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ब्रुकलिन का लड़का, जो टूटी शील्ड लेकर थानोस के सामने खड़ा हो गया

दुबला-पतला लड़का, जिसे 'बुली' पसंद नहीं थे, वो चाहे जर्मनी से आएं या टाइटन से.

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टूटी शील्ड को कसकर थानोस से मुकाबले को तैयार कैप्टन | Photo - Marvel
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आशीष मिश्रा
13 जून 2019 (Updated: 13 जून 2019, 19:03 IST)
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अवेंजर्स : एंडगेम का सबसे प्रभावी सीन, किसी मणि, विस्फोट या कारनामे का नहीं है. एक समय आता है जब थानोस की मार से आयरनमैन और थॉर अचेत पड़े होते हैं. डॉक्टर स्ट्रेंज की हेल्प पहुंची नहीं होती. थानोस की सारी सेना एक इशारे पर पागलों की तरह एक दिशा में भाग रही होती है उस समय सामने सिर्फ एक आदमी खड़ा होता है. कैप्टन अमेरिका. अपनी टूटी ढाल के साथ. पीछे का याद करें. रीढ़ की हड्डी में GSM वाले फोन के वाइब्रेशन की थरथराहट देने का काम तब हुआ था. जब इनफिनिटी वॉर में थानोस और कैप्टन आमने-सामने आए थे. जिस थानोस ने टाइटन पर टोनी स्टार्क को उसकी तकनीकों और बुद्धि के लिए सम्मान दिया, वो तब तक किसी बात पर चौंका नहीं था. तब भी नहीं जब युक्ति से उसके सिर पर पूरा विमान गिरा दिया गया. सामने सैकड़ों स्ट्रेंजों को देख न चौंकने वाला थानोस तब चौंक गया. जब जमीन के आदमी ने उसका हाथ पकड़ लिया. चाहने वालों ने पीछे एक आवाज़ सुनी. ब्रुकलिन का एक लड़का किसी डॉक्टर से कह रहा था. "I don’t like bullies; I don’t care where they’re from." बात सही भी थी, बुली चाहे टाइटन से ही क्यों न आया हो? बुली के पास चाहे आदमी को चींथ देने वाले जानवर ही क्यों न हो. और बुली चाहे उससे लाख बलशाली क्यों न हो? फैन्स अब भी पूछते हैं. उस सीन में I don’t care वाली आवाज़ आई थी न? हमने तो सुनी थी. सुन तो हमने तब ही ली थी, जब एक स्टोन की मार झेल के भी स्टीव रॉजर्स ने थानोस के दाएं पैर, बाएं हाथ और ठुड्डी पर जबरिया मुक्के बरसाए थे. कैप्टन को बड़ी ये चीज नहीं बनाती कि वो कितने साल का था. कितनी ताकत थी. न ये कि उसकी ढाल कितनी जोर के प्रहार रोक सकती थी. एक लिफ्ट में मौजूद हर आदमी को मारना या प्लेन से बिना पैराशूट कूद जाना, कैप्टन को हीरो दिखाता तो है, पर बना नहीं देता. कैप्टन अमेरिका का तिलिस्म उसके अति मानवीय होने में है. उसे सही और गलत में फर्क पता है. निक फ्यूरी को वो शील्ड खत्म करने को भी मजबूर कर सकता है, क्योंकि वो संस्थाओं में भरोसा नहीं करता, झंडों पर नहीं जाता, निशानों पर नहीं मरता. वो धरती का सबसे ईमानदार आदमी है, वो ईमानदारी बरतता है. वो एक ही समय में बूढा और बच्चा हो पड़ता है. नई मशीनों का कौतुक देख पैसे हार जाता है. बीच लड़ाई फिसली ज़ुबान पर टोक भी सकता है. कैप्टन अमेरिका में यही दोष है, वो इतना अच्छा है कि मोरल प्रेशर बना देता है. चिढ़ पैदा करता है. शेष असल जीवन में ऐसा है कि ट्रंप के खिलाफ खड़ा हो जाता है. जाने कितने ही ट्वीट भरे पड़े हैं. जो मुंह पर कहते हैं कि तुमने घृणा, डर और झूठ से चुनाव जीते. मुझे वो चेहरे दिखते हैं, जो झंडों के पीछे छुप जाते है. फिल्म में देशभक्ति और देशभक्ति में पार्टी का एजेंडा बेचते हैं. वो कुत्तों को प्यार करने वाला, बकवास गाने गाने वाला आदमी है. जो मेंटल हेल्थ के बारे में घंटों बात कर सकता है. बकी को सीमा के अंत तक प्रेम करने की बात भले फ़िल्मी हो, दिल उसका उतना ही बड़ा. क्रिस का भाई स्कॉट गे है. न होता तो भी फर्क न पड़ता. भाई, LGBT कम्युनिटी का समर्थक है, सात साल पहले कहता था, 10 साल बाद हम इस बात पर सिर पीटेंगे, शर्मिन्दा होंगे कि गे मैरिज कभी एक मुद्दा था . जब ये सब लिख रहा हूं, तब मुंबई पुलिस ये बताने में लगी है कि नाना पाटेकर को क्लीन चिट दी या नहीं. उसी साल के आसपास की बात है. क्रिस की भलमनसाहत का किस्सा. 2009 में फिल्म आई थी. पुश. क्रिस, निक बना था. कैमिला बेले, कीरा. सीन था कि दोनों को किस करना था जिस दौरान निक, कीरा को दबोच लेता. क्रिस ने मनाकर दिया. वजह कैमिला असहज थी. वजह ये भी थी कि उसे सही और गलत में फर्क पता है. 13 जून को क्रिस का जन्मदिन था. अगला 38 का हो गया है. मुझे मार्वल की फिल्मों में हद से ज़्यादा भरोसा इसीलिए है, वो भरोसा सा दिला देती हैं कि टूटी ढाल वाला ब्रुकलिन का लड़का सब कुछ खोकर भी दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों के खिलाफ अकेला खड़ा हो सकता है.

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