आज एक खबर आई है. जिसमें एक औरत को जींस पहनने की वजह से स्लट कहा गया. इस खबर कोआप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. इस मौके पर हम आपको कुछ और भी पढ़वाना चाहते हैं,जिसे डेलीओ के लिए कमलेश सिंह ने लिखा था.--------------------------------------------------------------------------------घर से बमुश्किल आधा किलोमीटर दूर बने उस बस स्टॉप तक जाने में उसे कभी भी डर नहींलगा. जहां तक उसे याद है, वो हमेशा उसी रास्ते से गुजरी. उसकी स्कूल बस वहीं आती थीऔर दोपहर में जब बस उसे स्टॉप पर छोड़ती थी, तब वो उसी रास्ते से घर वापस आती थी.स्टॉप पर मां उसका इंतजार करती थी. जब कभी मां को जरूरत पड़ी या मां शॉपिंग करनेगई, तब दोनों उसी रास्ते से साथ जाते थे.कई बार ऐसा भी हुआ जब उसे अकेले जाना पड़ा. खासकर तब जब बस उसकी कॉलोनी में वक्त सेपहले पहुंच जाती थी. स्कूल के बाद कॉलेज शुरू हुआ और फिर नई नौकरी. वो रात को 9-10बजे से पहले वापस नहीं आ पाती थी. कई बार आधी रात भी हो जाती थी. उसके छोटे से शहरमें तो लोग 9 बजे ही बिस्तरों में दुबक जाते हैं. मिडल क्लास वाले मोहल्ले में ऐसेही होता है. दूरदर्शन पर न्यूज खत्म होने का मतलब होता है कि लाइट बंद कर दो. सोनेका वक्त हो गया. कई बार लाइन में फॉल्ट होने की वजह से सड़कों पर लगी लाइटें भीआंखें मूंद लेती थीं. लेकिन इन सबसे कभी कोई फर्क नहीं पड़ा. एक बजती धुन की तरह वोसीधे घर के दरवाजे पर रुकती थी. वो उस सड़क की हर ईंट पहचानती थी. हर ईंट.कल की रात भी दूसरी रातों जैसी ही थी. उसने 9 बजे तक काम खत्म कर लिया और साढ़े नौतक वो कॉलोनी के बस स्टॉप पर थी. वो चंद कदम ही आगे बढ़ी होगी, तभी पीछे से एक बाइकआकर उसके पास रुकी. पिछली सीट पर बैठा बंदा जल्दी से उतरा और उसका हाथ पकड़कर जोरसे उसका मुंह दबा दिया. दूसरे लड़के ने बाइक खड़ी की और अपने साथी के साथ उसे पार्ककी दीवार के पास उगी झाड़ी के पास खींच ले गया.लड़की की पीठ दीवार से सटी थी और सामने दोनों लड़के थे. वो हक्काना सा लड़का अपनेहाथ से उसका चेहरा दबा रहा था और दूसरा उसकी कमर में फंदा डाल चुका था. वैसे उसकीहाइट 5.2 फुट थी और वो झगड़ सकती थी. मगर उस पल उसे लगा कि वो कुछ नहीं कर सकती.उसके दिमाग में कोई जोर से चिल्लाया... रेप.उन दोनों लड़कों को उसके ऊपरी हिस्से में कोई दिलचस्पी नहीं थी. उन्होंने जींस कीबटन खोल दी, जहां उनका निशाना था. वो हार मान चुकी थी. वो इतनी बेबस थी कि उसनेअपना सिर एक झटके से दीवार पर दे मारा. एक अनजान शख्स उसका हाथ जकड़े हुए था, जोउससे कहीं ज्यादा ताकतवर था. वो बचने की कोशिश कर रही थी. उसकी एक नस खिंच रही थी.उसकी बचने की कोशिश का कोई फायदा नहीं हो रहा था.लेकिन वो कमीने अब तक लगे हुए थे. दोनों लड़की के जिस्म को ढंकने वाले एक बेजानकपड़े से जूझ रहे थे. वो टाइट-फिट माइल्ड-टेपर्ड जींस... कमबख्त उतर ही नहीं रहीथी. तभी एक मजबूत हाथ पीठ की तरफ से जींस में घुसा. उस हट्टे-कट्टे लड़के ने कोशिशकी कि जींस फाड़ दे, लेकिन जींस उस समय शायद दीवार से भी ज्यादा मजबूत थी. ऐसा लगाजैसे इस जींस को कभी कुछ नहीं होगा. तभी दूर कहीं से इंजन की आवाज आने लगी.हड़बड़ाए हुए दोनों लड़कों ने अपनी पूरी ताकत उसके चेहरे और टांगों पर झोंक दी.लड़की के मुंह से जरा सी भी आवाज नहीं निकल पाई. जीप गुजर गई.