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मजाक उड़ा तो नाराज हो गए सभापति जगदीप धनखड़, राहुल गांधी के लिए क्या बोल दिया?

देश की संसद से सांसद एक के बाद एक करके निलंबित हो रहे हैं. एक ही सत्र में 141 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया. लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के सभापति का ये कदम कितना लोकतान्त्रिक है? इस पर किस किस्म की बहस हो रही है?

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संसद के बहार उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करते कल्याण बनर्जी (बाएं) इस घटना पर गुस्सा होते उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (दाएं)
19 दिसंबर 2023 (Updated: 19 दिसंबर 2023, 23:52 IST)
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राज्यसभा के सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल उतार रहे थे. वो इस वीडियो में जगदीप धनखड़ की रीढ़ की हड्डी की बात कर रहे थे. वो राज्यसभा के सभापति की लोकतांत्रिकता और उनकी मजबूती पर चुटकुले सुना रहे थे. सामने खड़े राहुल गांधी अपने फोन से धनखड़ की इस मिमिक्री का वीडियो भी बना रहे थे. मनोज झा और केसी वेणुगोपाल समेत वहां मौजूद सारे सांसद एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का मज़ाक उड़ता देख हंस रहे थे.

सांसदों के इस व्यवहार के अपने बहाने हैं. वो कह रहे हैं कि देश की संसद में लोकतंत्र का हनन किया जा रहा है. दरअसल 18 दिसंबर को लोकसभा से 45 और राज्यसभा से 33 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. इसके पहले 14 दिसंबर को लोकसभा से 13 और राज्यसभा से 1 सांसद को निलंबित किया गया था. इन दो तारीखों पर हुए निलंबन की संख्या मिलाकर हो गई थी 92. सभी सांसद विपक्ष के.

क्यों निलंबन हुआ? क्योंकि सदन में ये सारे सदस्य 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा चूक पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की सफाई मांग रहे थे. फिर कैलेंडर में लगी 19 दिसंबर की तारीख. संसद में विपक्ष ने विरोध शुरू किया. गांधी प्रतिमा के नीचे सांसदों ने बैठकर नारेबाजी की. सदन के अंदर भी ये हुआ तो तुरंत हाउस स्थगित करने का आदेश आ गया. साथ ही एक बार फिर आदेश आया निलंबन का. और लोकसभा से कुल 49 सांसद बाहर कर दिए गए. फारूक अब्दुल्ला, शशि थरूर, मनीष तिवारी, डिम्पल यादव, कार्ति चिदंबरम, सुप्रिया सुले समेत 49 सांसदों के नाम आप स्क्रीन पर देख सकते हैं.

और ऐसे संसद के दोनों सदनों से एक ही सत्र में निकाले गए सांसदों का नया रिकार्ड स्थापित हुआ. ये रिकार्ड था 141 का. जी हां. देश की संसद से विपक्ष के 141 सांसद एक सांस में सस्पेन्ड कर दिए गए. इन पर आरोप कि इन्होंने सदन की कार्रवाई में अव्यवस्था पैदा की.

गणित समझिए. लोकसभा में विपक्ष के कुल 133 सदस्य हैं और अब तक 94 सस्पेंड हो गए हैं. इसी तरह, राज्यसभा में विपक्ष के कुल 95 सदस्य हैं और अब तक 46 सस्पेंड हो गए हैं. अब तक कुल 228 (दोनों सदनों के सदस्य) में से 141 सांसदों पर एक्शन हुआ है. इस तरह अब दोनों सदनों में विपक्ष के 87 सांसद ही बचे रह गए.
इस पर एक बंद कमरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई. दरअसल आज ही के दिन भाजपा ने अपने संसदीय दल की बैठक भी बुलाई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा -

"विपक्ष के जो पैंतरे हैं, वो ये भरोसा दिलाते हैं कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी संख्या और कम हो जाएगी. जब वो अगली लोकसभा में आएंगे, तो उनकी संख्या अभी की स्ट्रेंथ से भी हो हो जाएगी. संविधान ने हमें ताकत दी है कि हम यहां तक पहुंचे और काम करें. लोगों ने हमारा साथ दिया है. विपक्ष का एजेंडा है कि वो संविधान और संसदीय कार्यप्रणाली का अपमान करें. ये दुखद है. विपक्ष मर्यादा की सीमारेखा लांघकर संसद में घुसे उन लड़कों से बड़ी गलती कर रहा है. हम देश बनाने की सोच रहे हैं, वे सरकार उखाड़ने की सोच रहे हैं."

राज्यसभा के सभापति की मिमिक्री का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल है. ये वीडियो उस समय का था, जब आज संसद के दोनों सदनों की कार्रवाई स्थगित कर दी गई थी. सेशन रिज्यूम हुआ. और आई जगदीप धनखड़ की प्रतिक्रिया. वो सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर अपनी मिमिक्री देख चुके थे, बुरा मान चुके थे.

