The Lallantop
X
Advertisement

'अपने स्टाफ लोगों को मकान और दोस्तों को गाड़ियां गिफ्ट कर देते थे राजेश खन्ना'- सलीम खान

बेटे सलमान के सुपरस्टारडम की तुलना राजेश खन्ना से किए जाने पर सलीम खान ने जबरदस्त बात कही थी.

Advertisement
Img The Lallantop
pic
आशुतोष चचा
29 दिसंबर 2021 (Updated: 29 दिसंबर 2021, 08:52 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
'फैन्स क्या होते हैं, मुझसे पूछना प्यार का वो तूफान मोहब्बत की वो आंधी वो जज़्बा वो जुनून हवा बदल सकती है लेकिन फैन्स हमेशा मेरे रहेंगे. बाबू मोशाय मेरे फैन्स मुझसे कोई नहीं छीन सकता'
https://youtu.be/XW0LZ3zoOks मेगा स्टार राजेश खन्ना अब नहीं हैं, लेकिन उनके फैन्स अब भी हैं. बाद के दिनों में स्टारडम कुछ धुंधला हो गया था. लेकिन पर्दे पर जिन किरदारों को उन्होंने जिंदगी बख़्शी थी, उनकी चमक कभी हल्की नहीं हुई. हां जी ये दौर दूसरा है. अब सलमान खान सुपरस्टार हैं. लेकिन आज उससे मुराद नहीं है. मुराद उससे है जो सलमान के अब्बू ने लिखा है, राजेश खन्ना के बारे में. लेखक यासिर उस्मान की किताब 'राजेश खन्ना: कुछ तो लोग कहेंगे' में. पढ़िए:
राजेश खन्ना और मेरे करियर ने 1970 की शुरुआत में तक़रीबन एक ही साथ उड़ान भरी थी. राजेश खन्ना से जब हमारी (मेरी और जावेद अख़्तर) मुलाक़ात हुई थी तब तक उनकी फिल्में आराधना और दो रास्ते रिलीज़ हो चुकी थीं और उन्हें सुपरस्टार का ख़िताब मिल चुका था. फिर हमने जीपी सिप्पी की फिल्म अंदाज़ में पहली बार साथ काम किया. इस फिल्म के निर्माण के दौरान ही हमारी जान-पहचान बढ़ी. उनके साथ नई स्टोरी आयडियाज़ पर बहुत चर्चा होती थी. हम अच्छे दोस्त बन गए थे. बान्द्रा में भी हम लोग पड़ोसी हुआ करते थे और तक़रीबन रोज़ ही मिला करते थे. जिन दिनों उनका सितारा बुलंदी पर था, मैं भी अक्सर उनके बंगले आशीर्वाद की बैठकों में शामिल हुआ. मुझे उन्हें क़रीब से जानने का वक़्त मिला. कई साल तक उन्हें जानने-समझने के बाद मैं उनके बारे में ये तो नहीं समझ पाया कि वो अच्छे हैं या बुरे, बस इतना समझा कि वो अजीब थे. सबसे अलग थे.ये वो वक़्त था जब फिल्म इंडस्ट्री आज के दौर के मुक़ाबले छोटी ज़रूर थी लेकिन यहां प्रतिद्वंद्विता कम नहीं थी. दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार जैसे एक्टर राज करते थे. इन सबकी मौजूदगी में किसी भी नए एक्टर के लिए अपनी पहचान बनाना बड़ी बात थी. राजेश ने न सिर्फ़ अपनी पहचान बनाई बल्कि बहुत कम वक़्त में अपने स्टारडम को एक नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया. 1969-1975 तक मैंने उनके सुपर स्टारडम को बेहद क़रीब से देखा लेकिन मुझे ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि जिस ऊंचाई को उन्होंने छुआ वहां उनके बाद आज तक हिंदी सिनेमा का कोई स्टार नहीं पहुंचा. उनकी कामयाबी एक मिसाल है.आज मेरा बेटा सलमान बड़ा स्टार है. हमारे घर के बाहर उसे देखने के लिए हर रोज़ भीड़ लगती है. लोग मुझसे कहते हैं कि किसी स्टार के लिए ऐसा क्रेज़ पहले नहीं देखा. मैं उन लोगों से कहता हूं कि इसी सड़क से कुछ दूरी पर, कार्टर रोड पर आशीर्वाद के सामने मैं ऐसे कई नज़ारें देख चुका हूं. राजेश खन्ना के बाद मैंने किसी भी दूसरे स्टार के लिए ऐसी दीवानगी नहीं देखी. राजेश के फैन्स में 6 से 60 साल तक के लोग शामिल थे. ख़ासतौर पर लड़कियां तो उनकी दीवानी थीं. उनके करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म हाथी मेरे साथी लिखने में भी मेरा योगदान था. मुझे याद है कि इस फिल्म की शूटिंग के वक़्त मैं उनके साथ मद्रास (चेन्नई) और तमिलनाडु की कई दूसरी लोकेशन्स पर गया. मैंने देखा उन इलाकों में भी राजेश खन्ना के नाम पर भारी भीड़ जमा हो जाती थी. ये हैरत की बात थी क्योंकि वहां हिंदी फिल्में आमतौर पर ज़्यादा नहीं चलती थीं. तमिल फिल्म इंडस्ट्री ख़ुद काफ़ी बड़ी थी और उसके अपने मशहूर स्टार थे, लेकिन राजेश खन्ना का करिश्मा ही था जो भाषा की सरहदों को भी पार कर गया था. ये करिश्मा उन्होंने उस दौर में कर दिखाया जब न तो टेलीविजन था न ही 24 घंटे का एफ़एम रेडियो और न बड़ी-बड़ी पीआर एजेंसीज़.Rajesh Khanna gif4लेकिन चार-पांच साल के बाद उनके करियर की ढलान भी शुरू हुई. जिस तरह उनकी बेपनाह कामयाबी की कोई एक वजह नहीं थी, उसी तरह उनके करियर के ढलने की भी कोई एक वजह नहीं थी. उनकी पारिवारिक ज़िंदगी के तनाव, इंडस्ट्री के लोगों के साथ उनका बर्ताव और कुछ नया न करना...ऐसी कई वजहें थीं. लेकिन मुझे लगता है कि इसमें क़िस्मत का खेल भी था. फिर जब फिल्में पिटीं तो उन्होंने अपने अंदर झांककर नहीं देखा कि गलती कहां हुई. उन्होंने दूसरों को दोष देना शुरू कर दिया. उन्हें लगता था कि उनके खिलाफ़ कोई साजिश हुई है.उन जैसे सुपरस्टार के बारे में ये जानकर आपको हैरानी होगी कि एक इंसान के तौर पर वो इंट्रोवर्ट थे और खुद को सही ढंग से एक्सप्रेस तक नहीं कर पाते थे. वो बेहद शर्मीले भी थे. मैं उनकी मेहमाननवाज़ी का भी गवाह रहा हूं. बड़े दिल के आदमी थे, खाना खिलाने के शौक़ीन थे. मैं जानता हूं कि उन्होंने अपने स्टाफ के लोगों को मकान भी दिए हैं, कोई आदमी अच्छा लगता था तो उसके लिए बिछ जाते थे. गाड़ियां तक गिफ्ट दी है. उस ज़माने में अपने दोस्त नरिंदर बेदी को भी उन्होंने गाड़ी तोहफे में दी थी. फिर धीरे-धीरे उनका दौर गुज़र गया. लेकिन मुझे लगता है कि अपने ज़ेहन में वो इस बात को कभी स्वीकार नहीं कर पाए. फिल्म इंडस्ट्री के बड़े स्टार्स पर कई किताबें लिखी गई हैं. इनमें से ज़्यादातर या तो राजेश खन्ना से पहले के स्टार्स जैसे दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर, शम्मी कपूर वगैरह पर हैं या फिर राजेश खन्ना के बाद के स्टार्स जैसे अमिताभ बच्चन पर. हैरानी की बात है कि राजेश खन्ना पर अब तक कुछ भी शोधपरक नहीं लिखा गया था. जबकि उनका दौर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का बेहद अहम और करिश्माई दौर रहा है. अपने उस दौर में वो वन मैन-इंडस्ट्री थे और कहा जाए तो उन दिनों फिल्में नहीं चलती थीं, सिर्फ राजेश खन्ना चलते थे. किसी कलाकार की ज़िंदगी के बारे में रिसर्च करके लिखना आसान नहीं है. वक्त बीतने के साथ-साथ कलाकार को जानने वालों की यादें अक्सर धुंधली होती जाती है. ज़रूरी है कि उन लोगों से बात करके उसकी पर्सनैलिटी को समझ कर, उसे दस्तावेज़बंद किया जाए. कोई भी शख्स ऐसा क्यों था? उसकी एक्टिंग, फिल्में और ज़िंदगी, सिनेमा के इतिहास का हिस्सा हैं जिनके बारे में लिखा जाना चाहिए.
(ABP न्यूज के पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान ने राजेश खन्ना की जिंदगी पर किताब लिखी थी 'राजेश खन्ना: कुछ तो लोग कहेंगे'. पेंग्विन पब्लिशर्स से छपी इस किताब की भूमिका सलीम खान ने लिखी थी. ये उसी का अंश है.)
वीडियो देखें:वो मराठी फिल्म जिस पर सिर्फ महाराष्ट्र ने नहीं, पूरे भारत ने प्यार लुटाया

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement