AIMIM के सदर असदुद्दीन ओवैसी पर हमला हुआ. हमलवार की पहचान भी हो चुकी है, और उसपहचान पर राजनीति भी चालू है. राजनीति वाले हिस्से पर बाद में आएंगे, पहले हमला औरहमलावर की बात कर लेते हैं. यूपी के हापुड़ ज़िले में ओवैसी की गाड़ी पर फायरिंगहुई. ओवैसी अपने समर्थकों के साथ मेरठ की किठौर विधानसभा से लौट रहे थे. दिल्ली कीतरफ. टोल पर गाड़ी रुकी और जैसे ही बेरेकेड से आगे बढ़ी तो गोलियां बरसने लगीं.वहां पहले से मौजूद दो लोगों ने फायरिंग की. माने उनको पता था कि ओवैसी का काफिलाटोल पर आएगा. घटना का एक सीसीटीवी फूटेज सामने आया. वीडियो में साफ साफ एक हमलावरफायरिंग करता दिख रहा है. सफेद जैकेट, डेनिम जींस और स्पोर्ट्स शूज़ पहन रखे हैं.हमलावर का चेहरा भी अवगुंठित नहीं है. माने चेहरा छिपाने की बात तो दूर, कोरोनावाला मास्क भी चेहरे पर नहीं दिख रहा है. मतलब हमलावर ने अपनी पहचान छिपानेकी कोशिश नहीं की. दूसरा हमलावर ज्यादा क्लियर नहीं दिख रहा है. लेकिन ये दिख रहाहै कि एक गाड़ी उस हमलावर की तरफ जाती है, शायद उसके पैर को कुचल भी देती है. एक औरवीडियो में हमले के लिए इस्तेमाल हथियार ज़मीन पर गिरा दिखता है. मौके से एक हमलावरको भी पकड़ लिया गया. ओवैसी के कारकुनों ने ही पकड़कर पुलिस के हवाले किया. अब चलतेहैं पुलिस महकमे की तरफ. चुनाव का वक्त है, तो टोल पर पुलिस की भी एक पोस्ट थी.इसलिए तुरंत पुलिस की आमद यहां हो गई. और फिर एसपी हापुड़ दीपक भूकर भी मौके परपहुंचे. और उन्होंने मीडिया को बताया कि पकड़े गए हमलावर से पूछताछ चल रही है, औरदूसरे की तलाश में पुलिस की 5 टीमें जुटी हैं. इसके बाद रात को यूपी के एडीजी लॉएंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का बयान आया. उन्होंने एक हमलावर की पहचान बताई. तो बकौलपुलिस, सचिन नाम का हमलावर गौतमबुद्ध नगर का है, माने नोएडा के पास के गांव का.बादलपुर थाना क्षेत्र का. वैसे बीएसपी सुप्रीमो मायावती का गांव है बादलपुर. अगरहमारी जानकारी दुरुस्त है तो कई और सूत्रों से हमें जानकारी मिली कि सचिन का पूरानाम है सचिन पंडित. पिता का नाम विनोद पंडित. इनके पिता प्राइवेट कंपनियों में लेबरकी सप्लाई के ठेके लेते हैं. सचिन ने ला की पढ़ाई की है. सचिन के राजनीतिक रुझानकैसे हैं, किस पार्टी से जुड़े हैं, इस पर बाद में आएंगे. पहले आप दूसरे हमलावर सेमिलिए. दूसरा वाला मौके से तो भागने में कामयाब रहा. लेकिन फिर पकड़ा गया. पुलिस कहरही है - हमने पकड़ा. जबकि एक जानकारी ये आ रही है कि उसने थाने में जाकर सरेंडर करदिया. दोनों जानकारियों को ही सही मानते हुए आगे बढ़ते हैं. हमलावर की पहचान हुई हैशुभम के रूप में. यूपी के सहारनपुर ज़िले का रहने वाला. शुभम क्या करता है, इसकोलेकर भी दो जानकारियां मिली हैं. कुछ लोग बता रहे हैं कि 10वीं तक पढ़ा है, और खेतीकरता है. जबकि एक जानकारी ये है कि सचिन और शुभम दोनों ला किए हैं. और घनिष्ठ मित्रहैं. अब इन जानकारियों से हमें ये समझ आ रहा है कि लॉ की पढ़ाई का तो नहीं पता,लेकिन दोनों की मित्रता में घनिष्ठता के अलंकार पर हम संदेह नहीं कर पाएंगे.