रोहित शर्मा, जिनके टैलेंट का मज़ाक पूरे भारत ने उड़ाया
रोहित शर्मा के जन्मदिन पर खास: मुंबई सबर्ब का वो लड़का, जिसे भूल से साउथ बॉम्बे का रईस समझ लिया गया.
"मैं बहुत खुश हूं कि रोहित ने रन बनाए, क्योंकि वो हमारे दौर का सबसे कमाल गॉड-गिफ्टेड टैलेंट है."
− महेन्द्र सिंह धोनी, भारतीय कप्तान, 23 जनवरी 2013
"सबसे पहले तो, मुझे नहीं लगता कि मैं टैलेंटेड हूं. ये 'टैलेंट' के बार-बार जिक्र ने मेरे लिए चीजों को खराब ही किया है. मैंने अपना क्रिकेट करियर गेंदबाज के रूप में शुरू किया था. मैं बल्लेबाज था ही नहीं. ये सारी नैचुरल टैलेंट होने की बात, 'गॉड-गिफ्ट' टाइप की बातें जो आप और मीडिया के लोग बोलते और लिखते हैं, बहुत अन्यायपूर्ण और बिल्कुल गलत है.
यहां तक पहुंचने के लिए मैंने अपनी बल्लेबाजी पर बहुत मेहनत की है. मैं नम्बर 8 पर बल्लेबाजी किया करता था, और वहां से चलकर ऊपर यहां तक पहुंचा हूं. मेरे कोच दिनेश लाड जी से पूछिए, वो आपको बतायेंगे कि मैं तो ऑफ स्पिनर था. लोगों को सोचना चाहिए बात करने से पहले.. मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, अपनी मेहनत के बल पर हासिल किया है."
− रोहित शर्मा, डीएनए को दिए इंटरव्यू में, 19 सितंबर 2015
रोहित शर्मा की बल्लेबाजी पर एक भी शब्द लिखने से पहले मैं आपको वो चंद चुटकुले पढ़वाना चाहता हूं, जो पिछले कुछ सालों में हमने उन पर बनाए हैं. सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर घूमते कुछ नमूने पेश हैं −
रोहित शर्मा की बल्लेबाजी काले धन की तरह है. हमें पता है कि वो है. लेकिन वो कब और कितना सामने आएगा, और आएगा भी या नहीं, पता नहीं.
Q. रोहित शर्मा सर्वश्रेष्ठ फुटवर्क का प्रदर्शन कहां करते हैं?
Ans. आउट होकर वापस पॉवेलियन लौटते हुए.
Q. रोहित शर्मा की पारी और एफ वन रेसिंग कार में क्या अंतर है?
Ans. कुछ भी नहीं, दोनों पलक झपकते आंखों के सामने से ओझल.
Q. रोहित शर्मा का बेस्ट परफॉरमेंस कहां दिखाई देता है?
Ans. विज्ञापनों में.
मेनस्ट्रीम मीडिया में क्रिकेट की खबरों से लेकर चौराहे के पनवाड़ी की दुकान तक, रोहित शर्मा के नाम के जिक्र के साथ उनके 'नैचुरल टैलेंट' की बात कही जाती है. लेकिन ज्यादातर इन संदर्भों में यह एक अफसोस के साथ कहा जाता है. अफसोस कि रोहित शर्मा, जो कमाल के नैचुरल टैलेंट के साथ पैदा हुए हैं, इस प्रतिभा को बरबाद कर रहे हैं. सबूत के तौर पर उनका टेस्ट रिकॉर्ड गिनवाया जाता है.
क्या होता है ये 'नैचुरल टैलेंट', उससे भी खास सवाल हमारे लिए यहां ये है कि इस 'नैचुरल टैलेंट' का श्रेय बल्लेबाज को क्यों नहीं मिलता? क्या वो दूसरे किसी खिलाड़ी के मुकाबले रन बनाने के लिए कम मेहनत करता है? क्या उसे शतक तक पहुंचने के लिए पूरे 100 रन नहीं बनाने होते? क्या उसके बल्लेबाजी करते समय स्टंप्स की लम्बाई चार इंच छोटी कर दी जाती है? क्या उसके क्रीज़ पर आते ही फील्डिंग कर रही विपक्षी टीम के चार खिलाड़ी कम कर दिए जाते हैं? क्या वो अपने बल्ले में खास तरह की स्प्रिंग लगवाकर आता है जिससे बैट से छक्के ही छक्के निकलें?
ये बात सच है कि जब रोहित शर्मा अपने फुल फ्लो में बल्लेबाजी करते हैं तो वे भारतीय क्रिकेट में अब तक के सबसे दर्शनीय बल्लेबाजों में से एक लगते हैं. जब वे ऑफ साइड पर पटककर डाली गई गेंद को बायां पैर निकालकर खड़े-खड़े मिडविकेट के ऊपर से पुल कर देते हैं, तो उससे नयनाभिराम दृश्य इस खेल में कम ही हुए हैं. उनकी बल्लेबाजी किसी पहाड़ी झरने की उद्दाम तरंग सी तरलता से बहती है. लेकिन यह सब नाम लिख दिया जाता है 'जन्मजात प्रतिभा' के और उनके हर बार सस्ते में आउट होने पर रोहित शर्मा को इसी 'जन्मजात प्रतिभा' को बरबाद करने का दोषी घोषित किया जाता है.
