The Lallantop
Advertisement

प्रमोद महाजन की हत्या की पूरी कहानी

साल २००६ में भाजपा के युवा नेता और पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री प्रमोद महाजन की उनके ही भाई प्रवीण महाजन ने हत्या कर दी थी. २२ अप्रैल की सुबह प्रवीण महाजन वर्ली स्थित प्रमोद महाजन के फ्लैट में पहुंचे और वहां दोनों भाइयों के बीच कुल १० मिनट की बातचीत हुई. इसके बाद प्रवीण ने बन्दूक निकाल कर तीन गोलियां प्रमोद को मार दी. 13 दिन अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद ३ मई २००६ को प्रमोद महाजन की मृत्यु हो गई. इस केस में प्रवीण महाजन को आजीवन कारावास की सजा हुई लेकिन २०१० में जब वो पैरोल पर थे तब दिमाग में रक्त स्त्राव के चलते उनकी भी मृत्यु हो गई.

Advertisement
प्रमोद महाजन
वाजपेयी युग में बीजेपी के सबसे करिश्माई नेताओं में से एक प्रमोद महाजन की 2006 में असामयिक मौत हो गई (तस्वीर: Getty)
pic
लल्लनटॉप
22 अप्रैल 2022 (Updated: 22 अप्रैल 2022, 11:29 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

प्रमोद महाजन, भाजपा के लोकप्रिय नेता, जिन्हें कभी अटल बिहारी बाजपेयी का उत्तराधिकारी माना जाता था. 7 सफदरजंग रोड में मौजूद उनके सरकारी बंगले के दरवाजे पर एक लाइन चस्पा होती थी.

"Friends Welcome Anytime. Relatives by Appointment Only”

मतलब, दोस्त बिन बुलाए आ सकते थे. लेकिन रिश्तेदारों के लिए अपॉइंटमेंट लेना जरूरी था. विडम्बना देखिए कि ये बात भविष्यवाणी साबित हुई. साल 2006 में बिना पहले से तय किए वक्त पर उनका भाई प्रवीण महाजन उनसे मिलने पहुंचा और उन्हें गोली मार दी. इतना ही नही प्रवीण के मुताबिक़ हत्या के लिए ट्रिगर करने वाली बात भी अपॉइंटमेंट की ही थी.

फिर केस चला. प्रवीण ने अपना पक्ष रखा. या कहिए कई पक्ष रखे. कभी कहा गुस्से में गोली मारी थी, कभी कहा हाथापाई में गोली चली थी. फिर जेल में प्रवीण ने एक किताब लिखी. उसमें और कई घटनाओं का जिक्र आया. दो और हत्याओं की बात उठी. फिर प्रवीण की भी मौत हो गई. लेकिन एक सवाल ज्यों का त्यों रह गया. हत्या के पीछे मोटिव क्या था? क्या पहले से प्लान बनाया गया था, या आवेश में आकर गोली चली थी? चलिए जानते थे प्रमोद महाजन की हत्या की पूरी कहानी.

२२ अप्रैल के दिन क्या हुआ था? 

22 अप्रैल के दिन प्रमोद महाजन अपने मुंबई वाले घर में थे. दक्षिण मुंबई के वर्ली में बने पूर्णा गोदावरी अपार्टमेंट में उनका अपना फ्लैट था. और इसी बिल्डिंग में उनके बहनोई गोपीनाथ मुंडे भी रहा करते थे. सुबह के 7.30 बजे थे शनिवार का दिन था और प्रमोद अपने ड्राइंग रूम में बैठे अखबार पढ़ रहे थे. उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुई. प्रमोद की पत्नी रेखा महाजन ने दरवाजा खोला तो सामने जींस और टी-शर्ट में प्रमोद का छोटा भाई प्रवीण महाजन खड़ा था.