क्योंकि दोनों फायरिंग के वक्त साथ थे, तो प्लान भी साथ ही किया होगा. इनके भीराजनीतिक रुझानों पर हम आगे लौटेंगे. घटना स्थल से एक पिस्टल मिली. उसमेंसेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल लिखा दिखता है. पहले हमको लगा जर्मन मेड माउज़र पिस्टल होगी.पिस्टल पर Made in Jharmani लिखा भी है. लेकिन फिर हमको जर्मनी की स्पेलिंग दिखी.लिखा है- Jharmani. जबकि जर्मनी की सही स्पेलिंग होती है Germany. तो हमको डाउट हुआकि हथियार है तो देसी है. लेकिन फिर भी हमने अपने शको-सुबहा को दूर करने के लिएहथियारों के जानकारों से मदद मांगी. इंडियन आर्मी में कोर कमांडर रहे अधिकारी ने भीतस्वीर देखते ही कहा कि कंट्री मेड है. ये ही बात एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने भीकही. इंटेलिजेंस अधिकारी ने भी कहा कि देसी ही है. माने है तो देसी, लेकिन कट्टानहीं है, पिस्टल है. यानी मशीन मेड है. आपको पता ही है देश में कई जगहों पर अवैधहथियार बनने की बात कही जाती है, जैसे बिहार का मुंगेर इसके लिए बदनाम है. वैसेहमें हापुड़ पुलिस के सूत्रों से और स्थानीय पत्रकार से जानकारी मिली कि ये पिस्टलमेरठ से खरीदा गया था. खैर, बात का लब्बोलुआब ये है कि दोनों हथियार अवैध हैं. अबएक चीज़ और गौर करने लायक है. हमें जिज्ञासा हुई कि राउंड कौनसा होगा. यानी गोलीकितने MM साइज़ की होगी? एक आईपीएस अधिकारी ने पिस्टल देखकर बताया कि .32 एमएम कीगोली रही होगी. जिसे हम आम बोलचाल में 32 बोर कह देते हैं. लेकिन फिर हमें हापुड़के एसपी दीपक भूकर की तरफ से बताया गया कि राउंड 9 एमएम का था. आप सोच रहे होंगेइतना बाल की खाल उधड़ने की क्या ज़रूरत है. इसलिए क्योंकि आपको पता होगा देश में9MM की गोलियां सिविलियन यूज़ के लिए अलाउड नहीं हैं. इसलिए देसी हथियारों में छोटीसाइज़ की गोली इस्तेमाल होती हैं. 9 एमएम सिर्फ पुलिस या सेना या फोर्सेज ही यूज करसकती हैं. हालांकि हम ये भी नहीं कह रहे कि 9एमएम बुलेट जुगाड़ना बहुत मुश्किल है.जहां अवैध अस्लाह मिलता है, वहां अवैध गोली भी मिल ही जाती होगी. आपको तो पता हीहोगा जब कश्मीर वाले आतंकियों की भी सरहद पार से हथियारों की सप्लाई बाधित हो जातीहै, तो यूपी-बिहार के भरोसे रहना पड़ता है. माने यूपी-बिहार से अवैध हथियार मंगवातेहैं. और ये कोई हम अंदर की बात नहीं बता रहे, कश्मीर की पुलिस कई बार कह चुकीहै. कुल मिलाकर इस हमले में अवैध हथियार और अवैध गोली इस्तेमाल हुई है. तो इससेहोगा ये कि कोर्ट में पुलिस का केस बहुत स्ट्रॉन्ग बन सकेगा. और जब दोषी साबित होजाएंगे तो शायद सज़ा की अवधि भी ज्यादा हो. यहां तक हमने बंदूक की बात कर ली, गोलीकी बात हो गई, बंदूक चलाने वाले की बात हुई. अब चलते हैं वहां, जहां गोली जाकरटकराई. यानी असदुद्दीन ओवैसी की कार. चश्मदीदों ने बताया कि 5 राउंड फायरिंग हुई.