तारीख: ज़िया उल हक़ के प्लेन क्रैश के पीछे मोसाद का हाथ था?
आज बात एक ऐसे शख़्स की जो पाकिस्तान की कुर्सी पर 11 साल बैठा. मौत आई एक हादसे में. लेकिन 35 साल से लोग कहते हैं, कुर्सी से हटाने के लिए हादसा किया गया.
कुर्सी नाम की एक शै होती है. बैठने के काम आती है. हालांकि हर कुर्सी एक सी नहीं होती. मेज़ के इस तरफ़ रखी हो तो बॉस बन जाती है, और दूसरी तरफ़ रखो तो मुलाजिम. सैकड़ों कुर्सियों के सामने एक अकेली कुर्सी रखी हो तो सत्ता बन जाती है और कुर्सी हो ही ना तो रियाया बन जाती है. रियाया कुर्सी पर बिठाती है, और कुर्सी से उखाड़ भी फेंकती है. कुर्सियां अनेक होती हैं, लेकिन अपने पड़ोसी देश के पास एक ऐसी कुर्सी है. जिसके बारे में कहा जाता है कि, जब तक उस पर बैठे हो, पूरी ताक़त आपकी है. हालांकि अगर कुर्सी छूट गई तो सत्ता तो जाएगी ही जाएगी, जान के भी लाले पड़ जाएंगे. आज बात एक ऐसे शख़्स की जो पाकिस्तान की कुर्सी पर 11 साल बैठा. मौत आई एक हादसे में. लेकिन 35 साल से लोग कहते हैं, कुर्सी से हटाने के लिए हादसा किया गया. हम बात कर रहे हैं, पाकिस्तान के छठे राष्ट्रपति ज़िया उल हक की. जो एक प्लेन हादसे में मारे गए थे. लेकिन 35 सालों से पता नहीं चल पाया है कि ये हादसा था कि साज़िश. CIA ने गोटी फ़िट की या मोसाद ने. या ज़िया को ले डूबे वो आम जिन्हें वे अपने प्लेन में लेकर रावलपिंडी जा रहे थे. ये सोचकर कि उन्हें अपने दुश्मनों की तरह गुठली समेत निगल जाएंगे. देखें वीडियो.