एक और चीनी दावा जिसे भारत ने गलत साबित कर दिया है
ये पांडा का मामला है
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चीन ने पिछले साल एक स्टडी प्रकाशित की थी. जिसमें कहा गया था कि चाइनीज रेड पांडा सिर्फ चीन में पाया जाता है. चीन से बाहर कोई भी भू-भाग ऐसा नहीं है जहां पर यह पांडा पाया जाता है. इस दावे में एक लोचा यह था कि भारत के एक्सपर्ट भी भारत में चाइनीज रेड पांडा पाए जाने की बातें करते रहे हैं. आखिर क्या है ये रेड पांडा पर चीन के दावे का मामला और कैसे एक भारतीय रिसर्च ने चीन के दावे को पटखनी दे दी है. जानते हैं तफ्सील से.
पहले भारत के रेड पांडा के बारे में जानिए
पांडा का नाम आते ही आपके जेहन में एक सफेद-काला क्यूट सा प्राणी आता होगा. कुछ को कुंग्फू पांडा फिल्म का फनी कैरेक्टर याद आता होगा. लेकिन इस पांडा के अलावा दूसरी तरह के पांडा भी धरती पर मौजूद हैं. इन पांडा का रंग सफेद-काला नहीं बल्कि लाल-भूरा होता है. इसका साइज काले-सफेद पांडा के मुकाबले काफी छोटा होता है. ये देखने में गिलहरी और बिल्ली का मिक्स और बड़ा रूप लगते हैं. इसकी पीठ पर लाल-भूरे रंग के बाल होते हैं, इस वजह से इसे रेड पांडा कहा जाता है. जहां तक भारत में रेड पांडा पाए जाने की बात है तो यह अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, मेघालय और बंगाल में पाए जाते हैं. भारत में 2 तरह के रेड पांडा पाए जाते हैं. एक का नाम है हिमालयन रेड पांडा और दूसरे का नाम है चाइनीज रेड पांडा. यह जानकर आपको हैरानी होगी कि पिछले साल तक ये दोनों पांडा एक ही प्रजाति के माने जाते थे. वैसे ये छोटे स्तनधारी रेड पांडा पहले से ही लुप्तप्राय हैं. दुनियाभर में 10 हजार से भी कम रेड पांडा बचे हैं. ये चीन, नेपाल, भारत, भूटान और म्यांमार में ही पाए जाते हैं.
भारत के अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और बंगाल में रेड पांडा पाया जाता है. (फोटो-विकिपीडिया)
चीन ने ठोका चाइनीज रेड पांडा पर दावा पिछले साल बीजिंग में चाइनीज साइंस एकेडेमी कुनमिंग ने एक महत्वपूर्ण रिसर्च पब्लिश किया. इसमें कहा गया कि पांडा की एक नहीं दो प्रजातियां हैं. हिमालयन रेड पांडा और चीनी रेड पांडा, दोनों अलग-अलग हैं. एशिया भर से 65 जंगली रेड पांडा के डेटा का इस्तेमाल कर रिसर्चर इस नतीजे पर पहुंचे थे. उन्होंने पाया कि हिमालयन और चाइनीज रेड पांडा का डीएनए अलग है. रिसर्च में यह भी पता चला कि चाइनीज रेड पांडा का चेहरा ज्यादा लाल और इसकी पूंछ में गहरे लाल व सफेद रंग के छल्ले होते हैं. जबकि हिमालयन रेड पांडा इन दोनों विशेषताओं में अलग होते हैं. हिमालयन रेड पांडा नेपाल, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तरी म्यांमार, तिब्बत और चीन के पश्चिमी युनान प्रांत में पाए जाते हैं. जबकि चीनी रेड पांडा चीन के युन्नान और सिचुआन प्रांतों तक ही सीमित हैं. आपको बता दें कि पिछले 2 दशकों में रेड पांडा की संख्या में 50 फीसदी की गिरावट आई है. ऐसे में इस रिसर्च से रेड पांडा को संरक्षित करने को लेकर नए तरह की प्लानिंग शुरू की गई. लेकिन चाइनीज रेड पांडा सिर्फ चीन में ही होता है वाली बात भारतीय रिसर्चरों के गले नहीं उतरी.
चीन के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले बताया कि रेड पांडा की दो प्रजातियां हैं. उसने यह भी दावा कर दिया कि इसमें से एक प्रजाति सिर्फ चीन में पाई जाती है. (फोटो-विकिपीडिया)
चीनी रिसर्च गलत साबित हुई
दुनियाभर के वैज्ञानिकों के साथ भारत के वैज्ञानिकों ने भी यह बात मान ली थी कि रेड पांडा एक नहीं बल्कि दो तरह के होते हैं. लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के गले यह बात नहीं उतर रही थी कि चाइनीज रेड पांडा सिर्फ चीन में ही पाए जाते हैं. भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च करना शुरू की. हाल ही में भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (Zoological Survey of India) की तरफ से एक रिसर्च प्रकाशित हुई है. इसमें यह बात निकल कर आई है कि चीन के अलावा भारत में भी चाइनीज रेड पांडा पाए जाते हैं. इस रिसर्च में न सिर्फ रेड पांडा की शक्ल सूरत, बल्कि उसके डीएनए को भी चेक किया गया है. यह रिसर्च करने के लिए वैज्ञानिकों ने पिछले 3 साल में भारत के अलग-अलग इलाके में पाए जाने वाले रेड पांडा के चेहरों के सैंपल खंगाले. कई डीएनए सैंपल लिए और तब जाकर इस नतीजे पर पहुंचे.
यह रिसर्च पिछले हफ्ते नेचर (साइंटिफिक रिपोर्ट) और जर्मन सोसाइटी ऑफ मैमेलियन बायलॉजी में छपी है. चीन ने अपनी रिसर्च में यह भी दावा किया था कि चाइनीज रेड पांडा अरुणाचल प्रदेश की सियांग नदी के चीन की तरफ वाले हिस्से में ही पाए जाते हैं. सियांग नदी एक तरह से चाइनीज रेड पांडा के लिए डिवाइडिंग लाइन है. इस दावे को भी भारतीय वैज्ञानिकों ने खारिज कर दिया है.
फिलहाल तो हम एक और चाइनीज साजिश से बच गए वरना चीन बरसों तक दावा करता रहता कि चाइनीज रेड पांडा सिर्फ चीन में ही पाए जाते हैं. इस तरह उनके पाले में काले-सफेद और लाल, दो तरह के पांडा आ जाते. लेकिन ये हो न सका.