पुलिस की तरफ से जानकारी आई की 4 राउंड हुई. और असदुद्दीन ओवैसी की गाड़ी पर हमेंतीन गोलियां लगी दिखती हैं. आपकी जानकारी के लिए बताता चलूं असदुद्दीन ओवैसी लैंडरोवर की डिस्वरी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं. महंगी गाड़ी है, 60-70 लाख की आती है.जब उन पर हमला हुआ तब भी वो अपनी लैंड रोवर में ही थे. ये गाड़ी की तस्वीरें हैं.गाड़ी के निचले हिस्से पर गोली के दो निशान दिखते हैं. एक गोली टायर पर लगी है. अबसमझने के लिहाज से हम यहां से दो निष्कर्ष निकाल सकते हैं. पहला ये कि हमलावरों नेजान बूझकर गाड़ी के निचले हिस्से पर गोलियां चलाईं. और इस आधार पर ये कहा जा सकताहै कि हमलावरों ने जान से मारने के बजाय, हमला करने के लिए हमला किया हो. माने जैसेविरोध प्रदर्शनों में किसी किसी आदमकद का पुतला दहन होता है, वैसे ही फायर करकेओवैसी को बड़े हमले की चेतावनी दी हो. एक निष्कर्ष तो ये. दूसरा शायद हमलावर इतनेनौसिखिये थे कि वो निशाना ठीक से लगा नहीं पाए. इसलिए गाड़ी के निचले हिस्से मेंफायर लगा हो. लेकिन गोली बहुत करीब से मारी गई थी. 10-20 फीट से टाइप दूरी. इसलिएकोई कितना ही नौसिखिया हो, पिस्टल हाथ में लेकर गोली की दिशा और एल्टिट्यूड तय करनेमें इतनी गलती तो नहीं कर सकता. खैर ये जांच का विषय है. हम इस पर नहीं जाएंगे. अबगोली चलाने वाले किस पार्टी के हैं. हैं भी या नहीं. इस पर आएंगे. लेकिन पहले हिंदूसेना के एक नेता का बयान. जैसे किसी आतंकी हमले के बाद कोई संगठन जिम्मेदारी लेताहै, उसी लहजे में हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता का बयान आया.कहा हमने सिर्फ चेतावनीदी है, मारना नहीं चाहते थे. हम हमला करने वालों को पूरी क़ानूनी सहायता देंगे औरउनको सम्मानित करेंगे. आगे बढ़ते हैं. हमलावर सचिन को बीजेपी का कार्यकर्ता बतायाजा रहा है. इसे लेकर क्या तथ्य हैं, इसे देखते हैं. देशभक्त सचिन हिंदू नाम से एकफेसबुक अकाउंट है. जो हमलावर सचिन का बताया जा रहा है. उसका है या नहीं इसकी पुष्टिहम अभी नहीं कर सकते. या तो वो खुद कर सकता है या सुरक्षा एजेंसियां कर सकती हैं.लेकिन इस अकाउंट पर हमलावर की तस्वीरें हैं. और 7 जुलाई 2019 की एक पोस्ट कास्क्रीनशॉट भी वायरल है. जब सचिन ने बीजेपी की मेंबरशिप की फोटो फेसबुक पर पोस्ट कीथी. इसमें सदस्यता नंबर भी लिखा है. और क्या दिखता है सचिन के कथित फेसबुक पोस्टपर. उग्र हिंदुत्व वाले नारे और चेतावनियां. जैसे ‘हिंदुओ हिंदुस्तान तुम्हारा है,इस बात को गढ़ लेना, अगर मर जाए तुम्हारा स्वाभिमान तो, महाराणा प्रताप को पढ़लेना.’ इसी तरह की और पोस्ट. सचिन की बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री महेशशर्मा के साथ फोटो भी वायरल हो रही हैं. महेश शर्मा गौतमबुद्ध नगर के सांसद हैं, औरइसी लोकसभा में महेश शर्मा का गांव भी आता है. तो क्या हमलावर महेश शर्मा का करीबीया बीजेपी का कार्यकर्ता है? महेश शर्मा ने इसपर कहा बीजेपी हर तरह की राजनीती मेंहिंसा का विरोध करती है, मैं भी इस घटना की निंदा करता हूं. फोटो हम कई लोगों केसाथ दिन में लेते हैं. इसका पार्टी से कोई संबंध नहीं है. तो जब सांसद महेश शर्माऔर सचिन की तस्वीर एक साथ देखकर किसी नतीजे पर पहुंचने की बात आएगी, तो कई एंगलदेखने पड़ेंगे, और उसमें महेश शर्मा का वो तर्क भी कि सांसद हूं तो क्षेत्र की जनताके साथ फोटो खिंचवाता रहता हूं. हमलावरों को लेकर खूब बात हो गई, बस एक बात रह गईहै. हमले का मोटिव क्या था. पुलिस के मुताबिक ओवैसी के बयानों को लेकर हमलावर कथितरूप से आहत थे. सबक सिखाना चाहते थे. हापुड़ पुलिस के सूत्रों से हमें ये भीजानकारी मिली कि 3 महीने पहले ही हथियार खरीद लिए गए थे, तो मुमकिन है कि तैयारीपहले से ही थी. और पूछताछ में ये भी जानकारी आई कि ओवैसी हमलावर ओवैसी की रेकी भीकर रहे थे. हालांकि बहुत चीज़ें तब सामने आएंगे जब ऑन रिकॉर्ड या कोर्ट में पुलिसये चीज़ें बताएगी. दोनों हमलावरों को आज कोर्ट में पेश किया गया और कोर्ट ने 14 दिनकी न्यायिक हिरासत में, यानी जेल भेज दिया है. हमलावरों के हिस्से की बात यहींखत्म. अब आते हैं पीड़ित पक्ष पर. यानी असदुद्दीन ओवैसी की तरफ. हमले के बाद वोसकुशल किसी और गाड़ी से दिल्ली आ गए थे. आज संसद की कार्यवाही में भी शामिल हुए. आजसुबह सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि उन्हें गृह मंत्रालय ने जेड कैटेगरी कीसिक्योरिटी ऑफर की है. इस खबर की पुष्टि हम नहीं कर पाए, लेकिन कई चैनलों-पोर्टलोंपर ये खबर चली. उनकी सुरक्षा में सीआरपीएफ के 24 जवान तैनात करने की बात थी.हालांकि मीडिया के सामने आकर उन्होंने कहा कि मुझे सिक्योरिटी नहीं चाहिए. आगे कहा-बुलेट प्रुफ गाड़ी चाहिए और लाइसेंसी हथियार चाहिए. ओवैसी ने ये भी पूछा कि हमलाकरने वालों पर UAPA क्यों नहीं लगाया जा रहा? उन्होंने कहा “मुझे जेड श्रेणी कीसुरक्षा नहीं चाहिए. मैं 1994 से राजनीति में हूं. मैं घुटन के साथ जिंदा नहीं रहनाचाहता हूं. आजाद जिंदगी जीना चाहता हूं. मुझे गोली लगती है तो मुझको कबूल है. ओवैसीकी जिंदगी लोगों से ज्यादा कीमती नहीं है. मेरा सवाल यह है कि वे लोग कौन हैं जोबुलेट में विश्वास करते हैं. ये लोग कौन हैं जो इतने कट्टरपंथी हैं कि वे अंबेडकरके संविधान में विश्वास नहीं करते हैं. जो लोगों को कट्टरपंथी बना रहे हैं, उन परयूएपीए के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया जा रहा है? अगर कोई भड़काऊ भाषण देता है,तो उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जाता है. लेकिन अगर कोई क्रिकेट मैचपर प्रतिक्रिया दे तो उसे कड़े कानून का सामना करना पड़ता है.” अब आते हैं इस घटनाके राजनीतिक एंगल पर. हमला तब हुआ जब ओवैसी यूपी में चुनावी कार्यक्रम से लौट रहेथे. और हमले का आरोप बीजेपी के कार्यकर्ता पर लग रहा है. यूपी में ओवैसी की सियासीप्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी है. सपा के नेता घटना पर अफसोस तो जता रहे हैं किलेकिन हमले के पीछे मिली-भगत भी बता रहे हैं. तो ये पूरा मामला है. पुलिस मामले कीजांच कर रही है. सरकार घटना पर बयान देने की तैयारी में हैं. खबर आई है कि सोमवारको गृह मंत्री अमित शाह इस घटना पर लोकसभा में बयान देंगे.