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प्लेन क्रैश में 127 मौतें, वजह पता चली तो सबने सर पीट लिया

एक ही जगह पर दो साल के अंतर में 2 प्लेन क्रैश, 300 से ज्यादा मौतें. गलती पायलट की थी लेकिन गलती हुई कैसे?

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भोजा एयर क्रैश में 127 लोग मारे गए थे (तस्वीर: Bhoja Air)
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कमल
20 अप्रैल 2023 (Updated: 20 अप्रैल 2023, 09:04 IST)
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मुहम्मद अली जिन्ना, बेनज़ीर भुट्टो और महाराजा भोज. इन तीनों नामों का एक साथ जिक्र हो, तो अचंभा होना लाज़मी है. दुर्भाग्य और इत्तेफ़ाक़ से इन तीनों नामों का एक साथ आना हुआ एक दुर्घटना के दौरान. एक प्लेन हादसा. हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में. साल 2012 की बात है. (Bhoja Air) एक प्राइवेट एयरलाइन कंपनी करीब एक दशक के ब्रेक के बाद अपनी पहली उड़ान भर रही थी. उड़ान थी कराची और इस्लामाबाद के बीच. प्लेन उड़ा और अपने गंतव्य तक पहुंच भी गया. लेकिन लैंडिंग अभी बाकी थी. 

पायलट ने लोगों से उनकी सीट बेल्ट बांधने को कहा. लोग सीट बेल्ट बांध ही रहे थे कि प्लेन सीधा नोंक के बल जमींन से जा टकराया. पायलट और क्रू समेत सभी लोग मारे गए. ठीक इसी जगह पर दो साल पहले भी एक प्लेन हादसा हुआ था. तब 150 लोगों की जान चली गई थी. इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया गया था. और यही लापरवाही 127 और लोगों की जान ले गई. हालांकि इस हादसे की जो मुख्य वजह थी, उसे सुनेंगे तो आप हम सर पीट लेंगे. क्या थी इस प्लेन हादसे की पूरी कहानी, चलिए जानते हैं. (Pakistan Plane Crash)

30% पाकिस्तानी पायलट फ़र्ज़ी हैं!

‘फ़िक्र मत करो, खुदा हमारी मदद करेगा.’

20 अप्रैल 2012 को उस कॉकपिट में ये लफ्ज़ फरमाए गए थे कैप्टन नूरुल्लाह खान अफरीदी के मुंह से. सामने बादलों से बिजलियां गिर रही थीं. और बारिश का तो खैर कहना ही क्या. लग रहा था पूरा इस्लामाबाद आज ही डूब जाएगा. ऐसे हालात देखकर को-पायलट जावेद मलिक चिंता में थे. और बार-बार प्लेन को पेशावर ले जाने को कह रहे थे. लेकिन अफरीदी को प्रकृति से ज़्यादा ईश्वर पर भरोसा था. सो उन्होंने प्लेन मोड़ने से इंकार कर दिया.

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भोजा एयर की स्थापना 1993 में हुई थी और 2012 में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया (तस्वीर: Wikimedia Commons)

बोईंग 737- 236 A. ये प्लेन का नंबर था. और बाहर चस्पा था भोजा एयर कंपनी का नाम. भोजा एयर पाकिस्तान की चंद प्राइवेट एयरलाइन कंपनियों में से एक थी. जिसका नाम भारत के महाराजा भोज के नाम पर रखा गया था. इस एयरलाइन की शुरुआत 1993 में हुई थी. वो साल, जब पाकिस्तानी सरकार ने पहली बार प्राइवेट कंपनियों को उड़ान का लाइसेंस देना शुरू किया. शुरुआत में भोजा एयर के प्लेन पाकिस्तान के अंदरूनी रूट्स पर उड़ान भरते थे, फिर धीरे-धीरे उसने इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी शुरू कर दी. साल 2000 तक सब ठीक चला लेकिन फिर वित्तीय घाटों के चलते कंपनी बंद हो गई. ये हाल सिर्फ अकेले भोजा एयर का नहीं था. 

अधिकतर प्राइवेट कंपनियां घाटे में ही चल रही थी. वजह वही थी, जो अक्सर होती है. भ्रष्टाचार. इस जानिब साल पाकिस्तान के एविएशन मिनिस्टर गुलाम सरवर खान का एक बयान देखिए, जो उन्होंने साल 2020 में पाकिस्तान की संसद में दिया था. इस बयान में गुलाम सरवर ने सबको चौंकाते हुए दावा किया था कि पाकिस्तान के 30 % पायलट फ़र्ज़ी लाइसेंस धारी हैं. और इसी चक्कर में देश में लगातार विमान हादसे होते हैं. 2012 में भोज एयर प्लेन हादसे की वजह फ़र्ज़ी लाइसेंस था या नहीं ये तो पता नहीं, लेकिन इस मामले में कुछ बड़ी गड़बड़ तो जरूर हुई थी. क्या हुआ था प्लेन हादसे के रोज़? सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं.