तभी उनमें से एक लड़के ने दूसरे से कहा कि बाइक सड़क के किनारे लगा दो. बाइक दिखनेकी वजह से वो लड़की को छोड़कर भाग नहीं सकते थे. कपड़े के साथ हो रही इस लड़ाई मेंदोनों ने अपनी मां के पिए दूध का खूब इस्तेमाल किया. इतनी ताकत लगाने के बाद भीजींस कमर से जरा सी नीचे खिसक गई थी. बस. इससे उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा. उसके अंदरजरा भी ताकत नहीं बची थी कि वो अपना बचाव करे, लेकिन दोनों लड़के एक धक्का और देनाचाहते थे. दोनों पंजाबी में फुसफुसाकर बातें कर रहे थे, जो लड़की को जरा भी समझनहीं आ रही थीं.इस सबसे वो बड़ा सा लड़का बौखलाहट से भर गया. उसने लड़की के मुंह से अपना हाथ हटायाऔर एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके चेहरे पर रसीद कर दिया. उस लड़के के ठंडे, मजबूत हाथऔर अपने दांतों के बीच उसका होंठ एकदम पिस गया. आखिरकार दोनों हार मानकर चल दिए.वो वहीं बैठ गई. या शायद उसने अपनी पीठ को दीवार के सहारे फिसलने दिया और खुद कोवहीं गिरा दिया. बाइक का इंजन चीखा, लेकिन अभी कुछ बाकी था. पिछली सीट पर बैठा बंदाएक बार फिर बाइक से उतरकर लड़की के पास आया और लड़की की टांग पर लात मारते हुएबोला, 'बहन*द'. जब वो यामाहा R15 वहां से जाने लगी, तो यही शब्द एक बार फिर उसकेकानों में पड़ा, 'बहन*द जींस'. दूर खत्म होती रोशनी के पार जाते ही इंजन की आवाज भीखो गई. वो भागकर अपनी मां के पास पहुंच जाना चाहती थी, लेकिन नहीं... वो बैठी रही.वहां बैठे हुए एक-एक पल उसे लंबी जिंदगी सा महसूस हो रहा था. उसे कुछ सुनाई नहीं देरहा था.जैसे ही वो उस नींद से निकली, तेज रफ्तार में एक बाइक उसके पास से गुजर गई. उसकादिल छाती से बाहर निकल आना चाहता था. वो एक झटके से खड़ी हुई और अपना बैग खोजनेलगी. बैग मिलते ही उसने उसे छाती से सटा लिया. पहले कुछ कदम उसने बड़ा सकुचाते हुएबढ़ाए. लेकिन घर के नजदीक पहुंचते ही उसने रोज वाले हावभाव ओढ़ लिए. जैसे वो कोई आमदिन बिताकर घर आई हो.मम्मी-पापा बरामदे में बैठे थे. उसे देखते ही बोले, 'आ गए बेटा.' वो उनसे बिना कुछकहे अंदर चली गई. कमरे में जाते ही उसने पर्स बेड पर फेंक दिया और चप्पल उतारकरसीधे बाथरूम में चली गई. नल खोला और चेहरे पर पानी मारने लगी. अक्टूबर का महीना था.पानी ठंडा था. उसे महसूस भी नहीं हो रहा था कि वो रो रही है या नहीं. उसे याद हीनहीं आया कि वो कब रोने लगी थी या ये सिर्फ पानी था, जो बहा जा रहा था. वो लगातारचेहरे पर पानी मारती जा रही थी, तभी दरवाजे से आवाज आई:'तुम ठीक हो बेटा?' 'हां मां.'अनजाने में वो कपड़े पहने ही नहाने लगी थी. ध्यान आते ही उसने टॉप और ब्रा उतारकरजमीन पर ही फेंक दिए. रोज की तरह. घर आकर वो सबसे पहली यही काम करती थी. अभी तकउसने खरोचों, कट और सूजे हुए सिर पर ध्यान नहीं दिया था. उसे दर्द महसूस हो रहा था,लेकिन वो उस पर ध्यान ही नहीं दे रही थी. तभी उसने देखा उसकी जींस की बटन और चेन अबभी खुले हुई हैं. वो जमीन पर बैठकर पैरों की तरफ से जींस निकालने लगी. जींस गीलीथी. निकल ही नहीं रही थी. लग रहा था जैसे किसी ने जींस को खाल से चिपका दिया हो.टाइट-फिट माइल्ड-टेपर्ड जींस. 'फक! डैम! गर्रर्रर्र...' ये भुनभुनाते हुए वो पूरीताकत से उस कपड़े को निकालकर दूर फेंक देना चाहती थी. रुक-रुककर उसने कई बार येकोशिश की. न जाने कितनी देर तक ये चलता रहा.लेकिन अचानक... अचानक उसके भिंचे हुए दांत मुस्कुराहट में बदल गए और वो बोली,'बहन*द जींस!'--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ो:सारे घोंचू आज 'रेप' और 'सेक्स' का फर्क समझ लेंजज ने रेप हुई लड़की से कहा, 'कोई बात नहीं, सेक्स में दर्द होता है'ये तस्वीर देखकर आपको 146 बार उल्टी क्यों हुई?तो संदीप की पत्नी इनके लिए मटर-पनीर है!इस पाकिस्तानी ब्यूटीशियन को मार डालना काफी नहीं था, इसलिए रेप कर दिया