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नर समझ कर जिस सांप का नाम 'रोनाल्डो' रखा, उसने बिना साथी के सपोले जन दिए, लेकिन कैसे?

हाल में इंग्लैंड में एक बोआ प्रजाति की मादा सांप ने कई बच्चों को जन्म दिया. इस सांप से जुड़ीं दो बातों ने सबको हैरान करके रख दिया. बताया गया कि इस सांप को नर समझ कर पाला जा रहा था, लेकिन ये निकली मादा. दूसरा दिलचस्प तथ्य ये कि इस सांप ने किसी साथी के बिना ही सपोलों को जन्म दिया है.

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snake birth parthenogenesis
कुछ दूसरे जानवर भी बिना किसी पार्टनर के बच्चे पैदा कर सकते हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
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राजविक्रम
27 जून 2024 (Updated: 28 जून 2024, 13:03 IST)
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गॉडजिला मूवी तो देखी ही होगी. डायनासोर जैसा, लेकिन उससे कई गुना बड़ा एक जानवर अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर पर हमला बोल देता है. पहले सबको लगता है कि वो सब लोगों को मार डालेगा. लेकिन एक युवा वैज्ञानिक उसके सैंपल की जांच के आधार पर बताता है कि गॉडजिला तो गर्भवती है और वो न्यूयॉर्क में लोगों को मारने नहीं, बल्कि मछलियां ढूंढते हुए आया है ताकि उन्हें खाकर पेट में पल रहे बच्चों की देखभाल कर सके.

पहले देखने वालों को फिल्म की ये कहानी हजम नहीं हुई होगी. लेकिन ये सच है कि दुनिया में जानवरों की ऐसी प्रजातियां हैं, जो बिना प्रजनन के बच्चे जन सकती हैं. हाल में इंग्लैंड में एक बोआ प्रजाति की मादा सांप ने कई बच्चों को जन्म दिया. इस सांप से जुड़ीं दो बातों ने सबको हैरान करके रख दिया. बताया गया कि इस सांप को नर समझ कर पाला जा रहा था, लेकिन ये निकली मादा. दूसरा दिलचस्प तथ्य ये कि इस सांप ने किसी साथी के बिना ही सपोलों को जन्म दिया है.

इस सांप को यहां के सिटी पोर्ट्स माउथ कॉलेज में रखा गया था. BBC की खबर के मुताबिक, इसकी निगरानी करने वाले पीट क्विंनलैन को लगता था कि ये सांप नर है. इसलिए इसका नाम रोनाल्डो रख दिया गया था.

लेकिन एक दिन सब सकपका गए, जब इस ब्राजीलियन रेनबो बोआ ने 14 सपोले जन दिए. तब जाकर पता चला ये तो मादा है. पर ये तो सकपकाने की आधी ही वजह थी. इस पालने वाले पीट क्विंनलैन ने बताया कि ये मादा सांप नौ सालों में किसी साथी के संपर्क में आई ही नहीं थी. तो इसने बच्चे कैसे दिए? 

चमत्कार या कुदरत का करिश्मा?

दरअसल ये दिलचस्प चीज ‘पार्थेनोजेनेसिस’ (parthenogenesis) कहलाती है. इसमें कोई जीव बिना किसी पार्टनर के बच्चे पैदा कर सकता है. हालांकि ये सब जानवरों में इतना आम नहीं है. पर कुछ सांप और छिपकलियों की प्रजातियों में ये जरूर देखा गया है. कुछ पौधों में भी ऐसा हो सकता है. 

जैसा कि अपन को मालूम है, बैक्टीरिया से लेकर हाथी तक सभी रीप्रोड्यूस करते हैं. यानी बच्चे पैदा करते हैं. जो माता-पिता जैसे कुछ जेनेटिक गुण रखते हैं. इंसान समेत ज्यादातर जीव-जंतुओं को बच्चे जनने के लिए साथी की जरूरत होती है. दोनों प्रजनन कर बच्चों को जन्म देते हैं. लेकिन कुदरत कुछ जीवों को असेक्शुअल रीप्रोडक्शन करने की क्षमता देती है.

असेक्शुअल रीप्रोडक्शन

बिना पार्टनर के बच्चे पैदा करने का एक और तरीका है, जो इंग्लैंड वाले सांप ने अपनाया. यानी पार्थेनोजेनेसिस. बिना किसी पार्टनर के बच्चे पैदा करने के सबूत सांप के अलावा दूसरे जानवरों में भी मिलते हैं. जैसे शार्क, कोमोडो ड्रैगन.

