राष्ट्रगान 'जन गण मन' की धुन जितनी खूबसूरत है, उतनी ही बदसूरत हैं इससे जुड़ीबयानबाजियां. अभी ताजा-ताजा मामला है इलाहाबाद के एक प्राइवेट स्कूल का. उसकेमैनेजर के विचार से इस गाने में लिखा 'भारत भाग्य विधाता' 'इस्लाम के खिलाफ' है.इसके महीने भर पहले राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह ने कहा था कि राष्ट्रगान में'अधिनायक' शब्द भारत के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस शब्द को हटा देना चाहिए.इन बातों से सौ साल पहले से ही राष्ट्रगान को लेकर विवाद है कि रवींद्रनाथ टैगोर नेइसे भारत के लिए लिखा ही नहीं था. बल्कि इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम के लिए लिखाथा.ऐसा क्यों है कि राष्ट्रगान की ही 'देशभक्ति' पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं? कभी'धर्म' से जोड़ दिया जाता है. पर एक वक़्त वो भी था कि सुभाष चन्द्र बोस की 'आजादहिन्द फ़ौज' में ये राष्ट्रगान था. महात्मा गांधी के मुताबिक ये गाना दिल में जगहबना चुका था.इस गाने में ऐसी क्या बात है कि बहुत लोग सुन के भावुक हो जाते हैं और बहुतों कीआँख में ये खटकता है? इस बात की पड़ताल करते हैं:1. कब लिखा गयाकोई भी कवि अपनी कविता एक बैठकी में नहीं लिखता. कई बार लिखता है. काटता है. फिरलिखता है. महीनों-सालों बाद जा के वो रचना ऐसी बनती है कि युगों-युगों तक लोगों कीजबान पर चढ़ी रहती है. रवींद्रनाथ टैगोर ने इसका पहला ड्राफ्ट 1908 में लिखा था.शान्तिनिकेतन में वो जगह आज भी सुरक्षित है, जहां उन्होंने इस गाने को लिखा था.-------------------------------------------------------------------------------- 2. जॉर्ज पंचम के स्वागत में गायी गई कविता टैगोर ने नहीं लिखीजॉर्ज पंचम हिंदुस्तान आये थे 1911 में. राजनीतिक वजहों से कांग्रेस ने उनका स्वागतकिया. उस स्वागत सम्मलेन में शुरुआत हुई टैगोर की कविता से. क्योंकि हिंदुस्तान मेंरिवाज है कि पहले 'सर्वशक्तिमान भगवान' की आराधना की जाती है, फिर कार्यक्रम शुरूहोता है. बाद में जॉर्ज पंचम के सम्मान में भी एक कविता पढ़ी गयी. ये हिंदी कविता'बादशाह हमारा' लिखी थी रामभुज चौधरी ने.-------------------------------------------------------------------------------- 3. ब्रिटिश मीडिया ने इस बात को घुमा दिया: "The proceedings began with thesinging by Rabindranath Tagore of a song specially composed by him in honour ofthe Emperor." – The Englishman, December 28, 1911"The Bengali poet Rabindranath Tagore sang a song composed by him specially towelcome the Emperor." – The Statesman, December 28, 1911"When the proceedings of the Indian National Congress began on Wednesday 27thDecember 1911, a Bengali song in welcome of the Emperor was sung. A resolutionwelcoming the Emperor and Empress was also adopted unanimously." – The Indian,Dec. 29, 1911 इन सबके मुताबिक रवींद्रनाथ टैगोर ने जॉर्ज पंचम के लिए ये गाना लिखाथा. उस टाइम कुछ दिन पहले इन्हीं अखबारों ने ये बताया था कि वन्दे मातरम् भी टैगोरने ही लिखा है.-------------------------------------------------------------------------------- 4. हिंदुस्तानी अखबारों ने सच बताया: "The annual session of Congress began bysinging a song composed by the great Bengali poet Ravindranath Tagore. Then aresolution expressing loyalty to King George V was passed. A song paying aheartfelt homage to King George V was then sung by a group of boys and girls." –The Bengalee, December 28, 1911"The proceedings of the Congress party session started with a prayer in Bengalito praise God (song of benediction). This was followed by a resolutionexpressing loyalty to King George V. Then another song was sung welcoming KingGeorge V." – The Amrita Bazar Patrika, December 28,1911 इन अख़बारों ने साफ़-साफ़बताया है कि पहले 'भगवान की स्तुति' हुई, फिर बच्चों ने मुख्य अतिथि जॉर्ज पंचम केलिए भी एक गाना गाया.