दिल्ली में रायसीना हिल्स के पास ही चाणक्यपुरी एरिया में मालचा महल है. 1985 मेंभारत सरकार ने बेगम विलायत महल को इसका मालिकाना हक दे दिया. इस टूटते हुए खंडहर होरहे चमगादड़ों से भरे महल के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर 9 साल तकधरना दिया था. वो वहीं रहती थीं. जब रेलवे के अफसर उनको हटाने आते, तो उनके 11डोबरमैन कुत्ते उन पर झपट पड़ते. पीछे से वो धमकी देतीं कि अगर कोई भी आगे आया, तोसांप का जहर पीकर वो जान दे देंगी. उनका कहना था कि वो अवध के नवाब वाजिद अली शाहके खानदान की हैं. राजकुमारी हैं और इस नाते वाजिद अली शाह का ये महल उनका ही हुआ.उस महल में छिपकलियां घूमती थीं, कमर तक घास उगी थी, दरवाजे नहीं थे.10 सितंबर 1993 को बेगम विलायत महल ने 62 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली.रेलवे स्टेशन पर बेगम का परिवारमहल तो मिला पर बेगम बच्चों को छोड़ गईं, तब तक जमाना बदल चुका थाअवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह को 1856 में अंग्रेजों ने सत्ता से बेदखल कर दियाथा. उनको कलकत्ता जेल में डाल दिया गया, जहां उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 26 सालगुजारे. जब 1947 में इंडिया को आजादी मिली तब तक वाजिद अली शाह का खानदान इधर-उधरबिखर चुका था. पर कई लोग क्लेम कर रहे थे कि वो नवाब के खानदान के हैं.प्रधानमंत्री नेहरू ने नवाब के खानदान को कश्मीर में एक घर दे दिया.सोसाइटी मैगजीन में बेगम के धरने के बारे में निकला थापर 1971 में वो घर जल गया. तो राजकुमारी अपने बेटे और बेटी के साथ लखनऊ आ गईं. उसवक्त इंदिरा गांधी की सरकार थी. उस सरकार ने तो राजाओं के भत्ते भी खत्म कर दिए थे.तो उनके पुराने महलों को कैसे दे दिया जाता. इसी वजह से बेगम ने नई दिल्ली रेलवेस्टेशन पर अपना राज्य बना लिया था. बेगम के बेटे रियाज ने कहा था कि हम लोगरिक्वेस्ट नहीं करते हैं, मांग करते हैं. तो इंदिरा गांधी के प्रॉमिस के बाद मालचामहल उनको दे दिया गया. फिरोजशाह तुगलक ने इस महल को 13वीं शताब्दी में बनवाया था.जब नवाब शिकार करने आते तो इसी महल में रुकते थे.रियाज, सकीना और बेगमबेगम की लाश 10 दिनों तक उनकी स्टडी डेस्क पर पड़ी रही थी. उनके बच्चे मातम मना रहेथे. मां की मौत के बाद बेटी सकीना ने सिर्फ काले रंग के कपड़े ही पहने हैं. बेगमविलायत महल के नाम की पट्टीइस घर में ना बिजली थी, ना पानी की सप्लाई. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के एकअफसर धर्मवीर शर्मा इस महल का निरीक्षण करने गए थे. एक सांप सीलिंग से उनकी बांह परगिर गया. धर्मवीर ने उस वक्त कहा था कि अब मैं उस महल में कभी नहीं जा सकता. पतानहीं, बेगम कैसे रहती हैं वहां पर. सिर्फ छिपकलियां, सांप और चमगादड़ रहते हैं वहांपर. ये घर भुतहा लगने लगा था. पर कुछ लोगों को ये भी लगता कि इसमें खजाना छिपा हुआहै. जैसा कि हिंदुस्तान में हर महल को ले के लगता है. 