प्रेम. इन ढाई अक्षरों का वजूद मिटा दो तो आप-हममें कुछ नहीं बचता. बिना प्रेम केहम सब महज़ रोबोट रह जाएंगे. एक प्रेम ही है, जो हमें कुदरत की अहमतरीन कृति बनाताहै. ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं मुझे ठीक से पता नहीं लेकिन अगर होगा भी तो वोइंसान का वही रूप सबसे ज़्यादा पसंद करता होगा, जब वो प्रेम में हो.दुनिया की तमाम मशहूर कहानियों के मूल में प्रेम है. या यूं कहिए वही कहानियांहज़ारों बरस के कैनवास पर फ़ैल पाईं, जिनकी बुनियाद में प्रेम नत्थी था. लैला-मजनू,रोमियो-जूलिएट, हीर-रांझा, शीरीं-फरहाद, सोहणी-महीवाल. समर्पण और बलिदान की इन तमामदंतकथाओं ने हम सबको ज़िंदगी के किसी न किसी मोड़ पर आकर्षित किया है. हमने इन्हेंसराहा क्योंकि इनमें से ज़्यादातर ने प्रेम के आगे जीवन तक को तुच्छ समझा. लेकिनक्या हो अगर प्रेम की खातिर मरना नहीं, जीना पड़े. तिरस्कार और नफरतों से भरा जीवन!प्रेम की खातिर कच्चे घड़े पर तैरकर जाती सोहणी.एक ऐसे ही शख्स़ की बात करना चाहता हूं, जिसका प्रेम आपको आकर्षित करने से ज़्यादाआंदोलित करता है. आप हतप्रभ से खड़े सिर्फ सवाल कर पाते हैं. कैसे? कैसे कोई यातनाओंका इतना लंबा समंदर बिना माथे पर शिकन डाले पार कर सकता है? कैसे कोई अपने प्रेम कोही मिशन बना लेता है? और मिशन की कीमत भी क्या! सबसे घृणित इंसान के तौर पर खुद कोपेश करना. न सिर्फ करना बल्कि लगातार कामयाबी से करते रहना. इसमें फेल हुए तो उसज़िम्मेदारी से दगाबाज़ी हो जाएगी, जो उसके प्रेम ने उसे सौंपी है. शायर बिरादरी जिस'मुहब्बत की इंतेहा'का महिमामंडन करती है, ये उससे कई प्रकाशवर्ष आगे की चीज़ है.हॉगवर्ट्स के प्रोफ़ेसर सिविरस स्नेप का प्रेम आपकी कल्पनाशीलता को आख़िरी छोर से भीआगे ले जाता है. ये संवेदनाओं को उनकी अंतिम पराकाष्ठा तक आजमाने वाली शय है.प्रोफ़ेसर स्नेप वो शख्स़ है, जिससे हॉगवर्ट्स के अपने सात साल हैरी और इन सातकिताबों को छपने में लगे दस साल तमाम पाठक, बेशुमार नफरत करते रहे. घृणा की हद तकनफरत. क्या वो शख्स़ उस तिरस्कार के काबिल था? नहीं, बिल्कुल नहीं. समूची दुनिया कीनफरतों का ज़हर अपनी रगों में उतारता वो शख्स़ तो बेमिसाल मुहब्बत की अनोखी इबारतलिख रहा था. जिस लिली इवांस पॉटर से उसने मुहब्बत की, उसकी आख़िरी निशानी - हैरी -को हर हाल में बचाने का इकलौता मकसद लिए जिए जा रहा था.इस सूरत से हमनें बरसों तलक नफरत की है.हैरी पॉटर सीरीज के पाठक और सीरीज की फ़िल्में देखने वाले दर्शक इस भाव से सरासरपरिचित होंगे कि आखिरी किश्त के क्लाइमेक्स से पहले जब-जब भी प्रोफ़ेसर स्नेप सेहमारी मुठभेड़ हुई, हमने उस बंदे से बेझिझक नफरत की है. हैरी एंड टीम का जीनाकदम-कदम पर मुश्किल करता 'जादुई काढ़े' का ये प्रोफ़ेसर तमाम खलनायकों का प्रथम पुरुषलगता था. किसे पता था उस आदमी की एक-एक मूव उसके प्रेम को श्रद्धांजलि है! हमनेकब-कब उसका बुरा न चाहा! तब, जब वो हैरी की महल में घुमक्कड़ी की राह में रोड़ा बनताथा.तब, जब वो उसे स्कूल से निकालने पर आमादा रहता था.तब, जब वो बिना बात उसे अपमानित करता रहता था.तब, जब उसके हाथ पर प्राणभक्षियों का निशान पाया गया.तब, जब वो हाफ ब्लड प्रिंस निकल आया.तब, जब उसने वोल्डेमॉर्ट के आगे घुटने टेके और उसे अपना आका तस्लीम किया.और सबसे ज़्यादा तब, जब उसने - हैरी के सामने - प्रोफ़ेसर डंबलडोर को मार डाला.कैसे इस शख्स़ में प्रेम का वजूद ढूंढ पाता कोई! हम पूरी शिद्दत से चाहते थे कि येआदमी दफा हो जाए, निकाल दिया जाए, मर जाए! अपनी गहरी काली आंखें और उससे ज़्यादा सियाह लबादे समेत. घृणा की एक्स्ट्रीम हदजाकर नफ़रत करने के बाद जब हमारे आगे स्नेप का असली रंग खुलता है, तो आत्माशर्मिंदगी के बोझ से दब जाती है. हम पूरी शिद्दत से उस शख्स़ को सॉरी बोलना चाहतेहैं.नीचे वो लम्हा है , जब प्रोफ़ेसर स्नेप ने सबसे दुर्गम राह पर चलने का फैसला कियाथा:स्नेप वो लड़का है जिसने अपनी तमाम उम्र तनहा काटी. वो लड़का जिसे स्कूल की सुंदरलड़की ने दोस्त बनाकर रिजेक्ट कर दिया. जिसे स्कूल का स्वघोषित हीरो और उसका गैंगसदा अपमानित करता रहा. जिसे तमाम कलीग नापसंद करते रहे. वो लड़का, जिसने घृणा केतमाम रेले के बावजूद अपने अंदर के प्रेम को बचाए रखा. बस इतना किया कि उसे दिल केसबसे तनहा वॉल्ट में दफ़न करके चाबी फेंक दी. उस प्रेम की झलक दुर्लभतम चीज़ थी. उसकीभनक किसी को न पड़ी. न हमें, न हैरी को.आप-हम सब प्रेम करते हैं. कभी कामयाब, अक्सर नाकामयाब. हमारे प्रेम में अक्सर हमारीखुदगर्ज़ी का रंग मिला रहता है. हम पाना चाहते हैं, देना नहीं. निस्वार्थ, निर्मोहीप्रेम से हमारा वास्ता अक्सर नहीं ही पड़ता. जिन चुनिंदा लोगों का पड़ता भी है, वोजान देने की हद तक जाकर समझ लेते हैं कि प्रेम का एवरेस्ट छू लिया. हीर की तरह ज़हरखा लेना या सोहणी की तरह कच्चे घड़े संग डूब जाना बड़ी बात है. लेकिन इससे भी बड़ा अगरकुछ है, तो वो है, एक अज़ीयतों से भरी ज़िंदगी को मुसलसल जीते चले जाना. उसी प्रेम कीलाज रखने की खातिर. प्रोफ़ेसर स्नेप ने जो कर दिया, उसे दूर खड़े होकर देखना भर आपकोविचलित कर देता है, जीना तो छोड़ ही दीजिए.क्लाइमेक्स याद कीजिए. प्रोफ़ेसर डंबलडोर स्नेप से व्यंग भरे लहजे में पूछ रहे हैंकि क्या अब उसे हैरी से हमदर्दी हो गई है? स्नेप अपनी छड़ी हवा में फटकारते हैं औरएक रूपहली हिरनी छड़ी से निकलकर उड़ान भरती हुई खिड़की से बाहर चली जाती है. लिलीइवांस पॉटर का पेट्रोनस (पितृदेव)!भौंचक्के से डंबलडोर भरी आंखों से सवाल करते हैं... "After all this time?" (इतनेलंबे समय के बाद भी?)स्नेप शांति से जवाब देते हैं, "ALWAYS".(हमेशा)ये 'ALWAYS' आपकी तमाम संवेदनाओं को झकझोर कर रख देगा. आप चाहे अपनी ज़िंदगी में क्रूर, मतलबीऔर नाज़ुक एहसासात से कोरे शख्स हो, उस एक लम्हे आपके अंदर बहुत कुछ बेतहाशा बहनेलगेगा. ऐसे, जैसे किसी ज़ख्म की पपड़ी हटाने से भल-भल ख़ून टपकने लग जाए. वो एक लम्हाआपके ज़हन-ओ-दिल को बेशुमार बेचैनी से भर देगा. अगर आप सिनेमा हॉल में देख रहे हैं,तो आपका दिल चाहेगा आप उठकर खड़े हो जाएं. अगर आप किताब पढ़ रहे हैं, तो यहां थम जानालाज़मी हो जाएगा. किताब साइड में रख कर आप अपने अंदर हो रहे भावनाओं के ओवरफ्लो कोनियंत्रित करने की कोशिशों में लग जाते हैं. उस अद्भुत प्रेम की लौ आप अपने अंदरमहसूस करते हैं.फिर उसके बाद आती है एक भयावह शांति. जो अपने साथ शर्मिंदगी भी लाती है. प्रोफ़ेसरस्नेप हमें एक ऐसी असाधारण चीज़ से वाकिफ कराकर जा चुके हैं, जिसके वजूद तक से हमअंजान थे. उस सीन के बाद, हर वो शख्स जो बेलौस मुहब्बत की राह का राही है, प्रोफ़ेसरस्नेप से एक ही बात कहना चाहता है. "वी लव यू प्रोफेसर स्नेप. ऑलवेज. ALWAYS."अंतिम घड़ियों में हैरी के साथ स्नेप.प्रोफ़ेसर स्नेप की मौत के बाद हमारे दिल में जो श्मशान-शांति घर कर जाती है, उसेतोड़ने के लिए हम उसी चीज़ की शरण में जाने का खुद से वादा करते हैं, जो प्रोफ़ेसरस्नेप के ज़र्रे-ज़र्रे में पैबस्त था. प्रेम. सरल, सहज, स्वाभाविक प्रेम.मेरा बस चले तो मैं सारी दुनिया में जहां-जहां भी ताजमहल की प्रतिकृति रखी है, उसेहटाकर वहां प्रोफेसर स्नेप की तस्वीर रख दूं. सच्चे, निस्वार्थ प्रेम का ब्रांडएम्बेसैडर उस शख्स़ के अलावा और कोई हो ही नहीं सकता. सलामत रहे मुहब्बत!