सौतेली मां हत्याकांड केस 120 साल बाद भी फेमस क्यों?
120 साल पहले हुई हत्या का केस आज तक कोई क्यों नहीं सुलझा पाया?
ये कहानी है उस केस की जिसे लेकर 120 साल से क़यास लगाए जा रहे हैं. हर किसी के पास अपनी थियोरी है. कोई कहता है हत्या बेटी ने की है. कोई कहता है, नौकरानी ने, और कोई मामा ने. सबके पास अपने अपने तर्क हैं, फिर भी 120 सालों में ये केस सुलझ नहीं पाया है. हालांकि ऐसे अनसुलझे केसों की संख्या हज़ारों में होगी. लेकिन ये केस अनूठा है. इतना अनूठा कि आज भी लोग इस कहानी के पात्रों का भेष धरकर शादी करते हैं. इस कहानी पर फ़िल्में बनती है और स्कूल में बच्चे इस कहानी पर बनी कविता गुनगुनाते हैं. (Lizzie Borden)
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दिन दहाड़े हत्यासाल 1892 की बात है. अमेरिका का मेसाच्यूसेट्स राज्य. यहां फ़ॉल रिवर नाम के इलाक़े में एक घर में पांच लोग रहते थे. ऐंड्रू जैक्सन बोर्डेन, उनकी पत्नी ऐबी डर्फ़ी बोर्डेन. दो बेटियां- लिजी बोर्डेन और एमा बोर्डेन. और परिवार की नौकरानी- ब्रिजेट सलिवन उर्फ़ मैगी. ऐंड्रू बोर्डेन रियल एस्टेट का काम करते थे. और इलाक़े के बड़े रईस माने जाते थे. (Lizzie Borden Case)
उस साल तीन अगस्त की बात है. सुबह सुबह सब लोगों ने घर पर नाश्ता किया. ऐंड्रू बोर्डेन के साले साहब, जॉन मॉर्स भी पिछली रात वहीं रुके थे. सुबह उन्होंने भी नाश्ते में शिरकत की. इसके बाद क़रीब 8.48 पर मॉर्स घर से ये कहते हुए निकल गए कि दिन के भोजन तक लौट आएंगे. कुछ देर बाद लगभग 9 बजे घर के मालिक ऐंड्रू बोर्डेन भी अपने काम पर बाहर चले गए. क़रीब साढ़े दस बजे बोर्डेन लौटे और उन्होंने दरवाज़ा खटखटाया. घर की नौकरानी मैगी ने दरवाज़ा खोला. बोर्डेन सोफ़े पर लेटे और कुछ ही देर में उन्हें नींद आ गई. (Lizzie Borden murders)
इसके लगभग 45 मिनट बाद की बात है. बोर्डेन परिवार के फ़ैमली डॉक्टर, डॉक्टर बावेन का घर यहां से कुछ ही दूरी पर था. सवा 11 के आसपास डॉक्टर बावेन के दरवाज़े पर खटखट हुई. दरवाज़ा खोला तो वहां मैगी खड़ी थी. मैगी ने उन्हें तुरंत अपने साथ चलने को कहा. डॉक्टर बावेन पहुंचे तो देखा, ऐंड्रू बोर्डेन और उनकी पत्नी ऐबी की किसी ने कुल्हाड़ी से वार कर हत्या कर दी थी. तुरंत पुलिस को बुलावा भेजा गया. शहर के पॉश इलाक़े में दिन दहाड़े हुई इस हत्या ने सबको हैरान कर दिया था. (Trial of Lizzie Borden)
पुलिस को तहकीकात में क्या मिला?पुलिस ने छानबीन शुरू की और तहक़ीक़ात के उनसे एक बड़ी गलती ये हुई कि उन्होंने घर की ठीक से छानबीन नहीं की. जब दो दिन बाद घर के बाहर लोगों का तांता लग गया तब जाकर पुलिस होश में आई. 5 अगस्त के रोज़ पुलिस ने घर की तलाशी ली. इस दौरान उन्हें घर के नीचे बने तहख़ाने में दो कुल्हाड़ी मिली. जिसमें से एक का हेंडल ग़ायब था. पुलिस ने अंदाज़ा लगाया कि हत्या के लिए इन्हीं का इस्तेमाल हुआ होगा. हालांकि किसी भी चीज में उन्हें खून के निशान नहीं मिले.