Pramod
प्रमोद महाजन भाजपा का भविष्य माने जाते थे, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें भाजपा का लक्ष्मण कहा था (तस्वीर: प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन का फेसबुक अकाउंट)

प्रवीण यदा-कदा ही घर में आता था. पिछली रात को ही फोन पर दोनों भाइयों का झगड़ा हुआ था. जिसके बाद प्रवीण ने प्रमोद को एक मेसेज भेजा था. इस मेसेज में लिखा था, अब न होगी याचना, न प्रार्थना, अब रण होगा, जीवन या मरण होगा.

परिवार में तल्खियों के बावजूद प्रवीण परिवार का सदस्य था. इसलिए रेखा ने उसे अंदर आने को कहा, और खुद किचन में चाय बनाने चली गईं. प्रमोद महाजन कुर्ता पायजामा पहने हुए सोफे पर बैठे थे. प्रवीण को देखते ही उन्होंने पूछा, तुम इस वक्त यहां क्या कर रहे हो?

इतना सुनकर प्रवीण सिंगल सीट सोफा में प्रमोद के सामने बैठा. और शिकायत का पुलिंदा लेकर शुरू हो गया. शिकायतें सालों पुरानी थी. प्रवीण को लगता था, प्रमोद के आसपास के लोगों ने बड़ा बिजनेस बनाकर पैसा कमा लिया था, जबकि उनका अपना भाई इग्नोर महसूस कर रहा था. इसके अलावा प्रवीण को ये भी शिकायत थी कि उसने कई बार प्रमोद से मिलने की कोशिश की थी. लेकिन हर बार उसे टाल दिया जाता था.

इस पूरे दौरान प्रमोद अखबार में नजरें गढ़ाए थे. उन्हें आदत हो चुकी थी इन शिकायतों की. सिर्फ एक बार नजर उठाकर उन्होंने प्रवीण को देखा और समझाया कि कोई जरूरी बात हो तो उनके असिस्टेंट से अपॉइंटमेंट लेकर मिलने आए. घड़ी में 7 बजकर 40 मिनट बज रहे थे और बातचीत को शुरू हुए सिर्फ 10 मिनट हुए थे. किचन में चाय अभी भी चूल्हे पर थी. अपॉइंटमेंट वाली बात पर प्रवीण के अंदर जाने क्या ट्रिगर हुआ. उसने अपनी जेब से एक पिस्तौल निकाली और पांच फ़ीट की दूरी से प्रमोद के ऊपर तीन गोलियां दाग दी. बन्दूक में और भी गोलियां थीं. और प्रवीण का इरादा था कि पूरी बन्दूक भाई के ऊपर खाली कर दे. लेकिन किस्मत से चौथी गोली मैगजीन में ही जाम हो गई.

प्रमोद महाजन को अस्पताल ले जाया गया

बन्दूक की आवाज सुन रेखा महाजन दौड़ी-दौड़ी किचन से बाहर आई. उन्होंने देखा प्रमोद सोफे पर धराशायी हैं. तीन गोलियां लगने के बावजूद प्रमोद का ज्यादा खून नहीं बहा था. इसके बाद रेखा ने प्रवीण की तरफ देखा. वो जैसे आया था, वैसे ही फ़्लैट से बाहर निकल गया.

Gopinath
प्रमोद महाजन के बहनोई गोपीनाथ मुंडे (तस्वीर: इंडिया टुडे)

प्रमोद महाजन अभी भी होश में थे. उन्होंने रेखा से जल्दी जाकर उनके बहनोई गोपीनाथ मुंडे को बुलाने के लिए कहा. गोपीनाथ 12वें माले पर रहते थे. रेखा दौड़ी-दौड़ी उनके फ्लैट पर पहुंची और गोपीनाथ को बुला लाई. गोपीनाथ ने प्रमोद को देखा और सीधे गाड़ी से हॉस्पिटल ले जाने का इरादा किया. एम्बुलेंस बुलाने में देर हो सकती थी. रेखा और गोपीनाथ डिस्कस कर रहे थे कि प्रमोद को बांद्रा के लीलावती अस्पताल में ले जाया जाए. तब प्रमोद ने हल्की की आवाज में उनसे कहा, लीलावती बहुत दूर पड़ेगा, मुझे हिंदुजा ले चलो. हिंदुजा माहिम में था और प्रमोद के घर से नजदीक पड़ता था.