वे शायद ऐसे पहले खिलाड़ी होंगे जिन्हें अपनी ही प्रतिभा के खिलाफ द्रोह का अपराधी मानकर सबसे ज्यादा कोसा गया है. 'गॉड-गिफ्टेड टैलेंट' और 'लापरवाह बिगड़ैल बल्लेबाज' के इन दो एक्सट्रीम्स के बीच रोहित शर्मा के क्रिकेटीय जीवन की पूरी कहानी छिपी है.
रोहित शर्मा बम्बई के उत्तरी सबर्ब का वो लड़का है जिसे गलती से साउथ बॉम्बे का रईस समझ लिया गया है. क्योंकि डोंबिवली के वन रूम सेट में रहनेवाले गुरुनाथ शर्मा और पूर्णिमा शर्मा के बड़े बेटे की इस कहानी में मेहनत का सिरा उतना ही गहरा है जितना उनकी बहुचर्चित 'जन्मजात प्रतिभा' का.
डोंबिवली से क्रिकेटीय दुनिया की दूरियों ने उन्हें बोरिवली में अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहने को मजबूर किया. बोरिवली भी बम्बई का उत्तरी सिरा है और बम्बई के क्रिकेट के मक्का से बहुत दूर. क्रिकेट के लिए इस किशोर ने माता-पिता का घर छोड़ा और छोटे भाई का साथ. परिवार से मुलाकातें वीकेंड तक सिमट गईं. फिर भी, क्रिकेट शहर में एक ओर और घर दूसरे सिरे पर. लोकल ट्रेन का कठिन लम्बा सफर तरुण की जिन्दगी का रोज का हिस्सा बन गया. ऐसी ही एक यात्रा में दरवाजे से बाहर लटके प्रैक्टिस किट वाला बैग गिर गया था एक बार. लड़का अगले स्टेशन से पटरियों के किनारे पैदल ही दौड़ता वापस पिछले स्टेशन तक आया. वो अपने पहले प्यार क्रिकेट को छोड़ देने को जरा भी तैयार नहीं था.
यह भी कम ही लोगों को मालूम है, और शायद विश्वास करना भी मुश्किल है कि उन्होंने अपना करियर एक गेंदबाज के तौर पर शुरु किया था. फिर जूनियर क्रिकेट के दिनों में 2005 में दौरे पर आई श्रीलंका के खिलाफ पचास ओवर के मैच के दौरान उनके दाहिने हाथ की अंगुली में फ्रैक्चर हुआ. इसने उनका गेंदबाज के तौर पर करियर तकरीबन खत्म कर दिया, क्योंकि अब वे गेंद को ठीक से ग्रिप नहीं कर पा रहे थे. यहीं से उन्होंने अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना शुरु किया.
स्पष्ट है कि उन्हें कुछ भी आसानी से नहीं मिला है. वे अपना पहला टेस्ट खेलने से पहले 100 से ज्यादा एकदिवसीय खेल चुके थे. फिर ब्रेक मिला तो उन्होंने पहले दोनों टेस्ट में शतक बनाए. अजहर और गांगुली के बाद ऐसा करनेवाले वे सिर्फ तीसरे हिन्दुस्तानी बल्लेबाज थे. लेकिन फिर कुछ खराब प्रदर्शन सफर में आए और अचानक उनसे ज्यादा उन लोगों को कोसा जाने लगा जिन्होंने उन्हें टीम में चुना और बनाए रखा था.
कहा गया कि उन्हें IPL प्रदर्शन के दम पर टेस्ट में चुनकर बाकी खिलाड़ियों और खेल का अपमान किया जा रहा है. हालांकि उस दौर में रोहित की प्रथम श्रेणी एवरेज 60 के करीब थी (आज भी वो 55 के करीब है) और इस तरह वे टेस्ट टीम में जगह के सबसे वाजिब दावेदार बनते थे.
इतना गुस्सा आखिर रोहित शर्मा की ओर क्यों? वे भारतीय टीम के सबसे ज्यादा कोसे गए खिलाड़ी हैं जिनकी क्रिकेट साइट्स, चैट सर्कल्स और सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रसिद्धि का मुकाबला शायद रवींद्र जडेजा से ही किया जा सकता है. मजेदार बात यह है कि यह उनके बीते पांच साल में एकदिवसीय और T20 में अभूतपूर्व प्रदर्शन के बावजूद है.
दरअसल इस गुस्से का राज उनकी बल्लेबाजी की उसी नैसर्गिकता और खूबसूरती में छिपा है, जिसकी वजह से उनकी बल्लेबाजी इतनी दर्शनीय है. उनकी बल्लेबाजी में गजब की निर्लिप्तता है. टीवी पर उन्हें मैदान के बाहर गगनचुंबी छक्का लगाते देखिए और ऐसा लगता है जैसे वे सुबह की मॉर्निंग वॉक पर निकले हैं. जब वे पिच पर होते हैं, और रंग में होते हैं तो सब सीधा-सरल रेखा सा हो जाता है.