24 जून 1994 को कुछ उत्साहीलोग इस घर में उसी खजाने की तलाश में घुस गए. दोनों भाई-बहन डर गए. उन्हें डर होगया कि कहीं ये लोग उनकी मां की कब्र ना खोद दें खजाने के चक्कर में.महल का गेट जिस पर लिखा है कि लोगों का आना मना है, गोली मार दी जाएगीभाई-बहन ने खुद ही कब्र खोद दी और मां की बॉडी जला दी. ताकि मां की बॉडी और कब्र कोकोई नुकसान ना पहुंचे. राख को एक बर्तन में रख दिया. इस घटना के बाद दिल्ली केलेफ्टिनेंट गवर्नर ने उनको रिवॉल्वर मुहैया कराई. एक वक्त था कि उन लोगों के पास 28कुत्ते थे पर आस-पास के लोग उन कुत्तों को जहर देते रहते. बाद में कई मर गए. लोगोंने उनके महल से चांदी और सोने के सामान भी चुरा लिए थे.पर धीरे-धीरे इस महल के भुतहा होने की बात फैलने लगी. लोग कहने लगे कि एक-दोपत्रकार भी कहानी की तलाश में इस महल में घुसे पर वापस नहीं लौटे. भाई-बहन का बाहरीदुनिया से कोई वास्ता नहीं था. वो बस खाने-पीने का सामान लेने घर से बाहर निकलतेथे. मुंह पर कपड़ा बांध के. महल के सोने-चांदी से उनका काम चलता रहा. पत्रकार, अफसरसमेत नेताओं ने उनसे कई वादे किए थे. पर सबने बाद में बात बदल दी थी. कई लोगों नेउनके झूठे बयान पेश कर दिए, जिसकी वजह से उनकी छवि खराब हुई.दोनों भाई-बहन बहुत अच्छे से पढ़े हुए हैं. सकीना ने तो मां के ऊपर एक किताब भीलिखी है. किताब का नाम है ‘प्रिंसेस विलायत महल : अनसीन प्रेजंस’. पर ये किताबनीदरलैंड्स, फ्रांस और ब्रिटेन की लाइब्रेरियों में मौजूद है, इंडिया में नहीं. इनलोगों के पास एक पुरानी तोप भी है. कई लोग इसे खरीदना भी चाहते हैं, पर इन लोगों नेइसे बेचने से इनकार कर दिया है.बाहरी लोगों से तो राजकुमार-राजकुमारी नहीं मिले, पर विदेशी अखबारों को इंटरव्यूदियाराजकुमारी सकीना1998 में न्यूयॉर्क टाइम्स को इंटरव्यू देते हुए सकीना ने कहा था कि मुझे समझ आ गयाहै कि ये दुनिया कुछ नहीं है. ये क्रूर प्रकृति हमारी बर्बादी में खुश होती है.इसलिए मुझे किसी चीज की इच्छा नहीं होती. मुझे कुछ नहीं चाहिए. हम जिंदा लाशों केखानदान बन गए हैं.भाई-बहन अपनी मां को कभी मां नहीं कहते थे. 'हर हाइनेस' कहते थे. अपनी मां से इसकदर जुड़े थे कि रिपोर्टरों से भी सिर्फ उनकी ही बात करते कि वो इस थाली में खातीथीं, उनको ये अच्छा लगता था.यूएसए टुडे को दिए इंटरव्यू में सकीना ने कहा था कि हम अंधेरे में छोड़ दिए गए हैं.नक्षत्रों ने हमको घेर लिया है. पर अखबार की नजर में सकीना तब भी राजकुमारी जैसा हीसोच रही थीं. गरीबी का उनकी सोच पर असर नहीं था. सकीना ने कहा था कि बर्बाद तो होगए हैं, पर हमारा गर्व नहीं खत्म हुआ है. रियाज ने कहा कि ये कभी खत्म नहीं होगा,हालांकि बर्बादी आपके सामने है.सकीना ने ये भी कहा कि साधारण लोग साधारण चीजों के लिए तैयार हो जाते हैं. साधारणहोना अपराध ही नहीं, गुनाह है. अखबार ने लिखा कि इसी खंडहर में भाई-बहन का राज है.