अब तक गोपीनाथ मुंडे ने डॉक्टर विजय बांग को भी कॉल कर दिया था. जो उसी बिल्डिंग में रहते थे. और JJ हॉस्पिटल में चीफ ऑफ़ कार्डियोलॉजी हुआ करते थे. बांग ऊपर पहुंचे. उन्होंने प्रमोद की नब्ज़ जांची. ब्लड प्रेशर बहुत नीचे जा चुका था. तब उन्होंने अहसास हुआ कि इंटरनल ब्लीडिंग काफी ज्यादा हुई है. बांग ने हिंदुजा कॉल कर हॉस्पिटल को प्रमोद की हालत के बारे में बताया. और तैयारी करके रखने को कहा.

इतनी देर में प्रमोद के जमाई आनंद राव जो नजदीक ही रहा करते थे, अपनी स्कोडा लेकर वहां पहुंच गए. गाड़ी में बिठाकर प्रमोद को तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया. प्रमोद ने लगभग बेहोशी की हालत में बताया कि वो डायबेटिक हैं और उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है. हिंदुजा में डॉक्टर गुस्ताद डावर तैयार थे. उन्होंने तुरंत ट्रामा सेंटर में प्रमोद का इलाज शुरू किया.

प्रवीण महाजन ने सरेंडर किया

अस्पताल में जहां प्रमोद की जान बचाने की कवायद चल रही थी. वहीं उन्हें गोली मारने वाले प्रवीण के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी. प्रमोद को गोली मारने के बाद वो 15 माले की बिल्डिंग की सीढ़ियों से उतरा और पैदल ही सड़क पर निकल गया. हरी रंग की मारुति स्विफ्ट, जिसमें बैठकर वो प्रमोद महाजन के घर तक आया था, वो भी उसने वहीं छोड़ दी. इसके बाद वो सीधे नजदीक के ट्रैफिक पुलिस हेडक्वार्टर पहुंचा.

Praveen
पुलिस हिरासत में प्रवीण महाजन (तस्वीर: मुंबई मिरर)

 

वहां जाकर उसने ट्रैफिक पुलिस को पूरी कहानी बताई. ट्रैफिक पुलिस ने उसे वर्ली थाने की ओर रवाना किया. इसके बाद प्रवीण से एक टैक्सी पकड़ी और 8 बजकर 30 मिनट पर वो थाने पहुंचा. वहां पहुंचकर उसने सब-इंस्पेकटर जयकुमार शंकर से मराठी में कहा, “मैंने प्रमोद महाजन को गोली मार दी है, सरेंडर करने आया हूं.”

पुलिस ने प्रवीण को गिरफ्तार किया और उस पर हत्या के प्रयास की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया. इसके बाद पुलिस अपनी तहकीकात में लग गई. इस बीच हिंदुजा में डॉक्टर किसी तरह प्रमोद को स्टेबल करने की कोशिश में लगे थे. गोली पॉइंट ब्लैंक दूरी से चलाई गई थी. गोली चलाते हुए प्रवीण खड़ा था. जबकि प्रमोद बैठे हुए थे. इसलिए गोलियां शरीर से बाहर निकलने की बजाय नीचे की और जाते हुए शरीर में अंदर धंस गईं थी. जिसके चलते उनकी अंतड़ियों और लिवर को भारी नुकसान हुआ था.