धनखड़ को आपने सुना. वो Ridiculous, Shameful, Unacceptable जैसी उपमाओं का इस्तेमाल कर रहे थे. धनखड़ ने गलत नहीं कहा था. मिमिक्री और अपमान में फर्क होता है. TMC सांसद कल्याण बनर्जी को ये फर्क समझना चाहिए था. साथ ही उन सभी लोगों को भी जो इस निर्लज्ज से प्रहसन पर हंस रहे थे.

लेकिन आप सभापति धनखड़ का ये वीडियो ध्यान से देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि संसद के अंदर की स्थिति क्या थी? राज्यसभा में सभापति के लेफ्ट हैंड की ओर सत्ता विपक्ष की बेंच होती है, वो लगभग खाली थी. चलती बहस में सांसद सभापति पर आरोप लगा रहे थे कि वो उनकी बात नहीं सुन रहे थे.

अब लोकसभा के आखिरी सत्र को खत्म होने में तीन दिन शेष हैं. और लगभग दो तिहाई विपक्षी सांसद सदन के बाहर रहेंगे. इसके बाद आएगा अंतरिम बजट सत्र. फिर होंगे लोकसभा चुनाव.

अब आपको बता देते हैं नियम कि किन नियमों के तहत सभापति या स्पीकर संसद सदस्यों को बाहर कर सकते हैं. संसद के दोनों सदनों के दो पीठासीन अधिकारी होते है. लोकसभा में होते हैं स्पीकर. और राज्यसभा में होते हैं सभापति. जिसकी कुर्सी पर भारत के उपराष्ट्रपति बैठते हैं. अपने-अपने सदनों के सांसदों को निलंबित करने का अधिकार इन दो अधिकारियों के पास होता है. लोकसभा में स्पीकर सांसदों को सस्पेन्ड करने के लिए प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियम की नियम संख्या  373, 374, और 374A का उपयोग करते हैं. क्या हैं ये नियम?

नियम 373 - यदि किसी सदस्य का व्यवहार अव्यवस्थापूर्ण है, तो अध्यक्ष उस सदस्य को तत्काल सभा से बाहर चले जाने का आदेश दे सकेंगे.
नियम 374  - यदि सदस्य फिर भी नहीं मानते हैं, तो अध्यक्ष उस सदस्य का नाम ले सकेंगे, जिसका बर्ताव अव्यवस्थापूर्ण है.
नियम 374A - अगर 373 और 374 का पालन करते हुए अध्यक्ष यदि किसी सदस्य का नाम ले लेते हैं, तो वो सदस्य सदन ने स्वतः ही सस्पेन्ड हो जाएगा. या तो पांच दिन के लिए, या तो शेष सत्र के लिए.

अब बात करते हैं राज्यसभा की. यहां सभापति अपनी नियमावली की नियम संख्याओं 255 और 256 का उपयोग करते हैं. ये दोनों नियम लोकसभा के 373 और 374 की तरह ही हैं. लेकिन राज्यसभा में लोकसभा की तर्ज पर निलंबन नहीं होता है.

तो राज्यसभा में निलंबन के लिए क्या नियम है?

अगर कोई सदस्य राज्यसभा के नियम 255 और  256 का उल्लंघन करता है, तो सदन में मौजूद कोई अन्य सदस्य उक्त सदस्य को निलंबित करने के लिए मोशन पास कर सकता है. सदन इस मोशन को वोटिंग से स्वीकार करेगा. और स्वीकार करने के बाद सदस्य को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

निलंबन के बाद भी सांसद बाहर चले जाते हैं. अगर वो न जाएं, तो संसद में मौजूद पार्लियामेंट सेक्योरिटी सर्विस के मार्शल उन्हें बाहर कर सकते हैं. अगर सदस्य अंदर रहे तो भी कोई लाभ नहीं क्योंकि सांसदों की हाजिरी लगनी बंद हो जाती है. हाजिरी बंद हो गई तो न उनके बोलने की बारी आएगी, न तो वो सदन में कोई बिल या मोशन दे सकते हैं, न ही वो किसी वोटिंग में हिस्सा ले सकेंगे. ऐसे समझिए कि एक सेमेस्टर के लिए किसी स्टूडेंट का नाम हाजिरी वाले रजिस्टर से काट दिया गया हो.

अब सवाल ये है कि कितने समय तक के लिए सांसदों को सस्पेन्ड किया जा सकता है?

इसकी अधिकतम सीमा एक सत्र तक के लिए ही है. हालांकि सत्र के बीच में भी सांसदों का निलंबन वापिस लिया जा सकता है. लेकिन इसके लिए सदन में मौजूद किसी सांसद को फिर से के मोशन लाना होगा, जिस पर वोटिंग के बाद सदस्यों का निलंबन वापिस लिया जा सकता है.

लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब संसद से इतनी बड़ी संख्या में सांसदों को बाहर निकाला गया हो. मौजूदा सरकार के पहले ये कीर्तिमान स्थापित हुआ था राजीव गांधी की सरकार में. तब 15 मार्च 1989 को  विपक्ष के 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. इस कहानी पर बाद में आएंगे. पहले एक और पुरानी कहानी जान लेते हैं. संसद से पहले निलंबन की कहानी.

ये निलंबन हुआ था गोदे मुरहारी का. वो यूपी से आने वाले निर्दलीय राज्यसभा सांसद थे. मुरहारी को 3 सितंबर 1962 को शेष मानसून सत्र के लिए निलंबित किया गया था. जैसे ही सभापति ने मुरहारी को निलंबित करने का आदेश पास किया, मुरहारी ने संसद से बाहर जाने से मना कर दिया. तब उन्हें मार्शल घसीटकर बाहर ले गए थे.

अब आते हैं वापिस राजीव गांधी की सरकार वाली घटना पर. साल 1989. लोकसभा अध्यक्ष थे बलराम जाखड़. 400 से ज्यादा सांसदों के साथ कांग्रेस सरकार के पास भारी बहुमत था. 15 मार्च तारीख थी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के जांच के लिए बने जस्टिस ठक्कर आयोग की रिपोर्ट लोकसभा में पेश की गई थी. इस आयोग का गठन 1984 में इंदिरा की हत्या के बाद ही हुआ था. आयोग की रिपोर्ट में इंदिरा गांधी के निजी सहायक रहे आरके धवन की भूमिका के बारे में टिप्पणी की गई थी. धवन उस समय राजीव गांधी के साथ थे और विपक्ष उनकी भूमिका की जांच की मांग करने लगा. भारी हंगामे के बाद विपक्ष के पहले 58 सांसदों को निलंबित किया गया. इनमें वीपी सिंह, वीसी शुक्ला, आरिफ मोहम्मद खान, इंद्रजीत गुप्ता, गीता मुखर्जी, जयपाल रेड्डी, डी बी पाटिल जैसे सांसद भी थे.

इसके बाद पांच और सांसदों को सस्पेंड किया गया. सोमनाथ चटर्जी, सैफुद्दीन चौधरी, केपी उन्नीकृष्णन जैसे नेता. इनके निलंबन के लिए अलग से प्रस्ताव लाया गया. कुल 63 सांसदों को सत्र के बाकी तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था. हालांकि अगले ही दिन सांसदों ने स्पीकर से माफी मांग ली थी, जिसके बाद उनका निलंबन वापस ले लिया गया. साल 2015 में जब कांग्रेस अपने सांसदों के निलंबन पर प्रोटेस्ट कर रही थी, तब तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कांग्रेस को वही एपिसोड याद दिलाया. नायडू ने कहा था कि अगर कांग्रेस 25 सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र के लिए काला दिन बता रही है तो बेंचमार्क और रिकॉर्ड किसने सेट किया था.

पिछली तीन लोकसभा कार्यकालों के बात करें तो दोनों सदनों से सदस्यों के निलंबन का ट्रेंड कुछ ऐसा रहा -

2009 - 2014 - 36 सांसद
2014 - 2019 - 81 सांसद
2019 - अब तक- 149 सांसद

और ये निलंबन की सारी कार्रवाई होती है हंगामे के कारण. और ऐसा नहीं है कि संसद में हंगामा कोई नई चीज है. यूपीए के दौरान बीजेपी और दूसरी पार्टियों पर यही इल्जाम लगते थे. PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि साल 2009 में लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 93 फीसदी थी, जो 2013 में 46 परसेंट पर पहुंच गई. महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों पर बीजेपी ने संसद में खूब हंगामा किया था.

इस हंगामे में किसी न किसी मौके पर सत्ता पक्ष भी शामिल होता है. साल 2023 में ही बजट सत्र के दौरान बीजेपी ने राहुल गांधी से माफी मांगने के लिए प्रदर्शन किया था. दरअसल राहुल गांधी ने लंदन में कह दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत भारत में लोकतंत्र खतरे में है. इसी पर बीजेपी ने उन्हें घेर लिया. विदेशी धरती पर भारत के अपमान का आरोप लगाया और संसद के भीतर कई दिनों तक माफी की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था.
और आज जो हो रहा है, वो हम देख ही रहे हैं.

उम्मीद है कि देश के सांसदों को, सांसद चलाने वालों को इस बात का भान जल्द हो कि देश का नागरिक उन्हें कितनी उम्मीद के साथ देखता है. साथ ही उन्हें कई मौकों पर उदाहरण की तरह रखता है. 

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