2 अक्टूबर, 1904 को लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ और 11 जनवरी, 1966 को लालबहादुर शास्त्री की मौत हुई थी. ताशकंद में उस रात को क्या हुआ था, ये आज भीहिंदुस्तान में चर्चा का विषय बना रहता है. सरकारें आईं और गईं. पर किसी ने इस मौतसे पर्दा नहीं उठाया. हमेशा विपक्ष के लोग ही मांग करते हैं कि रहस्य खोला जाए.साल 1965 की भारत-पाक लड़ाई के बाद ताशकंद में समझौता हो रहा था. शास्त्री और जनरलअयूब खान में खूब बातें हुई थीं. दोनों एक बात पर राजी हो गये थे. पर शास्त्री कोएक बात का डर था. जिस बात पर वो राजी हुए थे, उसके बारे में उन्होंने इंडिया मेंकिसी से सलाह नहीं ली थी. डर था कि विपक्ष क्या हाल करेगा बाद में. देश का मसला था,पाकिस्तान का पेच था, अपनी पार्टी के लोग ही क्या करते. क्योंकि लड़ाई में भारतकाफी आगे बढ़ चुका था. भारत चाहता तो पाकिस्तान को और फंसा सकता था. पर शास्त्री नेइस समझौते में लड़ाई के पहले की स्थिति मान ली थी. इस बात से लड़ाई के जोश में रंगेलोगों के भड़कने का खतरा भी था. पर इस समझौते के लिए भारत पर अमेरिका के साथ रूस काभी दबाव था.वहां एक पत्रकार भी था, जिसकी नजर से कुछ छुपने वाला नहीं थाउस रात वहां एक पत्रकार भी था. इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर. अपनी किताबमें लिखते हैं कि उस रात उनको सपना आ रहा था कि शास्त्री मर रहे हैं. तभी उनकेदरवाजे पर नॉक हुई. एक लेडी ने बताया कि आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं. कुलदीपभागे. देखा कि बरामदे में सोवियत प्रीमियर एलेक्सी कोसीझिन खड़े थे. हाथ से इशाराकिये कि शास्त्री मर गये. डॉक्टर आपस में बातें कर रहे थे. शास्त्री के पर्सनलडॉक्टर चुघ भी वहीं थे.कुलदीप नैय्यरअंदर एक बहुत ही बड़े कमरे में एक बड़ा सा बेड था. उस पर छोटे से शास्त्री की बॉडीरखी हुई थी. नीचे उनका चप्पल पड़ा हुआ था. थर्मस गिरा हुआ था. लग रहा था किशास्त्री ने उसे खोलने की खूब कोशिश की थी. पर कमरे में कोई बजर नहीं था कि बजा केकिसी को बुलाया जा सके. यही वो मुद्दा था जिस पर सरकार ने बाद में संसद में झूठबोला था.कुलदीप को शास्त्री के पर्सनल सेक्रेटरी जगन्नाथ सहाय ने बताया कि रात को शास्त्रीने जगन के दरवाजे पर नॉक किया और पानी मांगा. पर दोनों के कमरे के बीच की दूरीअच्छी-खासी थी. इतना चलने और दरवाजा खोलने, नॉक करने की वजह से शास्त्री का हार्टअटैक ज्यादा खतरनाक हो गया था.रात के डेढ़ बजे शास्त्री को लड़खड़ाते देखा गयाफिर पता चला कि दिन भर अपना कार्यक्रम निपटाने के बाद शास्त्री 10 बजे रात को अपनेकमरे में पहुंचे. उनके नौकर रामनाथ ने राजदूत कौल के घर से लाया खाना रख दिया. पालकऔर आलू था खाने में. रामनाथ ने फिर शास्त्री को दूध दिया पीने के लिए. दूध पीने केबाद शास्त्री सीढ़ियों पर ऊपर-नीचे करने लगे. फिर रामनाथ को बोले कि जाओ अब सो जाओ.क्योंकि अगले दिन काबुल जाना था. रामनाथ ने कहा कि यहीं फर्श पर सो जाता हूं. परशास्त्री ने मना कर दिया. रात के डेढ़ बजे सामान पैक हो रहा था. तभी जगन्नाथ नेशास्त्री को अपने दरवाजे पर देखा. बहुत मुश्किल से बोल रहे थे कि डॉक्टर साहब कहांहैं. लोगों ने उनको पानी दिया. फिर उनके कमरे में लाकर बेड पर लिटाया. कहा किबाबूजी आप ठीक हो जाएंगे तुरंत. पर शास्त्री ने अपना सीना छुआ और फिर होश खो बैठे.जब डॉक्टर आये तो पता चला कि मौत हो चुकी थी.अयूब खान भी दौड़े आए. शास्त्री की मौत से वो दुखी थे. क्योंकि उनको लगता था किशास्त्री ही वो आदमी हैं जिनकी मदद से भारत-पाक झगड़ा सुलझाया जा सकता है.