दो-चार जज, दसियों प्रतिभागी, फैसले की घड़ी, और इनाम की रकम. सही सोच रहे हैं.रियलिटी शोज़ में आम तौर पर ऐसा ही होता है. अलग-अलग तरीके के कॉम्पिटीशंस होते हैंजिनमें सबसे टैलेंटेड कन्टेस्टेंट को विजेता घोषित किया जाता है. लेकिन 20 दिसंबर2021 से भारत में एक अनोखा शो शुरू हुआ है. शार्क टैंक इंडिया. इसमें बतौर जज कुछबेहद सफल व्यवसायी होते हैं, जो आने वाले कन्टेस्टेंट के बिज़नेस आइडियाज़ परइंवेस्टमेंट की डील करते हैं. भारत के लिए ये नया है, लेकिन पहली बार 2001 में शुरूहोने के बाद अब तक ये शो 40 से ज्यादा देशों में आ चुका है.अमेरिका में शार्क टैंक (Photo Source - Aajtak)शार्क टैंक इंडिया को बनाया है स्टूडियो नेक्स्ट ने. शो दुनियाभर में और अब भारतमें भी कई बिज़नेसेज़ को सफल बना रहा है. विदेशों में इस शो के 180 से ज्यादा सीजन्सआ चुके हैं और दुनियाभर में 30 से ज्यादा अवॉर्ड्स इसके नाम हुए हैं. और अब ये शोदुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम यानी हमारे देश में शुरू हो चुकाहै.शो का फॉर्मेटशार्क टैंक इंडिया का फॉर्मेट दूसरे रियलिटी शोज से अलग है. यहां प्रतियोगी कोबार-बार परफॉर्म नहीं करना होता. ना ही दूसरे कन्टेस्टेंट से उनका सीधा मुकाबलाहोता है. शार्क टैंक इंडिया में आने वाले लोगों को सिर्फ एक ही बार परफॉर्म करनाहोता है.रणविजय सिंह कर रहें हैं होस्ट शार्क टैंक इंडिया. (Photo Source - India Today)क्यों आते हैं? मान लीजिए आपके पास कोई धांसू बिज़नेस आईडिया है और आपको लगता है किये आईडिया छप्पर-फाड़ कमाई दे सकता है, तो आप क्या करेंगे? सीधा जवाब है कि उसआईडिया को बिज़नेस मॉडल में बदलेंगे. लेकिन इसके लिए चाहिए रकम. अगर बिजनेस आप पहलेसे ही कर रहे हैं और अब उसे बड़ा बनाना चाहते हैं तो भी रकम चाहिए. रकम कहां सेमिलेगी? इसके विकल्प बहुत हो सकते हैं. शार्क टैंक इंडिया ऐसा ही एक विकल्प है.शो में भाग लेने वाले प्रतियोगी अपने बिज़नेस के लिए इंवेस्टमेंट जुटाने की कोशिशमें यहां आते हैं. इस कवायद में सबसे पहला काम होता है अपने बिज़नेस आईडिया को बेहतरढंग से शार्क्स यानी जजेज़ के सामने एक्सप्लेन करना.आईडिया पिच करने वाले ये भी बताते हैं कि उन्हें अपने बिज़नेस मॉडल में शार्क्स सेकितने रुपए का इंवेस्टमेंट चाहिए, अब इंवेस्टमेंट चाहिए है तो बदले में फायदा भीदेना होगा. सो पिचर्स शार्क्स को ये भी बताते हैं कि वे अपने बिज़नेस मॉडल मेंइंवेस्टमेंट की रकम के बदले कितनी हिस्सेदारी देंगे.अगर ये दोनों काम हो जातें हैं तो फिर जजेज़ यानी शार्क्स, पिचर्स से तमाम तरह केसवाल पूछते हैं. मसलन कितना पुराना बिज़नेस है? पिछले साल रेवेन्यू कितना रहा है,मार्केटिंग प्लान क्या है, वगैरह-वगैरह.7 शार्क्स कौन हैं?