Cinematograph Bill 2021 क्या है, जिसके लागू होने पर सिनेमा के अच्छे दिन खत्म!
फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने इसके खिलाफ सरकार को पिटिशन भी भेजी है.
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‘हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी’ और ‘इस रात की सुबह नहीं’ जैसी फिल्मों के डायरेक्टर सुधीर मिश्रा ने 26 जून 2021 को एक ट्वीट किया,
सिनेमैटोग्राफ एक्ट में प्रस्तावित ये अमेंडमेंट फिल्म मेकिंग को असंभव बना देगा. सभी फिल्म बॉडीज़ को सरकार से बात करने की जरुरत है.
मशहूर डायरेक्टर विशाल भारद्वाज ने ट्वीट किया, फिल्म सर्टिफिकेशन पर कानून लाने का ये कैसा अजीब प्रस्ताव है. सेंसर सर्टिफिकेट का मतलब ही क्या है अगर किसी की भी शिकायत पर एक फिल्म को फिर से एग्ज़ामिन किया जा सके.This proposed amendment/bill on the cinematograph act will make film making impossible . All film bodies should make a strong representation to the Government. @anubhavsinha
— Sudhir Mishra (@IAmSudhirMishra) June 26, 2021
@nairsameer
@PritishNandy
@nikkhiladvani
@mayankw14
https://t.co/UUX6bBfP0j
What a strange proposition to amend the law on film certification. What is the meaning of a censor certificate if the film can be reexamined on anybody's complaint? The ministry has asked the public for its opinion. — Vishal Bhardwaj (@VishalBhardwaj) June 25, 2021
दिग्गज एक्टर कमल हासन ने लिखा,
सिनेमा, मीडिया और साहित्य से जुड़े लोग भारत के तीन आइकॉनिक बंदर होने का जोखिम नहीं उठा सकते. बुराई के बारे में देखना, सुनना और बोलना ही लोकतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिशों के खिलाफ एकमात्र दवा है.
उन्होंने एक और ट्वीट किया. लिखा,Cinema, media and the literati cannot afford to be the three iconic monkeys of India. Seeing, hearing and speaking of impending evil is the only medication against attempts to injure and debilitate democracy. (1/2)
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) June 28, 2021
कृपया कुछ करें, आज़ादी को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करें.
Please act, voice your concern for freedom and liberty. @MIB_India
#cinematographact2021
#raiseyourvoice
(2/2) — Kamal Haasan (@ikamalhaasan) June 28, 2021
कुछ ऐसा ही अनुराग कश्यप, फरहान अख्तर और दिबाकर बैनर्जी जैसे महत्वपूर्ण फिल्म मेकर्सने भी कहा. इंडियन मेनस्ट्रीम सिनेमा से इतर पैरलल सिनेमा के स्तंभ माने जाने वाले अदूर गोपालाकृष्णन ने प्रस्तावित अमेंडमेंट को ‘सुपर सेंसर’ बताया.
ऐसा कहा गया सरकार द्वारा प्रस्तावित सिनेमैटोग्राफ बिल 2021 के लिए. बात करेंगे कि क्या हैं वो अमेंडमेंट्स जो सरकार लाना चाहती है. उन्हें लाने के लिए क्या तर्क दे रही है. फिल्ममेकर्स और फिल्म फ्रेटर्निटी से जुड़े लोग सरकार के इस कदम को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर किए हमले की तरह क्यों देख रहे हैं. साथ ही बताएंगे कि उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर क्या सुझाव दिए हैं. एक-एक कर इन सभी पॉइंट्स पर बात करेंगे. एक-एक कर, क्योंकि क्रोनोलॉजी समझना बहुत जरुरी है.