लोकसभा चुनाव से पहले तेजस्वी यादव की 'जन विश्वास यात्रा' का क्या असर होगा?
2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में RJD को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. अब Tejashwi Yadav ने जन विश्वास यात्रा शुरू की है. इस यात्रा से आरजेडी क्या साधने की कोशिश कर रही है?
लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election) से पहले राजनीतिक यात्राओं का दौर चल रहा है. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’, प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पदयात्रा’ और अब तेजस्वी यादव की ‘जन विश्वास यात्रा’ (Tejashwi Yadav Jan Vishwas Yatra). कुछ रोज पहले ही राहुल की यात्रा बिहार पहुंची थी. इस यात्रा में तेजस्वी भी शामिल हुए थे. इसके बाद 20 फरवरी को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने भी अपनी यात्रा शुरू कर दी है. ये यात्रा तब शुरू हुई है, जब पिछले महीने ही नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने के बाद आरजेडी बिहार की सत्ता से बाहर हो गई.
अब सवाल ये है कि तेजस्वी की इस यात्रा से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को लोकसभा चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? ये समझने से पहले ये जानेंगे कि पार्टी आखिर इस यात्रा से क्या साधना चाहती है? और इस यात्रा के लिए उनकी क्या तैयारी है?
बिहार की राजनीति हाल के दिनों में अटकलों से भरी रही है. नीतीश के अलग होने के बाद लालू यादव से सवाल किया गया था. पूछा गया कि क्या नीतीश के लिए आरजेडी के साथ दोबारा गठबंधन का रास्ता खुला है. लालू का जवाब था कि रास्ता तो खुला ही रहता है. विश्वास मत के दौरान नीतीश के प्रति तेजस्वी का भी मिजाज नरम दिखा.
इन घटनाओं से बिहार में राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन पर सवालिया निशान लगे हुए थे. लेकिन तेजस्वी की इस यात्रा की तैयारियों पर गौर करें तो कम-से-कम अगले लोकसभा चुनाव के लिए आरजेडी ने खुद को नीतीश की पार्टी जेडीयू से अलग कर लिया है. साथ ही उन्होंने ये भी तय कर लिया है कि इस यात्रा में तेजस्वी के निशाने पर मुख्य रूप से कौन रहेंगे.
यात्रा से पहले क्या बोले तेजस्वी?जन विश्वास यात्रा शुरू करने से एक दिन पहले तेजस्वी ने एक फेसबुक लाइव किया. इस लाइव का नाम दिया- फेसबुक चौपाल. इस ‘चौपाल’ में उनकी बातों से यात्रा से जुड़े कई मुद्दे साफ हो गए. पहला तो ये कि जिस नीतीश कुमार को वो ‘अभिभावक’ और ‘दशरथ’ समान बता रहे थे. लेकिन उतने ही हमलावर रहे.
करीब 22 मिनट के अपने फेसबुक चौपाल में उन्होंने करीब 18 मिनट का समय नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिए लिया. शुरूआत के दो मिनट वो चुप रहे थे. आरोप क्या लगाए? तेजस्वी ने वही बातें कीं, जो कहते आए हैं. पूरी बातचीत नीतीश कुमार की 'पलटीबाजी' और सरकारी नौकरी के वादे के इर्द-गिर्द घूमती रही. उन्होंने कहा,
“हमें (महागठबंधन को) छल कपट से सत्ता से बेदखल किया गया. 2010 में NDA की सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. 2013 में उन्होंने भाजपा को छोड़ा. 2014 में मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और 2015 में हटा दिया. फिर 2014 का लोकसभा का चुनाव अकेले अपने बलबूते पर लड़े तो 27 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. फिर 2015 में महागठबंधन से मुख्यमंत्री बनें. फिर 2017 में हमें छोड़ा और फिर से भाजपा के साथ चले गए. इसके बाद 2020 का चुनाव NDA के साथ लड़े. 2022 में फिर भाजपा को छोड़ा फिर 2024 में हमें छोड़कर चले गए.”
गुड गवर्नेंस के मुद्दे पर तेजस्वी ने नीतीश को घेरते हुए कहा,
"नीतीश बार-बार पाला बदलते रहते हैं. इसलिए गुड गवर्नेंस नहीं हो पाती. उपमुख्यमंत्री रहते हुए मैं अपनी क्षमता का केवल 10 प्रतिशत ही काम कर पाया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पुराने खयालात के हैं. उनका कोई विजन नहीं है. उनसे बिहार नहीं चलने वाला."
यात्रा शुरू होने के पहले तेजस्वी ने उन मुद्दों पर भी बात की, जिनकी चर्चा वो आगामी दिनों में कर सकते हैं. उन्होंने कहा,
"आरजेडी के 2020 के मैनिफैस्टो में 10 लाख सरकारी नौकरियों की बात की गई था. हम अब भी उसपर अडिग हैं. हमलोगों ने सरकारी नौकरी और रोजगार पर जो लकीर खींची है. उसपर सबको बात करनी पड़ेगी."
तेजस्वी ने जाति आधारित गणना की भी बात की. उन्होंने बिहार में इंटनेशनल स्टेडियम, खिलाड़ियों और उद्योग के मुद्दे की तरफ भी इशारा किया.
पार्टी की तरफ से भी बयान जारी कर करीब-करीब यही सारी बातें कही गईं. 20 फरवरी को यात्रा के पहले दिन तेजस्वी ने मुजफ्फरपुर के सकरी सरैया में रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि आरजेडी ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) की पार्टी है लेकिन आरजेडी ‘BAAP’ की पार्टी है. उन्होंने ‘BAAP’ को कुछ इस तरह परिभाषित किया- B से बहुजन, A से अगड़ा, A से आधी-आबादी यानी महिलाएं और P से पुअर यानी गरीबों की पार्टी.
लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?पिछले लोकसभा चुनाव में आरजेडी एक सीट भी नहीं जीत पाई थी. ऐसे में तेजस्वी की यात्रा का आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ेगा? इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार सुजीत झा कहते हैं कि तेजस्वी के पास मुद्दे तो हैं. लेकिन उनके सामने नीतीश और भाजपा का मजबूत गठबंधन है. इसलिए ऐसा लगता नहीं है कि जन विश्वास यात्रा का लोकसभा चुनाव पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा.
सुजीत आगे कहते हैं,
“ऐसा हो सकता है कि आरजेडी को इस यात्रा से विधानसभा चुनाव में मदद मिले. लेकिन फिर ये भी देखना होगा कि विधानसभा चुनाव के वक्त बिहार में राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन का क्या तानाबाना रहता है.”
उन्होंने अपनी बात में ये भी जोड़ा कि यात्रा के कुछ दिनों बाद और तेजस्वी के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया देखने के बाद इसके प्रभाव के बारे में और बेहतर बताया जा सकेगा.
आकड़ें क्या कहते हैं?2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट है. 2019 में भाजपा के खाते में 17, जेडीयू के खाते में 16 और लोक जनशक्ति पार्टी के खाते में 6 सीटें आई थीं. राज्य में कांग्रेस को 1 सीट पर जीत मिली थी.
लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव का सामना जिन दलों से होने वाला है उनके नंबर्स पिछले चुनाव में काफी मजबूत रहे हैं. इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है. BJP ने 2019 में बिहार में 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारा. सारे उम्मीदवार जीत गए. पार्टी को 24.06 फिसदी वोट शेयर्स के साथ कुल 96.1 लाख वोट मिले.
नीतीश की पार्टी जदयू ने भी 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी को 16 सीटों पर जीत मिली. 22.26 फिसदी वोट शेयर्स के साथ कुल 89 लाख वोट मिले. वहीं लोजपा ने 6 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे और सभी 6 सीटों पर जीत गए. 8.02 प्रतिशत वोट शेयर्स के साथ कुल 32 लाख वोट मिले.
आगामी लोकसभा चुनाव में भी BJP, JDU और चिराग पासवान एक साथ खड़े हैं. इनकी तुलना में पिछली बार राजद के नंबर्स काफी कमजोर रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन जीत एक भी सीट पर नहीं मिली. वोट शेयर 15.68 प्रतिशत रहा. पार्टी को इस चुनाव में कुल 15.68 लाख वोट मिले थे. राज्य में राजद के सहयोगी कांग्रेस का भी बुरा हाल रहा. कांग्रेस ने 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा. जीत मिली सिर्फ एक पर. वोट शेयर भी 7.85 प्रतिशत ही रहा. पार्टी को कुल 31.4 लाख वोट मिले थे.
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राजनीतिक दलों ने क्या कहा?जन विश्वास यात्रा के दौरान तेजस्वी ने जैसे ही नीतीश पर निशाना साधा, बीजेपी और जेडीयू के नेताओं ने भी उन पर पलटवार किया.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि लालू परिवार की हालत ऐसी है कि वो पैदा होते ही अरबपति हो गए और अब ये जनता के बीच जाकर जन विश्वास की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता ने PM मोदी को पहले ही जन विश्वास दे दिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लालू यादव संपत्ति कमाने के चक्कर में जेल जा चुके हैं और अब बेटे की बारी है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी को इतने सालों में जो उनके परिवार ने भ्रष्टाचार किए हैं, उन्हें भी गिनाने चाहिए.
जेडीयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने इस यात्रा के उद्देश्य पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी के यात्रा पर निकलने का मकसद क्या है? क्या वो इस यात्रा में अपने माता-पिता की नाकामियों के बारे में बात करेंगे? उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव विधानमंडल के प्रति गंभीर नहीं हैं. वे राजनीति के 'चुलबुलिया' हैं.
राज्य के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि तेजस्वी को पहले लूट यात्रा निकालनी चाहिए. चौधरी ने कहा कि तेजस्वी को जनता के बीच जाकर लालू परिवार के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर बात करनी चाहिए.
यात्रा के बारे में सबकुछ जान लीजिए20 फरवरी को शुरू होकर ये यात्रा एक मार्च तक चलेगी. इस दौरान तेजस्वी राज्य के 33 जिलों का दौरा करेंगे. पहले ये यात्रा 29 फरवरी को ही खत्म होने वाली थी. पहले 32 जिलों का दौरा तय किया गया था. लेकिन फिर 19 फरवरी को कार्यक्रम में बदलाव किया गया.
कार्यक्रम के पहले दिन तेजस्वी मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और शिवहर जिले का दौरा करेंगे. इसके बाद दूसरे दिन 21 फरवरी को मोतिहारी, बेतिया और गोपालगंज में रैली कर सकते हैं. तीसरे दिन यात्रा सीवान, छपरा और आरा पहुंचेगी.
23 फरवरी को बक्सर, रोहतास और आरंगाबाद में तेजस्वी का कार्यक्रम तय है. इसके बाद 24 फरवरी को तेजस्वी गया, नवादा, नालंदा और जहानाबाद में होंगे. यात्रा के अंतिम दिन 1 मार्च को बांका, जमुई और लखीसराय में तेजस्वी का कार्यक्रम तय किया गया है.
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