तरह के साइनाइड भी ज़हर नहींहोते.सोडियम साइनाइड (NaCN), पोटेशियम साइनाइड (KCN), हाइड्रोजन साइनाइड (HCN), औरसाइनोजेन क्लोराइड (CNCl) घातक हैं, लेकिन नाइट्राईल्स नाम के ढेरों यौगिक साइनाइडहोते हुए भी ज़हर नहीं होते. बल्कि कई नाइट्राईल्स तो दवाइयों में यूज़ होते हैं.नाइट्राईल्स के खतरनाक न होने का कारण केमिस्ट्री में छुपा हुआ है, लेकिन अभी हमेंकेमिस्ट्री नहीं सालों, इन फैक्ट सदियों, से चली आ रही मिस्ट्री को सॉल्व करना है.--------------------------------------------------------------------------------# बायोलॉजीनाइट्राईल्स को छोड़कर बाकी साइनाइड जहर क्यूं होते हैंदरअसल साइनाइड, हमारे शरीर की कोशिकाओं और ऑक्सीजन के बीच दीवार का काम करता है. औरहमारे शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो कोशिकाएं ज़्यादा देर तक जीवितनहीं रह पाएंगी. और कोशिकाएं, जिनसे मिलकर हमारा शरीर बना है, जीवित नहीं रहीं तोशरीर भी मृत.अगर साइनाइड अपने प्योरेस्ट फॉर्म में अंदर ले लिया जाए तो सेकेंडों में व्यक्ति कीमृत्यु हो जाती है. मिर्गी के दौरे, कार्डिएक अरेस्ट, कोमा वगैरह के बाद, के साथ याउस सबसे पहले ही. और अगर इसकी कम मात्रा ली जाए या प्योर फॉर्म के बजाय किसी मेंडायल्यूट होकर आए बेहोशी, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, भ्रम की स्थिति और सांस लेनेमें कठिनाई हो सकती है.अब कम मात्रा, अधिक मात्रा एबस्ट्रेक्ट टर्म हैं, इसलिए स्पेसिफिकली बात करें तो0.5–1 mg प्रति लीटर माइल्ड, 1–2 प्रति लीटर मोडरेट, 2–3 mg प्रति लीटर गंभीर और 3mg प्रति लीटर से अधिक सायनाइड जानलेवा साबित होता है.यानी ये बात कि जीभ से साइनाइड का संपर्क होते ही मृत्यु हो जाती है बेशक ग़लत हैलेकिन यदि एक लिमिट से अधिक और अपने प्योर फॉर्म में ये ली जाए तो, जैसा कि ऊपरकहा, बस चंद सेकेंड लगते हैं, 'है' से 'था' होने में.--------------------------------------------------------------------------------#मैथ्सडेटा क्या कहता हैपहले तो हमें ये समझना होगा कि साइनाइड किसी की हत्या करने के लिए या आत्महत्या केकम यूज़ किया जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2013 में पूरी दुनिया में केवल आठ लोगोंका मर्डर सायनायड के थ्रू हुआ था.लेकिन फिर भी उस वर्ष कुल तीन सौ लोग सायनायड से मर गए थे. क्यूं? क्यूंकि हमारीरोजमर्रा की इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों में, खाने पीने वाली चीज़ों में भी सायनायडहोता है और हम एक्सीडेंटली उसका सेवन कर लेते हैं या सांसों के माध्यम से उसेइन्हेल कर लेते हैं. सेब के बीज में सायनायड होता है, ये तो उन सभी को पता होगाजिन्होंने श्रीदेवी की मूवी मॉम देखी होगी.श्रीदेवी की मूवी 'मॉम' का एक सीनफिर भी हम सेब के बीजों से नहीं मरते क्यूंकि यदि गलती से हम बीजों को निगल भी लेंतो भी बीजों की बाहरी लेयर इतनी ठोस होती है कि अंदर का सायनाइड बाहर नहीं आ पाता.पाचन क्रिया के दौरान भी पूरा बीज हमें बिना नुकसान पहुंचाए मल के साथ बाहर आ जाताहै और हम बच जाते हैं. कई और भी चीज़ें हैं जिसमें थोड़ा बहुत सायनायड पाया ही जाताहै और कभी-कभी जानलेवा साबित हो जाता है. कुछ चीज़ें जिनके नाम अभी याद आ रहे हैं –बादाम, प्लास्टिक या कोयले का जलना, सेब के बीज, सिगरेट, दूषित पीने का पानी, भोजन,पेस्टेसाइड आदि.