आजादी के पहले के दौर में मद्रास (आज के आंध्र में) के गाँव पुट्टापार्थी मेंईश्वरम्मा और पेड्डावेंकामा राजू रत्नाकरम के घर 23 नवंबर 1926 को जन्में चौथेबच्चे का नाम पड़ा – सत्यनारायण. उन्हीं के संगठन के हवाले से प्राप्त जानकारी केमुताबिक सत्यनारायण को 14 साल की ही उम्र से इलाके के लोग ‘गुरु’ और ‘ब्रह्मज्ञानी’के नाम से पहचानने लगे थे. 1940 में सत्यनारायण ने खुद के साईं होने की घोषणा करदी. 1950 में उनके अनुयायियों ने ‘प्रशांति-नियलम्’ नाम से पुट्टापार्थी में हीसाईं का पहला आश्रम बनवाया. कौन थे ये बाबा, क्या है इनकी कहानी, जानने के लिएदेखें पूरा वीडियो.