अब तक इस घटना की खबर पूरे देश को लग गई थी. मीडिया से लेकर बड़े नेताओं की हिंदुजा के बाहर भीड़ लग चुकी थी. अगले कुछ दिनों तक प्रमोद को स्टेबल करने की भरपूर कोशिश हुई. प्रमोद का लिवर काफी हद तक डैमेज हो चूका था. इसलिए लिवर ट्रांप्लांट के लिए लन्दन से लिवर ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट को भी बुलाया गया,. लेकिन 13 दिन अस्पताल में रहने के बाद 3 मई 2006 के दिन प्रमोद महाजन की मृत्यु हो गई. केस अब हत्या के प्रयास, धारा 307 से 302 यानी हत्या में तब्दील हो चुका था. जेल में जब प्रवीण को प्रमोद की मृत्यु की खबर सुनाई गई, तब भी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था. उसने बस इतना पूछा, क्या सही में?

क्यों चलाई थी प्रवीण ने गोली?

केस जब अदालत में पहुंचा, तो मीडिया से लेकर सभी के मन में सिर्फ़ एक सवाल था. हत्या का मोटिव क्या था? पब्लिक प्रोसिक्यूटर नीता पसरकर और EB धमल ने मोटिव तलाशने की कोशिश की. साथ ही वो ये भी इस्टेब्लिश करने की कोशिश कर रहे थे कि हत्या आवेश में आकर की गई थी या पहले से प्लान बनाया गया था.

Buller
प्रवीण महाजन के शरीर में तीन गोलियां लगी थीं (ग्राफ़िक-इंडिया टुडे)

पुलिस ने अपनी तहकीकात में पाया कि 22 तारीख की सुबह प्रवीण महाजन साढ़े पांच बजे अपने घर से निकला था. उसका घर ठाणे में था, जो कभी प्रमोद महाजन ने ही खरीदकर उसे दिया था. जब पत्नी से पूछा, इतनी सुबह कहां जा रहे हो, तो प्रवीण ने जवाब दिया, दादा के यहां. प्रवीण के घर से प्रमोद का घर एक घंटे की दूरी पर था. फिर भी उसे वहां पहुंचने में पूरे दो घंटे लगे. पुलिस के पूछने पर उसने बताया कि वो दो जगह चाय पीने रुका. एक बार मंदिर गया. और इसके बावजूद जब वो प्रमोद के घर जल्दी पहुंच गया. तो उनके उठने के समय का इंतज़ार करने के लिए फ्लैट के नीचे ही रुका रहा.

अदालत में जब मोटिव का सवाल उठा तो प्रमोद महाजन की पत्नी रेखा महाजन ने बताया कि प्रवीण पैसे मांग रहा था, और जब प्रमोद ने इंकार कर दिया तो इसी गुस्से में प्रवीण ने गोली चला दी. प्रवीण ने भी पुलिस को दिए शुरुआती बयान में बताया कि उसने गुस्से में ऐसा किया था. उसके अनुसार वो बार-बार प्रमोद से मिलने का वक्त मांग रहा था, और जब उन्होंने उससे दोबारा अपॉइंटमेंट लेने की बात की तो उसने गुस्से में गोली चला दी.

प्रवीण ने जेल में लिखी किताब

इसके बाद मुक़दमे के दौरान प्रवीण ने कई बार अपना बयान बदला. प्रमोद महाजन भाजपा के लिए फंड जुटाया करते थे. प्रवीण ने आरोप लगाया कि प्रमोद ने इस फंड में हेराफेरी की है. साथ ही उसने प्रमोद के दूसरी महिलाओं के साथ संबंध होने का इल्जाम भी लगाया. हालांकि प्रमोद के परिवार ने इन सब बातों से इंकार किया. 2007 में अदालत ने प्रवीण महाजन को उम्र कैद की सजा सुनाई. नासिक जेल में रहते हुए प्रवीण ने एक किताब लिखी और उसमें दो घटनाओं का जिक्र किया.