शार्क टैंक इंडिया में ऑन्त्रप्रेन्योर के साथ डील करने के लिए 7 शार्क्स हैं. पहलानाम है- अशनीर ग्रोवर का. ये Bharat Pe के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. दूसरीशार्क हैं विनीता सिंह, जो कि CEO और को-फाउंडर हैं Sugar Cosmetics की. तीसरा नामहै- पियूष बंसल का जो फाउंडर और CEO हैं Lenskart के. चौथा नाम है- अमन गुप्ता, वेBoat के को-फाउंडर और चीफ़ मैनेजिंग ऑफिसर हैं.इनके बाद हैं ग़ज़ल सिंह जो कि को-फाउंडर हैं Mama Earth की. छठवीं शार्क हैं नमिताथापर जो एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं Emcure फार्मास्युटिकल्स की. और शार्क टैंकइंडिया के शार्क्स में आख़िरी नाम है- अनुपम मित्तल, जो कि Shadi.com और PeopleGroup के फाउंडर और CEO हैं.शो देखने में मुश्किल क्या है?नई पीढ़ी के लिए कोई ख़ास मुश्किल नहीं है. हां, पिचर्स और शार्क्स के बीच होने वालेडिस्कशन में कई शब्द ऐसे आते हैं जो उनके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकते हैं जिन्हेंबिज़नेस, कॉमर्स और फाइनेंस जैसे विषयों में ख़ास दिलचस्पी नहीं रही है. वैसे शार्कटैंक इंडिया ने अलग से अपने शो के शब्दकोष की एक वेबसाइट भी बना रखी है. लेकिन इसके अलावा भी कुछ शब्द हैं जो शो के दौरान बार-बार इस्तेमाल किए जाते हैं,इन्हें समझ लेते हैं.इक्विटी (Equity)- पहला शब्द है इक्विटी. इसका मोटा-माटी मतलब है मालिकाना हक़ मेंहिस्सेदारी. जब पार्टिसिपेंट्स शार्क्स के सामने अपना आईडिया बताना शुरू करते हैंतो कहते हैं कि हम इतने इंवेस्टमेंट के बदले इतने परसेंट इक्विटी देंगे. अब अगरकिसी पार्टिसिपेंट ने कहा कि उसे एक करोड़ का इंवेस्टमेंट चाहिए, जिसके बदले में वो10 पर्सेंट इक्विटी देगा. इसका मतलब हुआ कि अगर शार्क्स में से किसी एक या ज्यादाको बिज़नेस आईडिया पसंद आया तो अकेले या एक से ज्यादा शार्क्स मिलकर पिचर के बिज़नेसमें बतौर इन्वेस्टर एक करोड़ रुपए देंगे और बदले में बिज़नेस की 10 फ़ीसद हिस्सेदारीउनकी हो जाएगी.वैल्यूएशन (Valuation)– इसका मतलब है कि कंपनी की कुल माली हैसियत कितनी है. इसकोपिचर की ऑफर की हुई इक्विटी और उसके बदले में वांछित इंवेस्टमेंट से भी समझ सकतेहैं. पिछले उदाहरण को ही लें तो अगर पिचर अपने बिज़नेस की 10 पर्सेंट हिस्सेदारी केबदले एक करोड़ का इंवेस्टमेंट मांग रहा है, तो इसका मतलब हुआ कि उसकी कंपनी याबिज़नेस की कुल मालियत 10 करोड़ है. कई बार ऐसा भी संभव है कि असल मालियत इससे कम हो,लेकिन वो इंवेस्टमेंट के बदले कम इक्विटी देना चाह रहा हो. ऐसी स्थिति में शार्क्सउससे और सवाल पूछते हैं, जैसे उसका बिज़नेस कितना पुराना है, टोटल रेवेन्यू कितनाआया है, पिछले साल की सेल कितनी है आदि.