The Lallantop
X
Advertisement

कहानी शेर सिंह राणा की, जिसने फूलन देवी के घर खीर खाई और बाहर निकल उन्हें गोली मार दी

शेर सिंह राणा का दावा था कि वो अफगानिस्तान से पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां वापस लाया. उसकी इस कहानी पर फिल्म बन रही है.

Advertisement
Img The Lallantop
पहली तस्वीर में फूलन देवी का कातिल शेर सिंह राणा. बीच वाली तस्वीर में दिख रहा है शेर सिंह राणा की बायोपिक का पोस्टर. और आखिरी फोटो में विद्युत जामवाल की, जो इस फिल्म में टाइटल कैरेक्टर प्ले करने जा रहे हैं.
pic
श्वेतांक
29 मार्च 2022 (Updated: 30 मार्च 2022, 06:14 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
विद्युत जामवाल को लीड रोल में लेकर एक फिल्म बन रही है. इसका नाम है Sher Singh Raana. ये उस आदमी की बायोपिक है, जिसने फूलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बाद में उसी आदमी ने दावा किया कि वो अफगानिस्तान गया और वहां से राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान के अवशेष वापस लेकर आया. उसी शख्स का नाम है शेर सिंह राणा. ये फिल्म मुख्यत: राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान वाले मसले को प्राइमरी तौर पर कवर करती दिखाई दे रही है. ये हम नहीं फिल्म का अनाउंसमेंट पोस्टर कह रहा है.
हालिया अनाउंस्ड फिल्म 'शेर सिंह राणा' का पोस्टर.
हालिया अनाउंस्ड फिल्म 'शेर सिंह राणा' का पोस्टर.


इस पोस्टर पर फिल्म के नाम के नीचे एक कथन लिखा हुआ है-
''वो सबसे खतरनाक यात्रा पर गए, भारत के 800 साल पुराने गौरव- पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां वापस लाने के लिए. देखिए एक असाधारण व्यक्ति की वास्तविक कहानी.''
ये फिल्म एक मर्डरर और जेल से भागे हुए कैदी की कही उस बात पर बन रही है, जिसकी सच्चाई आज तक साबित नहीं हो पाई. इस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं श्रीनारायण सिंह. इन्होंने 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' और 'बत्ती गुल मीटर चालू' जैसी फिल्में बनाई हैं. 'शेर सिंह राणा' को विनोद भानुशाली प्रोड्यूस कर रहे हैं. विनोद लंबे समय तक टी-सीरीज़ के साथ जुड़े रहने के बाद अलग हो गए हैं. उन्होंने खुद की Hitz Music नाम की नई प्रोडक्शन कंपनी शुरू की है. वो सिंगर ध्वनि भानुशाली के पिता भी हैं.
आज हम आपको उसी शेर सिंह राणा की रियल कहानी बताएंगे, जो आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगी.
'शेर सिंह राणा' में विद्युत जामवाल टाइटल कैरेक्टर प्ले करेंगे. इस फिल्म की घोषणा के मौके पर विद्युत के साथ प्रोड्यूसर विनोद भानुशाली और डायरेक्टर श्रीनारायण सिंह (सबसे दाएं).
'शेर सिंह राणा' में विद्युत जामवाल टाइटल कैरेक्टर प्ले करेंगे. इस फिल्म की घोषणा के मौके पर विद्युत के साथ प्रोड्यूसर विनोद भानुशाली और डायरेक्टर श्रीनारायण सिंह (सबसे दाएं).

# वो आदमी जिसने कॉलेज में नेतागिरी के चक्कर में अपनी किडनैपिंग करवा ली शेर सिंह राणा उत्तराखंड के रुड़की शहर से आते हैं. राजनीति में इनकी दिलचस्पी शुरू से थी. 1998 में वो देहरादून के एक कॉलेज में पढ़ रहे थे, तब स्टूडेंट यूनियन के इलेक्शन में खड़े हुए. कॉलेज के छात्रों से सिम्पथी वोट पाकर चुनाव जीतना चाहते थे. इसलिए खुद ही अपनी किडनैपिंग की अफवाह फैला दी. मामला असल और गंभीर लगे, इसलिए फर्जी पुलिस केस भी करवा दिया. हालांकि ये साफ नहीं हो पाया कि इस हथकंडे की बदौलत शेर सिंह राणा चुनाव जीते या नहीं.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस के साथ शेर सिंह राणा.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस के साथ शेर सिंह राणा.