छानबीन की अगली कड़ी मिली शव के पोस्टमार्टम से. पुलिस को पता चला कि पूरा बोर्डेन परिवार क़ई दिनों से बीमार था. पुलिस को ज़हर दिए जाने का शक हुआ लेकिन दोनों पीड़ितों के पेट में ज़हर के कोई निशान नहीं मिले. फ़ोरेंसिक इंवेस्टिगेशन से हालांकि एक दिलचस्प बात ज़रूर सामने आई. मिसेज़ बोर्डेन की हत्या नौ बजे हुई थी. जबकि ऐंड्रू बोर्डेन को साढ़े दस बजे मारा गया था. यानी दोनों की हत्या में डेढ़ घंटे का अंतर था. इस दौरान दो लोग घर पर ही मौजूद थे. छोटी बेटी लिजी बोर्डेन और नौकरानी मैगी. पुलिस का पहला शक इन दोनों पर ही गया.
पहले उन्होंने मैगी से पूछताछ की. मैगी ने बताया कि उस रोज़ वो घर के बाहर सफ़ाई में लगी थी. 10 बजे जब ऐंड्रू बोर्डेन आए, घर का दरवाज़ा उसी ने खोला. उसके अनुसार जब बोर्डेन घर में दाखिल हुए, उनकी बेटी लिजी दूसरी मंज़िल पर खड़ी हंस रही थी. लिजी के अनुसार दरवाज़ा खोलने के बाद वो तीसरी मंज़िल में बने अपने कमरे में कुछ देर लेटने चली गई थी क्योंकि उसकी तबीयत ख़राब थी. उसके मुताबिक़ साढ़े दस बजे के आसपास उसे लिजी की चिल्लाने की आवाज़ आई. नीचे आकर उसने देखा तो पाया मिसेज़ और मिस्टर बोर्डेन की लाश पड़ी थी. जिस पर खून के कई घाव थे. मैगी के के बाद बारी आई लिजी की.
बेटी के बदलते बयानउसने एक दूसरी ही कहानी सुनाई, उसके अनुसार घटना के वक्त वो मुर्गियों के बाड़े में थी. इसी बीच उसे किसी के कराहने की आवाज़ आई. हालांकि शुरुआती बयान में ही वो इस बात से पलट गई कि उसने कोई आवाज़ सुनी थी. उसके अनुसार उस रोज़ उसकी सौतेली मां, जिन्हें वो मिसेज़ बोर्डेन कहकर बुलाती थीं, उन्हें एक ख़त आया था. जिसमें किसी बीमार दोस्त ने उन्हें मिलने बुलाया था. उसने बताया कि जब उसके पिता लौटे थे, वो वहीं मौजूद थी. उसने उनके जूते उतारे, उन्हें चप्पल पहनाई और सोफ़े पर लिटा दिया. लिजी की इस बात में एक झोल था. क्योंकि जब पुलिस मौक़ा ए वारदात पर पहुंची, मिस्टर बोर्डेन ने जूते पहने हुए थे. लिजी की बातों में कई तरह की आसमानताएं थीं लेकिन इसकी एक वजह ये मानी गई कि डॉक्टर ने एंग्ज़ायटी रोकने के लिए उसे मॉर्फ़ीन का इंजेक्शन दिया हुआ था.
आगे तहक़ीक़ात में कुछ और बातें पुलिस के सामने आई. घटना से कुछ रोज़ पहले लिजी ने एक लोकल केमिस्ट से हाइड्रोसाइनिक ऐसिड के बारे में पूछताछ की थी. इस बात की सफ़ाई देते हुए लिजी ने बताया कि उसे फ़र से बने कपड़े साफ़ करने के लिए ऐसिड चाहिए था. इसीलिए उनसे केमिस्ट से उस बारे में पूछा था. हालांकि कुछ और बातें भी थीं जो लिजी को लेकर शक पैदा करती थीं. मसलन घटना के बाद कुछ पुलिसवालों को घर के आगे तैनात किया गया था. उसमें से एक ने बताया कि हत्या की अगली रात लिजी अपनी दोस्त के साथ तहख़ाने में गई. उसके हाथ में एक बाल्टी और केरोसीन की बोतल थी. कहने का मतलब ये था कि लिजी कुछ जलाने की कोशिश कर रही थी. लिजी की दोस्त ने बताया कि 5 अगस्त को उसने लिजी को एक पोशाक जलाते हुए देखा था. पूछने पर लिजी ने बताया कि उसमें पेंट लग गया था. इसलिए वो उसे नष्ट कर रही थी. कई पुलिसवालों ने शक जताया कि ये वही पोशाक थी, जिसे पहनकर हत्या की गई थी. लेकिन ये बात कभी प्रूव नहीं हो पाई.
इन दो बयानों के बाद दो और लोगों पर पुलिस की नज़र गई. लिजी की बड़ी बहन एमा और उसके मामा, जो हत्या से पिछली रात उनके घर में ही ठहरे थे. लिजी की बड़ी बहन उस रोज़ एक दूसरे शहर गई थी. वहां पूछताछ से पक्का हो गया कि उसका इस हत्या से कुछ लेना देना नहीं था. जहां तक मामा की बात है, वो भी हत्या के वक्त, घर पर मौजूद नहीं थे. हालांकि उन्होंने जो कहानी बताई, वो पुलिस को कुछ ज़्यादा ही नाटकीय लगी, लेकिन फिर भी पुलिस को उनके ख़िलाफ़ शक करने का कोई और कारण ना मिला. कुल मिलाकर शक की सुई लिजी की तरफ़ जा रही थी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी बाक़ी था.
लिजी ने अपने माता-पिता की हत्या क्यों की?तहक़ीक़ात में पुलिस को पता चला कि हत्या से कुछ दिन पहले लिजी के पिता ने उसके पालतू कबूतरों की हत्या कर दी थी. जिसके चलते वो अपने पिता से नाराज थी. अपनी सौतेली मां, ऐबी से भी उसके रिश्ते कुछ अच्छे नहीं था. लिजी मानती थी कि ऐबी ने उसके पिता से दौलत के लिए शादी की है. घटना से कई महीने पहले से बोर्डेन परिवार में काफ़ी खटपट चल रही थी. लिजी और उसकी बहन की उम्र 30 पार हो चुकी थी. इसके बावजूद उनकी शादी नहीं हुई थी, जबकि तब 20-22 की उम्र में शादी का चलन हुआ करता था. लिजी और उसकी बहन अपने पिता पर आश्रित थे, लेकिन एक रोज़ उन्हें पता चला कि उनके पिता ने बहुत सी ज़मीन, उनकी नई मां, ऐबी के परिवार के नाम कर दी है. इस बात को लेकर दोनों नाराज़ हुई. हत्या से ठीक एक रात पहले ऐबी का भाई उनके साथ रहने आया था. इस रोज़ भी शायद सम्पत्ति को लेकर कुछ बहस हुई थी. लेकिन क्या ये मामला इतना बढ़ गया था कि लिजी ने अपने पिता ही हत्या कर दी?
पुलिस के अनुसार इस बात का जवाब हां में था. उन्होंने लिजी पर हत्या का केस दर्ज किया और अदालत पर इस केस में सुनवाई शुरू हो गई. ये केस इतना फ़ेमस हुआ कि पूरे देश में इसके चर्चे फैल गए. अख़बारों ने भी खूब चटखारे लिए. लिजी के हर बदलते भाव को सबूत की तरह पेश किया जाने लगा. किसी ने लिखा कि पूरे ट्रायल के दौरान वो जम्हाई ले रही थी, जिसका मतलब उसे अपने माता पिता की हत्या का कोई ग़म ना था. एक दूसरे अख़बार ने लिखा, अपने माता पिता का शव देखकर वो बेहोश हो गई. जिससे पता चलता है, वो बेगुनाह है. आख़िरी फ़ैसला कोर्ट में होना था. कई दिनों तक चली सुनवाई में पुलिस ने कई गवाह और सबूत पेश किए. लेकिन इनमें से कुछ भी बहुत पुख़्ता नहीं था. 20 जून, 1893 को कोर्ट ने फ़ैसला देते हुए लिजी को सारे आरोपों से बरी कर दिया. पुलिस के पास और कोई एंगल नहीं था , इसलिए ऐंड्रू बोर्डेन और ऐबी बोर्डेन की हत्या का केस कभी सुलझ नहीं पाया.
आगे जाकर इस हत्याकांड पर दसियों फ़िल्में और नाटक बने. और इस घटना के 120 साल बाद भी लोग इस केस में अपनी अपनी थियोरी देते रहते हैं. कोई कहता है लिजी और मैगी के बीच समलैंगिक सम्बन्ध थे. इसीलिए लिजी ने कभी शादी नहीं की और अपने मां बाप की हत्या भी इसी कारण की कि वो उनका विरोध कर रहे थे. कई लोग मानते हैं, दौलत हड़पने के लिए ऐबी के भाई ने उसकी हत्या की और फिर अपने जीजा को भी मार डाला. वहीं अधिकतर लोग वो हैं जो मानते हैं कि हत्या लिजी बोर्डेन ने ही की है. उस दौर में भी ऐसा मानने वाले की कमी नहीं थी. इसलिए एक अनाम पोयट ने एक कविता लिखकर हमेशा हमेशा के लिए लिजी को दोषी बना दिया. ये पोयम आज भी अमेरिका में बच्चों के बीच प्रचलित है और इसके बोल हैं,
Lizzie Borden took an axe,
And gave her mother forty whacks.
When she saw what she had done,
She gave her father forty-one
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