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कौन हैं ‘मालेगांव के सुपरमैन’ जिन पर फिल्म भी आ रही है? कहानी ‘भयंकर’ मुनाफा कमाने वाली मॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की

मुंबई से करीब 300 किलोमीटर दूर मालेगांव, नासिक के पास बसा एक शहर. जहां फिल्मों का खासा क्रेज है. यहीं के एक डायरेक्टर हैं शेख नासिर. कहना गलत नहीं होगा कि नासिर मालेगांव के अपने ‘James Cameron’ हैं. ये जाने जाते हैं पैरोडी फिल्में बनाने के लिए.

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malegaon ka superman
फिल्म में अपने 'सुपरमैन' को उड़ाने के लिए कुछ ऐसा जुगाड़ किया गया था (Image: X, Kartikdhar)
21 मार्च 2024 (Updated: 21 मार्च 2024, 16:28 IST)
Updated: 21 मार्च 2024 16:28 IST
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सुर्ख लाल मखमली ‘चड्डी’. जो मान्यताओं से उलट, नीले पैंट के ऊपर पहनी गयी हो. इसी लाल कच्छे से मेल खाते मोजे जो ‘हवाई’ चप्पलों के भीतर पुहाए गए हो. जुराबों के ही रंग का गले से बंधा हुआ परदा . जिसको ब्रितानी लोग केप (cape) भी कहते हैं. छाती पर पीले रंग के लोगो (logo) पर अंग्रेजी का बड़ा सा अक्षर लिखा हुआ. यहां हम हॉलीवुड के ‘उस’ किरदार की बात नहीं कर रहे. हम बात कर रहे हैं, मालेगांव के अपने देशी ‘सुपरमैन’ की (Supermen of Malegaon). जिस पर पहले तो मालेगांव में फिल्म बनी. उस फिल्म पर एक डॉक्यूमेंट्री बनी और अब मालेगांव फिल्म इंडस्ट्री के ऊपर एक बॉलीवुड फिल्म भी आ रही है.

‘टाइटैनिक’ और ‘अवतार’ जैसी फिल्मों के डायरेक्टर James Cameron बताते हैं कि जब उनसे कोई फिल्म डायरेक्ट बनने के बारे में सवाल पूछता है? तो वह कुछ ऐसा जवाब देते हैं,

बस फिल्म डायरेक्टर बनो! कैमरा उठाओ कुछ भी शूट करो. चाहे वो कितना भी उल्टा सीधा लगे. चाहे उसमें किरदार तुम्हारा कोई दोस्त हो या फिर भाई-बहन. बस शूट करो और डायरेक्टर के तौर पर अपना नाम लिख दो. बस बन गए फिल्म डायरेक्टर… इसके अलावा जो कुछ है, वह बस फिल्म का बजट बढ़ाने के लिए मोलभाव करना है. 

कैमरन की ये बात हम यहां इसलिए बता रहे हैं. क्योंकि आज हम बात करने वाले हैं. ऐसे ही एक डायरेक्टर की जिसने सिर्फ 50 हजार के बजट में सुपरहीरो फिल्म बनाने का सपना देखा. सपना पूरा भी किया, ‘ये है मालेगांव का सुपरमैन’ फिल्म बना कर, जो ‘कल्ट’ फिल्म कही जाती है.

इन ‘सुपमैन’ पर बॉलीवुड फिल्म भी बनने जा रही है

मालेगांव के इस फिल्म प्रेम पर बॉलीवुड में भी एक फिल्म आ रही है. जिसका नाम है ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’(supermen of Malegaon). इसके लेखक हैं वरुण ग्रोवर और प्रोड्यूसर्स की लिस्ट में जोया अख्तर और फरहन अख्तर जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इस फिल्म के एलान के बाद से मालेगांव की फिल्में फिर चर्चा में हैं. तो आइए आज जानते हैं, क्या है कहानी मालेगांव की अपनी सुपरहीरो फिल्म के बनने की?

कैसे चर्चा में आया मालेगांव का सुपरमैन?

मुंबई से करीब 300 किलोमीटर दूर मालेगांव, नासिक के पास बसा एक शहर. जहां फिल्मों का खासा क्रेज है. यहीं के एक डायरेक्टर हैं शेख नासिर. कहना गलत नहीं होगा कि नासिर मालेगांव के अपने ‘जेम्स कैमरन’ हैं. ये जाने जाते हैं पैरोडी फिल्मों को बनाने के लिए. 

जिसमें शोले फिल्म की पैरोडी (parody) यानी मजाकिया नकल ‘मालेगांव की शोले’, शान और डॉन जैसी ‘इंडी’ फिल्में शामिल हैं. लेकिन जिस फिल्म की वजह से वो सबसे ज्यादा चर्चा में आए वो थी, साल 2009 में आई ‘ये है मालेगांव का सुपरमैन.