Rahul
प्रमोद महाजन अपने बेटे राहुल महाजन के साथ (तस्वीर: Getty)

साल 2006 में प्रमोद महाजन की मृत्यु के लगभग एक महीने बाद की बात है. उस रोज़ खबर आई कि प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन को अस्पताल में भर्ती किया गया. मीडिया में खबर चली कि फ़ूड पोइज़निंग हुई थी. राहुल के साथ एक और शख्स को अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन वहां पहुंचने तक उसकी मौत हो चुकी थी. इस शख्स का नाम था बिक्रम मोइत्रा. बिक्रम प्रमोद महाजन के असिस्टेंट थे. और उस रोज़ राहुल के साथ दिल्ली वाले सरकारी बंगले में ठहरे हुए थे. शुरुआती तहकीकात में बात सामने आई कि दोनों ने खाना मंगाया, जिसके बाद फ़ूड पोइज़निंग से बिक्रम की मौत हो गई. लेकिन फिर बाद में तहकीकात में पता चला था कि ये सब ड्रग्स के सेवन के कारण हुआ था.

प्रवीण ने अपनी किताब में लिखा कि बिक्रम की हत्या की गई थी. और ये सब इसलिए हुआ था. क्योंकि वो प्रमोद महाजन के काफी नजदीक थे. और ये सारा खेल पार्टी फंड से जुड़ा हुआ था. साथ ही प्रवीण ने प्रमोद पर ये इल्जाम भी लगाया था कि उनके दूसरी महिलाओं से सम्बन्ध थे. इस किताब में एक ख़ास घटना जिसका उल्लेख हुआ, वो थी शिवानी भटनागर की हत्या.

शिवानी भटनागर हत्याकांड

शिवानी भटनागर इंडियन एक्सप्रेस अखबार में पत्रकार हुआ करती थी. और जनवरी 1999 में उनकी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने आईपीएस अधिकारी रविकांत शर्मा पर आरोप तय किए थे. पुलिस के अनुसार रविकांत के शिवानी के साथ संबंध थे और वो उन पर शादी को लेकर दबाव बना रही थी. जिसके चलते रविकांत ने कुछ गुंडे भिजवाकर शिवानी की हत्या करवा दी थी. बाद में रविकांत की पत्नी मधु में प्रेस में कहा था कि असल में शिवानी के संबंध प्रमोद महाजन से थे. और शिवानी को उनसे एक बेटा भी पैदा हुआ था. मामले ने तूल पकड़ा तो प्रमोद डीएनए टेस्ट के लिए भी तैयार हो गए थे. हालांकि बाद में पुलिस ने मधु के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया था.

इन सब आरोपों पर प्रमोद महाजन के भाई प्रकाश महाजन ने बाद में कहा था कि ये सब महाजन परिवार को बदनाम करने की कोशिश है.

साल 2010 में प्रवीण की पत्नी की तबीयत खराब हुई तो उन्हें पैरोल मिली और वो जेल से बाहर आए. लेकिन पैरोल के आख़िरी दिन ब्रेन हैमरेज से उनकी मृत्यु हो गई. प्रमोद महाजन की हत्या को लेकर एक सवाल हमेशा बना रहा कि हत्या का असली कारण क्या था. प्रवीण महाजन ने बार-बार अपने बयानों में कभी गुस्से तो कभी पैसे को कारण बताया. फिर कभी वो अचानक फंड्स की हेरा-फेरी और अनैतिक संबंधों की बात करने लग जाता था. बहरहाल प्रवीण की मृत्यु के साथ ये केस क्लोज़ तो हो गया लेकिन ये बात साफ़ तौर पर सामने नहीं आ पाई कि प्रवीण ने प्रमोद की हत्या क्यों की थी. शायद कारण क्षणिक आवेश रहा हो. अदालत ने भी यही माना. लेकिन चूंकि मामला हाई प्रोफ़ाइल था. इसलिए बात पब्लिक के गले से नहीं उतरी कि यूं ही इतने बड़े आदमी की हत्या कर दी गई थी.

वीडियो देखें-'आर्यन्स' को 'सर्वश्रेष्ठ नस्ल' कहने वाला हिटलर भारतीयों के बारे में क्या सोचता था?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement