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ट्रंप और बाइडन के बीच पहली भिड़ंत. क्या है प्रेसिडेंशियल डिबेट्स की कहानी?

जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप चार बरस बाद एक बार फिर आमने-सामने होंगे. कुछ नए नियमों के साथ. अबकी बार वे एक-दूसरे की बात बीच में नहीं काट पाएंगे. और, डिबेट के बीच में किसी की हेल्प भी नहीं ले सकेंगे.

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2020 की प्रेसिडेंशियल डिबेट (फोटो- गेट्टी)
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साजिद खान
27 जून 2024 (Updated: 28 जून 2024, 15:52 IST)
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ये तस्वीर 2020 के US Presidential Debate की है. कुछ-कुछ ऐसा ही नज़ारा 27 जून, 2024 को फिर से दिखेगा. जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप चार बरस बाद एक बार फिर आमने-सामने होंगे. कुछ नए नियमों के साथ. अबकी बार वे एक-दूसरे की बात बीच में नहीं काट पाएंगे. और, डिबेट के बीच में किसी की हेल्प भी नहीं ले सकेंगे. अमरीका में 5 नवंबर, 2024 को राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार लगभग तय हैं. डेमोक्रेटिक से जो बाइडन और रिपब्लिकन से डोनाल्ड ट्रंप. उनके नामों पर औपचारिक मुहर लगनी बाकी है. मगर अपवाद को छोड़ दिया जाए तो इसमें फेरबदल की गुंज़ाइश नहीं है.

अमरीका में प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट्स के बीच डिबेट की परंपरा रही है. 1980 के दशक से ये लगातार होता आ रहा है. आमतौर पर इसका आयोजन कमिशन ऑन प्रेसिडेंशियल डिबेट्स (CPD) करता है. मगर इस बार ज़िम्मा CNN और ABC ने उठाया है. 27 जून को पहली डिबेट CNN करवा रहा है. इसका प्रसारण जॉर्जिया वाले स्टूडियो से किया जाएगा. अमरीका में रात नौ बजे से. उस वक़्त भारत में 28 जून की सुबह हो चुकी होगी.

तो समझते हैं-
- CNN डिबेट में क्या होने वाला है?
- पिछले चुनाव की बहस में क्या-क्या हुआ था?
- और, इस बार की डिबेट में कौन-कौन से मुद्दे हावी होंगे?

पहले कुछ बेसिक

1. ये डिबेट अमरीका में चुनाव प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. यानी, ये संविधान या किसी क़ानून में नहीं लिखा है. पहला चुनाव 1788 में हुआ था. मगर पहली डिबेट 1960 में कराई गई.
2. प्रेसिडेंशियल डिबेट्स का असर चुनावी कैंपेन में पड़ता है. 2016 के प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे के मुताबिक़, 63 फीसदी वोटर्स ने माना कि डिबेट से राय बनाने में मदद मिलती है. जो वोटर्स दुविधा में रहते हैं, वे अपना मन बना पाते हैं. 
3. 27 जून वाली डिबेट केबल न्यूज़ नेटवर्क (CNN) आयोजित करवा रहा है. ये CNN के अटलांटा वाले स्टूडियो में होगी. CNN के जैक टैपर और डाना बैश इस डिबेट को होस्ट करेंगे. इस बार दो प्रेसिडेंशियल डिबेट होने वाली है. दूसरी डिबेट 10 सितंबर को ABC पर कराई जाएगी.

डिबेट के नियम 

- डिबेट 90 मिनट तक चलेगी. इस दौरान दो कॉमर्शियल ब्रेक्स होंगे.
- दोनों कैंडिडेट्स पूरे डिबेट के दौरान पोडियम पर खड़े रहेंगे. चर्चा थी कि बाइडन ने अपने लिए कुर्सी मांगी है. कहा गया कि वो लगातार डेढ़ घंटे तक खड़े नहीं रह पाएंगे. हालांकि, उनकी टीम ने इसका खंडन किया है. अगर कुर्सी वाली बात सच निकलती तो ट्रंप को बाइडन की बढ़ती उम्र को निशाना बनाने का बहाना मिल जाता. बाइडन कई मौकों पर स्टेज पर लड़खड़ा चुके हैं और बयानों में भी गफ़लत कर चुके हैं. इसको आधार बनाकर उनको बीमार और नाक़ाबिल साबित करने की कोशिश चल रही है.
अब अगले नियम की तरफ़ चलते हैं.
- ट्रंप और बाइडन, डिबेट के दौरान अपनी टीम से बात नहीं करेंगे. ब्रेक्स में भी नहीं.
- दोनों कैंडिडेट्स को एक कलम, एक पेपर पैड और एक पानी का बोतल मिलेगा. इसके अलावा, पहले से लिखे किसी नोट या टीपी (टेलीप्रॉम्पटर) की इजाज़त नहीं है.
- जब एक व्यक्ति बोल रहा होगा, उस वक़्त दूसरे का माइक म्यूट रखा जाएगा. पिछली डिबेट्स में माइक म्यूट नहीं होते थे. जिसके चलते बीच-बीच में ज़ुबानी जंग चलने लगती थी.
- डिबेट के दौरान स्टूडियो में कोई दर्शक नहीं होगा.

कोई तीसरा कैंडिडेट नहीं

अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में कुछ छोटी-मोटी पार्टियां अपने उम्मीदवार उतारती हैं. कुछ लोग निर्दलीय भी चुनाव लड़ते हैं. अमूमन वे किसी तरह का निर्णायक प्रभाव नहीं डाल पाते. CNN ने डिबेट के लिए चार अर्हताएं लगाईं थी.
- अमरीका का राष्ट्रपति बनने की योग्यता पूरा करता हो.
- चुनाव आयोग के पास औपचारिक तौर पर उम्मीदवारी दर्ज कराई हो.
- CNN के मानकों पर खरे उतरने वाले कम से कम चार पोल्स में 15 फीसदी से ज़्यादा वोट पाएं हो.
- और, इतने बैलेट्स पर नाम हो, जिससे कि वो चुनाव जीतने की रेस में हो.

CNN के मुताबिक़, ट्रंप और बाइडन के अलावा किसी और उम्मीदवार ने चारों अर्हताएं पूरी नहीं की.

कहां-कहां दिखाया जाएगा?

ये CNN के चैनल CNN International, CNN en Español और CNN Max पर दिखाया जाएगा. इसके अलावा Fox, NBC News, MSNBC और ABC न्यूज़ भी इस डिबेट को लाइव दिखाने वाले हैं. आप इस डिबेट को CNN की वेबसाइट पर भी देख सकते हैं. आमतौर पर प्रेसिडेंशियल डिबेट सितंबर या अक्टूबर के महीने में होती थी. जब कैंडिडेट्स अपना चुनावी कैंपेन शुरू कर चुके होते थे. पहली बार इतनी जल्दी डिबेट हो रही है.

डिबेट का इतिहास

अमरीका में प्रेसिडेंशियल डिबेट की शुरुआत 1960 में हुई थी. पहली डिबेट जॉन एफ. कैनेडी और रिचर्ड निक्सन के बीच हुई. इसे टीवी स्टूडियो से सीधे लाइव टेलीकास्ट किया गया था. उस समय सामने दर्शक नहीं हुआ करते थे. डिबेट का ऑडियो वर्ज़न रेडियो पर लाइव सुनाया गया था.

जॉन एफ. कैनेडी और रिचर्ड निक्सन (फोटो- विकीपीडिया/AP)
क्या हुआ था इस डिबेट में?

जानकार कहते हैं कि निक्सन उस डिबेट में बूढ़े और थके हुए दिख रहे थे. वहीं उनके बरक्स केनेडी ने चेहरे पर मेकअप लगाया हुआ था. इसका असर जनता पर पड़ा. निक्सन वो चुनाव हार गए.  निक्सन और केनेडी की डिबेट के अगले 16 साल तक अमेरिका में इस तरह की डिबेट नहीं हो पाई. अगली डिबेट हुई 1976 में. उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जेराल्ड फ़ोर्ड थे. वो निक्सन के इस्तीफ़े के बाद राष्ट्रपति बने थे. उन्हें निक्सन का बचा हुआ कार्यकाल पूरा करना था. इसलिए, जब 1976 में चुनाव का एलान हुआ, वो कमज़ोर स्थिति में थे. उन्होंने उस समय डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जिमी कार्टर को बहस के लिए चुनौती दी थी. जिमी कार्टर को अमरीका की जनता अच्छे से जानती नहीं थी. उन्हें इस डिबेट से एक्स्पोज़र मिला. इसके अलावा उनके प्रतिद्वंदी फ़ोर्ड, सोवियत यूनियन से जुड़े कुछ सवालों पर फ़म्बल भी कर गए थे. इसका फ़ायदा जिमी को मिला. आख़िर में वही चुनाव भी जीते.

 जेराल्ड फ़ोर्ड और जिमी कार्टर (फोटो- विकीमीडिया कॉमंस)

अगली प्रेसिडेंशियल डिबेट 1980 में हुई. जिमी कार्टर और रोनाल्ड रीगन के बीच. रीगन पेशे से एक एक्टर थे. उनके पास बोलने की सलाहियत थी. प्रेसिडेंशियल डिबेट में वे अपने प्रतिद्वंदियों पर भारी पड़े. इसका असर नतीजों पर भी दिखा. जनवरी 1981 में रीगन अमरीका के राष्ट्रपति बने.

 जिमी कार्टर और रोनाल्ड रीगन की डिबेट (फोटो-विकीमीडिया कॉमंस)

1992 में तीन उम्मीदवारों के बीच डिबेट हुई. जॉर्ज एच.डब्लू. बुश, बिल क्लिंटन और रॉस पेरोट. इस डिबेट की उपलब्धि ये रही कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के अलावा इस चुनाव में तीसरा उम्मीदवार भी चर्चा में था. रॉस पेरोट को डिबेट से ही पहचान मिली थी. वो चुनाव तो नहीं जीत पाए, मगर उन्हें 19 फीसदी वोट ज़रूर मिले.

फिर 2000 के साल में जॉर्ज डब्ल्यु बुश और अल गोर के बीच प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई. बुश अपने भाषणों में इधर-उधर बहक जाते थे. उस डिबेट में भी ऐसा हुआ. उनके विपक्षी अल गोर डिबेट में अधिक आक्रामक दिख रहे थे. लोगों को गोर की आक्रमकता पसंद नहीं आई. गोर ने कड़ी टक्कर दी. हालांकि, अंत में बुश राष्ट्रपति बने.

2020 की प्रेसिडेंशियल डिबेट्स की मुख्य बातें 

2020 में सेम सिचुएशन थी. एक चीज़ को छोड़कर. तब बाइडन और ट्रंप का रोल रिवर्स्ड था. ट्रंप राष्ट्रपति हुआ करते थे. जबकि बाइडन उनको चुनौती दे रहे थे. 2020 में दोनों के बीच तीन डिबेट्स होनी थीं. मगर कोविड की वजह से सिर्फ़ दो हो पाईं. तीसरी डिबेट को वर्चुअल मोड में कराने का प्लान था. लेकिन ट्रंप ने इससे मना कर दिया. 2020 की डिबेट में इमिग्रेशन, नस्लभेद और क्लाइमेट चेंज का मुद्दा सबसे मुखर रहा. इसके अलावा, ट्रंप के निजी हमलों ने भी ख़ूब सुर्खियां बटोरीं.

ये तो हुई 2020 वाली डिबेट की बात. अब ये समझते हैं इन डिबेट्स में हार-जीत कैसे तय होती है? मुख्यतौर पर इसके तीन पैमाने होते हैं.

  • न्यूज़ चैनल और एजेंसियां डिबेट के बाद ओपिनियन पोल कराती हैं, जिसमें दर्शकों की राय पूछी जाती है.
  • न्यूज चैनल और पॉलिटिकल एक्सपर्ट डिबेट के बाद राय देते हैं. वे उम्मीदवारों के जवाब और बॉडी लैंग्वेज देखकर अपनी राय बताते हैं. 
  • सोशल मीडिया भी हार-जीत का फैसला करने में मददगार होता है. यहां पर जनता के रिएक्शन से भी पता चलता है कि किसका पलड़ा भारी रहा.
CNN वाली डिबेट में कौन से मुद्दे हावी रह सकते हैं?

अर्थव्यवस्था, इमिग्रेशन, पब्लिक सेफ्टी, गाज़ा वॉर, रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान विवाद जैसे मुद्दे इस डिबेट में हावी हो सकते हैं. इसके अलावा, दोनों कैंडिडेट्स के ख़िलाफ़ हुई क़ानूनी कार्रवाई भी डिबेट का हिस्सा हो सकती हैं. सबसे ज़्यादा चर्चा दोनों कैंडिडेट्स की उम्र को लेकर है. जो बाइडन 81 और ट्रंप 78 साल के हैं. दोनों ही भाषणों के दौरान लाइन-लेंथ से भटकते दिखे हैं. ख़ास तौर पर बाइडन इस मामले में कच्चे साबित हुए हैं. इसलिए, दोनों पार्टियों के समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि डिबेट के दौरान उनके नेता गफ़लत ना करें. ऐसा नहीं है कि ज़्यादा उम्र का मुद्दा पहली बार अमेरिकी चुनाव में चर्चा का विषय बना हो. 1984 में भी ये मुद्दा गर्माया था. डिबेट का भी हिस्सा था. जब रोनाल्ड रीगन से ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपने जवाब से सबका दिल जीत लिया था. दरअसल, 1984 में रोनाल्ड रीगन की उम्र 73 थी. उनके ख़िलाफ़ 56 साल के वॉल्टर मोंडेल थे. होस्ट ने रीगन से पूछा कि क्या वे राष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारी ठीक से निभा पाएंगे? 

रीगन का जवाब था, मैं इस डिबेट में जीत हासिल करने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी की कम उम्र और अनुभवहीनता का फ़ायदा नहीं उठा सकता. इस जवाब से जनता हंसने लगी. ख़ूब सराहा भी गया. रीगन उस साल का चुनाव जीते भी.

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