# शेर सिंह राणा का फूलन देवी कनेक्शन फूलन देवी जब 10 साल की थीं, तभी उनकी शादी 50 साल के एक आदमी के साथ कर दी गई. तबीयत खराब होने की वजह से फूलन मायके गईं. ठीक होने के बाद वापस ससुराल पहुंचीं, तो पता चला कि पति ने दूसरी शादी कर ली. ससुराल तो छूटा, समाज भी उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं हुआ. ऐसे में फूलन डाकुओं की संगत में रहने लगीं. धीरे-धीरे उन्हीं डाकुओं के गैंग का हिस्सा बन गईं. उस गैंग का सरगना था बाबू गुज्जर. उसने फूलन पर ग़लत नज़र डाली तो गैंग के दूसरे सदस्य विक्रम मल्लाह ने बाबू गुज्जर की हत्या कर दी.
अब फूलन और विक्रम मल्लाह मिलकर उस गैंग को बड़ा बनाने में लग गए. उसी समय एक दूसरा गैंग भी काफी फल-फूल रहा था. ठाकुरों के इस गैंग के सरदार थे श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर. ये लोग बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज़ थे. वो उसकी मौत की वजह फूलन देवी को मानते थे. इसलिए पहले तो श्रीराम ठाकुर की गैंग ने विक्रम मल्लाह को मार गिराया. फिर उन्होंने फूलन को किडनैप कर 3 हफ़्ते तक उनका बलात्कार किया. इतनी दुश्वारियों से गुज़रने के बाद फूलन ने खुद का एक गैंग बनाया. कुछ सालों बाद वो दोबारा बेहमई गांव लौटीं. उसी गांव जहां उनके साथ कुकृत्य किया गया था. बदला लेने के लिए फूलन ने गांव के 22 ठाकुरों को लाइन से खड़ा किया और गोली मार दी. इस हत्याकांड के बाद फूलन की छवि एक खूंखार डकैत की हो गई. इसके बाद मीडिया ने नया नाम दिया- 'बैंडिट क्वीन'. बाद में इसी नाम से शेखर कपूर ने फूलन देवी की बायोपिक बनाई.
अपने गैंग के साथ बैंडिट क्वीन फूलन देवी.
अपने गैंग के साथ बैंडिट क्वीन फूलन देवी.


इस घटना के दो साल बाद फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया. मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन ने आत्मसमर्पण किया. फूलन देवी पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के चार्जेज़ लगे. उन्हें 11 साल जेल में सजा के तौर पर गुज़ारने पड़े. साल 1994 में फूलन जेल से छूट गईं. दो साल बाद यानी 1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं. मिर्जापुर से सांसद बनीं. चम्बल में घूमने वाली फूलन अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगीं. 1998 के चुनाव में फूलन को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन अगले ही साल फिर चुनाव हुआ और फूलन जीत गईं. # शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की हत्या कर लिया ठाकुरों की मौत का बदला 25 जुलाई 2001 का दिन था. शेर सिंह राणा फूलन देवी के घर पहुंचा. वो वहां फूलन की पार्टी एकलव्य सेना में शामिल होने के बहाने गया था. फूलन ने उसे प्रसाद के तौर पर बनी खीर खिलाई. इसके बाद वो वहां से निकल गया. दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर फूलन अपने दिल्ली वाले बंगले के गेट पर खड़ी थीं. तभी तीन नक़ाबपोश आए और फूलन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इसके बाद वो मारुति 800 में बैठकर भाग गए. फूलन को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले ज़ाया गया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इन तीन नक़ाबपोशों में से एक था शेर सिंह राणा. उसने फूलन देवी को जान से मारने की बात कबूल भी की. वजह पूछने पर शेर सिंह राणा ने बताया कि उसने बेहमई में ठाकुरों के सामूहिक हत्याकांड का बदला लिया है.
अपने ऊपर बन रही फिल्म के मेकर्स के साथ शेर सिंह राणा.
अपने ऊपर बन रही फिल्म के मेकर्स के साथ शेर सिंह राणा.

# पुलिस को चकमा देकर जेल से फरार हुआ शेर सिंह राणा 17 फरवरी, 2004. सुबह का वक्त था. शेर सिंह राणा जेल में बंद था. उस दिन उसे हरिद्वार के एक कोर्ट में पेश होना था. मगर वो इस दिन जेल से फरार होने की प्लानिंग किए बैठा था. दरअसल शेर सिंह के खिलाफ सबूत इतने पुख्ता थे कि उसे फांसी होनी तय थी. इसलिए उसने जेल से फरार होने की योजना बनाई. उसने जेल के अंदर ही कुछ गैंगस्टर्स से पहचान बनाई. उनकी मदद से उसने रुड़की के संदीप ठाकुर नाम के एक आदमी को हायर किया. संदीप उससे रोज वकील बनकर जेल में मिलने आने लगा. इसी समय में ये लोग जेल से भागने की प्लानिंग करते थे.
17 फरवरी को उस प्लान को एग्ज़ीक्यूट किया गया. पुलिस की वर्दी पहनकर संदीप सुबह 7 बजे जेल पहुंचा. संदीप ने एक फ़ॉर्म भरा और एक जाली वॉरंट दिखाया. इसके बाद उसने शेर सिंह राणा को हथकड़ी पहनाई और जेल से बाहर ले गया. इतना ही नहीं, उसने जेल से 40 रुपए भी लिए. जो क़ैदी को बाहर ले जाने पर खाना खाने के लिए मिलते थे. दोनों ने जेल से थोड़ी दूर जाकर एक ऑटो लिया और कश्मीरी गेट बस स्टैंड पहुंचे. वहां से दोनों ने गाज़ियाबाद की बस ली. यहां से संदीप और शेर सिंह राणा के रास्ते अलग हो गए. राणा रांची पहुंचा. रांची से उसने दिल्ली पुलिस के एक ACP के नाम का फ़ेक पासपोर्ट बनाया और कोलकाता से बांग्लादेश चला गया. राणा रहता तो बांग्लादेश में था लेकिन VISA रिन्यू करने के लिए उसे बार-बार कोलकाता आना पड़ता था. 2006 में राणा जब अपना VISA रिन्यू कराने कोलकाता आया तो पुलिस ने उसे धर लिया.
शेर सिंह राणा ने अपनी किताब 'जेल डायरी- तिहाड़ से काबुल-कांधार तक' में ये भी कहा था कि उसने फूलन देवी की हत्या नहीं की. पुलिस ने उसे ये जुर्म कबूलने के लिए मजबूर किया.
शेर सिंह राणा ने अपनी किताब 'जेल डायरी- तिहाड़ से काबुल-कांधार तक' में ये भी कहा था कि उसने फूलन देवी की हत्या नहीं की. पुलिस ने उसे ये जुर्म कबूलने के लिए मजबूर किया.

# पृथ्वीराज चौहान का नाम लेकर हत्या का आरोपी देश का हीरो बन गया पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद शेर सिंह राणा ने नई कहानी बनाई. उसने पुलिस को बताया कि वो अपने लिए फरार नहीं हुआ था. उसे जेल में पता चला कि पृथ्वीराज चौहान की समाधि अफगानिस्तान में है. वहां उनका अपमान किया जाता है. इसलिए वो अफगानिस्तान गया और पृथ्वीराज सिंह चौहान की समाधि खुदवाकर थोड़ी मिट्टी इकट्ठी की. भारत लौटकर उसने उस मिट्टी को इटावा भेजा और वहां के लोकल नेताओं की मदद से एक इवेंट ऑर्गनाइज़ किया. हालांकि उसकी इस कहानी की सच्चाई कभी साबित नहीं हो पाई. 2006 में गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने शेर सिंह राणा को दोबारा जेल में डाला.
साल 2012 में शेर सिंह राणा ने जेल से ही यूपी चुनाव का पर्चा भरा. साल 2014 में कोर्ट ने उसे फूलन देवी हत्याकांड में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 2016 में मामला हाई कोर्ट पहुंचा जहां शेर सिंह राणा को बेल मिल गई. ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के चलते ठाकुरों के बीच उसकी इमेज हीरो वाली बन गई. पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां वापस लाने वाली कहानी की मदद से भी उसे खूब माइलेज मिली.
शेर सिंह राणा की इसी कहानी पर फिल्म बन रही है. देखने वाली बात होगी मेकर्स इस कहानी के प्रति क्या अप्रोच रखते हैं. वो शेर सिंह राणा को हीरो बनाते हैं या उसकी कहानी का सत्यापन करते हैं.

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement