घर में अगर कुत्ता पाला है, तो ये नियम अच्छे से रट डालिए
हाल फिलहाल में लोगों पर पालतू कुत्तों के हमलों की खबरें आई हैं. पालतू कुत्ते के काटने पर उसके मालिक को सजा हो सकती है.
पेट्स माने पालतू जानवर रखने का शौक बहुत लोगों को होता है. कुत्ता, बिल्ली, घोड़ा, तोता... एंड द लिस्ट गोज ऑन. जानवरों से प्यार करने वालों से किसी को दिक्कत नहीं, लेकिन पालतू जानवर घर पर रखना चाहते हैं, तो कुछ चीज़ों का ध्यान रखना है बेहद ज़रूरी! लेकिन क्यों? ताकि आप और आपके आसपास वालों को कोई परेशानी ना उठानी पड़े.
अचानक से ये बात क्यों? एक सेकंड ठहर कर सोचिए, एक जानवर कुछ हफ़्तों से काफी ट्रेंड कर रहा है. कारण कुछ बढ़िया नहीं है. कुछ समय से कुत्तों के आक्रामक होने या लोगों को काटने की खबरें सामने आ रही हैं. लखनऊ में पिटबुल वाले वाकये के बाद ऐसी और घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं.
अब मुद्दा ये भी है की स्ट्रे डॉग्स माने, ‘आवारा’ या ‘गली के कुत्तों’ के काटने पर कोई किसी को ब्लेम नहीं कर सकता. लेकिन उन मामलों का क्या, जहां एक पालतू कुत्ता ही आप को काट खाए? इसी वजह से घर में पालतू जानवर रखने के कुछ नियम हैं, जिनको फॉलो करना बेहद ज़रूरी होता है. इस आर्टिकल में इन्हीं नियमों के बारे में जानेंगे. साथ ही जानेंगे हाल ही में कुत्तों के काटने के मामलों के बारे में.
क्या मामले सामने आए?- गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में एक बच्चे पर कुत्ते ने लिफ्ट में हमला कर दिया. कुत्ते की मालकिन वहीं खड़ी रही. गाजियाबाद में ही एक 6 साल के बच्चे पर पिटबुल ने दो सितंबर को अटैक किया था.
- लखनऊ वाला केस हम सब अच्छे से जानते हैं. एक 82 वर्षीय महिला, सुशीला त्रिपाठी पर उन्हीं के बेटे के पालतू पिटबुल ने हमला किया था. इस हमले में उनकी मौत हो गई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उनकी मौत बहुत ज्यादा खून बहने की वजह से हुई थी. खून बहने का कारण, उनकी गर्दन और पेट पर डॉग के अटैक की वजह से 12 गहरे घाव थे!
- दो पिटबुल कुत्तों ने बेंगलुरु में एक सात साल के बच्चे को नोच डाला था. इतना कि उसका चेहरा बिगड़ गया और उसे 58 टांके लगाए गए.
- 12 अगस्त को एक घर में काम करने वाली महिला पर एक पिटबुल ने हमला किया था. ये घटना गुड़गांव में हुई थी.
पालतू कुत्तों के लिए नियमइस वाले पार्ट को, पार्ट्स में समझते हैं. अपने देश में हैं 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश. इन सब में हैं बहुत सारे शहर. इन्हें चलाने में अहम भूमिका निभाती हैं म्युनिसिपल कॉरपोरेशंस. इनके होते हैं अपने अलग एक्ट्स और रूल्स.
इन्हीं एक्ट्स के तहत घर में पालतू जानवर रखने के नियम होते हैं. लगभग हर जगह कुछ नियम कॉमन होते हैं.
- पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है.
- इस रजिस्ट्रेशन के लिए एक तय फीस होती है. हर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की फीस अलग-अलग होती है.
- ये रजिस्ट्रेशन परमानेंट नहीं होता, इसे समय-समय पर रिन्यू कराना पड़ता है. ये समय सीमा, हर जगह अलग होती है.
उदाहरण के लिए, दिल्ली के लिए है 1957 का DMC एक्ट (Delhi Municipal Corporation Act). इस एक्ट के तहत घर पर कुत्ता रखने के लिए, रजिस्ट्रेशन जरूरी है. और आपका प्यारा डॉग ऐसे ही रजिस्टर नहीं हो जाता. उसके लिए एक चीज़ एकदम जरूरी है. कुत्ते को रेबीज का वैक्सीन लगा होना चाहिए. वैक्सीन लगने के बाद ही कुत्ता रजिस्टर होता है. यही नहीं, इस रजिस्ट्रेशन की फीस भी होती है. दिल्ली में ये फीस 500 रुपये है.
DMC एक्ट के तहत ये रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए वैध होता है. यानी एक साल बाद आपको इस रजिस्ट्रेशन को रीन्यू कराना पड़ेगा.
अगर मेरा पालतू कुत्ता किसी को काट ले तो?मान लीजिए कि एक व्यक्ति है मुकेश. उसके पालतू कुत्ते ने किसी को काट लिया, फिर क्या होगा? उसके लिए है भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 289. इसके तहत कुत्ते के मालिक को अधिकतम 6 महीने कैद की सजा, एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. तो कुत्ते के मालिक लापरवाह नहीं हो सकते. हो गए, और कुत्ते ने किसी को काट लिया, तो जेल कुत्ता नहीं, मालिक जाएगा!
जाते जाते एक जरूरी जानकारी. रेबीज संक्रमण को स्लो किलर के नाम से जाना जाता है. और ये केवल कुत्तों के काटने से ही नहीं बिल्ली, घोड़े, चूहे आदि के काटने से भी होता है. इसकी वैक्सीन लगवाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि रेबीज का कोई इलाज फिलहाल नहीं है.
ये एक जानलेवा वायरस होता है, जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को संक्रमित करता है. अगर किसी को समय से मेडिकल हेल्प नहीं मिलती, तो ये वायरस दिमाग में बीमारी का कारण बन सकता है. जिसके चलते जान जा सकती है. तो पेट लवर्स, अपने पेट्स को वैक्सीनेट ज़रूर करवाएं.
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