शार्क और रे फिश दोनों में फैकेल्टेटिव पार्थेनोजेनेसिस देखने मिलता है. यानी जैसी सुविधा वैसा तरीका. माने जब पार्टन होता है, तो ये सेक्शुअली रीप्रोड्यूस करते हैं. लेकिन जब मेट नहीं मिलता, जैसे जब ये कैद करके टैंक में रखे जाते हैं. तो ये बिना पार्टनर के भी बच्चे पैदा कर सकते हैं.

लेकिन एक यूनिक मामला एक चिड़िया में देखा गया, कैलिफोर्निया कोंडोर. ये वाली चिड़िया के पास पार्टनर मौजूद था. फिर भी इसने पार्थेनोजेनेसिस के जरिए बच्चे पैदा किए. दिलचस्प बात ये थी कि सारे बच्चे नर थे.

सेक्शुअल रीप्रोडक्शन में मेल और फीमेल दो गैमीट होते हैं. जैसे नर में स्पर्म और मादा में ओवम, माने शुक्राणु और अंडाणु. ये दोनों मिलते हैं तो जाकर जाइगोट बनता है. फिर भ्रूण डेवलप होकर बनाता है नया जीव.

ओवम या एग को जब स्पर्म फर्टिलाइज करता है, तो उससे भ्रूण बनता है. और इसके लिए ओवम में क्रोमोजोम का नंबर आधा यानी हैप्लाइड होता है. अब मादा में क्रोमोजोम का नंबर आधा करने के लिए एक प्रोसेस होता है, जिसको मियोसिस कहते हैं. इसमें मादा की कोशिका डिवाइड होती है. तो एक ओवम या एग तो बनता ही है. साथ में बनती है पोलर बॉडी जो फर्टाइल एग से अलग होती है.

पार्थेनोजेनेसिस में मादा पोलर बॉडी को एग से मिलाकर बच्चे पैदा कर सकती है. यानी जिस फर्टिलाइजेशन के लिए नॉर्मली स्पर्म की जरूरत पड़ती है वो मादा खुद से कर लेती है. इसको वैज्ञानिक लोग ऑटोमिक्सिस कहते हैं. ये कुछ शार्क में देखा गया है. इसमें मां के ही जीन्स से बच्चे पैदा किए जाते हैं. लेकिन इसमें बच्चे मां के क्लोन जैसे नहीं होते, उनमें कुछ अंतर हो सकता है. लेकिन चूंकि मां के पास दो X क्रोमोजोम होते हैं. तो ऑटोमिक्सिस से होने वाले बच्चे भी मादा ही पैदा होते हैं.

एक दूसरे तरह का पार्थेनोजेनेसिस है जिसको एपोमिक्सिस कहते हैं. इसमें सेल्स एक तरह की कॉपी पेस्ट की तरह से बनती हैं. इससे पैदा हुए बच्चे मां की एक दम कॉपी होते हैं. किसी क्लोन की तरह. ये वाला सिस्टम पौधों में ज्यादा कॉमन है.

लाखों सालों से कुछ जानवर पार्थेनोजेनेसिस के जरिए बच्चे पैदा कर रहे हैं. लेकिन शुरुआत छोटे जानवरों से हुई. फिर वर्टिब्रेट यानी रीढ़ की हड़्डी वाले एडवांस जीवों में भी ये देखा गया. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन जीवों में एक आखिरी रास्ते या उम्मीद के तौर पर इस प्रोसेस से बच्चे पैदा किए जाते हैं. रेगिस्तान और टापुओं पर रहने वाली प्रजातियों में पार्थेनोजेनेसिस पाया जाना भी इसी तरफ इशारा करता है. 

अब तक करीब 80 से भी ज्यादा मछलियों, उभयचर और सरीसृपों की प्रजातियों में ये देखा गया है. हालांकि जंगल वगैरह में इसे देख पाना काफी मुश्किल होता है. लेकिन लैब या कैद में रखे गए जीवों में ये देखने मिला है. जैसे हमारे रोनाल्डो सांप में.

वीडियो: तारीख: ये सांपों वाली मस्जिद क्या है?

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