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वो सीरियल किलर जिसने अपनी बहन को भी न छोड़ा!

भारत का पहला सीरियल किलर जो कहता था सरकार मुझे औरत बनाना चाहती है. जिसने खाने को मुर्गा मांगा और बदले में 41 कत्लों की दास्तान सुना दी.

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raman raghav
रमन राघव पर जब अदालत में मुकदमा चला तो बचाव पक्ष के वकील ने उसके मानसिक तौर से विक्षिप्त होने की बात कही. साथ ही कहा कि मर्डर करते वक़्त उसे ये तो मालूम था कि वो क्या कर रहा है लेकिन ये नहीं मालूम था कि उसका अंजाम क्या होगा और ये कि उसके कर्म कानून के खिलाफ़ हैं (तस्वीर :Wikimedia Commons/Imdb))
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कमल
18 अप्रैल 2023 (Updated: 17 अप्रैल 2023, 19:27 IST)
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वो कहता था, दुनिया एक नहीं, दो हैं. एक जिसमें क़ानून रहता है और दूसरी जिसमें बाकी सब. वो खुद को क़ानून का प्रतिनिधि बताता था. और कहता था कि क़ानून की बदौलत उसे शक्ति हासिल हुई थी. जिसकी वजह से सरकार उसकी दुश्मन बनी हुई है. सरकार भी एक नहीं. उसके मुताबिक़ भारत में तीन सरकारें थीं, 
कांग्रेस की,
अंग्रेज़ों की 
और तीसरी अकबर की. 

उसके मुताबिक़ ये तीनों उसके खिलाफ साजिश रच रही थीं. साजिश- उसका सेक्स चेंज करने की. उसे होमोसेक्शुअल बनाने की. सिरफिरी सी लगने वाली ये बातें एक कातिल की कहानी हैं. एक सीरियल किलर जिसने 41 लोगों का मर्डर किया. बच्चे बूढ़े, औरत यहां तक कि अपनी सगी बहन तक को न छोड़ा.(Raman raghav)

भीगी छतरी और दर्ज़ी का छल्ला 

ये बात है 1960 के दशक की. मुम्बई जो तब बॉम्बे हुआ करता था. यहां मलाड गोरेगांव जोगेश्वरी के इलाके में अचानक एक के बाद एक हत्या की घटनाएं होने लगीं. तरीका लगभग एक सा था. रात में सोए हुए लोगों पर अचानक कोई तेज़ वार से हमला करता और उनकी हत्या कर देता. हत्या किए गए अधिकतर लोग गरीब और फुटपाथ पर सोने वाले थे. जब हत्या की वारदातें कुछ ज्यादा ही बढ़ गई, पुलिस को हरकत में आना पड़ा. उस दौर में हत्यारे का खौफ इतना बढ़ गया था कि हर रात 2 हजार के आसपास पुलिस वाले रातों को गश्त लगाते. पुलिस ने कई लोगों को पकड़ा लेकिन सबूत के अभाव में सब छोड़ दिए गए. (Serial Killer)

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रमन राघव ने कितने लोगों को मारा, खुद उसे भी यादनहीं था. लेकिन पुलिस के अनुसार यह आंकड़ा 50 से ज़्यादा था (तस्वीर : bbc.com)

1965 में ये केस रमाकांत कुलकर्णी के पास आया. कुलकर्णी क्राइम ब्रांच के नए नए हेड नियुक्त हुए थे. उन्होंने इस केस की छानबीन शुरू की. इसके तीन साल बाद एक घटना हुई. तारीख- 27 अगस्त 1968. क्राइम ब्रांच के एक सब-इंस्पेक्टर, एलेक्स फिआल्हो दक्षिणी मुम्बई के भिंडी बाजार इलाके में घूम रहे थे. फिआल्हो बस का इंतज़ार कर रहे थे, कि तभी खाकी शॉर्ट्स और लम्बी नीली कमीज पहना एक शख्स उन्हें सामने से आता हुआ दिखाई दिया. फिआल्हो को उस पर कुछ शक हुआ और वो उसका पीछा करने लगे.

फिआल्हो ने देखा कि उसके हाथ में एक छाता था. जो गीला था. जबकि उस रोज़ बारिश का कोई नामों निशान नहीं था. फिआल्हो ने उससे इस बारे में सवाल करने का निश्चय किया. उसने जवाब में बताया कि वो चिंचोली ,मलाड से आ रहा है. जहां बारिश हुई थी. मलाड का नाम सुनकर फिआल्हो का एंटीना खड़ा हो गया. क्योंकि जैसा पहले बताया हत्या की घटनाएं उसी इलाके में हुई थीं. शक का एक और कारण उसकी उंगली में लगा मेटल का वो छल्ला था जिसे दर्ज़ी सिलाई करते हुए पहनते हैं , ताकि सुई उंगली में न चुभे. कुछ रोज़ पहले मलाड में एक दर्ज़ी की हत्या हुई थी. इसलिए फिआल्हो का शक और बढ़ गया. 