ऐसा लगता है कि ब्रह्मांड में दायें हाथ की बल्लेबाजी से आसान कोई काम नहीं और रोहित शर्मा से बेहतर इसे करने के लिए किसी ने इस धरती पर अवतार नहीं लिया.
लेकिन जैसे 'मेहनती' के टैग देकर किसी खिलाड़ी को प्रतिभाहीन नहीं कहा जा सकता − यह स्टीव वॉ से लेकर राहुल द्रविड़ तक हर 'मेहनती' कहे गए खिलाड़ी पर लागू होता है, ठीक उसी तरह 'जन्मजात प्रतिभा' वाले खिलाड़ी से उसके हिस्से की मेहनत नहीं छीनी जा सकती. और इन दोनों का ही खेल में विशेष महत्व है. अपना महत्व है. उपयोगिता और दर्शनीयता किसी भी अन्तरराष्ट्रीय खेल में सिक्के के दो पहलू हैं, जिनके बिना खेल का अस्तित्व नहीं है. उपयोगिता किसी भी खेल का पूरा हिस्सा नहीं हो सकती. ठीक वैसे ही जैसे जीत किसी भी खेल का अन्तिम लक्ष्य नहीं हो सकती.
जैसा मेरे प्रिय उपन्यास 'चाइनामैन' में श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणतिलका लिखते हैं, "Left-arm spinners cannot unclog your drains, teach your children, or cure you of disease. But once in a while, the very best of them will bowl a ball that will bring an entire nation to its feet. And while there may be no practical use in that, there is most certainly value."
इस लेख में सबसे ऊपर आपने दो संदर्भ पढ़े. इनमें पहला 2013 में भारतीय कप्तान ने इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में चौथे वनडे में जीत के बाद रोहित शर्मा की तारीफ करते हुए कहा था. रोहित शर्मा के करियर में इस मैच का विशेष महत्व है. इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के पहले तीन मैचों में रोहित शर्मा भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे. मुम्बई के ही उनके टीममेट अजिंक्य रहाणे टीम के ओपनिंग बैट्समैन थे. फिर रोहित टीम में वापस लौटे और चौथे मैच में उन्हें एक प्रयोग के तहत ओपनिंग पर उतारा गया.
वे मध्यक्रम के बल्लेबाज हैं और अपने छ: साला अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन में सिर्फ चौथी बार ओपनिंग कर रहे थे. इससे पहले तीन बार ओपन करते हुए उनके स्कोर 23, 1 और 5 थे. मैच में 258 के स्कोर का पीछा करते हुए रोहित शर्मा ने 93 गेंद पर 83 रन बनाए और भारत ने इस मैच के साथ सीरीज पर कब्जा किया. उस दिन धोनी सच में रोहित के लिए बहुत खुश थे और उन्होंने कहा,
'उसके लिए एक ऐसी इनिंग्स बहुत जरूरी थी. ये उसे विश्वास देगी और खेल के इस सबसे ऊंचे मकाम पर कुछ देर और तसल्ली से ठहरने का मौका. मैं उसके लिए बहुत खुश हूं.'
रोहित के करियर के लिए यह निर्णायक पल था. इस मैच से पहले तक उनका टीम में स्थान तय नहीं था. बीते छ: साल से टीम में अन्दर-बाहर का सिलसिला चल रहा था और उनकी बल्लेबाजी की औसत 30 से जरा ही ऊपर थी. इसी मैच के साथ करियर ने पलटा खाया. आज वह टीम के स्थायी ओपनर हैं. उनके नाम क्रिकेट के दो अभूतपूर्व रिकॉर्ड हैं − एकदिवसीय में 3 दोहरे शतक और सबसे बड़ा स्कोर, और शायद सबसे चमकदार करियर.
दूसरा संदर्भ 2015 का है जब रोहित एक साक्षात्कार देते हुए अचानक फट पड़े थे. उन्होंने कहा कि शायद टीवी पर देखकर ऐसा लगता होगा कि मेरे खेल में कोई 'मेहनत' नहीं, लेकिन जो मेहनत मैंने यहां तक पहुंचने के लिए की है वो मेरा मन ही जानता है. क्योंकि, अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता.
इन दोनों संदर्भों के मध्य रोहित वनडे में छ: शतकों के साथ तकरीबन 2000 रन बना चुके थे और इनमें दो दोहरे शतक शामिल थे − 209 और 264.
इन्हीं दोनों सदर्भों के मध्य रोहित शर्मा के क्रिकेट करियर की पूरी कहानी छिपी है.
बम्बई के उत्तरी सबर्ब का लड़का, जिसे गलती से साउथ बॉम्बे का रईस समझ लिया गया.
वीडियो- रमन लाम्बा: वो इंडियन क्रिकेटर जिसने हेल्मेट न पहनने की कीमत जान देकर चुकाई