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तीन प्रधानमंत्रियों के निजी सचिव रह चुके नए विदेश सचिव विक्रम मिस्री, चीन से जुड़े मसलों के एक्सपर्ट हैं

विक्रम मिस्त्री (Vikram Misri) तीन प्रधानमंत्रियों- इंद्र कुमार गुजराल (Inder Kumar Gujral) , मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के निजी सचिव रह चुके हैं.

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Vikram Misri assumed the charge of foreign secretary
विक्रम 1989 बैच के IFS अफ़सर हैं. (फ़ोटो - PTI)
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हरीश
15 जुलाई 2024 (Published: 13:59 IST)
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विक्रम मिस्त्री ने 15 जुलाई को भारत के विदेश सचिव का पद संभाल लिया (Vikram Misri is now India’s foreign secretary) है. विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (MEA spokesperson Randhir Jaiswal) ने विक्रम को पद संभालने की बधाई दी है. साथ ही, उनका हार्दिक स्वागत कर उनके सफल कार्यकाल की बात भी की है.

मिस्री ने विनय मोहन क्वात्रा की जगह विदेश सचिव का पद संभाला है. 28 जून को इसकी घोषणा की गई थी. 59 साल के मिस्री तीन प्रधानमंत्रियों- 1997 में इंद्र कुमार गुजराल, 2012 में मनमोहन सिंह और 2014 में नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में काम कर चुके हैं. उन्हें विदेश सचिव पद के लिए बेस्ट चॉइस बताया जा रहा है. वहीं, आमतौर पर विदेश सचिव का पद उन्हें दिया जाता है, जो विदेश मंत्रालय में अलग-अलग रैंकों के ज़रिए आगे बढ़ते हैं. इससे उनके विदेश सचिव बनाए जाने को कुछ विद्वान असामान्य भी बता रहे हैं. ऐसे में विक्रम मिस्री के बारे में जानना ज़रूरी हो जाता है.

मिस्री पहले भी कई अहम पदों पर रह चुके हैं. वो विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय दोनों में काम कर चुके हैं. मिस्री चीन से लेकर स्पेन और म्यांमार में राजदूत रह चुके हैं.

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कौन हैं विक्रम मिस्री

विक्रम मिस्री का जन्म हुआ 7 नवंबर, 1964 को. श्रीनगर में. इसके बाद मिस्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के हिंदू कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन पूरा किया और उसके बाद XLRI, जमशेदपुर से MBA की डिग्री हासिल की. नवंबर 1996 से अप्रैल 1997 तक इंद्र कुमार गुजराल की सरकार के दौरान भारत के विदेश मंत्रालय में अवर सचिव (Under Secretary) रहे. अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक मिस्री ने गुजराल के निजी सचिव के रूप में काम किया. अप्रैल 1998 से अगस्त 2000 तक विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान डेस्क के लिए अवर सचिव/उप सचिव के रूप में काम किया.

इसके बाद उनके पद आगे बढ़ते गए. इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, नवंबर 2006 से सितंबर 2008 तक मिस्री तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी के अंडर उनके ऑफ़िस के निदेशक रहे. मार्च 2012 से अक्टूबर 2012 तक PMO में जॉइंट सेक्रेटरी थे. बाद में अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निजी सचिव रहे. अगले कुछ सालों में विक्रम मिस्री ने अलग-अलग पदों पर काम किया. वो 2014 में स्पेन, 2016 में म्यांमार और 2020 में चीन के राजदूत रहे.

राजदूत और डिप्टी NSA के रूप में अहम भूमिका

2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में जब चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की थी, तो विक्रम ही भारत के चीन में राजदूत थे. सुलह कराने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. उन्हें चीन के मामलों में एक्सपर्ट बताया जाता है. 2022 में उन्हें डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) के रूप में नियुक्त किया गया था. और अब उनकी विदेश सचिव के रूप में नियुक्ति हुई है. इस तरह विक्रम का डिप्टी NSA के रूप में कार्यकाल भी ख़त्म हो गया. डिप्टी NSA के रूप में मिसरी की हालिया भूमिका और सुरक्षा मुद्दों पर उनके विचार को पारंपरिक तरीक़ों से अलग बताया जाता है.

विद्वानों इस नियुक्ति को विदेश नीति में सुरक्षा और रणनीतिक ज्ञान को प्राथमिकता देने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के लिए विदेश मंत्रालय में उनके नाम आने आने को ख़ास रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. मिसरी का IFS के रूप में तीन दशकों से ज़्यादा का कार्यकाल रहा है. अब भारत के विदेश सचिव के रूप में अपनी राजनयिक कुशलता का कैसे इस्तेमाल करते हैं, देखना दिलचस्प होगा.

वीडियो: गलवान घाटी मामले में चीन की हरकतों पर क्या बोले भारत के राजदूत विक्रम मिस्री?

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