उन्होंने उसे थाने ले जाने की सोची. फिआल्हो ने उससे अपनी जीप में बैठने को कहा और वो बिना ना नुकुर किए बैठ भी गया. पुलिस स्टेशन में उसकी उंगली के निशान की जांच की गयी. तो पता चला ठीक यही निशान कुछ रोज़ पहले एक क़त्ल के घटनास्थल से मिले थे. पक्का हो गया कि ये वही शख्स है जिसने खून किया था. इस शख्स का नाम था रमन राघव. कई सालों से वो हत्याएं कर रहा था. लेकिन क्यों? इस सवाल का जवाब खुद रमन राघव ही दे सकता था, लेकिन दिक्कत ये थी कि वो कुछ बोलने को तैयार न था.

'मुर्गा खिलाओ' 

पुलिस रिकार्ड्स से पहले इससे पहले भी वो कई बार चोरी डकैती के मामलों में जेल गया था. रमन राघव के अलावा उसके कई और नाम भी थे. जैसे सिंधि दलवाई, तलवाई, अन्ना, थम्बी, वेलुस्वामी आदि. गिरफ्तारी के समय उसके पास से चश्मा, दो कंघियां, एक कैंची, एक अगरबत्ती का स्टैंड, साबुन, लहसुन, चाय की पत्ती और दो काग़ज़ जिनपर गणित के कुछ निशान बने हुए थे, मिले थे. इसके अलावा पुलिस के पास उससे जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं थी. कई दिन तक हुए कुटाई के बाद भी वो मुंह खोलने को तैयार न हुआ. फिर एक रोज़ जब उससे पूछा गया कि क्या उसे कुछ चाहिए तो उसने झट से जवाब दिया, मुर्गा. उसके ये फरमाइश पूरी करने के पास पुलिस अफसर ने उससे एक और बार पूछा, और कुछ चाहिए?

इस बार उसने जवाब दिया कि उसे एक प्रॉस्टिट्यूट चाहिए. जब पुलिसवाले ने जवाब दिया कि कानून में इसकी इजाजत नहीं, उसने कुछ और चीजों की मांग रखी. नारियल का तेल, कंघी और शीशा, ये सब लाकर उसे दिया गया. तेल की शीशी खोलकर उसने उसमें से तेल निकाला और पूरे बदन पर मल लिया. इसके बाद उसने कंघी से अपने बाल बनाए और कुछ देर शीशे में खुद को निहारता रहा.

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रमाकांत कुलकर्णी 1995 में मुम्बई पुलिस से रिटायर हुए और अपनी दो किताबों में उन्होंने रमन राघव केस का ब्यौरा लिखा है (तस्वीर: BBC.com )

इसके बाद वो पुलिस को अपनी कहानी बताने के लिए तैयार हो गया. उसने पुलिस को उस जगह का पता बताया जहां उसने अपने हथियार छिपाकर रखे थे. वहां कुछ चाकू, क्रो बार, और कुछ तेज़ हथियार पुलिस के हाथ लगे. उसने बताया कि इन्हीं हथियारों से उसने 41 लोगों की हत्या की है. जिनमें उसके सगी बहन भी शामिल थी. जब पूछा गया क्यों, उसने अजीब और उटपटांग जवाब दिया. मसलन जब उसे मनोवैज्ञानिकों के पास भेजा गया, उसने बताया कि वो एक दूसरी दुनिया के मालिक ‘क़ानून’ का प्रतिनिधि है. और सब लोग उसे सेक्स चेंज करने की कोशिश कर रहे हैं. पूरी बातचीत के दौरान वो बार बार कहता था कि वो 101 % पुरुष है. और भी कई बातें थीं, जिनमें से कुछ हमें एकदम शुरुआत में आपको बताई थी. उसकी बातों से पता चलता था कि उसमें मनोरोग के लक्षण हैं. खासकर सेक्स के प्रति ऑब्सेशन और औरतों के प्रति नफरत कूट-कूट कर उसमें भरी हुई थी.

रमन राघव सीरियल किलर कैसे बना? 

लेकिन क्या वो हमेशा से ऐसा था? रमन राघव सीरियल किलर रमन राघव बन कैसे, ये जानने के लिए हमें उसकी पुरानी जिंदगी के बारे में जानना होगा. रमन की जिंदगी के बारे में लेखक खुशवंत सिंह अपनी किताब, ‘पोर्टेट ऑफ अ सीरियल किलर’ में बताते हैं कि रमन को हत्या और चोरी करना उसके पिता ने सिखाया था. वो तमिल नाडु के तिरुनवेली जिले के एक गांव से आता था. उसे अपने पिता से खासा लगाव था. लेकिन औरतों से उसका संबंध कभी अच्छा न रहा. उसकी शादी उसकी अपनी ही बहन की बेटी से तय हुई थी, जिसका नाम गरुणम्मा था. खुशवंत लिखते हैं कि तमिल नाडु की कुछ जातियों में ये प्रथा आम थी. 