जिन्ना से भुट्टो तक 

20 अप्रैल, 2012, पाकिस्तानी समयनुसार शाम के 5 बजकर पांच मिनट. भोजा एयर की फ्लाइट 213 कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरती है. जिसे पहुंचना है इस्लामाबाद के बेनज़ीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट. भोजा एयर की इस रूट पर करीब एक दशक बाद ये पहली फ्लाइट थी. इसलिए क्रू और पायलट समेत सब लोग काफी उत्साहित थे. हालांकि पायलट अफरीदी और को-पायलट मलिक के लिए ये कोई नई बात नहीं थी. दोनों इससे पहले पाकिस्तानी एयरफ़ोर्स और एक दूसरी प्राइवेट कंपनी के लिए काम कर चुके थे. यानी दोनों को इस काम का लम्बा अनुभव था.

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प्लेन के पायलट और को-पायलट पाकिस्तानी एयर फ़ोर्स में सेवाएं दे चुके थे (तस्वीर: Bhoja Air) 

जैसे ही प्लेन ने टेक ऑफ किया, एयर ट्रैफिक कंट्रोल से पायलट को एक सन्देश आया. इस्लामाबाद में मौसम बिगड़ने लगा था. रिकॉर्डिंग के अनुसार 6 बजकर 6 मिनट पर कॉकपिट में पायलट और को पाइलट के बीच मौसम पर बहस चल रही थी. कैप्टन अफरीदी ने अनांउसमेंट सिकॉक पिट वॉइस रिकॉर्डर के अनुसार इसके बाद कॉकपिट मेंस्टम से यात्रियों के लिए एक सन्देश प्रसारित किया, “मौसम ख़राब है, इस्लामाबाद तक आप सभी को टर्बुलेन्स महसूस हो सकता है”. गानों की आवाज आने लगी. कैप्टन अफरीदी गुनगुना रहे थे, “सानू नहर वाले पुल दे बुलाके, होर माही कित्थे रह गया”. और मलिक पीछे से दाद दे रहे थे. 

जब लगा कि इस्लामाबाद अब नज़दीक है, दोनों ने एक बार फिर मौसम की खैर-खबर ली. पता चला कि मौसम और ख़राब होता जा रहा है. को पायलट ने सुझाव दिया कि फ्लाइट को लाहौर की तरफ मोड़ देना चाहिए, लेकिन वहां का भी हाल वैसा ही था. अब लैंडिंग के लिए एक ही ऑप्शन बचा था- पेशावर. मलिक ने पेशावर की ओर जाने का सुझाव दिया. लेकिन पायलट अफरीदी ने ये कहते हुए टाल दिया कि खुदा मदद करेगा. खुदा मदद करता लेकिन इससे पहले जरूरी था कि दोनों अपनी मदद खुद करें.

प्लेन क्रैश 

साढ़े 6 बजे के आसपास दोनों को अपने कंट्रोल्स में मौसम का वो पैटर्न दिखाई दिया, जिसे एविएशन की भाषा में स्क्वैल लाइन कहते हैं. यानी सामने बादलों का भयंकर बवंडर, जिसमें लगातार बिजलियां कौंध रही थी. ऐसे नज़ारे का आम तौर पर पायलट के लिए एक ही मतलब होता है, पतली गली से निकल लो. लेकिन फ्लाइट 213 ने ऐसा नहीं किया. पायलट ने ग्राउंड कंट्रोल से लैंडिंग की परमिशन मांगी. वहां से सन्देश मिला एक चक्कर लगा कर दूसरी दिशा से आओ. स्क्वैल लाइन के बीच रास्ता मिल जाएगा.

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क्रैश होने के बाद प्लेन एक ईमारत की छत से टकराया था (तस्वीर: Bureau of Aircraft Accidents Archives)

कैप्टन अफरीदी ने ऐसा ही किया. नियमानुसार किसी भी फ्लाइट को तूफ़ान से 5 नॉटिकल माइल्स की दूरी बरकारर रखने का निर्देश दिया जाता है. लेकिन कैप्टन अफरीदी ने इसका ध्यान नहीं रखा और सीधे तूफ़ान की ओर बढ़ गए. इसके बावजूद अभी तक कुछ दिक्कत नहीं हुई थी. बाकायदा कॉकपिट के अंदर कुछ हल्की-फुल्की बातचीत भी शुरू हो गयी थी. अफरीदी ने मलिक से कहा, याद है जब गल्फ में एक बार ऐसा ही मौसम हो गया था. मलिक ने जवाब दिया, हां, हम काफी प्रेशर में थे लेकिन उस दिन हमने नाहक चिंता की. ये सुनकर पीछे केबिन में बैठा एक शख्स जोर से हंसने लगा. ये क्रू का एक सदस्य था, जो उस दिन ऑफ ड्यूटी पर था. उसकी मां भी साथ यात्रा कर रही थी.