पाकिस्तान के फॉरेन सेक्रेटरी ने तुरंत अपने यहां फोन किया जुल्फिकार अली भुट्टो कोऔर बताया कि मौत हो गई है. भुट्टो सो रहे थे. भुट्टो ने बस मौत शब्द सुना और नींदमें ही पूछा- Which of the two bastards?अयूब खान के साथ लाल बहादुर शास्त्रीशास्त्री का शरीर नीला पड़ गया, शक के दायरे में कई लोग आयेबाद में शास्त्री के नीले पड़ चुके शरीर को लेकर अफवाहें उड़ने लगीं कि जहर दियागया है उनको. उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने इस बात पर बहुत जोर दिया. पर कुलदीप केमुताबिक डेड बॉडी पर बाम लगाया गया था ताकि वो खराब ना हो. इसी वजह से नीला रंग होगया था. अफवाह इसलिए भी उड़ी क्योंकि पता चला कि उस रात खाना रामनाथ ने नहीं बल्किकौल के घर पर उनके नौकर जान मोहम्मद ने बनाया था. हालांकि एक साल पहले शास्त्री जबमॉस्को गये थे तब भी मोहम्मद ने ही खाना बनाया था. रूस के अफसरों ने उस पर संदेहजताया. उसे पकड़ लिया गया.रूस के कुक अहमद सत्तारोव को धर लिया गया था उस वक्त. उसके साथ तीन और लोग पकड़ेगये. वहीं पर जान मोहम्मद को भी लाया गया. सत्तारोव को लगा था कि मोहम्मद ने ही जहरदिया था शास्त्री को. बाद में सत्तारोव ने कहा था,"हम लोग इतने नर्वस थे कि मेरेसामने मेरे एक साथी की कनपटी का एक बाल सफेद हो गया. और उसी दिन से मैं हकलानेलगा." बीवी के साथ शास्त्री (सोशल मीडिया से)शास्त्री की बॉडी का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ था. पर उनकी बॉडी पर कट के निशान थे.इसका कभी पता नहीं चला कि क्यों थे ये निशान. जान मोहम्मद को बाद में राष्ट्रपतिभवन में नौकरी मिल गई थी. शास्त्री के साथ गये डॉक्टर चुघ और उनका पूरा परिवार 1977में एक ट्रक एक्सीडेंट में मारे गये. सिर्फ उनकी एक बेटी बची जो अपाहिज हो गई.शास्त्री के परिवार वालों के मुताबिक रामनाथ ने ललिता से एक दिन कहा था- बहुत दिनका बोझ था अम्मा. आज सब बता देंगे. पर रामनाथ का कार एक्सीडेंट हो गया. उसके पैरकाटने पड़े. फिर उसने याददाश्त खो दी.पर कुलदीप नैय्यर अपनी एक किताब में लिखते हैं कि समझौते के बाद शास्त्री बहुतप्रेशर में थे. अकेले डिसीजन लिया था. सबसे बात करनी थी. समझाना था. नेशनल औरइंटरनेशनल पॉलिटिक्स दोनों सुलझाने थे. शास्त्री ने अपने घर पर फोन किया. बेटीकुसुम को बहुत प्यार करते थे. उसको बताया. तो वो बिफर गई. कि पापा आप ऐसा कैसे करसकते हैं. भारत इस लड़ाई में बहुत आगे आ चुका है. पीछे क्यों हटेंगे हम. क्योंपाकिस्तान की जमीन छोड़ेंगे. शास्त्री घबरा गये. बोले कि मम्मी से बात कराओ. परउन्होंने शास्त्री से बात ही नहीं की. इसके बाद शास्त्री और प्रेशर में आ गए. कि जबघर वाले नहीं मान रहे तो बाहर वाले क्या मानेंगे. शास्त्री को पहले भी दो हार्टअटैक आ चुके थे. ऐसी स्थिति में उनको तीसरा हार्ट अटैक आना कोई बहुत बड़ी बात नहींथी.पाकिस्तान में इस समझौते को जनता ने स्वीकार नहीं किया. भुट्टो अयूब खान से अलगहोकर अपनी पार्टी बना लिए. अयूब खान के पतन में इस समझौते का भी रोल था.(कुलदीप नैय्यर की किताब Beyond The Lines और Scoop से)-------------------------------------------------------------------------------- ये भी पढ़िए-वो 30 साल जेल में रहा और कोई पाकिस्तानी पॉलिटीशियन जिसे देखना नहीं चाहता थाइस आदमी ने करवाया आज़ाद भारत पर पहला मिलिट्री हमलाइस पत्रकार को मजहब के दंगाइयों ने मार दिया थारोग नेशन: पाकिस्तान की वो कहानी, जो पूरी सुनाई नहीं जातीहवा में मरा DU का लड़का, जिसके नाम पर पाकिस्तान की पेशाब रुक जाती थी