ग्रॉस सेल्स (Gross Sales)- मान लीजिए एक चिप्स बनाने वाली कंपनी है जिसने एक सालमें 10 रुपए के हिसाब से एक लाख चिप्स के पैकेट बेचे, तो उसकी ग्रॉस सेल्स हुई 10लाख रुपए.नेट सेल्स (Net Sales)- ग्रॉस सेल्स में से कुछ चीज़ें निकाल दें तो नेट सेल्स बचतीहैं. जैसे चिप्स बनाने वाली कंपनी ने 10 लाख रुपए की ग्रॉस सेल की, लेकिन उसने किसीऑफर के तहत एक लाख रुपए का नेट डिस्काउंट, एक लाख रुपए का ही रिफंड और प्रोडक्टडैमेज होने या ख़राब होने के चलते कस्टमर्स को एक लाख रुपए के एलाउएंसेज़ दे दिए तोकंपनी की नेट सेल्स 7 लाख रुपए ही मानी जाएगी.रेवेन्यू (Revenue)- नेट सेल्स, सर्विस इनकम, इंवेस्टमेंट इनकम आदि सबको मिलाकरकिसी कंपनी के बिज़नेस मॉडल ने कुल जितना पैसा इकठ्ठा किया है उसे उसका रेवेन्यूकहते हैं.नेट रेवेन्यू (Net Revenue)- सारे खर्चे, डिस्काउंट, प्रॉडक्ट कॉस्ट आदि निकाल करकिसी बिज़नेस में कुल जितना पैसा कमाई के तौर पर आता है उसे नेट रेवेन्यू कहते हैं.कई बार बिज़नेस में नेट सेल्स तो अच्छी होती है, लेकिन उस सेल्स के लिए किए गए खर्चेऔर बाकी सभी तरह की लागत मिलाकर नेट सेल्स से ज्यादा हो जाती हैं, यानी धंधा नुकसानमें चला जाता है. इसीलिए इन्वेस्टर्स के लिए नेट रेवेन्यू एक जरूरी पॉइंट ऑफ़ कंसर्नहोता है.प्री- रेवेन्यू (Pre Revenue)- ये असल में कोई इनकम नहीं है, बल्कि बिज़नेस शुरूहोने से पहले ही किसी पिचर का आकलन है कि वो अपने बिज़नेस से कितना पैसा कमा लेगा. मार्जिन(Margin)- मार्जिन या प्रॉफिट मार्जिन किसी प्रोडक्ट की बिक्री और उसकी लागतके बीच का अंतर है. मान लीजिए कि 5 रुपए का चिप्स बेचने वाली किसी कंपनी को वोचिप्स पैक बनाने, उसकी डिलीवरी करने और बाकी सारे खर्चे जोड़ने के बाद 2.5 रुपए कीलागत आती है तो इस प्रोडक्ट का प्रॉफिट मार्जिन 50 पर्सेंट होगा.ओवरहेड(Overhead)- वो लागत जो सीधे तौर पर किसी प्रोडक्ट के प्रोडक्शन से नहीं जुड़ीहोती. यानी कच्चे माल, लेबर कॉस्ट, पैकेजिंग, डिलीवरी आदि के अलावा जो लागत आती हैउसे ओवरहेड कहते हैं, जैसे गोदाम या ऑफिस का किराया, लीगल फीस, इंश्योरेंस वगैरह.रॉयल्टी (Royalty)- ये आप जानते ही होंगें. किसी कंपनी का कोई पेटेंट, कॉपीराइट, याट्रेडमार्क वाला सामान कस्टमर्स को बेचने का काम कोई थर्ड पार्टी करे तो उसे हरप्रोडक्ट पीस की सेल-प्राइस का कुछ हिस्सा असली मालिक को देना होता है. इसे हीरॉयल्टी कहते हैं.स्केलेबिलिटी (Scalability)- इस शब्द के मतलब का अंदाज़ा तो आप इसके नाम से लगा हीसकते हैं. स्केलेबिलिटी का मतलब है बिज़नेस में ग्रोथ की कितनी संभावना है. कोईबिज़नेस कितनी सेल बढ़ा सकता है, प्रॉफिट कैसा रहेगा, मार्केट की डिमांड को कहां तकपूरा कर सकता है. इन्हीं सब मानकों के आधार पर किसी बिज़नेस की स्केलेबिलिटी तय होतीहै.