चर्चा की वजह थी इस फिल्म के बारे में बनी डायरेक्टर फ़ैज़ा अहमद खान की एक डाक्यूमेंट्री, ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’. जो इस फिल्म के बनने और मालेगांव की फिल्म इंड्स्ट्री ‘मॉलीवुड’ की दिलचस्प कहानी के बारे में थी. नीचे इसके कुछ सीन्स पर नजर डालिए, फिर बताते हैं पूरी कहानी.

क्यों है मालेगांव में फिल्मों का ऐसा क्रेज?

मालेगांव की इस सुपरहीरो फिल्म से जुड़े शकील भारती डाक्यूमेंट्री में बताते हैं कि मालेगांव में पावर लूम या धागा बनाने वाली मीलें बडी संख्या में हैं. इसलिए मील में जी-तोड़ काम करने वाले लोग छुट्टी के दिन फिल्मों में राहत खोजते हैं. बता दें ये 2000 के आस-पास के उस दौर की बात है. जब सिनेमा स्मार्ट फोनों से इतर थिएटर और सीडी-डीवीडी वगैरह में ज्यादा देखा जाता था. 

इसी दौर में नासिर कभी वीडियो पार्लर चलाया करते थे. जिसमें वो लोगों के लिए एक छोटे से कमरे में तरह-तरह की फिल्में लगाया करते थे. पार्लर तो बंद हो गया लेकिन फिल्मों के लिए नासिर का प्यार जस का तस रहा. हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरणा लेकर नासिर ने एक कैमरा लेकर खुद की फिल्में बनाना शुरू कर दिया. 

नासिर के मुताबिक उनकी फिल्म ‘माले गांव की शोले’ खूब चली. महीने भर ‘हाउसफुल’ रही. मालेगांव में उसी की चर्चा होती थी. कारण था फिल्म में लोकल भाषा में डायलॉग लिखे गए थे. डायलॉग्स की बातें और भी हैं. पहले नासिर की फिल्म के लेखक की ये कविता सुनिए. फिल्मों को लेकर वो कितने सीरियस हैं, ये आप कविता की गहराई से समझ सकते हैं. 

लोकल दर्जी से सिलवाई गई सुपरमैन की ड्रेस, ट्रक पर टांगी गई ‘ग्रीन स्क्रीन

मालेगांव की शोले के चलने के बाद नासिर ने एक कदम आगे जाने की सोची. अब बारी थी हॉलीवुड फिल्मों की तरह चमकते ग्राफिक्स की. नासिर इसके लिए क्रोमा में शूट करने की सोच रहे थे. बता दें क्रोमा एक तरह का सॉफ्टवेयर है, जो फिल्मों को एडिट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. नासिर इसी क्रोमा की मदद से अपने सुपरमैन को उड़ाने की सोच रहे थे. जिसके लिए उन्होंने एक ट्रक पर ‘ग्रीन स्क्रीन’ टांगी जो वीडियो एडिट करते वक्त काम आती है.

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नासिर के सुपरमैन को दमा था

नासिर ने सुपरमैन के किरदार में एक पतले दुबले शख्स शफीक को रखा था. जो पावर लूम में काम करता था. नासिर के सुपरमैन को पॉल्युशन की वजह से दमा था. वो बीमार था, जब उड़ता था तो गोल घूमने की वजह से चक्कर खा कर गिर पड़ता था. ये तो था फिल्म के हीरो का किरदार, विलन तो और भी मजेदार था. 

विलन के किरदार में थे अकरम खान, जिनका एक डायलॉग कुछ ऐसा था

मैं हिन्दुस्तान के हर बच्चे, हर जवान, हर बूढ़े को थूकते हुए देखना चाहता हूं. सड़कों पर होटलों पर दीवारों पर, टॉयलेट में हर जगह. क्योंकि मुझे गंदगी बहुत पसंद है… आई लव गंदगी!

इन सब किरदारों ने फिल्म में काम किया. और कुछ इस तरह नासिर की अपनी सुपरहीरो फिल्म बनकर तैयार हुई. रिलीज भी की गई और क्या उड़ान भरी मालेगांव के इस सुपरमैन ने. लोगों ने फिल्म को खूब सराहा, यहां तक बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने भी फिल्म की तारीफ की थी. इस सब में एक बड़ा हाथ फैजा की डाक्यूमेंट्री का भी था. जिसे कई अवार्ड भी मिले और जो आज भी कई जगह दिखाई जाती है.

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बहरहाल मालेगांव के इन सुपरमेन के सिनेमा प्रेम ने मालेगांव फिल्म इंडस्ट्री को नई पहचान दी. उसका नाम लोगों तक पहुंचाया. शायद इसीलिए इनपर अब बॉलीवुड फिल्म भी आ रही है. आज मालेगांव में सिनेमा की जगह काफी हद तक यूट्यूब ने ले ली है. मालेगांव के कई लोकल क्रिएटर्स हैं जो छोटे वीडियो बनाकर लाखों व्यूज लाते हैं.

कहा तो यहां तक जाता है कि मालेगांव की ‘मॉलीवुड’ को अक्सर कमतर आंका जाता है. जबकि ये सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वालों में से एक है. यहां कि मजेदार फिल्में अपने बजट का 100 फीसद तक मुनाफा बनाती है.

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