--------------------------------------------------------------------------------# हिस्ट्रीकैसे और कब से यूज़ किया जाता रहा है साइनाइडसाइनाइड का यूज़ तबसे हो रहा है जब पता भी नहीं था कि ये 'ज़हर' साइनाइड है. और ज़हरका इस्तेमाल तो आज से साढ़े छः हज़ार वर्षों पूर्व से होता आ रहा है. जब हम 'साढ़े छःहज़ार' साल की बात कर रहे हैं तो हम उस ज़हर की बात कर रहे हैं जो एक व्यक्ति दूसरेको जानबूझकर खिलाता है या आत्महत्या करने के लिए खुद खाता है. वरना ज़हर प्रकृति मेंतो पहले से ही विद्यमान था, और मानव सभ्यता शुरू होने के साथ ही, अंजाने में ज़हर खाया सूंघ लेने से मृत्यु होती रही होंगी. भारत में 'ज़हर' शब्द का इस्तेमाल चाणक्य ने350 इसवी पूर्व ही अपने लेखों में कर लिया था. लेकिन उससे पहले सुश्रुत (भारत के एकप्रसिद्ध वैदिक चिकित्सक जिन्हें शल्य चिकित्सा का जनक भी कहा जाता है) ने लगभग 600ईस्वी पूर्व 'धीमे ज़हर' और 'धीमे ज़हर' को बनाने और प्रयोगों की पूरी प्रोसेस समझादी थी.साइनाइड की स्पेसिफिकली बात करें तो नाज़ियों के कंसंट्रेशन कैंप में इसी (हाइड्रोजनसाइनाइड) का इस्तेमाल मास-मर्डर के लिए किया जाता था - गैस चैंबर में. इसकाव्यवसायिक नाम था - ज़ायक्लोन - बी.कंसन्ट्रेशन कैंप में ज़ायक्लोन - बी यानि सायनाइड के गैस चैंबर में मारे गए लोगोंकी हड्डियों का ढेरअभी-अभी रूस पर एक डबल एजेंट की हत्या का आरोप लगा है. उसमें साइनाइड का यूज़ तोनहीं किया गया, लेकिन हम रूस की बात इसलिए बता रहे हैं क्यूंकि अतीत में रूससाइनाइड का इस्तेमाल हत्याओं और बहुतायत से करता आया है. बाकी हादसों वगैरह में तोसाइनाइड लोगों की मृत्यु का कारण बनती ही है - जैसे कहीं आग लग जाए, कोई ग़लती सेदूषित चीज़ खा/पी ले, आदि.साथ ही कई आतंकवादी संगठन, जैसे 'लिट्टे (एलटीटीई)' आदि अपने गले में सायनाइड सेभरा हुआ लॉकेट बांध के रखते थे ताकि पकड़े जाने की स्थिति में वो उसे खाकर तुरंतमृत्यु का प्राप्त हो सकें.--------------------------------------------------------------------------------# आउट ऑफ़ सिलेबसकैसा होता है साइनाइड का टेस्टअगर हमने अभी तक के लेख को ध्यान से पढ़ा होगा तो हमें थोड़ा बहुत हिंट मिल गया होगाकि साइनाइड का स्वाद कैसा होता है. साइनाइड का स्वाद कड़वा या मैटलिक होता है.हमने पहले कहा था कि बादाम में कम मात्रा में साइनाइड होता है. अब आपको ये तो पताही होगा कि बादाम का स्वाद हल्का कड़वाहट लिया होता है और कुछ बादाम ज़्यादा कड़वेहोते हैं. सेब के बीज भी कड़वे होते हैं.बादाम में भी अल्प मात्रा में सायनाइड होता है.एक बात और. ऊपर जो कहानियां बताई गईं थीं उसमें से दूसरी कहानी कुछ हद तक सही है.ऑस्ट्रेलिया के एक प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल संडे मॉर्निंग हेराल्ड के अनुसार 2006में एक भारतीय ने सुसाइड करने के लिए साइनाइड खा लिया था. उसे बचाया तो नहीं जा सकालेकिन उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था - 'पोटेशियम साइनाइड. मैंने इसे टेस्ट कियाहै. ये जीभ जला देता है और इसका स्वाद कड़वा होता है.'--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:स्टीफन हॉकिंग नहीं रहे - मतलब मैंने जीते जी एक ब्लैक होल बनते देख लियाये बीमारी कोई 3 साल नहीं झेल सकता स्टीफन 52 साल झेल ले गएस्टीफन हॉकिंग की मौत की तारीख से जुड़े संयोग पर विश्वास नहीं होता!स्टीफन हॉकिंग नहीं रहे, ये वक्त उनकी चेतावनी याद करने का है--------------------------------------------------------------------------------वीडियो देखें:Stephen Hawking ने वो वक्त बताया था, जब धरती पर हम सब मर जायेंगे: