बाल ठाकरे के दूसरे बेटे जयदेव ने तीसरे बेटे उद्धव के साथ हुए प्रॉपर्टी विवाद मेंये कहकर सबके होश उड़ा दिए कि मेरा और स्मिता ठाकरे का सो-कॉल्ड बेटा ऐश्वर्य मेरानहीं है. 2012 में बाल ठाकरे की मौत हुई थी. उसके बाद उनकी वसीयत सामने आई, जिसमेंजयदेव को कुछ नहीं मिला था. उद्धव को बहुत कुछ, जयदेव की एक्स-वाइफ स्मिता कोथोड़ा-बहुत और तीसरी पीढ़ी के बच्चों में केवल ऐश्वर्य को कुछ मिला था. तब जयदेव नेआरोप लगाया था कि मरते वक़्त बाल ठाकरे की मानसिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि सब कुछसही-सही बांट के जाएं. तब से कोर्ट में केस चल रहा है.एक वक़्त ठाकरे परिवार फ़िल्मी परिवार थाराज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की जंग के बारे में तो सबको पता है. राज बाल ठाकरे केछोटे भाई श्रीकांत के बेटे हैं. पर बाल ठाकरे के अपने परिवार में भी अदावत कम नहींहै. बिल्कुल किसी फ़िल्मी कहानी की तरह.पब्लिक में 'ठोकशाही' के लिए मशहूर बाल ठाकरे कभी भी अपने बच्चों को मारते नहीं थे.अपने तीनों बेटों बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव के लिए उनका प्यार जगजाहिर था. इतना कि1969 के मुंबई दंगों में जेल में रहने के बावजूद बाल ठाकरे वहीं से अपने तीनोंबच्चों को ख़त लिखते थे. तीनों को नाम भी दिया था: बिंदा, डिंगा, टिब्बा. तीनों नेउनको भी नाम दिया था: पिल्गा.परिवार में अदावत भी फ़िल्मी ही हैपर बाद में बाल ठाकरे के जयदेव के साथ रिलेशन खराब हो गए. बाल ठाकरे का झुकाव उद्धवकी तरफ बढ़ने लगा था. एक वक़्त ये भी आया कि बाल ठाकरे ने शिव सेना के अखबार 'सामना'में जयदेव के बारे में लिखा: That boy is a tragedy.बाल ठाकरे के साथ उद्धव और जयदेवहालांकि जयदेव ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा: बाल ठाकरे मुझे ही अपना उत्तराधिकारीबनाना चाहते थे. पर मुझे ही इंटरेस्ट नहीं था. मेरे बजाय मेरी एक्स-वाइफ स्मिता कोज्यादा इंटरेस्ट था. जयदेव ने आगे उद्धव पर आरोप लगाया कि उद्धव के कहने पर ही उसकानाम परिवार के राशन कार्ड से हटा दिया गया था. इस बाबत जो आदमी जयदेव के घर आया था,उनसे साइन लेने के लिए उसने कहा कि बाल ठाकरे ने भेजा है. बाद में जब जयदेव ने बालठाकरे से फोन कर पूछा तो उन्होंने कहा कि नहीं, मैंने नहीं भेजा है.फिर आगे ये भी कहा: 1973 में मैं पिता बाल ठाकरे के साथ उनकी मीटिंग्स में जायाकरता था. पर मुझे पॉलिटिक्स अच्छी ही नहीं लगती थी. क्योंकि पॉलिटिक्स में दिन मेंजिनको गाली देते हैं, रात में उन्हीं के साथ डिनर करते हैं. मेरे पापा भी अपनेविरोधियों के साथ अच्छे सम्बन्ध रखते थे. अपने भाषण में उनकी धज्जियां उड़ाते थे. परपॉलिटिक्स है ही ऐसी चीज. दोस्तों को भी नहीं छोड़ा जाता है. उनसे भी कड़वा होना पड़ताहै. जो भी हो 1995 में मेरी मम्मी की मौत के बाद स्मिता का झुकाव राजनीति की तरफज्यादा होने लगा. मैंने उससे कहा कि तुम हमारे बेटे राहुल की केयर नहीं कर रही हो.इस बात पर मतभेद इतने बढ़ गए कि मैं जा के कलिना वाले फ्लैट में रहने लगा.जयदेव ने ये भी कहा: बिंदुमाधव की मौत के बाद मां चाहती थी कि पूरा परिवार एक साथरहे. इसलिए पापा के बनवाये मकान मातोश्री को फिर से बनवाना चाहती थीं. मैंने भीउसमें काफी पैसे लगाए थे. 2003 के बाद परिवार में उद्धव का प्रभाव ज्यादा बढ़ने लगा.झंझट बहुत ही पुराना है!कहते हैं कि जयदेव का बाल ठाकरे के साथ झंझट 1990 के आस-पास शुरू हो गया था. जबजयदेव ने अपनी पहली पत्नी जयश्री से अलगाव कर लिया. उनका एक बेटा भी था. इस बात सेठाकरे परिवार काफी दुखी था. दुख और भी बढ़ गया जब जयदेव अपनी दूसरी पत्नी स्मिता सेभी अलग हो गए. पापा का घर 'मातोश्री' छोड़ दिया. पर स्मिता बाल ठाकरे के घर में हीरहती थीं. अब जयदेव अपनी तीसरी पत्नी अनुराधा के साथ रहते हैं. उनकी एक बेटी माधुरीहै.एक बार जयदेव बीमार पड़े थे, तब बाल ठाकरे उनसे मिलने भी गए थे. बाद में उनके घर भीगए. वहां जयदेव के स्मोकिंग पाइप्स के कलेक्शन का उद्घाटन भी किया. वहां दोनों नेहंसी-मजाक भी किया था. नेहरू की तस्वीर की तरफ इशारा कर जयदेव ने कहा: ये चालू आदमीथा. बाल ठाकरे ने अपनी तस्वीर दिखाकर कहा: इस आदमी के बारे में क्या ख्याल है? तबजयदेव ने कहा: नहीं. इस आदमी के चलते मराठी लोगों का चूल्हा जल रहा है.साल भर पहले राजनीति के सवाल पर जयदेव ने कहा: 'डर्टी पॉलिटिक्स करने से बढ़िया मैंडर्टी पिक्चर देख लूं.' जयदेव सुनील शेट्टी की फिल्म 'सपूत' प्रोड्यूस भी कर चुकेहैं. वहीं स्मिता ने कई फिल्मों के प्रोडक्शन में हाथ आजमाया है. इनमें 'हसीना मानजाएगी' और 'सैंडविच' जैसी फ़िल्में हैं.जब राज ठाकरे ने परिवार में बाल ठाकरे को रिप्लेस कर दियाठाकरे परिवार की राजनीति का एक और पहलू है. 2011 में 'मातोश्री' के पास में ठाकरेखानदान के दो बच्चों की शादी हुई. पर उस शादी के होस्ट दादा बाल ठाकरे नहीं बल्किचाचा राज ठाकरे थे. एक तरफ बिंदुमाधव की बेटी नेहा की शादी थी. बिंदुमाधव की 1996में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो चुकी थी. राज ने ही कन्यादान किया था. शादी केकार्ड पर भी राज का ही नाम था.कहते हैं कि 1996 के उस एक्सीडेंट में गाड़ी में बिंदुमाधव के अलावा उनकी पत्नी औरबेटी दोनों मौजूद थे. बिंदु के मरने के बाद माधवी ने बैग पैक किए और ठाकरे का घरछोड़ दिया. ये अफवाह उड़ी थी कि एक्सीडेंट पूरी तरह से एक्सीडेंट नहीं था. इसके अलावाएक और अफवाह थी. एक एक्ट्रेस को लेकर बिंदु एकदम पागल थे. इस बात पर नाना पाटेकर औरबाल ठाकरे के रिश्ते खराब हो गए थे. सबने बिंदु के परिवार को छोड़ दिया था. सिर्फराज उनके साथ खड़े रहे. फिर जयदेव की पहली पत्नी से हुए बेटे जयदीप की शादी में भीराज ही कर्ता-धर्ता थे. अपनी शादी टूटने के बाद जयदेव की पत्नी पूरे ठाकरे परिवारसे नाराज थीं. सिर्फ राज उनके साथ खड़े रहे.परिवारों की लड़ाई हमेशा ही आश्चर्यचकित कर देती है. चाहे हो किसी भी समाज में हो.उनकी परतें खुलने लगती हैं तो यही पता चलता है कि बड़े से बड़ा और ताकतवर से ताकतवरइंसान अपने परिवार में एक अदना और मजबूर व्यक्ति होता है. परिवारों की लड़ाई कोसिर्फ लड़ने वाले ही सुलझा सकते हैं. किसी और को तो समझ ही नहीं आएगा. क्योंकि प्यारऔर नफरत की बातें रहती हैं. उसमें कानून के दांव-पेच तुरंत सब नहीं सुलझा पाते हैं.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:क्या हुआ जब बाल ठाकरे के हाथ में मुंबई का रिमोट आया''हिंदुओं ने दिखा दिया. अब वो मारते हैं, मरते नहीं''एक आवाज उठती है: बाला साहेब… लाखों चिल्लाते हैं: अमर रहेंबाल ठाकरे के आने के बाद सबकी हेयर स्टाइल बदल गई‘आर्मी मेरे हवाले कर दो, मैं देश को एक महीने में ठीक कर दूंगा’