अपने यहां की हिस्ट्री की किताबों से जो सबसे बड़ी शिकायत मुझे रही है वो ये किलगभग हर नाम के आखिर में 'a' लगा होता है. तो मालूम नहीं चलता कि बोलने में 'आ'लगाएं कि नहीं. मुझे आज भी नहीं मालूम कि 'चोल' था कि 'चोला'. अब शायद वो दूर हो.क्योंकि सोनी टीवी वाले एक नया शो ला रहे हैं 'पृथ्वी वल्लभ' नाम से. इसमें परमारराजा वकपति मुंज और चालुक्य (या चालुक्या) राजकुमारी मृणालवती के प्यार की कहानीदिखाई जाएगी. इस सीरियल का ट्रेलर चार सितंबर को बच्चन अमिताभ के केबीसी में दिखायागया.सीरियल आने में अभी वक्त है, तब तक इसकी कहानी में काम आने लायक हिस्ट्री आप जानलीजिए.परमार कौन थे?आज से बहूहूहूत पहले, आठवीं सदी में हिंदुस्तान के मध्य और दक्षिण में तीन बड़ेराज्य थे, जिनका भौकाल था - पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट. तीनों राज्य ताव में रहतेथे. इनके बीच 'तू बड़ा कि मैं बड़ा' वाली ढेर सारी लड़ाइयां होती थीं. ये रुकानौंवी सदी में जाकर, जब सियाक नाम के राजा ने राष्ट्रकूटों को हरा दिया और परमारोंका राज स्थापित किया. नाम दिया मालवा. परमार राजा सियाक-2 के ज़माने के आलेख आगे हुआ ये कि सियाक के दो बेटे हुए - वकपति मुंज और सिंधुराज. राजा भोज जो थे, वोसिंधुराज के ही बेटे थे. कहते हैं कि वकपति सियाक का गोद लिया बेटा था. एक बारसियाक नदी के किनारे टहल रहे थे और मुंज घास के झुरमुट में उन्हें एक बच्चा मिलाजिसे वो अपने यहां ले आए. यही आगे चल कर वकपति बना. नाम घास के नाम पर वकपति मुंजरखा गया.पृथ्वी वल्लभ की कहानीकहने वाले ये भी कहते हैं कि सियाक ने मुंज को अपना वारिस बनाया था. क्योंकि वोउनका बड़का बेटा था. मुंज का संस्कृत के पंडित थे और मन उनका आर्ट-लिटरेचर-कल्चरमें रमा रहता था. लेकिन पापा ने कहा, तो उन्होंने राज संभाल लिया.उस ज़माने में एक बड़े कवि हुए धनपाल नाम के. इनने एक किताब लिखी तिलक मंजरी. येकिताब कहती है कि मुंज धुनष बढ़िया चलाते थे, माने धनुर्धर कहलाने टाइप्स. धनुष काभौकाल दिखाने के बाद उन्होंने अपना नाम रख लिया पृथ्वी वल्लभ. माने धरती का मालिक.ये नाम पहली बार राष्ट्रकूटों के राजा दंतिदुर्ग ने अपने लिए इस्तेमाल किया था.उन्हें नामों से प्यार था. तो उनके दो और नाम थे - श्रीवल्लभ और अमोघवर्ष.मुंज और राज भोज की ट्यूनिंगमुंज जो थे, वो राजा भोज के चचा थे. भोज के चाचा जी ने ही उन्हें अगला राजा बनने कीट्रेनिंग दी. मुंज का मानना था कि भोज बढ़िया मुहूर्त पर पैदा हुए हैं और उन परसरस्वती का आशीर्वाद है. कहते हैं कि भोज ने मुंज को निराश नहीं किया.फिर एक दिन मुंज के दरबार में एक बामन आए. उस से कहा गया कि भोज की कुंडली बांचदें. बामन ने इस पर कह दिया कि भोज प्रतापी राजा होंगे और उनका राज पूरे 50 सालचलेगा. इस बात ने मुंज को डरा दिया. मुंज को लगने लगा कि भोज का प्रताप कहीं उन्हेंन खा जाए. उनका कई दिन और राज करने का मूड था.तो मुंज ने भोज को माड्डालने का प्लान बनाया. इसके लिए मुंज ने अपने भरोसेमंद आदमीवत्सराज से कहा कि भोज को भुवनेश्वरी मंदिर ले जाओ और वहीं खत्म कर दो. वत्सराज नेमुंज को ज्ञान देने की कोशिश की, लेकिन मुंज है कि सुने ही न. मजबूरी में वत्सराज'हां जी' कहकर आ गए. एक दिन भोज को भुवनेश्वरी मंदिर ले भी गए. इसके अगले दिन खबरफैल गई कि भोज का मर्डर हो गया है. आगे हुआ ये कि मुंज को एक सिर और उसके साथ मेंएक श्लोक लिख कर भेजा गया. श्लोक लिखा था संस्कृत के जानकार भोज ने. श्लोक का मतलबकुछ यूं था कि एक राजा की महानता इसी में है कि वो अपने राज पाट को लेकर निर्मोहीरहे. इस हिसाब से मुंज कभी महान नहीं होंगे, क्योंकि उनका दिल उनके राज-पाट मेंफंसा हुआ है. मुंज ये पढ़कर रो दिए. तब वत्सराज ने उन्हें बताया कि भोज ज़िंदा हैं.मुंज को इससे पश्चाताप होने लगा और वो अपने कर्मों की माफी मांगने के लिएतीर्थयात्रा पर चले गए.मगर परमार और चालुक्यों की क्यों ठनी रहती थी?मुंज के ज़माने में परमारों के दुश्मनों की लिस्ट में टॉप पर थे चालुक्य. चालुक्योंके राजा थे तईपाल द्वितीय. चालुक्य ऐसा मानते थे कि राष्ट्रकूटों के असली वारिस वोहैं. इतिहासकार गंगा प्रसाद यादव अपनी किताब “Dhanapala and His Times: A SocioCultural Study Based Upon His Works” में जो कुछ बताते हैं, उसका निचोड़ कुछ यूंहै - पांच बार तईपाल ने मुंज के राज्य पर हमला किया और हार गया. इससे मुंज फ्रस्टेटहो गए. उनने कहा, आओ चालुक्यों का टंटा ही खत्म किए देते हैं. फिर छठवीं लड़ाई हुई.बार लड़ाई मुंज ने शुरू की. मुंज के मंत्री रुद्रादित्य की सलाह थी कि मुंज गोदावरीपार न करें. गोदावरी उन दिनों परमार और चालुक्य राज के बीच की सीमा थी. लेकिन मुंजबात फाइनल करने के मूड में थे. उन्होंने सलाह नज़रंदाज़ की. नतीजा ये रहा कि मुंजधर लिए गए. तईपाल ने पृथ्वी वल्लभ कहलाने वाले राजा को कैद कर लिया.कैद मे ही लवस्टोरी का स्कोप पैदा हुआतईपाल की एक छोटी बहन थी मृणालवती. उसे कैद में पड़े मुंज से प्यार हो गया. मुंज कोभी हो गया. यहां मुंज से एक बहुत बड़ी गलती हो गई. उनने अपने भागने का प्लान बतादिया मृणालवती को. मृणालवती ने ये बात जाकर अपने भाई को मुंज का प्लान बता दिया.कहते हैं कि तईपाल ने मुंज का सिर धड़ से अलग करने से पहले उसे दर-दर भीख मांगने परमजबूर कर दिया. मृणालवती ने मुंज का प्लान अपने भाई को बता दिया था (सांकेतिक फोटो) मॉरल ऑफ द स्टोरीधनपाल तिलक मंजरी में लिखते हैं कि एक महान राजा वो होता है जो छह बुरी आदतों सेदूरी बनाता है - लालच, गुस्सा, बेवकूफी, घमंड, बद्तमीज़ी और जुनून. मुंज का जुनून(उसका प्यार) ही उसके अंत का कारण बना. एक राजा - शिव का एक भक्त, संस्कृत का एकपंडित और एक कवि - अपनी जान जाते वक्त एक चोर की सी मौत मरा. अपने जुनून के चलते.--------------------------------------------------------------------------------और पढ़ेंःजयपुर में खज़ाना खुदवाने का असली खलनायक यह शख्स थातिलिस्मी सीरियल ‘चंद्रकांता’, जिसके ये 7 किरदार भुलाए नहीं भूलते