-------------------------------------------------------------------------------- 5. टैगोर ने क्या कहा1937 में टैगोर ने इस बात को क्लियर करते हुए कहा था: एक ब्रिटिश ऑफिसर मेरा दोस्तथा. उसने मुझसे कहा कि ब्रिटिश सम्राट का गुण-गान करते हुए एक कविता लिख मारो. इसबात पर मुझे बहुत गुस्सा आया. इसीलिए मैंने 'जन गण मन' में 'भारत भाग्य विधाता' केबारे में लिखा था कि ये देश आदि काल से अपना भाग्य खुद लिख रहा है. वो भाग्य विधाताजॉर्ज पंचम तो कतई नहीं हो सकते. वो ब्रिटिश अफसर मेरी बात समझ गया था. पर कुछ लोगइस मामले को बराबर उठाते रहे. चिढ़कर 1939 में टैगोर ने फिर कहा: जॉर्ज चौथा हो यापांचवां, मैं उसके बारे में क्यों लिखूंगा? इस बात का जवाब देना भी मेरा अपमान है.रवींद्रनाथ टैगोर-------------------------------------------------------------------------------- 6. पूरे गाने से पता चलता है कि यह किसके लिए हैये बात टैगोर के रिकॉर्ड से साफ़ हो जाती है. जालियांवाला बाग़ के समय टैगोर ने'नाइटहुड' का टाइटल लौटा दिया था. ये टाइटल उनको जॉर्ज पंचम ने ही दिया था. इसकेअलावा टैगोर हमेशा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ही थे. सबसे मजेदार बात ये है कि हमाराराष्ट्रगान टैगोर के लिखे गाने का सिर्फ एक स्टैन्जा है. ये गाना पांच स्टैन्जा काहै. अगर पूरा गाना पढ़ें, तो पता चल जाता है कि ये किसी इंसान के लिए नहीं लिखा गयाहै. ये भारत देश के बारे में है. आखिरी स्टैन्जा में एक लाइन थी: 'निद्रितो भारतोजागे' मतलब 'सोता इंडिया जाग गया है'. इसका इस्तेमाल जवाहर लाल नेहरू ने 'Freedomat Midnight' स्पीच में किया था.-------------------------------------------------------------------------------- 7. बवाल तो इस बात का भी हैफिर कोई कहता है कि इस गाने में सिर्फ 'पंजाब-सिंध-उत्कल-द्रविड़-बंग' ही हैं. बाकीराज्य कहाँ हैं? तब तो कल को उत्तराखंड, झारखंड और तेलंगाना के लोग भी खड़े हो जाएँकि हमारा राज्य तो इस गाने में आता ही नहीं है.-------------------------------------------------------------------------------- 8. आखिर दिक्कत किस बात से हैइलाहाबाद वाला 'कम्युनल एंगल' नया नहीं है. पहले कई सारे हिंदूवादी ग्रुप टैगोर केगाने से इसलिए चिढ़ते थे कि इसमें एक स्टैन्जा में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,पारसी सबके बारे में कहा गया था. अब यह 'इस्लाम के खिलाफ' हो गया है. अगर कठमुल्लोंकी बात सुनें तो दुनिया की बेस्ट पोएट्री 'उर्दू शायरी' हर एंगल से इस्लाम के खिलाफजाएगी. इसमें अल्लाह से लेकर पीर-फ़कीर तक को नहीं छोड़ा गया है. अल्लाह से पूछते हैंकि बता दे वो जगह, जहां दारू पीना मना नहीं है. अगर जगह नहीं है, तो मस्जिद में बैठके पीने दे.असल में हमारा राष्ट्रगान हमारे देश और इसकी ताकत को बहुत अच्छे से दिखाता है. येबिल्कुल ही सेक्युलर गाना है. इसीलिए ये कम्युनल लोगों की आँख में खटकता है. ये ऐसेलोग हैं, जिनका भाषा और कॉम्प्रिहेंशन से कोई लेना-देना नहीं है. वो कुछ पढ़ के कुछसमझ जाते हैं और चीख-पुकार मचाने लगते हैं. हमें इनकी बात को तूल देने की जरूरतनहीं है. सुन लिया, गुन लिया. बात ख़त्म.