अफरीदी ने उसकी ओर मुखातिब होकर मज़ाक में कहा, “ये सब तुम्हारी मां की वजह से हुआ ”. इसके बाद कॉकपिट के अंदर एक सिगरेट सुलगाई गई और सब लैंडिंग का वेट करने लगे. इस बात से अंजान कि लाइटर की जो चिंगारी प्लेन के भीतर सुलगाई गई थी, ठीक वैसा ही प्रतिबिम्ब प्लेन के बाहर बन रहा था. बादलों से कड़कने वाली बिजली इतनी तेज़ हो चुकी थी कि कुछ ही देर में प्लेन बुरी तरह डगमगाने लगा.

प्लेन इस्लामाबाद के बेनज़ीर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कुछ ही मील की दूरी पर था. ऊंचाई थी 2500 फ़ीट. तभी अचानक कॉकपिट का अलार्म सिस्टम ज़ोरों से बजने लगा. तूफ़ान के ज़ोर से प्लेन तेज़ी से नीचे जा रहा था. को-पायलट ने विमान का हैंडल खींचकर उसे स्टेबल करने की कोशिश की. इस कोशिश में वो सफल भी हो गए लेकिन तभी तूफ़ान एक बार फिर प्लेन को नीचे की ओर ले जाने लगा. शाम के 6 बजकर 40 मिनट हुए थे. जब प्लेन 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से सीधा नोक के बल जमीन से जा टकराया और उसके परखच्चे उड़ गए. ये हादसा रनवे से 7 किलोमीटर दूर, हुसैनाबाद नाम के गांव में हुआ था. क्रैश इतना भीषण था कि विमान के टुकड़े 2 किलोमीटर के एरिया में फैल गए. ऐसे में किसी के ज़िंदा बचने की कोई उम्मीद नहीं थी.

प्लेन हादसे की वजह क्या थी? 

प्लेन में क्रू और पायलट मिलाकर 127 लोग थे. सब के सब इस दुर्घटना में मारे गए. कुछ देर में जब बचाव दल पहुंचा, तो वहां बस विमान के टुकड़े थे. ग़नीमत थी तो बस इतनी कि ज़मीन पर कोई व्यक्ति इस हादसे की चपेट में नहीं आया था. इत्तेफ़ाक कहें या सरकार की लापरवाही, ठीक इसी जगह पर साल 2010 में भी एक फ़्लाइट क्रैश हुई थी. जिसमें 152 लोग मारे गए थे. तब सरकार ने लीपापोती कर मामले को टाल दिया था. और इस बार भी ऐसी ही कुछ तैयारी थी. लेकिन मारे गए लोगों के परिजनों ने ऐसा होने ना दिया. लोगों ने सरकार के ख़िलाफ़ जमकर प्रदर्शन किया और इस हादसे की पूरी जांच की मांग की.

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गुलाम सरवर खान 2018 से 2022 तक पाकिस्तान के एविएशन मिनिस्टर रह चुके हैं (तस्वीर: ट्विटर/@GSKhan_Official)

सरकार ने दबाव में जांच का आदेश दिया. इस दौरान कई सारी बातें सामने आई. मसलन ख़राब मौसम और पायलट, को-पायलट की लापरवाही. लेकिन जो सबसे हैरतंगेज़ बात पता चली वो ये थी कि दोनों पायलट और को-पायलट ने कभी बोईंग के इस मॉडल को उड़ाने की ट्रेनिंग ली ही नहीं थी. इसी प्लेन के एक बेस मॉडल पर ट्रेनिंग दी गई थी, जबकि ये एडवांस्ड मॉडल था. यहां तक कि पाकिस्तान सिविल एविएशन अथॉरिटी तक को प्लेन के मॉडल की गलत जानकारी थी. हर स्तर पर जबरदस्त लापरवाही हुई थी. इस मामले में भोजा एयर के कुछ 8 कर्मचारियों को सजा हुई. लेकिन ये भी बस छोटी मछलियां थीं. मारे गए लोगों को 5 लाख पाकिस्तानी रूपये देने का वादा किया गया लेकिन वो भी कभी नहीं मिले. जहां तक भोजा एयर की बात है, कंपनी ने मई 2012 में अपनी आख़िरी उड़ान भरी जिसके बाद उसे बंद कर दिया गया.

आख़िरी बार 2020 में पाकिस्तान में कोई प्लेन हादसे का शिकार हुआ था. तब एविएशन मिनिस्टर गुलाम सरवर ने प्लेन हादसों पर संसद में सफाई देते हुए सारा इल्जाम पायलटों पर डाल दिया. हालांकि जानकारों के अनुसार इससे स्थिति में बेहतरी तो नहीं आई, उल्टा पाकिस्तान की इंटरनेशनल बिरादरी में खूब किरकिरी हुई और एविएशन इंडस्ट्री को खासा नुकसान हुआ. मालूम हो कि 2013 में  इन्हीं गुलाम सरवर के बारे में कोर्ट ने फैसला दिया था कि उनकी डिग्री जाली है. जिसके चलते उनकी सदन से सदस्यता ख़त्म कर दी गई. हालांकि 2018 में इमरान खान सरकार के दौरान डिग्री दुबारा खालिस हो गई और गुलाम सरवर एविएशन मिनिस्टर बना दिए गए.

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