#Alpinobrings you a large variety of healthy foods to make your lifestyle better! Willthey seal a deal with a Shark today? Tune in to #SharkTankIndia, tonight at 9 PM, only on Sony TV! pic.twitter.com/xTNNu3hVLk— Shark Tank India (@sharktankindia) January 21, 2022परचेज़ आर्डर (Purchase order (PO)- परचेज़ ऑर्डर एक तरह का एग्रीमेंट है जिससे तयहोता है कि प्रोडक्ट खरीदने वाला व्यक्ति या बिज़नेस सप्लायर से किस रेट पर प्रोडक्टके कितने पीस खरीदेगा.पेटेंट (Patent)- आपने किसी एक नई चीज़ का आविष्कार किया. उस आविष्कार का पेटेंटअपने नाम करा लिया. पेटेंट मतलब अब उस आइटम पर आपके नाम का ठप्पा लग चुकाहै. पेटेंट का मालिक ही किसी और को उस इनवेंटेड आइटम को बनाने, इस्तेमाल करने औरबेचने की इजाज़त दे सकता है. और बिना उसकी इजाज़त अब कोई भी उस पेटेंटेड आइटम कीकॉपी नहीं कर सकता.ट्रेडमार्क (Trademark)- ऐपल और मैक्डॉनल्ड क्या हैं? आप कहोगे कि ब्रांड नेम.iPhone और McAloo Tikki क्या हैं, जाहिर है इन दोनों कंपनियों के प्रोडक्ट नेम.इसी तरह ऐपल का कटा हुआ सेब उसका लोगो है और 'I'm lovin it' मैक्डॉनल्ड का स्लोगनहै. ये सब कंपनी के ट्रेडमार्क होते हैं. आपने देखा होगा किसी प्रोडक्ट के रैपर परउसके नाम के साथ-साथ एक सर्किल में छोटा सा T लिखा होता है. ये ट्रेडमार्क कोईदूसरी कंपनी कॉपी नहीं कर सकती. कॉपीराइट (Copyright)- ये भी बिल्कुल पेटेंट और ट्रेडमार्क की ही तरह ही है. आपनेतमाम बार प्रोडक्ट्स पर सर्किल किया हुआ C देखा होगा. इसका मतलब होता है कि फलांप्रोडक्ट की कॉपीज़ निकालने का अधिकार सिर्फ उसके पास है जिसके पास इसका कॉपीराइटहै. कंपनी प्रोडक्ट्स के अलावा सामान्यतः कॉपीराइट का इस्तेमाल किताबों, फिल्मों,तस्वीरों, गानों और वेबसाइट्स वगैरह के लिए भी किया जाता है. परपिटुइटी (Perpetuity)- परपिटुइटी शब्द पर्यायवाची है Forever का. इसका अर्थ होताहै- 'हमेशा'. फ़र्ज़ कीजिए आपने एक किताब लिखी और पब्लिशर से कह दिया कि हम प्रतिकिताब की बिक्री पर 50 रुपए की रॉयल्टी परपिटुइटी में लेंगेस तो इसका मतलब हो गयाकि जब तक आपकी किताब बिकेगी तब तक आपको 50 रुपए प्रति किताब रॉयल्टी मिलती रहेगी.कस्टमर एक्विजिशन कॉस्ट (Customer acquisition cost)- हर कंपनी अपना कस्टमर बेसबढ़ाने के लिए ऐड जैसी चीज़ों पर पैसा खर्च करती है. मान लीजिए किसी कंपनी ने ऐड पर1000 रुपए खर्च किए जिससे उसके 100 कस्टमर बढ़े तो उस कंपनी की 'कस्टमर एक्विजिशनकॉस्ट' 10 रुपए प्रति कस्टमर होगी.