हिंदुस्तान के इतिहास की रूह में एक नाम बसता है. अपने वक्त में गुमनाम गलियों मेंपैदा हुआ वो नाम देश की सबसे बड़ी मुगलिया सल्तनत की चौधराहट पर छप गया था. फिर वोनाम गुमनाम हो गया. कहते हैं कि जलालुद्दीन अकबर ने उसे आगरे की किसी दीवार मेंचुनवा दिया था. पर अकबर एक चीज भूल गए थे. वो इश्क की रंगत में सराबोर नाम था.चुनवा देने से उसकी खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी में मिल हर जगह पहुंच गई. अनारकली.जिसकी जिंदगी एक तिलिस्म की तरह थी. कहां शुरू हुई, कहां खत्म कोई नहीं जानता. परदीन-ए-इलाही मानने वाले बादशाह से ये उम्मीद नहीं थी. बादशाह ने भी कुछ तिलिस्मछोड़ रखा था.पाकिस्तान के पंजाब सिविल सेक्रेटरिएट के पास एक ताजमहल के रंग का मकबरा है. इसेअनारकली का मकबरा कहा जाता है. क्या बादशाह को नाचीज की मुहब्बत के आगे झुकना पड़ाथा? कुछ तो कहते हैं कि बादशाह ही अनारकली से प्रेम कर बैठा था.अनारकली को इतिहासकारों ने अपने मन से खंगाला है. सस्पेंस, थ्रिलर, तिलिस्म, सांसोंमें भरा इश्क, जुनून हर उस चीज से अनारकली को नवाजा गया है, जिससे जिंदगी कीकहानियां बनती हैं. हिंदुस्तान भी काबिलों का देश है. हर तरह से रिसर्च की गई है.हर एंगल खंगाला गया है. तो हर तरह की कहानियां भी बनी हैं. कमाल ये है कि अनारकलीके बारे में हर कोई अपनी ही कहानी को मुकम्मल मानता है-1. अनारकली का नाम नादिरा बेगम हुआ करता था. शर्फुन्निसा भी कहा जाता था. ईरान सेआई थीं. व्यापारियों के कारवां में लाहौर तक. पर खूबसूरती इतनी थी कि वहीं से हल्लाहो गया. उस वक्त बादशाहों को किसी चीज का डर नहीं रहता था. इज्जत का भी. क्योंकिजनता के मन में इज्जत की जगह डर से काम चल जाता था. तो अकबर बादशाह के दरबार मेंनादिरा को तलब किया गया. और वहां उसे अनारकली नाम मिला.अब्दुर रहमान चुगताई की पेंटिंग2. अगर ये कहें कि अनारकली सिर्फ भारत की दंतकथाओं में विराजती है तो गलत होगा. पाकअखबार डॉन के हवाले से ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच 1608 से 1611 तक लाहौर में रहेथे. फिंच के मुताबिक अनारकली अकबर की कई पत्नियों में से एक पत्नी थी. जिससे अकबरको बेटा भी था. दानियाल शाह. बाद में अनारकली के जहांगीर से इश्क की अफवाह उड़ी.जहांगीर अकबर का बेटा था जोधाबाई से. अकबर ने इस बात पर खफा होकर अनारकली को लाहौरकिले की दीवारों में चुनवा दिया. बाद में जहांगीर ने उसी जगह एक खूबसूरत मकबराबनवाया.पाकिस्तान में अनारकली का मकबरा3. नूर अहमद चिश्ती ने अपनी किताब तहकीकात-ए-चिश्तिया में लिखा है कि अकबर केअनारकली से बेपनाह मुहब्बत होने की वजह से बाकी रानियां चिढ़ गई थीं. इसीलिए जबअकबर डेक्कन गया तो उसके खिलाफ षड़यंत्र होने लगा. वो बीमार पड़ी और मर गई. उसकीबांदियों ने सुसाइड कर लिया. क्योंकि अकबर की मुहब्बत का डर था.मुगलों के हरम की पेंटिंग4. सैयद अब्दुल लतीफ ने अपनी किताब तारीख-ए-लाहौर में लिखा है कि जहांगीर से इश्कके चलते ही अनारकली की जान गई. वो अकबर की बीवी थी. जहांगीर ने उसकी कब्र परलिखवाया कि अगर मैं अपनी महबूबा को एक बार भी पकड़ सकता तो अल्लाह का शुक्रियाकरता. कयामत तक. उस कब्र पर 1599 और 1615 साल की तारीखें हैं. कहते हैं कि मरने औरकब्र के पूरे होने की तारीखें हैं.5. कन्हैया लाल ने अपनी किताब तारीख-ए-लाहौर में लिखा है कि अनारकली की बीमारी सेही मौत हुई थी. बाद में अकबर ने मकबरा बनवाया. सिख राजाओं ने उसे तोड़वा दिया.अंग्रेजों ने चर्च बनवा दिया उसका.6. अनारकली की कहानी को अमर बनाया इम्तियाज अली ताज के नाटक ने. और उसे लोकगीत बनादिया के आसिफ की फिल्म मुगल-ए-आजम ने. फिल्म की कहानी ही सबसे पॉपुलर कहानी है.इसका गाना प्यार किया तो डरना क्या मुगल बादशाह के सामने अनारकली की निडरता काप्रतीक बन गया. कहते हैं कि जब जहांगीर 14 साल तक घर से बाहर रहने के बाद वापस आयातो उसके सम्मान में मुजरा कराया गया. उसी मुजरे में ईरान से आई अनारकली थी. सलीमउसे दिल दे बैठा. और अकबर ने दिमाग. अनारकली को चुनवा दिया गया दीवार में. परइंडियन दर्शक उस वक्त ये अंत बर्दाश्त नहीं कर सकते थे. इसीलिए फिल्म में अकबरअनारकली को गुप्त रास्ते से बाहर भेज देता है.7. एक दूर की कहानी ये भी है. कि सलीम ने अनारकली से बाद में निकाह कर लिया था. औरउसे नाम दिया नूरजहां. नूरजहां भी ईरान के मिर्जा गयास बेग की बेटी थी. नूरजहां काजहांगीर के दिमाग पर पूरा काबू था.8. इन सबमें सबसे खतरनाक वो कहानी है जिसमें अकबर ने अपनी बीवी अनारकली को पर्दे केपीछे से सलीम को देख मुस्कुराता हुआ देखा था. और इसी बात पर उसे दीवार में दफन करदिया.जो भी हो, अनारकली का नाम इतिहास में दफन है और उसकी रूह अभी भी जिंदा है. तभी तोहर बात में उसका जिक्र होता है. पर फिंच की कहानी के सच होने की संभावना ज्यादा है.क्योंकि फिंच अनारकली के मरने के कुछ साल बाद ही आया था. उस वक्त तो सारी कहानियांओस की तरह होंगी. लोग छूते गए, बूंदें टूटती गईं.पर जहांगीर की आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी में अनारकली का जिक्र नहीं है.मुगल-ए-आजम के वो डायलॉग जिन्होंने अनारकली की कहानी को अमर बना दिया- #1तकदीरें बदल जाती हैं, जमाना बदल जाता है. मुल्कों की तारीख बदल जाती है, शहंशाहबदल जाते हैं. मगर इस बदलती दुनिया में मुहब्बत जिस इंसान का दामन थाम लेती है, वोइंसान नहीं बदलता. #2मोहब्बत करने वालों का बस इतना ही है अफसाना तड़पना चुपके-चुपके, आह भरना, घुट केमर जाना. #3मैं तुम्हारी आंखों में अपनी मुहब्बत का इकरार देखना चाहता हूं. #4मुहब्बत जो डरती हो तो वो मुहब्बत नहीं. अय्याशी है, गुनाह है. #5मुहब्बत हमने माना जिंदगी बर्बाद कर देती है. ये क्या कम है कि मर जाने पे दुनियायाद करती है. #6हमारा हिंदुस्तान कोई तुम्हारा दिल नहीं कि लौंडी जिसकी मलिका बने. #7मेरा दिल आपका हिंदुस्तान नहीं, जिस पर आप हुकूमत करें. #8कांटों को मुरझाने का खौफ नहीं होता. #9शहंशाह की बेहिसाब बख्शीशों के बदले कनीज जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर को अपना खून मुआफकरती है. #10बाखुदा, हम मुहब्बत के दुश्मन नहीं, अपने उसूलों के गुलाम हैं. एक गुलाम की बेबसीपर गौर करोगी तो शायद तुम हमें माफ कर सको. #11सलीम तुझे मरने नहीं देगा और हम, अनारकली, तुझे जीने नहीं देंगे. #12ताज उन सरों पर नहीं रहता जिनके करीब खौफ आ जाए. #13कनीज देखना चाहती थी कि अफसाने हकीकत में कैसे बदलते हैं.Dawn.com से इनपुट--------------------------------------------------------------------------------रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी की प्रेम कहानी एकदम झूठ है