शादी के कुछ वक्त बाद भी रमन को चोरी के एक मामले में जेल हुई. जब रिहा हुआ तो उसे पता चला कि उसकी पत्नी एक दूसरे आदमी के बच्चे को जन्म देते हुए गुजर गई थी. इसके बाद उसकी शादी एक और लड़की के साथ ठहराई गई. लेकिन यहां भी ठगे जाने का अहसास हुआ जब पता चला कि वो लड़की किसी और के द्वारा ठुकराई हुई थी, जिससे उसे एक बच्चा भी था.

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साल 2016 में अनुराग कश्यप निर्देशित एक फिल्म रिलीज़ हुई थी,. रमन राघव २.0 जिसमें रमन राघव का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने निभाया था (तस्वीर" IMDB) 

आगे चलकर उसने मुम्बई में एक टेक्सटाइल मिल में नौकरी की. यहां भी उसे एक बुरा अनुभव हुआ. जिस दोस्त के साथ वो मुम्बई में रहता था एक रात उसकी पत्नी ने उसके साथ सेक्स की इच्छा जताई. उसने इंकार कर दिया लेकिन अगली सुबह उसी औरत ने उस पर झूठा इल्जाम लगा दिया. खुशवंत लिखते हैं कि शायद इन्हीं घटनाओं के कारण उसका मन औरतों के प्रति नफरत और सेक्स के प्रति कुंठा से भर गया था. पुलिस हिरासत में सेक्स के बारे में बात करते हुए एक बार उसने एक डॉक्टर से कहा था, “जैसे गाड़ी को पेट्रोल की जरुरत होती है, वैसे ही इंसान को सेक्स की”.

एक दूसरे मौके पर डॉक्टर ने उससे पूछा, “क्या तुम भगवान पर विश्वास करते हो?”
इसका जवाब उसने नहीं में दिया. जब पूछा गया, क्यों तो इस पर उसने कहा, क्योंकि भगवान औरतों की तरफदारी करता है.

सेक्स का मनोरोगी 

1964-65 के बीच पहली बार उसने लोगों की हत्या करना शुरू किया. कई बार औरतों का रेप भी किया. घटनाएं कई हैं. एक बार उसने एक झोपड़ी में घुसकर पूरे परिवार को मार डाला था. जिसमें बच्चे भी शामिल थे. हत्या करने से पहले को कुछ सोचता नहीं था. हालांकि एक बार उसने डॉक्टर को बताया था कि उसके मन में हत्या के सन्देश आते थे, और वो हत्या कर देता था. इसके अलावा मर्दानगी के प्रति भी उसके मन में सनक पैदा हो गई थी. एक बार जब जेल में बाल काटने वाले ने गलती से उसकी थोड़ी सी मूंछ काट दी. वो उसे मारने के लिए दौड़ गया. सात दिन तक उसने किसी से बात नहीं की. कहता था, मैं किसी औरत की तरह नहीं दिखना चाहता.

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पुलिस की कैद में रमन राघव (तस्वीर: twitter/@IndiaHistorypic)

औरतों के प्रति उसकी नफरत भी सेक्स के प्रति सनक का ही एक रूप थी. जेल में रहते हुए उसने अधिकारियों को ऑफर दिया था कि अगर उसे एक साल की बेल दे दी जाए और साथ में एक औरत तो वो किसी का खून न करेगा साथ ही उसकी शर्तें थीं कि औरत 30 साल से कम उम्र की होनी चाहिए, और चाहे तो वो प्रॉस्टिट्यूट भी हो सकती है. क्योंकि उसे सिर्फ सेक्स से मतलब था. उसे किसी औरत के खाना पकाना आदि काम करने से कोई मतलब न था.

उसने 41 कत्लों की बात स्वीकारी थी लेकिन पुलिस का मानना था कि उसने इससे भी ज्यादा हत्याएं की थी. इन मामलों में सरकारी वकील द्वारा उसे सजा ए मौत देने की मांग की गई. लेकिन अदालत ने उसे मानसिक रूप से बीमार मानते हुए आजीवन कारवास की ही सजा दी. उसे पूने के येरवडा जेल में भेज दिया गया जहां उसका सेन्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड रिसर्च में इलाज चलने लगा. 1995 में राघव की सस्सून हॉस्पिटल में किडनी की बीमारी से मौत हो गयी.

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