दोनों संघर्ष कर रहे हैं, पर काम करने के बारे में सोचते भी नहीं. रियाज ने तो कहाकि हम आम लोगों से मिलना पसंद नहीं करते.मां के जूते, जिनको पहनकर वो डांस करती थीं, टेबल पर रखे हुए हैं. ऊपर दीवार परउनकी तस्वीर लगी हुई है. सकीना ने कहा - हम लोग किसी से कुछ कहने नहीं जाएंगे.लोगों को पता है कि हम किस हाल में हैं.बीबीसी के रिपोर्टर एलेक्स निनियन को राजकुमार ने इंटरव्यू दिया था, जिसमें कहा थाकि उनको विश्वास है कि वो अपनी बहन से पहले मरेंगे और राजकुमारी परंपरा का पालनकरते हुए आत्महत्या करेंगी. रिपोर्टर ने पूछा कि अगर राजकुमारी पहले मर गईं तो वोक्या करेंगे तो इसका कोई जवाब नहीं दिया. एलेक्स से सकीना ने कहा था कि मुझे एकलोडेड रिवॉल्वर दे दो, तभी इंटरव्यू दूंगी.सकीना ने एलेक्स से कहा था: 'हम जिंदा लाशों का खानदान बन गए हैं. मेरी तो यहीइच्छा है कि मुझे 'हर हाइनेस' के पैरों के नीचे दफना दिया जाए. हमारे लिए सब कुछधुंधला है. हमारे कुत्ते ही हमारे नजदीकी हैं. इंसानों का धोखा उन तक नहीं पहुंचाहै.' एलेक्स को बताते हुए उन्होंने कहा था कि वो पर्शिया के राजा, मैसिडोनिया औरमिस्र के फराओ के वंशज हैं. मुगल काल में उनके पूर्वज इंडिया आए और अवध में अपनाराज बसाया. जब अंग्रेजों ने राज ले लिया तो ये लोग उसी सिस्टम में रहने लगे.ब्रिटिश पार्लियामेंट के इतिहास में जो सबसे बड़ी स्पीच बर्क और शेरिडन ने दी थी वोअवध की बेगम के अधिकारों को लेकर ही थी. पर राज चला ही गया. अंग्रेजों ने सांप कीतरह हिंदुस्तान के राजकुमारों का खून चूस लिया. उन्होंने राज ले लिया और सारे वादेतोड़ दिये. वाजिद अली शाह पर अंग्रेजों ने बड़े ही अजीब आरोप लगाए थे. कहा था कि365 दिनों के लिए इन्होंने 365 औरतें हरम में रखी थीं. फिर ये भी आरोप लगा कि जिसदिन आरोप लगे उसी दिन वाजिद अली शाह 90 और औरतों को लेकर आए. एलेक्स ने बाद में कहाथा कि राजकुमारी को रिवॉल्वर नहीं दिया गया था इसलिए कैमरे पर ये इंटरव्यू नहीं होपाया. पर ये भी कहा कि राजकुमारी ने रिवॉल्वर इसलिए मंगाया कि कैमरे पर ही अपनी जानदे दें ताकि दुनिया तक इस खानदान की बात पहुंचे.राजकुमार के पास सिर्फ एक साइकिल है. वो उसी पर आते-जाते हैं. वही बाहर निकलते हैं.भारत के नवाबी खानदान की विरासत है ये, जो वक्त की मार नहीं झेल सकी.सकीना ने शायद सही कहा था: '10 सितंबर 1993 को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर 'हर हाइनेस'ने हमारा समय हमेशा के लिए रोक दिया.'ये भी पढ़ें:महान नहीं था अशोक, इतिहास का सबसे बड़ा झूठ बेपर्दा हुआबादशाह अकबर ब्रज बोली में दोहे कहता था, एक उसे मरते वक्त याद आयादिल्ली का वो रंगीला किंग, जो अपनी XXX तस्वीरें बनवाता थादिल्ली में 22 हज़ार मुसलमानों को एक ही दिन फांसी पर लटका दिया गया!ज्यादा होशियारी के चक्कर में मारे गए थे बीरबल