संजय लीला भंसाली पर हुए करणी सेना के कायराना हमले की फिल्म-इंडस्ट्री जमकर निंदाकर रही है. बड़े-बड़े फ़िल्मी सितारों ने इसकी जम के मजम्मत की है. सुशांत सिंह राजपूतएक कदम आगे चले गए हैं. उन्होंने अपने नाम से राजपूत हटा दिया है. करनी सेना नेराजपूतों के सम्मान की रक्षा में भंसाली पर हमला किया था. सुशांत सिंह ने ऐसे फ़र्ज़ीसम्मान से जुड़े रहने से इंकार कर दिया है. सुशांत सिंह, जोकि खुद भी राजपूत हैं औरगर्व से अपने नाम के आगे राजपूत लिखते थे, इस घटना से बेहद सदमे में हैं. उन्होंनेट्विटर पर से अपने नाम के आगे लिखा ‘राजपूत’ हटा लिया है. उन्होंने लिखा कि “जब तकहम अपने सरनेम को लेकर श्रेष्ठताबोध से ग्रस्त रहेंगे, हमें ये सब भुगतते रहनाहोगा. अगर आपमें दम है तो अपने पहले नाम से अपनी पहचान बनाएं.” सुशांत के इस कदम केबाद राजपूत बिरादरी एक सुर में उनके खिलाफ़ हो गई है. ट्वीटर पर उनको ढेर सारीनसीहतें तो मिली ही, साथ ही गालियां भी पड़ीं. कईयों ने इसे भंसाली की फिल्म में कामपाने का टोटका बताया तो कई लोग सुशांत को राजपूत बिरादरी पर कलंक घोषित कर गए.लेकिन सुशांत डगमगाए नहीं. उन्होंने एक और ट्वीट कर के तमाम नफरती चिंटूओं को नसीहतदे डाली. अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा “कोई भी धर्म या जाति इंसानियत से बड़ी नहीं.प्रेम और दयाभाव ही हमें इंसान बनाते हैं. इसके अलावा किसी भी और तरह का भेदभावनिजी फायदे के लिए ही होता है.” एक और ट्वीट का तो उन्होंने जवाब भी दिया जिसमेंउन्हें अपने बाप-दादाओं के नाम की इज्ज़त करने की सलाह दी गई थी. ऐसे वक़्त में, जबमिथ्या अभिमान को पहने-ओढ़े लोग हिंसक बनने की ओर अग्रसर हैं, किसी न किसी को तो ऐसेसशक्त कदम उठाने ही होंगे. जहां तक बन पड़े प्रतिरोध करना ही होगा. संजय लीला भंसालीकी फिल्म में अगर किसी को तथ्यात्मक गलती मिलती है तो उनके पास कोर्ट जाने कारास्ता खुला है. तथ्यों के साथ न्यायालय की शरण में जाएं. अगर उसमें दम हुआ तोकोर्ट खुद ही फिल्म पर रोक लगा देगी. इससे निर्माताओं का जो माली नुकसान होगा वहीउनकी सज़ा होगी. अगर उन्होंने इतिहास के साथ छेड़छाड़ की है तो इसके जवाब में थप्पड़मारना कोई उपाय नहीं. कानून हाथ में लेकर कौन सी मिसाल कायम की जा रही है? आज थप्पड़मारा है. कोई रोकने वाला न हुआ तो कल गोली मारेंगे. पाकिस्तान बनने में कितनी देरलगेगी हमें? ख़तरनाक ये नहीं है कि कुछ लोगों की यूं सरेआम किसी को पीटने की हिम्मतहुई. ख़तरनाक तो ये है कि इस घटिया हरकत को गर्व, प्रतिष्ठा और शान के नाम पर डिफेंडकरने वाले बड़ी संख्या में मौजूद हैं. किसी को पिटता देख कर खुश होने वाली भीड़ हीआगे चलकर दंगों में तलवार उठाएगी. घरों को आग के हवाले करेगी. ऐसी घटनाएं सैंपल हैइस बात का कि हिंसा लोगों को बेहद आकर्षित कर रही है. महज़ ट्रिगर दबने की देर है औरये भीड़ किसी भी टुच्ची से टुच्ची बात पर ख़ून बहाने तक को तैयार हो जाएगी. सुशांतजैसे कलाकारों को इसलिए भी शाबाशी बनती है कि उन्होंने अंदर से मुखालफ़त का हौसलादिखाया. यही सही तरीका है. आप आइकॉन हो तो आपको ऐसे ही उदाहरण सेट करने होंगे.हिंसा किसी भी फॉर्म में हो, किसी भी वजह से हो, निंदनीय है. सुशांत सिंह जितनेअच्छे कलाकार हैं, उतने ही अच्छे व्यक्ति साबित हुए हैं.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़िएपद्मिनी तो खिलजी की प्रेमिका थी, राजस्थान टूरिज़्म ने भी कहा और आपने भंसाली कोपीट दियाफिल्मकार को पीटकर कौन सा इतिहास बना रहे हैं इतिहासप्रेमी?किस सेना ने की है भंसाली की पिटाई, जिसके बारे में हमने पहले ही बताया था'हिंदू पर बोलते हो मुस्लिम पर क्यों नहीं' कहने वाले ट्रोलर को अनुराग कश्यप नेसुट्ट कर दिया