ये विचार कि औरतें, जो सिर्फ देखभाल या पालन-पोषण करने के लिए जानी जाती हैं, मर्डरकर सकतीं है, मानना हमारे लिए बहुत मुश्किल है. वो भी बहुत क्रूरता से. ऐसा मानाजाता है कि मर्डर जैसे पाप पुरुष करते हैं. इसके बावजूद हम ये देखेंगे कि मर्डरजैसे अपराध महिलाओं द्वारा भी उतनी ही क्रूरता से किए जाते हैं. जीवन के अन्यपहलुओं की तरह मर्डर करने में भी महिलाओं का तरीका पुरषों से अलग पाया गया है.पुरुषों में मर्डर करने के ज्यादातर कारण दूसरों को कष्ट देना, सेक्स, हिंसा या हवसमें सुख पाना हैं. वहीं महिलाओं में आर्थिक वजहें इसका कारण बनती हैं. दोनों लिंगोंकी वजहों में जो समानता है वो हैं लालच और मानसिक अस्थिरता.सभी के लिए इस बात पर विश्वास करना कठिन हो जाता है कि महिलाएं, जिन्हें अक्सरसिर्फ माओं, बहनों और बीवीओं के अवतार में ही देखा जाता है, जो दयालु होने औरदेखभाल करने के लिए जानी जाती हैं वो इस तरह के जघन्य अपराध कर सकती हैं. पर ये सचहै कि बेशक किसी के पुरुष या स्त्री होने का अपराध करने की क्षमता में कोई भूमिकानहीं है.जहर देकर मारना औरतों का तरीका माना जाता है. कहानियों, मिथकों से लेकर धार्मिककिताबों में औरतों ने लोगों को जहर देकर मारने का प्रयास किया है. ये पूतना काचित्र है जो कृष्ण को स्तन में जहर लगाकर दूध पिलाने ले गई थीं.उन वाकयों के अनुसार जो देखें गए हैं, ज़्यादातर महिलाओं ने उन लोगों को टारगेटबनाया है जिन्हें वो पहले से जानती थीं. या फिर जो पहले से उनके करीबी रहे हों.आंकड़े दिखाते हैं कि ज़्यादातर महिलाओं ने उन लोगों की हत्या की है जिनके वे बेहदकरीब थीं. या पहले उनके करीब गईं और फिर उनकी हत्या कर दी. महिलाओं के अपराधों मेंदेखा गया है कि वे अपने अपराधों को अधिक सावधानी और बारीकी से अंजाम देती हैं.इसलिए वे न्यायपालिका से कम सजा पाकर जल्दी निकल जाती हैं.साइनाइड मल्लिकाजब हम सीरियल किलर्स के हाथों की गई हत्याओं को समझने की कोशिश कर रहे थे, हमनेपाया कि महिलाएं लालच के चलते अक्सर मर्डर करती हैं. के.डी केमपम्मा, इंडिया कीपहली सीरियल किलर, एक ऐसी औरत थी जिसने लालच से प्रभावित होकर, एक बेहतर लाइफस्टाइल के लिए सभी अपराध किए.केम्प्म्मा, अरेस्ट होने के समय 45 वर्ष की थी. उसे 'साइनाइड मल्लिका' का नाम दियागया था. क्योंकि उसने बहुत से लोगों को बड़ी निर्दयता से पोटेशियम सायनाइड देकर मारडाला था.केम्प्म्मा, अरेस्ट होने के समय 45 वर्ष की थी. उसे 'साइनाइड मल्लिका' का नाम दियागया था. क्योंकि उसने बहुत से लोगों को बड़ी निर्दयता से पोटेशियम सायनाइड देकर मारडाला था.मल्लिका का टारगेट कमज़ोर महिलाएं होती थीं, खासकर वो जो शहर के मंदिरों में मन कीशांति के लिए जाया करती थीं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं बेऔलाद थीं, वैवाहिकसमस्याओं का सामना कर रहीं थीं, या महज़ बहुत ज्यादा धार्मिक थीं जो मदद के लिएभगवान की तरफ देख रही थीं. लेकिन भाग्य की क्रूरता ने उनके जीवन का उद्धार मृत्युके रूप में किया. मृत्यु, एक दयालु सी दिखने वाली अधेड़ उम्र की महिला के हाथों. वोउन्हें उन सभी समस्याओं का हल दिलाने का वादा करती थी जो वे जीवन में ढूंढ रही थीं.वो अधेड उम्र की औरत दावा करती थी कि पूजा करने की कला जानती है और उन सभी महिलाओंकी परेशानियों का हल उसके पास है. उसके पास चमत्कारी शक्तियां हैं जो बाकी महिलाएंढूंढ रहीं हैं.उन महिलाओं का विश्वास जीतने के बाद मल्लिका उन्हें महंगे कपडे और गहने पहनने कोकहती जिन्हें वो रस्मों का नाम देती थी. उसके बाद पीड़ितों को मंदिर के पास वालीकिसी सुनसान जगह पर ले जाती थी. पूजा शुरू करने पर वो पीड़ितों को आंखें बंद करने कोकहकर, सायनाइड पाउडर उनके खाने में मिलाकर या उन्हें बलपूर्वक पिला देती थी.मल्लिका ने 9 साल तक इसी क्रूरता के साथ मंदिर के आस-पास वाले इलाकों में हत्याओंको अंजाम दिए.किताब के अंश पेंगुइन रैंडम हाउस से साभार.जब मल्लिका को एक बस स्टैंड पर पकड़ा गया तो उसके पास मृतकों से लूटे गए गहने औरपैसे मिले. जिनपर वो अपना अधिकार बता रही थी. जब उससे पूछताछ की गई तो उसने अपनाजुर्म क़ुबूल किया.सायनाइड मल्लिका आज भी एक मिस्ट्री है. हमें अक्सर लगता है कि शुरूआती जीवन में हुआकोई बुरा वाकया व्यक्ति को अपराधी बना देता है. मगर मल्लिका के क्रूर अपराधों कीप्रकृति को समझने पर कुछ हाथ नहीं लगता. उसके शुरूआती जीवन का कोई प्रमाण या तथ्यनहीं मिला है. उसके अपराधों का अध्ययन करने वाले व्यक्तियों में से एक ने पैसे कोइसका कारण बताया. वो पीड़ितों को गहनें पहन कर आने के लिए कहती थी. उनकी हत्या केबाद उन गहनों को उतार लेती थी. इन सभी तथ्यों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि वोपैसों के लिए ये हत्याएं किया करती थी. पुलिस ने भी पैसे के लालच को कारण बताया हैऔर किसी प्रकार की मानसिक बीमारी होने की बात का खंडन किया है.मल्लिका की एक चिट-फंड कंपनी थी. जो बहुत कम समय में ही फेल हो गई थी. जिसके बादउसने अपना परिवार छोड़ दिया था. लोगों के घरों में या सुनार के यहां काम करने जैसीछोटी-मोटी नौकरियां करने लगी थी. ये ही शायद वो समय था जब उसे लगा कि क्राइम दौलतपाने का बेहतर रास्ता है.मल्लिका की शादी कम उम्र में एक मामूली से टेलर के साथ हुई थी. पर एक सादा जीवन उसेपसंद नही था. वो एक लग्जरी जीवन चाहती थी. उसके शब्दों में कहें तो 'बेहतर जिंदगीऔर भौतिक संपत्ति' के लिए उसने ये सब किया. भले ही मल्लिका ने ये क़त्ल धन की चाहमें किए. पर उसके आपराधिक जीवन की शुरुआत पहले ही हो चुकी थी.हत्याओं से पहले मल्लिका की एक चिट-फंड कंपनी थी. जो बहुत कम समय में ही फेल हो गईथी. जिसके बाद उसने अपना परिवार छोड़ दिया था. लोगों के घरों में या सुनार के यहांकाम करने जैसी छोटी-मोटी नौकरियां करने लगी थी. ये ही शायद वो समय था जब उसे लगा किक्राइम दौलत पाने का बेहतर रास्ता है. खराब आर्थिक स्थिति उसके क्रिमिनल बनने कीबड़ी वजह बनी.यह केस दिखाता है कि पुरुष या स्त्री होने का क्राइम से कोई संबंध नहीं है.मल्लिका की आखिरी शिकार, नागवेणी ने उसे नाकाम साबित किया. जब पुलिस को इस बात कीभनक लगी कि जो औरत इन घटनाओं को अंजाम दे रही है वो लगभग 45 वर्ष की है, तो पुलिसमल्लिका के पीछे गई और उसे हिरासत में ले लिया.ये केस हमारी सोच के ठीक उल्टा है कि औरतें ऐसे जघन्य अपराध केवल तभी करती हैं जबउन्हें मजबूर किया जाता है. या तब, जब उनकी मानसिक अवस्था ठीक न हो. यह केस दिखाताहै कि पुरुष या स्त्री होने का क्राइम से कोई संबंध नहीं है. औरतें भी हत्याएं करसकतीं हैं, इस बात को पचाना हमारे लिए उतना आसान नहीं है. पर इस तरह की घटनाएं इसबात को नकारती हैं. और हमें दूसरे सिरे से सोचने पर मजबूर करती हैं.--------------------------------------------------------------------------------ये स्टोरी सबसे पहले डेली ओ पर छपी थी. ये पेंगुइन रैंडम हाउस से छपी किताबट्रायल्स ऑफ़ ट्रुथ से लिया गया एक अंश है. किताब को पिंकी आनंद ने लिखा है. येस्टोरी नूतन ने ट्रांसलेट की है जो हमारे साथ इंटर्नशिप कर रही हैं.