सिखों का अयोध्या से क्या नाता है? राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से पहले सिख अखंड पाठ क्यों कर रहे?
19 जनवरी से 21 जनवरी तक अयोध्या के गुरुद्वारा 'ब्रह्म कुंड साहिब' में तीन दिन का 'अखंड पाठ' होगा. इसकी क्या वजह है? राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में गुरु नानक का क्या जिक्र आया था? जानिए सब कुछ.
अयोध्या (ayodhya) में 22 जनवरी को राम मंदिर (ram mandir) में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. BJP और उत्तर प्रदेश की सरकार इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए हर संभव तैयारी कर रही है. प्राण-प्रतिष्ठा से पहले सिख समुदाय यहां तीन दिनों का 'अखंड पाठ' करने जा रहा है. 19 जनवरी से 21 जनवरी तक अयोध्या के गुरुद्वारा 'ब्रह्म कुंड साहिब' में ये तीन दिन का 'अखंड पाठ' होगा. सिख ये अखंड पाठ क्यों करते हैं, इसका राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से क्या संबंध है, सिखों का अयोध्या से क्या नाता रहा है, विस्तार से जानेंगे.
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क्या है अखंड पाठ?'अखंड पाठ', सिख धर्म का एक पवित्र अनुष्ठान है. सिखों में इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व माना जाता है. इस पाठ के दौरान, सिखों के पवित्र धार्मिक ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' का लगातार पाठ किया जाता है. sikhdharma.org के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि जब गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन पूरा कर लिया था, तब मंडली (साध संगत) के पांच सदस्यों ने इसे लगातार पढ़ा था. गुरु गोबिंद सिंह ने खड़े होकर संपूर्ण गुरु ग्रंथ साहिब को सुना. वे जहां खड़े थे, लोग उनके नहाने और खाने के लिए पानी ला रहे थे. ये पहला अखंड पाठ था.
यह पाठ कम से कम 48 घंटे तक चलता है. इसमें एक साथ बैठकर गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं. इस दौरान ये सुनिश्चित किया जाता है कि अखंड पाठ के समाप्त होने तक बीच में कोई रुकावट न आए. और पाठ करने वाले लगातार इसका पाठ करते रह सकें.
अयोध्या से सिख धर्म का नाताइंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं,
"सिखों का अयोध्या और भगवान राम से जुड़ाव का एक महान इतिहास है. साल 1510 में गुरु नानक देव जी की राम मंदिर की यात्रा का जिक्र है, जो राम मंदिर के पक्ष में फैसले का एक आधार बना था. निहंग, 1858 में राम मंदिर के अंदर भी गए थे जहां उन्होंने हवन किया और अंदर की दीवार पर 'राम' लिखा."
गुरु नानक, सिखों के पहले गुरु थे. माना जाता है कि 15 वीं सदी में गुरु नानक देव अयोध्या में राम जन्म भूमि का दर्शन करने गए थे. माना जाता है कि गुरु नानक, अपनी यात्राओं के क्रम में पानी के रास्ते नानकमत्ता होते हुए अयोध्या पहुंचे थे. उन्होंने अपने साथ सफ़र कर रहे मरदाना को अयोध्या का परिचय रामचंद्र की नगरी के तौर पर करवाया था. राम मंदिर जन्म स्थान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने साल 2019 में अपने ऐतिहासिक फैसले में भी गुरु नानक की इस यात्रा का जिक्र किया था. कोर्ट का कहना था कि गुरु नानक ने साल 1510-11 में अयोध्या की यात्रा की थी. उनकी यात्रा से हिंदू समुदाय की इस आस्था और विश्वास को बल मिलता है कि विवादित भूमि ही भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जन्म साखी में इस बात का उल्लेख है कि गुरु नानक देव अयोध्या गए थे और राम जन्मभूमि का दर्शन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'गुरु नानक का राम जन्मभूमि दर्शन करने अयोध्या जाने की घटना से साफ है कि साल 1528 से पहले वहां राम जन्मभूमि का अस्तित्व था और श्रद्धालु वहां दर्शन करने जाते थे.'
प्राण-प्रतिष्ठा से पहले अखंड पाठ क्यों?आरपी सिंह ने कहा है,
"देश के अलग-अलग हिस्सों से सिख आकर इस 'अखंड पाठ' में हिस्सा लेंगे. अखंड पाठ को 'प्राण प्रतिष्ठा' के निर्विघ्न संपन्न होने की प्रार्थना के साथ आयोजित किया जाएगा."
आरपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले भी 'अखंड पाठ' और कई दूसरे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था.
वह कहते हैं,
"राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले, हमने अयोध्या के उसी गुरुद्वारे में 'अखंड पाठ' का आयोजन किया था. इसमें कानपुर, हैदराबाद, अमृतसर और देश के कई दूसरे हिस्सों से आए सिखों ने हिस्सा लिया था और राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रार्थना की थी. यह 'अखंड पाठ' प्राण-प्रतिष्ठा के लिए है."
आरपी सिंह बताते हैं कि गुरु ग्रंथ साहिब में 'राम' शब्द का इस्तेमाल 2533 बार किया गया है.'
आरपी सिंह के मुताबिक़, 'अखंड पाठ' का आयोजन करके, सिख समुदाय का उद्देश्य न सिर्फ अंतरधार्मिक एकजुटता दिखाना है, बल्कि धर्म की सीमाओं से परे आस्था और आध्यात्मिकता की जीत का जश्न मनाना भी है.
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